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पुतिन ने कास्त्रो की विरासत को सराहा  

रूसी राष्ट्रपति इस मोड़ पर "क्यूबा कार्ड" खेल रहे हैं।
Statue of Fidel Castro
फिदेल कास्त्रो की मूर्ति की पूरी दुनिया में अपनी तरह का पहला उदहारण है जिसका अनावरण राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मास्को में 22, नवंबर 2022 को किया। 

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डियाज-कैनेल ने क्यूबा क्रांति के ऐतिहासिक नेता की याद में मॉस्को के सोकोल जिले में मंगलवार को फिदेल कास्त्रो स्क्वायर में फिदेल कास्त्रो की तीन मीटर ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया।

फिदेल कास्त्रो खुद किसी भी व्यक्तित्व के कल्ट के सख्त खिलाफ थे और इसलिए क्यूबा में उनके नाम पर न तो कोई सड़क, इमारत, संस्थान या इलाके नहीं हैं, 2003 में अपने एक भाषण में, फिदेल ने कहा था: "मूर्तियों, आधिकारिक तस्वीरों, या सड़कों या संस्थानों के नाम के रूप में किसी भी जीवित क्रांतिकारी के व्यक्तित्व का कोई कल्ट नहीं हो सकता है। इस देश के नेता इंसान हैं, भगवान नहीं।

इस प्रकार, महान क्रांतिकारी के सम्मान में जो भी चीजें हैं वे क्यूबा के बाहर हैं – जिसमें  वियतनाम में एक पार्क, दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, अंगोला, तंजानिया, मोजाम्बिक और इसी तरह बाकी देशों में कई सड़कें उनके नाम पर हैं।

मॉस्को में फिदेल कास्त्रों की विरासत को सलाम करने वाला कार्यक्रम अत्यधिक प्रतीकात्मक है। एक "यथास्थितिवादी" राष्ट्र, रूस अब तेजी से विश्व राजनीति में एक "क्रांतिकारी" भूमिका ग्रहण कर रहा है, और पश्चिम द्वारा लगाए गए तथाकथित "नियम-आधारित आदेश" को चुनौती दे रहा है, और वह आज सबसे गंभीर संकटों में से एक के बीच में है जिसे शीत युद्ध के बाद का युग कहा जाता है।

वर्ष 2022, क्यूबा मिसाइल संकट की 60वीं वर्षगांठ है, जो शीत युद्ध की उस दोपहर की याद दिलाता है, जब मास्को, वाशिंगटन के साथ टकराव के केंद्र में था। तब का टकराव भी भयानक रूप से आज के समान था – क्योंकि रूस को अपने तत्काल पड़ोस से अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा को अमेरिका के प्रयासों से खतरा था।

संकट 1962 में तब शुरू हुआ था, जब अमेरिका ने तुर्की में जुपिटर मिसाइलों की तैनाती कर दी थी और इसके जवाब में सोवियत रूस ने क्यूबा में प्रक्षेपण स्थलों पर मिसाइल लगा दी गई थीं। इसका इस्तेमाल एक सौदे तक पहुंचने में हुआ और पर्दे के पीछे की बातचीत के ज़रिए मुद्दों को हल किया गया, अंतत सौदे के तहत सोवियत मिसाइलों को नष्ट कर दिया गया और क्यूबा से हटा दिया गया था, जबकि अमेरिका ने अक्टूबर 1962 में क्यूबा पर अपने टकराव को समाप्त करने के लिए अप्रैल 1963 तक तुर्की से अपनी जुपिटर मिसाइलों को हटा दिया था।

लेकिन अफसोस की बात है कि, बाइडेन राष्ट्रपति केनेडी के विपरीत काम किया और रूस से बातचीत करने से इनकार कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप यूक्रेन में छद्म युद्ध शुरू हो गया। यदि मिन्स्क समझौतों को पुनर्जीवित कर लिया जाता, तो युद्ध को टाला जा सकता था और यूक्रेन की तबाही को रोका जा सकता था, जो समझौता कीव शासित एक संघीय देश के भीतर डोनबास क्षेत्र के प्रति एक किस्म की क्षेत्रीय स्वायत्तता को अनुमति देता था। राष्ट्रपति बाइडेन ने उस मार्ग पर चलने से माना कर दिया (और निश्चित रूप से, कीव में समर्थक पश्चिमी यूक्रेनी नेतृत्व ने मिन्स्क समझौतों को कमजोर करने को प्रोत्साहित किया।)

पुतिन ने मंगलवार को, फिडेल के साथ अपनी मार्मिक बातचीत का जिक्र किया, जो जुलाई 2015 में हुई थी, "उन्होंने उन चीजों के बारे में बात की जो आश्चर्यजनक रूप से समय के अनुरूप थीं – यह एक बहुध्रुवीय दुनिया के विकास का समय है – और फिडेल ने कहा कि कसी भी देश की आज़ादी और गरिमा बिक्री के लिए नहीं है, प्रत्येक राष्ट्र को अपने विकास का अधिकार है क्योंकि वह अपने बारे में बेहतर जानता है और अपना रास्ता चुन सकता है, और वास्तव में निष्पक्ष दुनिया में तानाशाही, लूट या नव-उपनिवेशवाद के लिए कोई जगह नहीं है।

पुतिन ने डियाज़-कैनेल का ध्यान प्रतिमा की ओर दिलाया। और पुतिन ने मुस्कराते हुए कहा, "मुझे नहीं पता कि आप इसे पसंद करते हैं या नहीं, लेकिन मुझे लगता है कि इसे सब पसंद करते हैं।" ... "यह गतिशील है, आगे बढ़ रही है, आगे देख रही है। जो एक सच्चे सेनानी की एक आदर्श छवि है। डायज-कैनेल ने सहमति व्यक्त की: "यह गतिशील  स्मारक है। मुझे लगता है कि यह संघर्ष के बीच के फिदेल के व्यक्तित्व को दर्शाता है, ठीक वैसे ही जैसे आज हम संघर्ष के बीच नज़र आते हैं।" यह सार्थक आदान-प्रदान का एक दूरगामी संदेश था।

सचमुच, यूक्रेन युद्ध रूस के लिए हक़ीक़त का पल रहा है। राष्ट्रीय हितों के प्रति रूस की  संकीर्ण विदेश नीति, से मुह मोड़ते हुए रूस ने अब अपनी क्षेत्रीय और वैश्विक भूमिका को पुनः हासिल कर लिया है। फिदेल ने जरूर सहमति में सिर हिलाया होगा, क्योंकि उनके अधीन क्यूबा का दृष्टिकोण अंतर्राष्ट्रीयवादी था और उसने अमेरिकी आधिपत्य को चुनौती देने में अपार बलिदान दिया था।

फिदेल की विरासत आज रूस के लिए असाधारण महत्व रखती है। पुतिन ने रूस और क्यूबा के बीच दोस्ती को अपनी "साझा विरासत" बताया था। उन्होंने रेखांकित किया, "संयुक्त रूप से, हम अपने जुड़ाव को मजबूत करना जारी रखेंगे और आज़ादी, समानता और न्याय के महान मूल्यों की रक्षा करेंगे।"

पुतिन ने जोड़ते हुए कहा, "दोस्ती की इस ठोस नींव के आधार पर, हमें निश्चित रूप से वर्तमान हक़ीक़तों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए और अपने सहयोग को मजबूत करना चाहिए। मुझे बहुत खुशी है कि हमें ऐसा मौका मिला है।"

डियाज़-कैनल अपने रुख में अधिक प्रत्यक्ष और स्पष्टवादी थे। उन्होंने पुतिन से कहा: "हम उन सभी कार्यों की सराहना करते हैं, जिसे रूसी फेडरेशन यह सुनिश्चित करने के लिए कर रही है कि दुनिया बहुध्रुवीयता की ओर बढ़े और उस दिशा में प्रगति करे। इस लिहाज से आपके पास गंभीर नेतृत्व है।

"रूस और क्यूबा पर अनुचित एकतरफा प्रतिबंध थोपे गए हैं और उनका एक साझा दुश्मन है, एक साझा स्रोत है जो अमरीकी साम्राज्य है, जो मानव जाति के एक बड़े हिस्से में हेरफेर करना चाहता है ... और हमारी पहली प्रतिबद्धता युद्ध में रूसी फेडरेशन की स्थिति को मजबूत बनाए रखना है। हम मानते हैं कि इसकी उत्पत्ति, दुर्भाग्य से, इस तथ्य में है कि संयुक्त राज्य अमेरिका अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हेरफेर कर रहा है ... हम रूसी फेडरेशन के सभी प्रयासों और दुनिया को बहु-ध्रुवीयता की ओर उन्मुख करने में, प्रोत्साहित करने में आपकी भूमिका की सराहना करते हैं। इस दिशा में आगे बढ़ना है। इस लिहाज से आपकी नेतृत्वकारी भूमिका बहुत मजबूत है।" 

रूसी-क्यूबा संबंधों में यह कशमकश जटिल भू-राजनीतिक सेटिंग में कैसे उभरता है, यह देखना होगा। रूसी-क्यूबा अंतर-सरकारी आयोग ने डियाज़-कैनल की यात्रा के दौरान मास्को में एक सत्र आयोजित किया, जहां द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए "प्रमुख मुद्दों पर कई महत्वपूर्ण निर्णय" लिए गए हैं। डायज-कैनेल ने पुतिन से कहा, "वैश्विक मुद्दों पर हमारे दृष्टिकोण और विचार समान हैं। मैं फिर से कहना चाहूंगा कि रूस हमेशा क्यूबा पर भरोसा कर सकता है।"

यूक्रेन युद्ध का परिणाम चाहे जो भी हो, रूस तब भी अपने दरवाजे पर यूएस-नाटो सैन्य उपस्थिति की कठोर वास्तविकता का सामना करेगा। यह तय है कि यूरोप में नाटो को 1998 की स्थिति पर वापस नहीं ले जाएगा। हजारों की संख्या में पश्चिमी भाड़े के सैनिक यूक्रेन में लड़ रहे हैं और जनरल डेविड पेट्रियस जैसे प्रमुख चेहरे रूस को हराने के लिए यूक्रेन में एक खुले पश्चिमी सैन्य हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।

दरअसल, फ़िनलैंड को नाटो में एक सदस्य के रूप में शामिल करने की अमेरिका की पहल - हालाँकि उस देश से रूस से कोई ख़तरा नहीं है – लेकिन इसका उद्देश्य रूस को "जकड़ना" है। और पश्चिम आक्रामक रूप से रूस के चारों ओर अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है कि रूस इसमें निष्क्रिय बने रहने का जोखिम नहीं उठा सकता है।

चीनी विदेश मंत्रालय ने नोट किया है कि "अंतरराष्ट्रीय उतार-चढ़ाव के बावजूद, चीन और क्यूबा, अपनी राष्ट्रीय विशेषताओं के साथ समाजवाद के निर्माण के मार्ग पर एक साथ आगे बढ़े हैं, मूल हितों से संबंधित मुद्दों पर एक-दूसरे का समर्थन करते हैं और अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर घनिष्ठ समन्वय रखते हैं, जो समाजवादी देशों के बीच एकजुटता और सहयोग, तथा विकासशील देशों के बीच ईमानदारी, पारस्परिक सहायता का अनुकरणीय मॉडल हैं।"

डियाज़-कैनेल की आगामी चीन यात्रा पर की गई एक टिप्पणी में, ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि "अमेरिका द्वारा क्षेत्र की वामपंथी सरकारों पर दीर्घकालिक कार्रवाई के बावजूद, लैटिन अमेरिका के प्रमुख देश "गुलाबी ज्वार" का अनुभव कर रहे हैं" यानि वामपंथ की तरफ बढ़ रहे हैं। लैटिन अमेरिका, संयुक्त राज्य अमरीका की दादागिरी और जबरदस्ती से थक गया है, और घरेलू विकास पर ध्यान केंद्रित करने वाले एजेंडे वाले नेताओं को जनता का समर्थन मिल रहा है।

एमके भद्रकुमार एक पूर्व राजनयिक हैं। वे उज़्बेकिस्तान और तुर्की में भारत के राजदूत रह चुके हैं। व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः

Putin Invokes Castro’s Legacy

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