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व्यंग्य: भगवानों के नेता- देव नरेंद्र मोदी!

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आखिर खुलासा कर ही दिया कि नरेंद्र मोदी सिर्फ इंसानों के ही नहीं बल्कि भगवानों के भी नेता हैं। ये खुलासा एक अजब लीला के दौरान हुआ।
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बात कलयुग की है। एक बार, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी को सरेंडर मोदी लिखकर ट्वीट करना चाहा। ठीक उसी वक़्त राहुल गांधी की लेखनी पर स्वयं देव नरेंद्र अवतरित हो गये और सरेंडर की वर्तनी बदल दी। यानी स्पेलिंग मिस्टेक करा दिया। राहुल गांधी जो सरेंडर लिखना चाह रहे थे, दैवीय प्रभाव से सुरेंद्र लिख बैठे। इसी दैवीय लीला के बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को अधिकारिक तौर पर घोषणा करनी पड़ी कि नरेंद्र मोदी भगवानों के भी नेता हैं।

देव नरेंद्र सबसे बड़े भगवान हैं। ऐतिहासिक दस्तावेज़ भी इस बात की पुष्टि करते हैं। ऋंडपेद के भषम अध्याय के डेढवें श्लोक में नरेंद्र मोदी के कलयुग में अवतार का ज़िक्र है। स्पेलिंग लीला का उसमें ज़िक्र नहीं है। तो, भाजपा ने इस लीला को ऋंडपेद में जोड़ने के लिए इतिहास के पुनर्लेखन करने का आदेश दे दिया है। ये काम बिल्डर पसरीजा को सौंपा गया है। पसरीजा बेस्ट सेलर लेखक रहे हैं। उनकी पुस्तक "सफलता की कुंजी” के लिए उन्हें सर्वोच्च सम्मान से नवाज़ा गया है।

पृथ्वी लोक में भी अनेक उदाहरण हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि नरेंद्र मोदी सचमुच भगवानों के नेता हैं और सबसे बड़े भगवान हैं। हालांकि कुछ नास्तिक और बुद्धिजीवी लोग इस बात को मज़ाक समझते हैं। लेकिन मैं उदाहरण के साथ उन्हें मुंहतोड़ जवाब देना चाहूंगा।

उदाहरण एक
जिस प्रकार, तमाम दुनियावी वास्तविक समस्याओं से विरक्त होकर भगवान अपने आसन में सिर्फ धंसे ही रहते हैं। उसी प्रकार, देश की तमाम समस्याओं से मुंह मोड़कर देव नरेंद्र 2014 से प्रधानमंत्री की कुर्सी में धंसे हुए हैं।

उदाहरण दो
जिस तरह भगवान अपने भक्तों की याचनाओं को नहीं सुनते उसी तरह देव नरेंद्र भी कर्मचारी, दुकानदार, बेरोज़गार, किसान, मज़दूर किसी की अर्ज़ियां नहीं सुनते। जिस तरह भक्त भगवान की कृपा का इंतज़ार करते रहते हैं, उसी तरह से देश के लोग अच्छे दिनों का इंतज़ार कर रहे हैं।

उदाहरण तीन
जिस तरह भगवान अपने मानने वालों की परीक्षा लेते हैं ठीक उसी तरह देव नरेंद्र भी देश की जनता की परीक्षा लेते हैं। पेट्रोल के दाम, महंगाई, बदइंतज़ाम, कोरोना, मज़दूरों का पलायन, बेरोज़गारी, अपराधीकरण, सांप्रदायीकरण, लुढ़की हुई अर्थव्यवस्था ये सब कलयुग में जनता की परीक्षा के ही औज़ार हैं।

उदाहरण चार
जिस तरह भगवान लीलाएं करते हैं उसी तरह देव नरेंद्र भी लीलाएं करते हैं। बाल्यावस्था में मगरमच्छ कांड। गोधरा कांड। गुलेल, कोबरा-पोस्ट कांड। इलेक्शन के बाद गुफा प्रवास लीला आदि-आदि।

उदाहरण पांच
जिस तरह भगवान को अपना गुणगान, चढ़ावा और सेवा पसंद होती है, ठीक उसी तरह देव नरेंद्र को भी मस्के का चस्का है। आप माने या ना माने लेकिन यही सत्य है कि वो सिर्फ पूजने के लिये बने हैं।

इसलिये, गर्व से कहो कि सिर्फ भगवानों के ही नहीं बल्कि गधे, खच्चर, अजगर, नेवला, कूप-मंडूक, कूढ़-मगज़ सबके नेता देव नरेंद्र हैं। ये उपरोक्त उदाहरण तमाम बुद्धिजीवियों, नास्तिकों और कम्युनिस्टों की बोलती बंद कर देंगे। इस मैसेज़ को ज्यादा से ज्यादा फॉरवर्ड करो।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।) 

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