Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

अफवाह बनी आफतः यूपी में बच्चा चोरी का झूठा बवंडर, 'मारो-मारो' का शोर और निर्दोष लोगों को तालिबानी सजा

उत्तर प्रदेश में बच्चा चोरी की अफवाहें ग्रामीण अंचलों में इतनी तेजी से तैर रही हैं कि सूबे के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार को एडवाइजरी जारी करनी पड़ी है। राज्य के सभी जिलों के पुलिस कप्तान अफ़वाह फ़ैलाने वालों को कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दे रहे हैं।
jaunpur
मानसिक रूप से बीमार लोगों को पीटने पर शाहगंज में पकड़े गए लोग

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के गोपीगंज स्थित डोमनपुर गांव में बच्चा चोर समझकर ग्रामीणों ने एक महिला के साथ मारपीट और अभद्रता की। निर्वस्त्र तक कर दिया गया। घटना का वीडियो सामने आया तब रपट दर्ज की गई। पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार प्रभात ने ‘न्यूजक्लिक’ से इसकी पुष्टि की और कहा, "महिला विक्षिप्त थी। बच्चा चोर बताकर उसके साथ मारपीट की गई। वीडियो फुटेज के आधार पर रामकृपाल यादव, राजेंद्र यादव, गुड्डू यादव, और महेंद्र यादव को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।"

भदोही जिले के औराई इलाके के औरंगाबाद व बाबूसराय में भी बच्चा चोरी के आरोप में दो मंदबुद्धि लोगों को तालिबानी सजा दी गई। वीडियो वायरल होने पर पुलिस हरकत में आई और औरंगाबाद के नेबू लाल सरोज और बाबूसराय के आजाद, वकील, मास्टर, लल्लू को गिरफ्तार किया गया। पिछले एक पखवाड़े में 55 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें लोगों को 60 से 70 लोगों को बच्चा चोर समझकर मारा-पीटा गया। कई लोगों के कपड़े उतारे गए और कुछ को निवस्त्र तक किया गया, क्योंकि स्थानीय लोगों को बच्चा चोरी की अफ़वाह सच लगी। इन सभी जगहों पर इलाकाई पुलिस ने अफ़वाह फ़ैलाने वालों और हिंसा में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई करने का दावा किया है।

बच्चा चोरी की अफवाह इस समय चरम पर है। सिर्फ यूपी ही नहीं, बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश में भी दहशत का माहौल है। कहीं भी भीड़ का एक झुंड़ किसी को भी शक होने पर पीट रहा है। ऐसे कई मामले अलग-अलग शहरों से सामने आए हैं। भीड़ द्वारा की गई हिंसा की इन घटनाओं को देखकर लगता है कि साल 2018 की तरह इस बार भी बच्चा चोरी की अफ़वाहें यूपी समेत कई राज्यों में पुलिस और प्रशासन के लिए मुसीबत का सबब बन गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2019 में बच्चा चोरी की अफ़वाहों के चलते सिलसिलेवार 48 से अधिक हिंसक घटनाएं हुई थीं, जिनमें पांच लोग मारे गए और कई घायल हुए थे। इन घटनाओं में 119 से ज़्यादा लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस ने केस दर्ज किया था। इस बार दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत से लेकर समूचे उत्तर भारत में इसका असर देखने को मिल रहा है। फ़िलहाल उत्तर प्रदेश सर्वाधिक प्रभावित है। हालांकि ‘न्यूजक्लिक’ बच्चा चोरी की अफवाहों से उपजी मॉब लिंचिंग की वारदातों के बाबत किसी भी आंकड़े की पुष्टि नहीं करता है।

बच्चा चोरी करने वाले गिरोह के सक्रिय होने की अफवाह के चलते इस कदर दहशत है कि लोग  मानसिक रूप से बीमार और निर्दोष भिखारियों की पिटाई तक कर दे रहे हैं। राज्य के बनारस, मिर्जापुर, चंदौली, सोनभद्र, भदोही, जौनपुर, प्रयागराज, रायबरेली, सहारनपुर, अमेठी, प्रतापगढ़, कासगंज, कौशांबी, बस्ती, मथुरा जिलों में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं। इसी  तरह बिहार के सीतामढ़ी और मोतिहारी जिलों में भी ऐसी ही वारदातें सामने आई हैं। उत्तराखंड के हरिद्वार व रुड़की और मध्य प्रदेश के रीवा में बच्चा चोरी की अफवाहों के चलते कई निर्दोष लोगों को पीट-पीटकर अधमरा किया गया।

निर्दोष लोगों को पीटने पर मिर्जापुर में भी लोग पकड़े गए

उत्तर प्रदेश में बच्चा चोरी की अफवाहें ग्रामीण अंचलों में इतनी तेजी से तैर रही हैं कि सूबे के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार को एडवाइजरी जारी करनी पड़ी है। यूपी में सभी जिलों के पुलिस कप्तान अफ़वाह फ़ैलाने वालों को कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दे रहे हैं। एडीजी की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है, "ऐसा कोई संगठित गिरोह काम नहीं कर रहा, जो बच्चा चोरी करता हो। झूठी अफवाहों के चलते हिंसक वारदातें हो रही हैं। ऐसी वारदातों को रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। बच्चा चोरी से संबंधित सूचना का सत्यापन व जांच राजपत्रित अधिकारी से कराने, ग्रामीण इलाकों में पुलिस गश्त बढ़ाने, आमजन को जागरूक करने के लिए लाउडस्पीकर का प्रयोग करने और सोशल मीडिया पर चलने वाली अफवाहों का त्वरित  खंडन करने के निर्देश दिए गए हैं। निर्दोष लोगों के साथ मारपीट व अभद्रता की घटनाओं को यूपी पुलिस गंभीरता से ले रही है। साथ ही अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। फिलहाल अभी तक ऐसा कोई गैंग सामने नहीं आया है। सुनियोजित ढंग से बच्चा चोरी की कोई घटना भी प्रकाश में नहीं आई है। सोशल मीडिया के जरिये जो लोग अफवाहें फैला रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करने और ऐसे लोगों पर रासुका लगाने के भी आदेश दिए गए हैं।"

कहां से शुरू हुई अफवाह?

उत्तर प्रदेश में बच्चा चोरी के अफवाह की पहली वारदात पिछले महीने देवबंद में दर्ज की गई। यह घटना तब हुई जब पांच राजमिस्त्री एक घर का लेंटर ढालने के बाद देर रात घर लौट रहे थे। तभी भीड़ उन्हें घेर लिया। श्रमिकों को बच्चा चोर समझकर पहले सवाल-जवाब किया गया। बाद में एक व्यक्ति ने शाहरुख नामक मजदूर को गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई। गोली मारने वाले और मजदूरों को घेरने वाली भीड़ सभी अफवाह के शिकार थे।

उन्नाव के माखी इलाके में रात के समय लोगों ने एक युवती और दो युवकों को बंधक बना लिया। बाद में तीनों को खेत में गड़े खंभे में कंटीले तार के साथ बांध दिया और जमकर पीटा। फिर पुलिस आई और पूछताछ की तब पता चला कि वे तीनों अपने रिश्तेदार के यहां गए थे और घर लौट रहे थे। कुछ ही दिन पहले कासगंज के रिलायंस नेटवर्क में काम करने वाले चार युवक एक कार से जा रहे थे। वो किसी मोबाइल नेटवर्क टॉवर की टेस्टिंग के लिए निकले थे। इसी बीच बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंच गए। भीड़ ने पहले चारों को कार से बाहर निकालकर पूछताछ की और फिर बच्चा चोर कहकर उनकी जमकर धुनाई कर दी। यही नहीं, मौके पर पुलिस भी बुला ली। पुलिस के सामने ही भीड़ ने चारों को कार में बैठाया और पलट दिया। बाद में पूछताछ से पता चला कि वे सभी चारों मोबाइल नेटवर्क की टेस्टिंग के लिए निकले थे।

इसी तरह हरदोई में एक अंजान युवक को अपने गांव के पास देखकर भीड़ ने घेर लिया। हैंडपंप से रस्सी से बांध दिया। फिर भीड़ ने इसे भी बच्चा चोर समझकर पीटना शुरू कर दिया। आगरा में विक्षिप्त महिला से भीड़ ने बच्चा चोरी के शक में मारपीट की, जिन्हें पुलिस ने किसी तरह बचाया। सहारनपुर के देवबंद के एक गांव के लोगों ने महिला और पुरुष को बच्चा चोर समझकर बुरी तरह से पीट दिया। किसी तरह दोनों भीड़ से बचकर पुलिस थाने पहुंचे और अपनी जान बचाई। इसी तरह स्थानीय लोग एक मनोरोगी पर भी बच्चा चोर समझकर टूट पड़े। उसे भी जमकर पीट दिया।

पुलिस सख्ती और कड़ी चेतावनी के बावजूद अफवाहें रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। अफवाह इस तरह फैलाई जा रही है कि बच्चा चोरी करने वाले कई गैंग सक्रिय हैं। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में लोग झूठी वारदातों को सच मान रहे हैं और झुंड बनाकर किसी भिखारी, साधु, किसी बुजुर्ग, मानसिक रोगी को बच्चा चोर समझकर पीटते चले जा रहे हैं। यूपी के हर जिले की पुलिस कह रही है कि कहीं कोई बच्चा चोर नहीं है और जनता अफवाहों से सतर्क रहे। इसके बावजूद अफवाहें रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। इसी चार सितंबर को मुरादाबाद के भोजपुर में भीड़ ने दो लोगों को घेरकर पीट दिया। इसी तरह सीतापुर में महिला को मारा गया। 65 साल की बुजुर्ग महिला को सैकड़ों लोगों ने उस समय घेर लिया जब वह गांव में भीख मांग रही थीं। बाद में पता चलता है कि ये महिला मानसिक रूप से विक्षिप्त थी।

भीड़ की पिटाई के शिकार साधु

अफवाहों का असर दूर तक

वाराणसी में पिछले दस दिनों में बच्चा चोर समझ पीटने की आधा दर्जन वारदातें हो चुकी हैं। चोलापुर थाना के भदवा गांव में इसी दो सितंबर को एक मानसिक रोगी को ग्रामीणों ने पकड़ा, पीटा और बच्चा चोर बताकर उसे पुलिस के हवाले कर दिया। बड़ागांव इलाके के हरहुआ स्थित रिंग रोड फेज-वन के पास 8 सितंबर की शाम घूम रहे एक अधेड़ को बच्चा चोर कहकर बुरी तरह पीट दिया गया। बाद में उस व्यक्ति को बड़ागांव स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराना पड़ा। इसी दिन जंसा थाना क्षेत्र के भटौली गांव में मानसिक रूप से बीमार एक अन्य व्यक्ति पर बच्चा चोरी का आरोप लगाकर ग्रामीणों ने बुरी तरह पीटा और उसे लहूलुहान कर दिया। जौनपुर का यह व्यक्ति तीन दिन पहले इलाज के लिए अपने घर से बनारस के लिए निकला था। वाराणसी के राजातालाब के असवारी गांव में नौ सितंबर की शाम जगरदेवपुर गांव की मानसिक रूप से बीमार एक महिला को बच्चा चोर बताकर पीटा गया और फिर उसे इलाकाई पुलिस के हवाले कर दिया गया।

सिर्फ बनारस ही नहीं, मिर्जापुर में भी बच्चा चोरी करने वाले गैंग के सक्रिय होने की झूठी अफवाहें फैली हुई हैं। जिले के अहरौरा क्षेत्र में 13 सितंबर को सोनभद्र के बभनी निवासी मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति के साथ मारपीट करने की गई। इसके अलावा मिर्जापुर के कटरा कोतवाली इलाके में वृद्धा चंपा देवी को बच्चा चोर बताकर पीटा गया। दोनों वारदातों में 11  लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। चंदौली जिले के चकिया के मगरौर गांव में ग्रामीणों ने बिहार के दीवाने (चांद) गांव के रामबिलास तिवारी (68) को बंधक बना लिया और पिटाई करने के बाद उसे पुलिस के हवाले किया। मैला-कुचौला वेशभूषा देखकर लोगों ने उन्हें बच्चा चोर समझ लिया था। मॉब-लिंचिंग के वायरल वीडियो में दिखता है कि रामविलास तिवारी भीड़ के आगे पीड़ित हाथ जोड़ते रहे, कहते रहे कि वो बच्चा चोर नहीं हैं, पर मारने वाले उनका नाम, गांव का नाम और जाति जानने के बाद भी नहीं रुके। भीड़ 'बच्चा चोर-बच्चा चोर' और 'मारो-मारो' का शोर मचाती रही और हर तरफ से पड़ते लात घूंसे, लाठी डंडों के बीच लोग मोबाइल से वीडियो बनाते रहे।

चंदौली के चकरघट्टा इलाके में मझगांवा चट्टी पर एक व्यक्ति को पकड़कर पीटा गया। उसकी भाषा किसी को समझ में नहीं आ रही थी, जिससे लोगों ने उसे बच्चा चोर समझ लिया। संतकबीरनगर के धनघटा क्षेत्र के संठी गांव में दो लोग मासूम बच्चों को गोद में लेकर घूम रहे थे। ग्रामीणों ने दोनों बुरी तरह पीटकर लहूलुहान कर दिया। बाद में दोनों की शिनाख्त सेराज आलम और अशोक कुमार निवासी जहांगीरगंज के रूप में हुई। जौनपुर में बच्चा चोरी का इल्जाम लगाकर निर्दोष लोगों के पीटे जाने की करीब आधा दर्जन घटनाएं हुई हैं। पुलिस ने चार मामलों की पुष्टि की है। ये घटनाएं खेतासराय, शाहगंज, सरायख्वाजा, सिकरारा, बदलापुर,  बीबीगंज, कुत्तूपुर आदि इलाकों में हुई हैं। इन घटनाओं में करीब डेढ़ दर्जन से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए हैं।

एक-दूसरे से जुड़ी हैं वारदातें

यूपी में हुई घटनाओं की पड़ताल के दौरान ‘न्यूजक्लिक’ ने पाया कि ये घटनाएं कहीं ना कहीं एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं, क्योंकि हिंसा की इन घटनाओं को मौक़े पर मौजूद कुछ लोगों ने अपने मोबाइल कैमरे से शूट किया। साथ ही ये वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर भी किए, जिससे अफवाहें फैलती चली गईं। तथ्यों को लेकर लापरवाही और भ्रामक संदेशों के कारण ऐसे वीडियो भड़काऊ और जानलेवा साबित हो रहे हैं। भदोही जिले में मंदबुद्धि महिला की पिटाई का वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया गया कि पूर्वांचल में बच्चा चोरों का गैंग इस काम में लगा है। वीडियो में एक महिला दिखाई देती हैं, जिसका बाल पकड़कर कुछ लोग उसे पीट रहे हैं।

जौनपुर के वरिष्ठ पत्रकार कपिल देव मौर्य ने न्यूजक्लिक से कहा, "इस वक्त एक ऐसे दुश्मन ने दस्तक दी है जो दिखता नहीं है, लेकिन किसी भी क्षेत्र में अशांति जरूर फैला देता है। भेड़चाल में शामिल लोगों को कानून हाथ में लेने के लिए लाचार कर देता है। दिमाग को कुंद कर देता है। अंजाने डर में असत्य को ही सत्य मानने के लिए मजबूर कर देता है। देश के इस दुश्मन का नाम है अफवाह। जो कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड और बिहार में खौफनाक तरीके से फैल रही है।"

उन्होंने आगे कहा, "मॉब-लिंचिंग की घटनाओं के जोर पकड़ने से पहले कई दिन तक लगातार व्हाट्सएप पर ख़बरें आती रहीं कि जिले के फलां मुहल्ले अथवा फलां गांव से बच्चा चोरी कर लिया गया है, जिसके चलते अफवाहों को पंख लगे और खलबली बढ़ती चली गई। भीड़ को हिंसक बनाने वाली अफवाहों का बवंडर सिर्फ इतना भर नहीं है। अयोध्या, भदोही, प्रयागराज, बनारस, चंदौली, कासगंज, देवरिया, लखनऊ, उन्नाव में मॉब-लिंचिंग की कई गंभीर वारदातें दर्ज की गई हैं।"

झूठी अफवाहों का असर यह है कि ग्रामीण इलाके के लोग अपने बच्चों को स्कूलों में भेजने से डर रहे हैं। खासतौर पर मुस्लिम बहुल इलाकों के सरकारी स्कूलों में छोटे बच्चों की उपस्थिति घट गई है। प्रशासन के निर्देश पर शिक्षक घर-घर जाकर बच्चों के अभिभावकों को समझा रहे हैं। सुबह की प्रार्थना में बच्चों को बताया जा रहा है कि वे अनजान व्यक्ति से बात न करें और समूह में आएं। कुछ विद्यालयों में बच्चों को लाने और पहुंचाने जिम्मेदारी रसोइयों को सौंपी गई है।

स्कूलों में घटी बच्चों की उपस्थिति!

दैनिक अखबार ‘अमर उजाला’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, "वाराणसी और आसपास के इलाकों में बच्चा चोरी की अफवाह से लोग बहुत ज्यादा भयभीत हैं। कछवा रोड सेवापुरी ब्लॉक के कई गांव में बच्चा चोरी की अफवाह के चलते सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट्स की उपस्थिति संख्या कम हो गई है। अंधेरा होते ही ग्रामीण इलाकों में लोग लाठी-डंडा लेकर बच्चों की रखवाली करने लगते हैं। ऐसे अफवाहों के चलते ही बहुत से लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं।"

रिपोर्ट के मुताबिक बनारस स्थित ठटरा पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक चंद्रबली पटेल ने बताया कि विद्यालय में स्टूडेंट्स की उपस्थिति 10 से 15 फीसदी तक तक कम हुई है। स्टूडेंट्स के परिजनों से फोन से संपर्क किया जा रहा है। बहुत से अभिभावक तरह-तरह के बहाने बना रहे हैं। कुछ बच्चों की तबीयत खराब होने का तो कुछ के ननिहाल चले जाने की बात बताई जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के आंचलिक स्कूलों में कथित तौर पर इसी कारण बच्चों की उपस्थिति कम होने लगी है। प्राथमिक विद्यालय जगतपुर, महेशपुर, केशरीपुर आदि स्कूलों में छोटे बच्चों की तादाद कम होती जा रही है।

महेशपुर गांव की रमा देवी कहती हैं, "मेरे दो बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। बच्चा चोरी की अफवाह के बाद शुरू के कुछ दिनों तक हमने उन्हें स्कूल नहीं भेजा। अब मैं खुद उन्हें स्कूल छोड़ने और लेने जा रही हूं। इससे हमारा घरेलू काम प्रभावित हो रहा है। परोसपुर के जगरूप ने बताया कि बच्चा चोरी की अफवाह जोर-शोर से फैली हुई है।"

अफवाहों के कैसे लड़ रही पुलिस?

अयोध्या में बच्चा चोरी के शक की अफवाह में एक युवक को गिरफ्तार किया गया तो, वहीं एक महिला भी हिरासत में ली गई है। वहीं उन्नाव में भी कई महिलाओं और पुरुषों की बेरहमी से पिटाई की गई। प्रयागराज में भी एक युवक को बच्चा चोरी के शक में जमकर पीटा गया। डीजीपी आफिस की एक रिपोर्ट के मुताबिक मेरठ, आगरा, गाज़ियाबाद, कानपुर, मुज़फ़्फ़रनगर समेत राज्य के कई अन्य ज़िलों में बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिस पर 'बच्चा चोरी की अफ़वाह फ़ैलाने' का केस दर्ज किया गया है।

निर्दोष लोगों को पीटने के जुर्म में गिरफ्तार लोग

यूपी पुलिस ने कुछ लोगों को व्हाट्सएप पर ग़लत सूचना फ़ॉरवर्ड करने और इलाकाई लोगों के बीच ग़लत संदर्भ के साथ सामग्री शेयर करने के आरोप में पकड़ा गया है। राज्य के डीजीपी डा.देवेंद्र सिंह चौहान ने कहा है कि बच्चा चोरी की अफ़वाह फैलाने वालों के ख़िलाफ़ अब रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून) के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। बच्चा चोरी की अफ़वाहों को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर कैंपेन चलाया जा रहा है और गांवों में कुछ युवकों को पुलिस वॉलेंटियर बनाया गया है जो राज्य के थानों में बने व्हाट्सएप ग्रुप्स से जुड़े हैं। प्रिंट, रेडियो, ऑनलाइन और टीवी के ज़रिए भी जागरूकता फैलाई जा रही है।

वाराणसी के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संतोष कुमार सिंह ने एक अलर्ट जारी करते हुए कहा है, "सोशल मीडिया के जरिए बच्चा चोरी करने वाले गैंग के बारे में झूठी अफवाहें फैलाई जा रही हैं। पूर्वांचल में ऐसा कोई गैंग नहीं है जो बच्चा चोरी करता हो। जहां कहीं भी बच्चा चोरी की सूचना मिलती है, पुलिस कार्रवाई करती है। गैंग और सुनियोजित तरीके से ऐसी घटनाएं हो रही हैं, इस तरह की कोई वारदात पुलिस के संज्ञान में नहीं है। कुछ लोग व्हाट्सएप पर फैली अफ़वाहों को सच मान रहे हैं, जबकि इस पर ध्यान देने की कतई जरूरत नहीं है। अगर कोई संदिग्ध दिखे तो पहले पुलिस को सूचना दें। कानून अपने हाथ में न लें। लोग इन अफ़वाहों से लड़ने में पुलिस की मदद करें।"

इसी तरह की अपील बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और दिल्ली पुलिस ने भी जारी की है।

कितनी कारगर हैं कोशिशें

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने बच्चा चोरी की अफवाहों पर आधारित घटनाओं का कोई पुख्ता ब्योरा नहीं जुटाया है, ताकि यह मिलान किया जा सके कि कब-कब और कितनी वारदातें हुईं? हालांकि बच्चा चोरी की अफ़वाहों के कारण सिर्फ उत्तर भारत ही नहीं, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा और आंध्र प्रदेश समेत पूर्वोत्तर भारत के कई राज्य हिंसक घटनाओं से प्रभावित हुए हैं। बिहार के सीतामढ़ी निवासी राकेश गुप्ता नामक व्यक्ति ने नई गाड़ी खरीदी और वह अपने दोस्तों के साथ घूमने निकल पड़े। लौटते समय कहीं शराब पी ली और गाड़ी पलट गई। अफवाह के जाल में फंसी भीड़ ने इन्हें बच्चा चोर मानकर पीटना शुरू कर दिया।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर प्रतिमा गोंड का मानना है कि निचले स्तर पर कदम उठाकर अब कुछ नहीं होगा। बच्चा चोरी की अफवाहें किसी सिपाही या दारोगा से नहीं रुकेंगी। इसके लिए सरकार को उच्च स्तर पर कदम उठाने होंगे।

उन्होंने ‘न्यूजक्लिक’ से कहा, "भीड़ की इस हिंसा की एक वजह वो माहौल भी है जो राष्ट्रीय स्तर पर बनाया जा रहा है कि आप ऐसे हमले कर सकते हैं और आपको कोई कुछ कहेगा नहीं। अगर आपने ऐसा कोई काम किया भी तो आपके समर्थन में लोग आ जाएंगे और ऐसी घटनाओं को सही ठहराने के कारण बताएंगे। सरकार के शीर्ष लोगों को राष्ट्रीय मीडिया पर आकर देश को ये भरोसा देना होगा कि ऐसी घटनाएं रोकने के लिए सरकार गंभीर और सख़्त कार्रवाई करने का इरादा रखती है।"

बच्चों को लेकर बरतें सतर्कता

चाइल्ड वेलफेयर के लिए काम करने वाली एक्टिविस्ट श्रुति नागवंशी कहती हैं, "बच्चों के चोरी की वारदातें अक्सर सामने आती रहती हैं, लेकिन इन दिनों जिस तरह से अफवाहें फैलाई जा रही है, वह चिंताजनक है। सुनसान जगहों पर आते-जाते हर अनजान शख्स को बच्चा चोर समझ लिया जा रहा है। यही वजह है कि कई जगह मारपीट और हत्या जैसे मामले सामने आ चुके हैं। सिर्फ एडवाइजरी जारी करने के काम नहीं चलेगा। सरकार को चाहिए कि वह तत्काल अंकुश लगाए। अस्पतालों में बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है। दिन-रात कोई न कोई बच्चे के साथ जरूर रहे। अगर बच्चों के वार्ड में दूसरों को जाने की अनुमति नहीं हो तो डॉक्टर अथवा नर्स से बात करके बच्चे की निगरानी की बात कहें। घर पर पांच साल तक के बच्चों को अकेला न छोड़ें। रात में सोते समय भी इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चा बाहर खुले में न सोए। पांच साल से बड़े बच्चों को यह समझाएं कि वह किसी बाहरी से खाने वाली कोई चीज-टॉफी, चॉकलेट, आइसक्रीम किसी अपरिचित से न ले।"

वो आगे कहती हैं, "अगर बच्चों को खेलने के लिए बाहर भेज रहे हैं, तो भी उनपर नजर बनाए रखें। बच्चों को समझाएं कि वह किसी अनजान शख्स के साथ कहीं न जाएं। स्कूल जाते और आते वक्त बच्चों का ख्याल रखें। उन्हें खुद छोड़ें अथवा परिवार के किसी सदस्य के साथ उसे स्कूल भेजे। बच्चों को उसी वाहन बैठाएं जिनके चालक और कंडक्टर की पुलिस वेरिफिकेशन हो चुकी हो। किसी अनजान व्यक्ति पर शक हो तो पुलिस को सूचना दें। खुद उससे भिड़ने अथवा उसे पकड़कर मारने की कोशिश कतई न करें। अगर किसी संदिग्ध के पास बच्चा है और आपको उस पर शक है तो भी पहले पुलिस को ही सूचना दें। कोशिश करें कि मोबाइल से उसकी तस्वीर उतार लें। पुलिस के पहुंचने तक उसका पीछा करते रहें। अगर संदिग्ध गायब हो जाए तो सिर्फ पुलिस को ही उसकी तस्वीर सौंपे। सोशल मीडिया पर उसे वायरल करने का प्रयास कतई न करें, क्योंकि अगर वाकई में वो शख्स बच्चा चोर नहीं हुआ नई मुसीबत खड़ी हो सकती है।"

(लेखक वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest