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'अच्छे दिन’ नहीं चाहिए, बस ये बता दो कब होगी रेलवे ग्रुप डी की भर्ती परीक्षा?

अभ्यर्थी करीब ढ़ाई साल से आरआरबी ग्रुप डी भर्ती परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं, बार-बार प्रदर्शन कर सवाल पूछ रहे हैं। लेकिन एक करोड़ से अधिक युवाओं से एक-एक फॉर्म के लिए 500 रुपए लेने वाली केंद्र की मोदी सरकार से अब तक इसका जवाब देते नहीं बन रहा।
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फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

सालाना 2 करोड़ नौकरियां और अच्छे दिन के वादे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार के ख़िलाफ़ देश के युवा लगातार मोर्चा खोले हुए  बैठे हैं। बुधवार, 1 दिसंबर की सुबह ट्विटर पर एका-एक #JusticeForRailwayStudents ट्रेंड होने लगा। देखते ही देखते ये टॉप ट्रेंड बन गया और करीब 30 लाख से ज्यादा ट्वीट्स इस हैशटैग के साथ किए गए। यहां उम्मीदवार रेलवे से जिस न्याय की मांग कर रहे हैं वो भारतीय रेलवे की आरआरबी ग्रुप डी भर्ती परीक्षा की तारीख है। और अभ्यर्थी करीब ढ़ाई साल से इसका इंतजार कर रहे हैं।

बता दें कि रेलवे द्वारी जारी नोटिफिकेशन के हजार दिन बीतने के बाद भी ग्रुप डी के उम्मीदवारों को पता ही नहीं है कि उनकी परीक्षा कब होगी। एक-एक फॉर्म के लिए 500 रुपए लेने वाली केंद्र की मोदी सरकार एक करोड़ से अधिक युवाओं को अब तक इस सवाल का जवाब नहीं दे सकी है कि उनकी परीक्षा आख़िर कब होगी। भर्ती पूरी होने और जॉइनिंग मिलने की बात तो भूल ही जाइए। 

क्या है पूरा मामला?

रेलवे भर्ती परीक्षा को लेकर बीते साल भी सितंबर में सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक बेरोजगार युवाओं ने जोरदार प्रदर्शन किया था। तब भी सरकार से यही सवाल पूछा गया था कि ये भर्तियां कब पूरी होंगी? और करीब सवा साल बाद एक बार फिर उम्मीदवार सरकार से पूछ रहे हैं कि आखिर ये भर्तियां कब पूरी होंगी? इस प्रदर्शन के अलावा भी बीच में कई बार प्रदर्शन हुए। हर बार एक ही सवाल, लेकिन जवाब कुछ नहीं।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ रेलवे ने फरवरी 2019 में नौकरियों से संबंधित विज्ञापन निकाला। इसमें दो कैटेगरी की नौकरियां थीं। पहली NTPC यानी नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरी जैसे क्लर्क, टिकट क्लर्क, गुड्स गार्ड, स्टेशन मास्टर आदी पदों पर 35 हजार 208 पोस्ट की वैकेंसी। और दूसरी ग्रुप डी की 1 लाख 3 हज़ार 769 पदों की भारी भरकम वैकेंसी। NTPC के लिए आवेदन करने वालों की संख्या 1 करोड़ 26 लाख के लगभग है। वहीं ग्रुप डी की परीक्षा के लिए 1 करोड़ 15 लाख के लगभग आवेदन आए। दोनों परीक्षाओं को मिला दें तो कुल आवेदन करने वालों की संख्या हो जाती है दो करोड़ 40 लाख के आसपास।

अब पहली NTPC की परीक्षा जून से सितंबर 2019 के बीच इसकी परीक्षा आयोजित होनी थी। NTPC की परीक्षा होने के बाद सितंबर-अक्टूबर 2019 में ग्रुप डी का एग्जाम शेड्यूल था। लेकिन तय शेड्यूल पर न तो NTPC की परीक्षा हुई और न ही ग्रुप डी की। पिछले साल के विरोध-प्रदर्शन के बाद सरकार की ओर से एक डेट शीट जारी की गई थी। पहले NTPC और फिर उसके बाद ग्रुप डी एग्जाम कराने की बात कही गई थी।

दिसंबर 2020 से NTPC के पहले स्टेज की परीक्षा शुरू हुई जो खत्म हुई जुलाई 2021 में। लेकिन रिजल्ट अब तक नहीं आया है। यानी कि NTPC के वो अभ्यर्थी जो पहले परीक्षा के लिए प्रदर्शन कर रहे थे वो अब रिजल्ट के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। फिर उसके बाद मेडिकल, टाइपिंग, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन, और जॉइनिंग की बारी आएगी। फिर भी तसल्ली के लिए कहा जा सकता है कि NTPC की एक स्टेज की परीक्षा हो भी गई है, ग्रुप डी वालों की तो अब तक परीक्षा ही नहीं हुई है।

गौरतलब है कि ग्रुप डी के लिए अप्लाई करने वालों में सर्वाधिक संख्या समाज के सबसे कमजोर तबके के लोगों की होती है। जो केवल बेरोजगार युवा ही नहीं हैं, बल्कि अपने परिवार में कमाई की उम्मीद भी होते हैं। ऐसे में सरकार का ये रवैया हाशिए पर खड़े लोगों को और हाशिए पर ढकेल रहा है।

युवा हल्ला बोल संगठन के अध्यक्ष अनुपम जो युवाओं के मुद्दों को लेकर संघर्षरत रहते हैं, उन्होंने बीते साल एक ट्वीट कर सवाल पूछा था कि क्या सरकार उम्मीदवारों से फॉर्म के पैसे जमा कर अब सूद कमाना चाहती है?

सोशल मीडिया पर सरकार से भर्ती परीक्षा का जवाब मांगने के साथ ही मीम्स भी शेयर किए जा रहे हैं। कई लोग बेरोज़गार दिवस और 5 ट्रिलियन इकॉनमी को लेकर भी अपना रोष व्यक्त कर रहे हैं। यहां बता दें कि बीते दो सालों से पीएम मोदी के जन्मदिन को बीजेपी जहां सेवा दिवस के रुप में मनाती है तो वहीं युवा राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस के रुप में अपना विरोध दर्ज करवाते हैं।

रेलवे भर्ती परीक्षा को लेकर ट्विटर पर विक्रांत सिंह तोमर नाम के यूज़र ने लिखा कि बीते तीन सालों में आरआरबी यानी रेलवे भर्ती बोर्ड एक भी भर्ती नहीं करवा सका है। अगर यही डिजिटल इंडिया है तो हम पुराने भारत और पुराने दिनों को ही प्यार करते हैं। हमें तखाकथित 'अच्छे दिन' नहीं चाहिए।

वहीं सुरेश कुमार नाम के यूज़र लिखते हैं, “ये बहुत शर्मनाक बात है कि शिकायत और अपील के बावजूद सरकार हमारी बात नहीं सुन रही। और फिर यही लोग कहते हैं कि युवा देश का भविष्य है।”

वरुण गांधी और राहुल गांधी ने किया युवाओं का समर्थन 

इस मामले में बीजेपी नेता वरुण गांधी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी युवाओं के लिए न्याय की मांग की। जस्टिस फॉर रेलवे स्टूडेंट्स के हैशटैग के साथ इन नेताओं ने युवाओं के साथ एकजुटता दिखाई और सरकार से सवाल पूछे।

वरुण गांधी ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा, “पहले तो सरकारी नौकरी ही नहीं है, फिर भी कुछ मौका आए तो पेपर लीक हो, परीक्षा दे दी तो सालों साल रिजल्ट नहीं, फिर किसी घोटाले में रद्द हो। रेलवे ग्रुप डी के सवा करोड़ नौजवान दो साल से परिणामों के इंतज़ार में हैं। सेना में भर्ती का भी वही हाल है। आखिर कब तक सब्र करे भारत का नौजवान??”

कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने भी मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए ट्वीट किया, “पहले रेलवे में नौकरी एक सम्मान की बात होती थी, आज रेलवे में नौकरी ही नहीं होती, जल्द ही, पहले-सा रेलवे ही नहीं होगा! जनता से अन्याय बंद करो।”

वहीं दलित कांग्रेस के पेज से कहा गया कि रेलवे ग्रुप डी भर्ती का ऐलान तीन साल पहले हुआ। आज तक परीक्षा तक नहीं करवा सके। लेकिन तीन साल के भीतर ही करीब बीस सरकारी कंपनियों को प्राइवेट हाथों में सौंप दिया। इनकी प्राथमिकता देख लीजिए।

गौरतलब है कि इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम मन की बात और बीजेपी के कई वीडियोज़ को यूट्यूब पर भारी संख्या में डिसलाइक्स मिलने के पीछे भी युवाओं के ग़ुस्से को ही कारण बताया जा रहा था। बीजेपी भले ही इसे विपक्ष की साजिश करार दे लेकिन आज विपक्ष भी सरकार के खिलाफ खुलकर युवाओं का साथ दे रहा है। उनका कहना है कि कोरोना संकट से पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था खस्ताहाल से गुजर रही थी, सैकड़ों लोग नौकरियां गवां चुके थे लेकिन बावजूद इसके मोदी सरकार 5 ट्रिलियन इकॉनमी का सपना दिखा रही थी।

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