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केरल के बाद पंजाब विधानसभा में भी सीएए के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास

केरल की पहल के बाद कांग्रेस व अन्य दलों की राज्य सरकारों पर सीएए के ख़िलाफ़ विधानसभा में प्रस्ताव पास करने समेत अन्य ठोस कदम उठाने का दबाव बढ़ गया है।  
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फोटो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ट्वीटर हैंडल से साभार से 

चंडीगढ़ : केरल की तर्ज पर पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के ख़िलाफ़ राज्य विधानसभा में आज, शुक्रवार को प्रस्ताव पास कर दिया। 

मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने दो दिवसीय विधानसभा सत्र के दूसरे दिन इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। मोहिंद्रा ने इस प्रस्ताव को पढ़ते हुए कहा, ‘‘ संसद की ओर से पारित सीएए से देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए और इससे लोगों में काफी गुस्सा है और सामाजिक अशांति पैदा हुई है। इस कानून के खिलाफ पंजाब में भी विरोध प्रदर्शन हुआ जो कि शांतिपूर्ण था और इसमें समाज के सभी तबके के लोगों ने हिस्सा लिया था।’’

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाने का बृहस्पतिवार को ही संकेत दे दिया था। उनसे पूछा गया था कि क्या राज्य सरकार केरल की तर्ज पर सीएए के खिलाफ कोई प्रस्ताव लाने वाली है। इस पर सिंह ने कहा, ‘‘कल तक इंतजार कीजिए।’’

राज्य की कांग्रेस सरकार ने मंगलवार को कहा था कि वह सीएए, एनआरसी और एनपीआर के मुद्दे पर सदन की भावना के अनुसार आगे बढ़ेगी।

मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा था कि उनकी सरकार विभाजनकारी सीएए को लागू नहीं करने देगी। सिंह ने कहा कि वह और कांग्रेस धार्मिक उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन उनका विरोध सीएए में मुस्लिमों समेत कुछ अन्य धार्मिक समुदायों के प्रति किए गए भेदभाव को लेकर है।

आज विधानसभा में उन्होंने कहा "मैंने संविधान की शपथ ली है और मैं एक निष्ठावान सैनिक के रूप में अपने कर्तव्य को पूरा करना जारी रखूंगा। श्री गुरु नानक देव जी ने कहा था कि "ना कोई हिंदू, ना मुसलमान" और यह इस भावना में है, पंजाब विधानसभा ने भारत के हित के लिए #CAA को रद्द करने के लिए केंद्रीय सरकार से अपील करने का प्रस्ताव पारित किया।

केरल विधानसभा ने इस विवादित कानून को खत्म करने के लिए प्रस्ताव पारित किया है। ऐसा करने वाला केरल पहला राज्य है। इसी के साथ केरल ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी। राज्य के तौर पर केरल सुप्रीम कोर्ट जाने वाला भी पहला राज्य है। केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के नेतृत्व की एलडीएफ की सरकार है। वहां इस सरकार के इस प्रस्ताव को विपक्षी यूडीएफ ने अपना समर्थन दिया।केवल भाजपा के एकमात्र सदस्य ने इसका विरोध किया। 

केरल की पहल के बाद कांग्रेस व अन्य दलों की राज्य सरकारों पर सीएए के ख़िलाफ़ विधानसभा में प्रस्ताव पास करने समेत अन्य ठोस कदम उठाने का दबाव बढ़ गया है।  

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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