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“2022 तक सबको मिलेगा पक्का घर” वायदे की पड़ताल: ठगा हुआ महसूस कर रहे गरीब परिवार

उत्तर प्रदेश और केंद्र, दोनों सरकारों ने अपने पांच साल के कार्यकाल के भीतर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत सभी शहरी और ग्रामीण गरीबों को पक्का घर देने का वादा किया था। सरकार दावे कुछ भी करे लेकिन तस्वीर  साफ है कि अभी भी बहुतेरे गरीब परिवारों को एक पक्की छत का इंतजार है।
Pradhan mantri awas yojna

वर्ष 2015 में जब केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की थी तो लक्ष्य रखा था कि 2022 तक देश के हर गरीब परिवार के पास एक पक्का घर होगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य था- कच्चे, जर्जर घरों और झुग्गी झोपड़ी से देश को मुक्त बनाना। योगी सरकार मानती है कि इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने और गरीबों को घर देने में उनका उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। हालांकि प्रदेश सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल के भीतर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत राज्य के सभी शहरी और ग्रामीण गरीबों को पक्का घर देने का वादा किया था। राज्य सरकार दावे कुछ भी करे लेकिन तस्वीर यह साफ है कि अभी भी बहुतेरे गरीब परिवारों को एक पक्की छत का इंतजार है।

लखनऊ और लखनऊ के इर्द गिर्द बसे गांवों का दौरा करने पर हमने पाया कि लंबे समय से कई गरीब परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाली धनराशि का इंतज़ार कर रहे हैं। बहुत से ऐसे परिवार हैं जिनको एक भी किस्त का भुगतान नहीं हुआ है जबकि वे सारी औपचारिकताएं पूरी कर चुके हैं। ऐसे ही कुछ जरूरतमंद परिवारों ने हमसे बात की......

राजधानी लखनऊ से सटे बक्शी का तलाब (बी के टी) क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले चांदपुर गांव के रहने वाले अर्जुन रावत को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत, इस सर्दी से पहले उनको एक पक्का घर मिल जाएगा लेकिन इस हाड़ मांस गला देने वाली ठंड में भी उनके परिवार को बेहद जर्जर (कभी भी गिर जाने की स्थिति) मकान में ही दिन गुजारने पड़ रहे हैं। मकान की हालत ऐसी है कि कभी भी धाराशायी हो जाए, इस डर से सुभाष ने बगल में ही  पुआल की छोटी सी झोपड़ी बना ली अब पूरा परिवार उसी झोपड़ी में रहता है। अर्जुन कहते हैं एक पक्की छत पाने के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कर चुके हैं, लिस्ट में नाम भी आ गया बावजूद इसके उनको अभी तक धनराशि की एक भी किस्त नहीं मिली। वे कहते हैं कि उन्हें और उनके गांव के उन तमाम गरीब परिवारों को उम्मीद थी कि चूंकि प्रदेश में चुनाव हैं तो अपने वादे के मुताबिक सरकार अपने लक्ष्य को पूरा करने की ओर बढ़ेगी और उन्हें पक्का घर मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अर्जुन खीज कर कहते हैं “अब पेट भरने के लिए सारा दिन मजदूरी करें या कार्यालयों और अधिकारियों के चक्कर काटें”

चांदपुर गांव में ममता से भी मुलाकात हुई। ममता का आग्रह था कि उसके घर को भी एक बार देख लिया जाए। अपना घर दिखाते हुए, रुआंसी सी होकर वह कहती हैं- इसको कहीं से घर कहा जाएगा.... छत के नाम पर बरसाती बंधी है, मौसम की मार से बचने के लिए बस किसी तरह गुजारा कर रहे हैं। ममता ने बताया कि उसके पति को पथरी है, अक्सर बीमार रहते हैं ज्यादा काम नहीं कर पाते, किसी तरह से बस गुजर बसर कर रहे हैं तो पक्की छत कैसे बनाएँ। ममता कहती हैं- कई सालों से सुन रहे हैं कि हम जैसे गरीब लोगों को प्रधानमन्त्री जी और मुख्यमंत्री योगी जी पक्का घर बनाने के लिए पैसा दे रहे हैं तो हमें क्यूं नहीं मिल रहा। यह पूछने पर कि क्या उन्होंने आवेदन की सारी औपचारकताएं पूरी की हैं तो वह बताती हैं कि पिछले साल हुए प्रधानी के चुनाव से पहले ही फॉर्म भर दिया था लेकिन अब तो विधानसभा का भी चुनाव आ गया, अभी तक उनको घर बनाने का पैसा नहीं मिला। अभी ममता से हमारी बातचीत चल ही रही थी कि तभी इसी गांव के रहने वाले पेशे से मजदूर सिपाही लाल आ जाते हैं। उन्होंने बताया कि उन लोगों के पास वह लिस्ट भी मौजूद है जिसमें सबका नाम दर्ज है लेकिन लिस्ट में नाम आने के बाद भी उनको पक्का घर बनाने के लिए एक भी किस्त नहीं मिली। पूछने पर बस प्रधान से लेकर अधिकारी सब यही आश्वासन देते हैं कि पैसा मिल जाएगा चिंता नहीं करो लेकिन ठोस जवाब किसी के पास नहीं।

लिस्ट में नाम दिखाते चाँदपुर गाँव के ग्रामीण

सिपाही लाल कहते हैं- फॉर्म में कभी कुछ तो कभी कुछ गलती बताकर फॉर्म निरस्त कर दिया जाता है, बार-बार फॉर्म भरा जाता है लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकलता। इसी गांव के विकास और पूनम, जो कि पति पत्नी हैं, कहते हैं- अब तो उन लोगों ने आवास मिलने की उम्मीद भी छोड़ दी। विकास जो कि पेशे से मजदूर हैं, कहते हैं जब उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार बनी (2017) तो सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के हर शहरी और ग्रामीण गरीब परिवारों से वादा किया था कि उनकी सरकार अपने पांच साल के कार्यकाल के भीतर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हर गरीब के सर पर पक्की छत देगी। हर गरीब के पास सर ढकने को अपना घर होगा, कोई मजदूर फुटपाथ पर सोने को मजबूर नहीं होगा। उसे अपने मकान में सम्मान के साथ भोजन मिलेगा, लेकिन उनके जैसे कई गरीब परिवार आज भी कच्चे घर में दिन गुजार रहे हैं जबकि ठंड चरम पर है।

चांदपुर गांव से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित डेरवां गांव जाने पर पता चला कि यहां भी कई ऐसे गरीब परिवार हैं जिन्हें अभी तक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का घर नहीं मिला है। आवेदन भी किया गया, सारी औपचरिकताएं पूरी करने के बावजूद ग्रामीणों को समझ नहीं आ रहा कि आख़िर उन तक धनराशि पहुंच क्यों नहीं रही। डेरवां के रहने वाले बुजुर्ग रामस्वरूप कहते हैं उनके घर की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि कभी भी गिर जाए। इस डर से उनके बेटे अपने परिवार के साथ रहने के लिए दूसरी जगह चले गए। वे कहते हैं- टूटा-फूटा ही सही, फुटपाथ पर दिन गुजारने से तो अच्छा है कि इसी घर में रहा जाए। अभी वे और उनकी पत्नी इसी घर में रह रहे हैं। डेरंवा गांव की शांति देवी ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत धनराशि दिलाने के नाम पर करीब दो साल पहले उनके गांव में कुछ लोग आकर उनसे 1200 रुपए भी ले गए और आज तक न तो उनका कुछ पता है और न ही योजना का लाभ मिला। शांति की तरह ही डेरंवा गांव के अन्य कई लोगों ने भी यही बात बताई कि आवास योजना का लाभ दिलाने के नाम पर 1200 रुपए उनसे लिए गए।

रामस्वरूप कहते हैं- चूंकि वे गरीब हैं, अशिक्षित हैं इसलिए ठगे जाते हैं, तो वहीं मामपुर बाना गांव के रमेश गौतम पिछले छह साल से इस बात से परेशान हैं कि आवास योजना के लाभार्थी के तौर पर लिस्ट में नाम आने के बाद आख़िर उनका नाम लिस्ट से क्यूं काट दिया गया। उनका नाम 2016 में ही लिस्ट में आया था। रमेश कहते हैं तब उन्हें लगा था कि जल्दी ही उन्हें एक पक्की छत मिल जाएगी लेकिन छह साल बीत गए अभी तक लाभ से वंचित हैं। रमेश ने बताया कि दोबारा आवेदन करने के बाद, दो साल पहले एक बार फिर उनका लिस्ट में नाम आ गया है, लेकिन पिछले अनुभव की वजह से वे अभी भी आश्वस्त नहीं हैं कि पक्का घर बनाने के लिए उनको धनराशि मिल ही जाएगी। लखनऊ स्थित मलेशिय मऊ गांव की रहने वाली सुनीता कहती हैं- प्रधानी का चुनाव भी हो गया और अब तो विधानसभा चुनाव भी आ गया जो काम पिछले पांच वर्षों में नहीं हुआ अब कुछ महीनों के अंदर क्या होगा। वे कहती हैं- सुनते आ रहे थे कि प्रधानमंत्री जी 2022 तक सब गरीबों को पक्का मकान दे देंगे, योगी जी भी कहते हैं उन्होंने लाखों गरीबों को पक्का घर दिया है और जिनको नहीं मिला उनको भी मिल जाएगा। सुनीता कहती हैं- सिवाय उम्मीद और इंतजार के हम लोग कर ही क्या सकते हैं। सुनीता एक घरेलू कामगार हैं। कुछ साल पहले पति की मृत्यु हो गई। दो बेटियों की जिम्मेदारी अब सुनीता के कंधों पर है। वे बताती है पक्के आवास के लिए फॉर्म तो कब का भर दिया था लेकिन कुछ होता दिख नहीं रहा।

अब इन लोगों को इंतजार है तो बस चुनाव खत्म होने का, क्यूंकि इन्हें उम्मीद है कि शायद चुनाव बाद इनकी सुध ले ली जाए और आने वाले बरसात और सर्दी के मौसम तक इनको एक पक्की छत मिल जाए। फिलहाल इंतजार और उम्मीद के सिवाय इन गरीबों के पास और कोई विकल्प भी नहीं।

(लेखिका सरोजिनी बिष्ट स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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