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पूर्वांचल : संयुक्त किसान मोर्चा ने किया अग्निपथ स्कीम का कड़ा विरोध, सैकड़ों नेता किए गए नज़रबंद

समूचे पूर्वांचल में खाकी वर्दी की की ज़बरदस्त नाकेबंदी के बावजूद संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े नेताओं ने डबल इंजन की सरकार की अग्निपथ स्कीम के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया और जुलूस भी निकाला। पूर्वांचल के सभी ज़िलों में धरना देकर मोदी सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया गया।
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संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर पूर्वांचल समेत यूपी के सभी जिलों में सेना में ठेके पर भर्ती के ख़िलाफ़ बड़ी संख्या में किसान सड़क पर उतरे और केंद्र सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की। अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन से पहले ही पूर्वांचल के सैकड़ों जनवादी नेताओं और कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर लिया था। बनारस के सिंधोरा थाने में कई किसानों को पुलिस ने जबरन थाने में बैठा दिया था। समूचे पूर्वांचल में खाकी वर्दी की की ज़बरदस्त नाकेबंदी के बावजूद संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े नेताओं ने डबल इंजन की सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया और जुलूस भी निकाला। पूर्वांचल के सभी जिलों में धरना देकर मोदी सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया गया।

पुलिस की कड़ी नाकाबंदी के बावजूद वाराणसी के शास्त्री घाट पर पहुंचे किसान सभा, भारतीय किसान यूनियन, किसान मज़दूर परिषद, मज़दूर किसान महासभा और जय किसान आंदोलन से जुड़े किसानों ने सेना में भर्ती की नई अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ युवाओं के राष्ट्रव्यापी विरोध को समर्थन देते हुए जमकर नारेबाज़ी की। साथ ही इस योजना को जवान-विरोधी, किसान-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी बताया और इसे तत्काल रद्द करने की मांग की। साथ ही मोदी सरकार के ख़िलाफ़ जुलूस भी निकालकर प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर किसान मज़दूर परिषद के वरिष्ठ नेता अफ़लातून ने केंद्र सरकार की योजनाओं को जनविरोधी क़रार देते हुए कहा, "डबल इंजन की सरकार “जय जवान जय किसान” के नारे की भावना को तहस-नहस करने पर तुली हुई है। ऐसे में किसानों का कर्तव्य है कि वह जवानों के साथ इस संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हो।"

किसानों पर ज़ुल्म ढा रही सरकार

अखिल भारतीय किसान सभा के ज़िला महामंत्री रामजी सिंह ने कहा, "यह देश के लिए शर्म का विषय है कि 'वन रैंक वन पेंशन' के वादे के साथ पूर्व सैनिकों की रैली से अपना विजय अभियान शुरू करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब 'नो रैंक नो पेंशन' की इस योजना को लाद दिया है। सेना में नियमित भर्ती में भारी कटौती उन किसान पुत्रों के साथ धोखा है, जिन्होंने बरसों से फौज में सेवा करने का सपना संजोया था। यह संयोग नहीं है कि इस योजना में 'ऑल इंडिया ऑल क्लास' के नियम से भर्ती करने पर उन सभी इलाकों से भर्ती में सबसे ज़्यादा कटौती होगी, जहां किसानों ने अपने आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया गया था। किसान आंदोलन के हाथों अपनी पराजय से तिलमिलायी हुई भाजपा सरकार का यह किसानों से बदला उतारने का एक और हथकंडा है।"

किसान महासभा की वरिष्ठ नेत्री श्रीमती कृपा वर्मा ने अग्निपथ योजना को देश को बर्बाद करने वाली योजना बताया। उन्होंने कहा, "यह योजना न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और बेरोजगार युवाओं के सपनों के साथ खिलवाड़ है, बल्कि देश के किसान परिवारों के साथ धोखा भी है। इस देश का जवान वर्दीधारी किसान है। अधिकांश सैनिक किसान परिवार से हैं। सेना की नौकरी लाखों किसान परिवारों के मान और आर्थिक संबल से जुड़ी है।" भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष लक्ष्मण मौर्य, जय किसान आंदोलन के नेता रामजनम और एक्टिविस्ट अनूप श्रमिक ने ने कहा, "अग्निवीर भर्ती की शुरूआत के दिन किसानों का राष्ट्रव्यापी आंदोलन देश-दुनिया में गूंजेगा। 'जय जवान-जय किसान' के नारे के साथ किसानों ने जिस तरह से ठेके पर सेना में भर्ती के विरोध का विगुल फूंका है उसका संदेश दूर तक जाएगा।"

बनारस में जुलूस और प्रदर्शन के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन प्रशासन को सौंपा गया। आंदोलन में सभी जनसंगठनों और जनआंदोलनों से जुड़े लोगों की उपस्थिति ने यह संदेश दिया कि जवानों के साथ मोदी सरकार का छल और फरेब भारत के हर नागरिक तक पहुंचाया जाएगा। इससे पहले वाराणसी के कई किसान नेताओं को हिरासत में लेकर सिंधोरा थाने में बैठा दिया गया था। पुलिस ने इन्हें तब छोड़ा जब आंदोलन समाप्त हो गया।

चंदौली में तख़्ती लेकर प्रदर्शन 

वाराणसी से सटे चंदौली जिले में भी किसानों ने केंद्र सरकार कि अग्निपथ योजना का कड़ा विरोध करते हुए धरना दिया और हाथों में तख़्ती लेकर प्रदर्शन किया। ज़िले के चकिया कस्बे में अखिल भारतीय किसान सभा, अखिल भारतीय किसान महासभा, उत्तर प्रदेश किसान सभा, मज़दूर किसान मंच व खेत मज़दूर यूनियन ने पुलिस की जबरदस्त किलेबंदी के बावजूद गांधी पार्क में धरना दिया और सेना में ठेके पर भर्ती की योजना को रद करने की मांग की। किसान नेताओं ने अग्निपथ योजना को बेरोज़गारों के साथ मजाक बताते हुए कहा कि इस तरह की स्कीम का कोई औचित्य नहीं है।

अखिल भारतीय किसान सभा के जिला अध्यक्ष परमानन्द कुशवाहा, उत्तर प्रदेश किसान सभा के शुकदेव मिश्रा, अखिल भारतीय किसान महासभा के अनिल पासवान ने कहा, "देश में रोजगार संकट विकराल होता जा रहा है, लेकिन मोदी सरकार सिर्फ खामोश बैठी है। रेलवे ग्रुप डी और एनटीपीसी की भर्तियां चार सालों से बंद है। यही हाल दूसरे विभागों का भी है। केंद्र सरकार के अधीन सरकारी विभागों में 11 लाख से ज्यादा पद अरसे से खाली हैं। इन पदों को अब अनुपयोगी बताकर खत्म किया जा रहा है। स्थायी नियुक्ति के बजाय  आउटसोर्सिंग/संविदा के तहत भर्ती की जा रही है। रेलवे में 50 फीसदी पदों को खत्म करने की योजना है। बैंकिंग सेक्टर की नौकरियां खत्म की जा रही हैं। कर्मचारी चयन आयोग में मोदी सरकार के कार्यकाल में पहले के सापेक्ष रूटीन भर्तियों में 50 फीसदी से ज्यादा पदों की कटौती हुई है। यही हाल दूसरे विभागों का भी है।"  

मजदूर किसान मंच के अजय राय के अलावा लालचंद यादव, शम्भू नाथ यादव, शिवमुरत राम, नंदलाल, भृगु नाथ विश्वकर्मा, जयनाथ राम, शोभनाथ ने किसानों को संबोधित करते डबल इंजन की सरकार पर निशाना साधा। किसान नेताओं ने कहा, "इस सरकार के पास गैर-भाजपा शासित राज्यों में विपक्ष के नेताओं को खरीदने के लिए पैसा है, लेकिन कर्मचारियों को वेतन देने के लिए धन नहीं है। देश रसातल में मिलता जा रहा है। यूपी में बैकलॉग पदों भरने से सरकार भाग रही है। चुनाव से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में 27 हजार पदों पर चयन प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी, विज्ञापन सिर्फ 4163 पदों पर भर्ती के करने के लिए जारी किया गया।"

आंदोलन-प्रदर्शन के बाद किसान संगठनों ने तहसीलदार के जरिए राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा और अग्निपथ योजना को वापस लेने और केंद्र व राज्यों के सार्वजनिक उपक्रमों-अनुदानित संस्थाओं में खाली 60 लाख से ज्यादा पदों को भरने की मांग उठाई। साथ ही नियमित पदों पर आउटसोर्सिंग और रेलवे, बैंक, बीमा, पावर, कोल आदि पब्लिक सेक्टर के निजीकरण की प्रक्रिया को रोकने की मांग की। 

बलिया में किसान नेता नज़रबंद

बलिया में अग्निपथ योजना के विरोध में आंदोलन के लिए निकले किसान नेता जनार्दन सिह, लक्ष्मण पांडेय, संतोष सिंह, परमात्मानंद राय, राघवेन्द्र कुमार, रामजियावन यादव, शैलेश सिह आदि को पकड़कर हाउस अरेस्ट कर लिया गया। सभी के घरों पर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया। गुरुवार को प्रशासन से वार्ता में तय हुआ था कि किसान सिर्फ ज्ञापन सौंपेंगे, लेकिन रात में ही किसान नेताओं की धर-पकड़ शुरू हो गई। पुलिस की नाकाबंदी के बावजूद किसान नेता जनार्दन सिंह, राघवेन्द्र कुमार, रामजियावन यादव, आदि ने ज्ञापन सौंपा।

उधर आजमगढ़ में किसान संग्राम समिति, किसान महासभा, किसान सभा, खेत मजदूर-किसान संग्राम समिति, जनवादी लोक मंच, जनमुक्ति मोर्चा, जय किसान आंदोलन, रिहाई मंच, यंग इंडिया स्टडी सर्किल, एआईपीएसएफ, भारतीय किसान यूनियन, संयुक्त किसान-मजदूर संघ के संयुक्त तत्वाधान में अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ विरोध दिवस मनाया गया। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों ने अमर शहीद कुंवर सिंह उद्यान में धरना दिया और बाद में अग्रसेन चौक से रिक्शा स्टैंड होते हुए जिलाधिकारी कार्यालय जुलूस निकाला। इस दौरान आंदोलनकारी सरकार के ख़िलाफ़ नारे बुलंद कर रहे थे।

बाद में आजमगढ़ कलेक्ट्रेट पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा, "किसान भी जवानों के साथ इस संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और बेरोजगार युवाओं के सपनों के साथ खिलवाड़ है, बल्कि देश के किसान परिवारों के साथ भी धोखा है। इस देश का जवान वर्दीधारी किसान है। अधिकांश सैनिक किसान परिवार से हैं। सेना की नौकरी लाखों किसान परिवारों के मान और आर्थिक संबल से जुड़ी है।"

इस जिले में भी बड़ी संख्या में किसानों को हाउस अरेस्ट किया गया था। इसके बावजूद किसान नेता राजेश, दुखहरन, दान बहादुर मौर्य, विजय, राहुल, विश्वजीत, संदीप, राजनेत यादव, शंभू शास्त्री, रामचंद्र, फूलचंद्र, जयप्रकाश नारायण, रविंद्र नाथ राय, विनोद सिंह, रमेश, राजू,राजीव यादव, बहादुर ,नंदलाल, सूबेदार ,रामाश्रय, श्री यादव, ओम प्रकाश, हरि ओम, राधे बनवासी ,प्रकाश बनवासी, रामराज,  सुदर्शन राम ,मुकेश यादव, रामकृष्ण यादव, इंद्रजीत, रामहित, तूफानीलाल, लाल बिहारी, जीत, निरहू राम, अवध राज यादव, ओमप्रकाश सिंह, चंद्रजीत यादव, जगदीश, कमल, हीरालाल, मंगल, विजय आदि ने सेना में ठेके पर भर्ती के ख़िलाफ़ आंदोलन किया और सरकार की दोषपूर्ण नीतियों पर प्रहार करते हुए नारेबाज़ी भी की।

जौनपुर, मऊ, देवरिया के अलावा अयोध्या के बीकापुर में संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आह्वान पर जिला कमेटी के संयोजक मायाराम वर्मा के नेतृत्व में किसानों ने प्रदर्शन किया। साथ ही अग्निपथ योजना को रद्द करने, आवारा पशुओं से निजात दिलाने, युवाओं के ख़िलाफ़ झूठे मुकदमे वापस लेने की मांग उठाई गई। मांग-पत्र देने वालों में कमला प्रसाद बागी, मोहम्मद इशहाक, अवध राम यादव, अवधेश निषाद, दिनेश दूबे, आरवी पटेल, अशोक यादव, राजकुमार मौर्य आदि प्रमुख लोग शामिल रहे। सीतापुर और अलीगढ़ में भी किसानों को हाउस अरेस्ट किया गया था। हालांकि पूर्वांचल समेत सभी जिलों में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आयोजित धरना, प्रदर्शन और जुलूस शांतिपूर्ण रहा।

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