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महाराष्ट्र में लगा राष्ट्रपति शासन, कम समय देने को लेकर शिवसेना पहुंची सुप्रीम कोर्ट

महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए आवश्यक समर्थन पत्र सौंपने के वास्ते अतिरिक्त समय न देने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के निर्णय के खिलाफ शिवसेना मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंची।
president rule in maharastra
Image courtesy: India Today

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की सिफारिश की थी, जिसकी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मंजूरी दे दी।

इससे पहले महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की थी। गौरतलब है कि राज्य में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद कोई भी दल सरकार नहीं बना पाया।

सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुलाई गई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई और प्रदेश में केंद्रीय शासन लगाने का राष्ट्रपति से अनुरोध करने का निर्णय किया गया।

कैबिनेट की बैठक के बाद प्रधानमंत्री ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ब्राजील रवाना हो गए। इससे पहले शिवसेना ने सोमवार को दावा किया था कि राकांपा और कांग्रेस ने उसे महाराष्ट्र में भाजपा के बिना सरकार बनाने के लिये सिद्धांत रूप में समर्थन देने का वादा किया है लेकिन राज्यपाल की ओर से तय समय सीमा समाप्त होने से पहले वह समर्थन का पत्र पेश करने में विफल रही।

इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस के समर्थन और ‘तीनों दलों’ के विचार-विमर्श के बिना महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन सकती। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शरद पवार की अगुवाई वाली राकांपा को आज मंगलवार शाम साढ़े आठ बजे तक सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए कहा था। लेकिन कोश्यारी ने मंगलवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी।

कोश्यारी के कार्यालय द्वारा ट्वीट किये गये एक बयान के अनुसार, ‘वह संतुष्ट हैं कि सरकार को संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, (और इसलिए) संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधान के अनुसार आज एक रिपोर्ट सौंपी गई है।’

अनुच्छेद 356 को आमतौर पर राष्ट्रपति शासन के रूप में जाना जाता है और यह ‘राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता’ से संबंधित है।

सुप्रीम कोर्ट पहुंची शिवसेना

वहीं, शिवसेना ने सरकार गठन के लिए और समय दिये जाने से महाराष्ट्र के राज्यपाल के इनकार करने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

पार्टी नेता अनिल परब ने एक समाचार चैनल से कहा, ‘शिवसेना ने अतिरिक्त समय न देने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। हमने राज्यपाल से आवश्यक समर्थन पत्र सौंपने के लिए तीन दिन का समय देने का आग्रह किया था। हम बाद में शक्ति परीक्षण में अपना बहुमत साबित कर सकते थे।’

उन्होंने बताया कि वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल उच्चतम न्यायालय में शिवसेना का प्रतिनिधित्व करेंगे।

कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र में सरकार गठन के सभी विकल्प अपनाए बिना राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करके जल्दबाजी दिखाई।

कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने पत्रकारों से कहा, "मैं इस कार्रवाई की निंदा करता हूं, जो सभी विकल्प अपनाए बिना जल्दबाजी में की गई। यह राज्यपाल की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है। इससे यह सवाल भी उठता है कि क्या राज्यपाल दबाव में काम कर रहे हैं।"

बहरहाल, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने राज्य में सरकार गठन के लिए शिवसेना को समर्थन देने के फैसले पर कांग्रेस की तरफ से की गई देरी को लेकर हो रही आलोचनाओं को मंगलवार को खारिज कर दिया।

सरकार बनाने के लिए क्या कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने पर सहमत हुई थी, यह पूछे जाने पर चव्हाण ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो उनकी पार्टी ने सोमवार को दिल्ली में इतनी लंबी चर्चाए नहीं की होतीं।

राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के संबंध में मंगलवार को लगाई जा रही अटकलों के बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि अगर राष्ट्रपति शासन लागू भी होता है तो जब दलों के पास संख्या बल हो और वे सरकार बनाने की दावेदारी कर सकते हों तो उसे हटाया भी जा सकता है।

महाराष्ट्र में गैर-भाजपाई सरकार बनाने के शिवसेना के प्रयासों को सोमवार को झटका लगा था जब कांग्रेस ने अंतिम क्षण में कहा कि वह उद्धव ठाकरे नीत पार्टी को समर्थन देने के विषय पर अपनी सहयोगी राकांपा से कुछ और चर्चाएं करना चाहती है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के सी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को होने जा रहा अपना मुंबई दौरा टाल दिया है। दोनों नेता महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए शिवसेना को समर्थन देने के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए मंगलवार को मुंबई जाने वाले थे।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर गतिरोध 19वें दिन में प्रवेश कर गया है और कोई भी दल सरकार बनाने में अब तक सफल नहीं हुई है। इससे पहले रविवार को प्रदेश में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी भाजपा ने कहा कि उसके पास सरकार बनाने के लिये जरूरी संख्या नहीं है।  

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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