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पुतिन का सपना विश्व व्यवस्था को नये सिरे से क़ायम करने का है

रूसी राष्ट्रपति इस बात को लेकर बहुत ज़्यादा सचेत दिखते हैं कि पांच प्रमुख परमाणु शक्तियों के बीच के सम्बन्धों की रणनीतिक समझ को लेकर आयोजित होने वाला P5 शिखर सम्मेलन विश्वास का एक आधार स्थापित करने का आख़िरी मौक़ा साबित हो सकता है।
पुतिन

मॉस्को के पास समय-समय पर अहम मुद्दों पर नपे-तुले सार्वजनिक बयानों के ज़रिये राष्ट्रपति ट्रम्प का ध्यान आकर्षित करने के लिए व्हाइट हाउस को संकेत पहुंचाने का अपना ही एक तरीक़ा है। इस तरह के बयानों का दिन आमतौर पर रविवार होता है, जैसे कि 11 जुलाई को हुआ, जब क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने एक जटिल संकेत के ज़रिये मॉस्को में इस बात की बढ़ती निराशा की और ध्यान दिलाते हुए कहा कि रूसी-अमेरिकी सम्बन्ध तार-तार हैं।

इस पृष्ठभूमि में सोमवार को जब अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अपने रूसी समकक्ष सेर्गेई लावरोव को फ़ोन किया,तो इसमें किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। उन्होंने इस बात पर चर्चा की कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहली बार 23 जनवरी, 2020 को यरूशलम में पांचवें होलोकॉस्ट फ़ोरम की बैठक में दिये गये एक भाषण में एक नयी विश्व व्यवस्था को रूप-रचना को आकार देने की अनिवार्यता और इस दिशा में संयुक्त राष्ट्र परिषद के स्थायी सदस्यों की इस बड़ी ज़िम्मेदारी को पूरा करने के लिए सितंबर तक एक शिखर सम्मेलन आयोजित करने की बात कही थी।

पेसकोव ने आज की वैश्विक राजनीति को लेकर मॉस्को की उस अहम सरोकार पर राष्ट्रपति पुतिन की गहरी चिंता को सामने रखा, जिसका वैश्विक संतुलन और स्थिरता पर गहरा असर होना है, और यह चिंता यूएस के साथ न्यू START (स्ट्रैटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी) का नवीनीकरण है, जो फ़रवरी में समाप्त हो रहा है।

सप्ताह के आख़िर में पूर्व रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव, जो इस उस समय शीर्ष क्रेमलिन अधिकारी थे, उन्होंने इंटरफैक्स समाचार एजेंसी को बताया कि नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प के “जीतने के आसार" नहीं दिखते हैं। ऐसा कहते हुए मेदवेदेव ने एक जटिल संदेश भी दे दिया कि ट्रम्प के राजनीतिक करियर को उबारने को लेकर अभी भी बहुत देर नहीं हुई है।

उन्होंने कहा, “इस पर फ़ैसला तो आख़िरकार अमेरिका के लोगों करना है। लेकिन,ट्रम्प के पास बहुत सारी ऐसी समस्यायें हैं, जो उनकी रेटिंग को प्रभावित करती हैं। ट्रम्प अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी से बहुत पीछे चल रहे है। फिर भी, वह एक रचनात्मक व्यक्ति है और बहुत मुमकिन है कि एक बार फिर वही चमत्कार हो जाय, जो चार साल पहले हुआ था, उस चमत्कार को फिर दोहराया जा सकता है। लेकिन, कोरोनोवायरस और नस्लीय अशांति के चलते गंभीर आर्थिक स्थितियों को देखते हुए अबकी बार उनके आसार बहुत अच्छे नहीं दिखते।”

दिलचस्प बात है कि यह अमेरिकी राजनीति को लेकर चीन का आकलन भी कमोबेश ऐसा ही है। मॉस्को साफ़ तौर पर किसी "चमत्कार" में भरोसा करता है और उम्मीद करता है कि "एक रचनात्मक व्यक्ति",ट्रम्प अभी भी 2016 की उस अविश्वसनीय करतब को दोहरा सकते हैं,जब उन्होंने हिलेरी क्लिंटन को बहुत तेज़ी के साथ पीछे छोड़ दिया था। हालांकि बीजिंग ने भी ट्रम्प को ख़ारिज नहीं किया है। चीन के राज्य पार्षद और विदेश मंत्री वांग यी द्वारा पिछले सप्ताह किसी चीन-अमेरिका शैक्षणिक सम्मेलन में लोगों के सामने दिये गये अपने नीतिगत भाषण में हेनरी किसिंजर का ज़िक़्र किया गया,जिसमें उन्होंने वाशिंगटन के साथ चीन के रिश्तों में चमक लाने का इशारा किया था।

चीनी टिप्पणियों में ट्रम्प के कोविड-19 महामारी से निपटने में उनकी नाकामी को उनके सामेन पैदा होने वाले संकटों की उत्पत्ति के रूप में देखा गया है। इन टिप्पणियों में कुछ इस तरह की बातें की गयी हैं, ‘ट्रम्प ने इस बात का ग़लत अनुमान लगा लिया था कि इस महामारी को रोकने के लिए उठाये जाने वाले कठोर क़दमों से अमेरिकी अर्थव्यवस्था की गति को चोट पहुंच सकती है और इसलिए, वे जानबूझकर इस वायरस के ख़तरे को कम करके बता रहे थे, लेकिन आख़िरकार उनकी निराशा को बढ़ाते हुए वायरस नियंत्रण से लगातर बाहर होते हुए फैल रहा है  और अर्थव्यवस्था तबाह हो रही है।'

बीजिंग अभी भी सोचता है कि अमेरिका को जो कुछ विशेषज्ञता हासिल है,उसके साथ ट्रम्प इस महामारी के उफ़ान को मोड़ सकते हैं और अपने वैक्सीन अनुसंधान को सामने ला सकते हैं। ट्रम्प ने तो खुद ही अब तक महसूस कर लिया होगा कि एक अभियान के तौर पर उनका वुहान वायरस वाला ज़हरीला बयान अब किसी भी तरह से उपयोगी मुद्दा नहीं रहा।

यह बिल्कुल सही है कि पोम्पेओ ने सोमवार को फ़ोन उठाया और लावरोव को इस संवेदनशील पल में फ़ोन डायल कर दिया,लेकिन इसमें भी किसी तरह का कोई शक नहीं है कि ऐसा उन्होंने ट्रम्प के निर्देशों पर ही किया होगा। रूस के आधिकारिक बयान में सकारात्मक लहजे में कहा गया कि दोनों शीर्ष राजनयिकों ने रूस द्वारा प्रस्तावित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों के नेताओं की बैठक की तैयारियों को लेकर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने सैन्य और राजनीतिक विषयों पर रूसी-अमेरिकी कार्य समूहों की आगामी बैठकों के संदर्भ में रणनीतिक स्थिरता प्रदान करने पर विचारों का भी आदान-प्रदान किया।

संक्षेप में, ट्रम्प मूल रूप से मॉस्को और पेरिस द्वारा छह महीने पहले विचार किये गये उस प्रस्ताव पर बीजिंग के उत्साही समर्थन के साथ फिर से विचार कर रहे हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के 75 साल बाद एक नयी शांति व्यवस्था स्थापित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों के राष्ट्राध्यक्षों की शिखर बैठक इस समय की एक अनिवार्यता बन गयी है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि उस तरह की भयावह तबाही फिर कभी मानव जाति पर क़हर बनकर फिर से नहीं टूट पड़े।  

पुतिन की दूरदृष्टि वाली यह पहल जेरुसलम में दिये गये उनके ज़बरदस्त भाषण में पहली बार सामने आयी थी,जब उन्होंने कहा था कि कोविड-19 महामारी के चलते अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में पैदा होने वाला भयावह तनाव, भौतिक अर्थव्यवस्था में आयी भारी गिरावट, वित्तीय प्रणाली का प्रणालीगत पतन और प्रमुख शक्तियों के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक टकराव की आशंका उस तनावग्रस्त स्थिति में पहुंचने जा रही है, जो सामाजिक अराजकता और व्यापक युद्ध में बदल सकती है।

पुतिन की यह पहल यक़ीन दिलाती है कि अलग-अलग तरह के इन संकटों से निपटने के लिए उठाये जाने वाले छोटे-छोटे क़दमों और उपायों से मिलकर बना कोई बड़ा सामूहिक प्रयास भी नाकाफ़ी होगा; वास्तविकता पर आधारित बिना किसी विशाल योजना (Grand Design) के इसका व्यापक समाधान नहीं मिल सकता है। इस विशाल योजना के कई पहलू हैं। इस समय दुनिया के सामने जिस तरह का नाटकीय ख़तरा है, उससे निपटने के लिए एक शुरुआती क़दम के रूप में न्यू ब्रेटन वुड्स प्रणाली पर आधारित एक नयी विश्व आर्थिक व्यवस्था की ज़रूरत है। राष्ट्रपति फ़्रैंकलिन रूज़वेल्ट की उस न्यू डील की परंपरा में एक निवेश कार्यक्रम P5 प्रमुखों के बीच बहुत ही उपयोगी सामान्य सूत्र प्रदान कर सकता है, जिसके बारे में सभी ने किसी न किसी समय एफ़डीआर को सकारात्मक रूप से ज़िक़्र किया  है।

इसी तरह, इस एजेंडे में ग्लास-स्टीगल बैंक पृथक्करण; वैश्विक स्तर पर एक औद्योगिक विकास योजना- पूरी दुनिया के लिए एक नयी डील; और एक ऋण प्रणाली-एक न्यू ब्रेटन वुड; और सबसे महत्वपूर्ण बात कि एक विश्वव्यापी स्वास्थ्य प्रणाली, यानी, एक ऐसी आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली को शामिल किये जाने की बात शामिल है,जो कम से कम उस मानक की थाह ले सके,जिसे चीन ने वुहान में महामारी से लड़ने में अपनाया था।

रूसी राष्ट्रपति इस बात को लेकर बहुत ज़्यादा सचेत दिखते हैं कि पांच प्रमुख परमाणु शक्तियों के बीच के सम्बन्धों की रणनीतिक समझ को लेकर आयोजित होने वाला P5 शिखर सम्मेलन विश्वास का एक आधार स्थापित करने का आख़िरी मौक़ा साबित हो सकता है। यह सबको मालूम है कि शुरू में ट्रम्प का राजनीतिक रूझान रूस और चीन के बीच अच्छे रिश्ते रखने का था। कोई संदेह नहीं कि अगर मानव जाति इस महामारी और दूसरे भावी महामारी के साथ-साथ भूख, ग़रीबी और अविकास से निजात पाना चाहता है,तो यह बात एकदम साफ़ है कि सबसे बड़ी परमाणु शक्तियों के साथ-साथ दुनिया की दो सबसे बड़ी इन अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग बहुत ज़रूरी है।

जिस तरह पिछले हफ़्ते समाचार एजेंसी तास को दिये गये गये एक बारीक़ साक्षात्कार में रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ाखारोवा द्वारा वाशिंगटन और बीजिंग दोनों के लिए एक चतुराई भरे इशारे देते हुए कहा था कि अमेरिका-रूस-चीन त्रिकोण में "रचनात्मक तरीक़े से एक साथ आने" और "अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के पूरे इतिहास का पता लगाने का आधार" बनाने की अच्छी संभावनाएं हैं। परेशान कर देने वाले मौजूदा विश्व परिदृश्य के बावजूद यही विचार पुतिन का भी है।  

बड़ा सवाल तो यही है कि आख़िर वह ट्रांस-अटलांटिक नव-उदारवादी स्थापना कितनी दूर है, जिसके लिए नवंबर में होने वाले चुनावों में ट्रम्प की हार हर तरह से मायने रखती है, क्योंकि इस हार की भी अपनी भूमिका होगी। उस बात को याद करना ज़रूरी है कि 'वुहान वायरस'  वाले शब्द को पहले पहल ब्रिटेन के MI6 सीक्रेट इंटेलिजेंस सर्विस के पूर्व प्रमुख, सर जॉन सॉवर्स और सर रिचर्ड डियरलोव और लंदन स्थित हेनरी जैक्सन सोसाइटी द्वारा उछाला गया था, जिसके तहत एक ज़बरदस्त उकसावे के साथ चीन को चुनौती दी गयी थी कि वह 9 अरब डॉलर का भुगतान करे!

लंदन स्थित इस घातक शक्ति केंद्र ने ट्रम्प के राष्ट्रपति पद को अधर में डालने के लिए 'रशियागेट' कांड की योजना भी रची थी। सौभाग्य से ’रशियागेट’ कांड का शर्मनांक तरीक़े से अंत हुआ और वुहान-वायरस की साज़िश वाले सिद्धांत को अमेरिकी चिकित्सा विशेषज्ञों ने ही निराधार ठहरा दिया गया। (इस समय डब्ल्यूएचओ का एक प्रतिनिधिमंडल इस वायरस की उत्पत्ति और महामारी के कालक्रम की जांच के लिए वुहान में है।)

इसके बावजूद यह महत्वपूर्ण है कि दुनिया की पांच प्रमुख परमाणु शक्तियों के राजनेता बिल्कुल ही प्रयास नहीं करने के बजाय इस बात का पता लगाने की भरपूर कोशिश करें कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के एजेंडे के लिए एक पूरी तरह से अलग कार्यक्रम की पटकथा को कैसे लिखा जा सकता है ताकि महामारी, भूख, आर्थिक गिरावट और मानव जाति की नियति बन जाने वाली मौजूदा वित्तीय विध्वंस को रोका जा सके।

सौजन्य: इंडियन पंचलाइन

इस आलेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Putin’s Dream to Reset the World Order

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