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अब वन नेशन वन फोटो!

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ये विरोधी न समझे हैं न समझेंगे, मोदी जी के मन की बात! बताइए, मोदी जी ने क्या गलत कहा है कि वह अगर चाहते तो विज्ञापनों में उनकी भी तस्वीर चमक सकती थी! पर उन्होंने तो कुछ और ही चाहा। सो विज्ञापनों में उनकी तस्वीर तो नहीं चमकी, पर लोगों की जिंदगी जरूर चमक गयी! पर नकारात्मकता के मारे विरोधियों को, यह तो दिखाई ही नहीं दिया कि कहां-कहां और किस-किस चीज के विज्ञापन में मोदी जी की तस्वीर चमक सकती थी। बस पब्लिक की आंखों में उंगली डाल-डालकर यह दिखाने में लग गए है कि मोदी जी की तस्वीरें कहां-कहां चमक रही हैं। स्वच्छता मिशन--वो देखो मोदी जी की तस्वीर। खुले में शौच मुक्त भारत--देखो मोदी जी की तस्वीर। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ--देखो, देखो मोदी जी की तस्वीर। उज्ज्वला योजना-मोदी जी की तस्वीर। गरीब कल्याण योजना--मोदी जी की तस्वीर। गरीब आवास योजना-मोदी जी तस्वीर। घर-घर जल, घर-घर बिजली योजना, मोदी जी की तस्वीर। जलियांवाला बाग का जीर्णोद्धार--मोदी जी की तस्वीर। स्वाथ्य बीमा योजना--मोदी जी की तस्वीर। फसल बीमा योजना--मोदी जी की तस्वीर। मिशन गंगा--मोदी जी की तस्वीर। सर्जिकल स्ट्राइक--मोदी जी की तस्वीर। 5जी का एलान--मोदी जी की तस्वीर। एक-एक पैट्रोल पम्प पर मोदी जी की तस्वीर। कोविड टीके का सार्टिफिकेट--मोदी जी की तस्वीर। राम मंदिर भूमि पूजन--मोदी जी की तस्वीर। काशी कोरीडोर, महाकाल कोरीडोर, केदारनाथ पुनर्निर्माण, मोदी जी की तस्वीर। और तो और चीतों की वापसी में भी--मोदी जी की ही तस्वीर। हर जगह पर तो मोदी जी की तस्वीर चमक रही है, कोविड से लेकर मोरबी तक के मृत्यु प्रमाण पत्रों के सिवा। महामहिम को अब और कहां पर अपनी तस्वीर लगवानी है--आधार कार्ड पर!


वैसे विपक्षियों का आधार कार्ड वाला उलाहना तो खुद ही मोदी जी की शिकायत की सचाई साबित कर देता है। आधार कार्ड है। देश में एक-एक बंदे का आधार कार्ड है। अमीर-गरीब सब का। बच्चों का भी। और जिनका आधार कार्ड नहीं है, उनका तो होना भी कैंसल ही समझो। देखा नहीं कैसे इसी हफ्ते कर्नाटक के डबल इंजन राज में एक गर्भवती महिला और उसके जुड़वां बच्चों का इस दुनिया में होना ही कैंसल हो गया क्योंकि  अस्पताल में उनका आधार कार्ड नहीं पेश किया जा सका। इतना जरूरी है जिंदा इंसान के लिए आधार कार्ड का होना। किसी के पास और कुछ हो या नहीं हो, पर आधार नंबर जरूर होगा। जो आधार जीने और मरने का फैसला कर सकता है, उस पर मोदी जी की तस्वीर है क्या? नहीं! मोदी जी चाहते तो कोविड के टीके की तरह, एक सौ तीस करोड़ भारतीयों के आधार कार्ड पर अपनी तस्वीर चमकवाने से उन्हें क्या कोई रोक सकता था? संसद या कोर्ट या विपक्ष, कोई भी? फिर भी मोदी जी ने नहीं चाहा कि आधार कार्ड पर भी उनकी तस्वीर चमके और आधार को जन्म से लेकर कफन-दफ्र तक हर चीज के लिए कंपल्सरी करके, मोदी जी ने उस पर लोगों की ही अपनी तस्वीर चमकाने दी। यह अपनी तस्वीर की जगह, लोगों की तकदीर और तस्वीर दोनों चमकाना नहीं तो और  क्या है?


जगहें और भी हैं, आधार कार्ड और मृत्यु प्रमाणपत्र के सिवा, जहां मोदी जी अपनी तस्वीर चमकवा सकते थे। क्रिकेट को भारतीयों का धर्म कहा जाता है, पर मोदी जी की  तस्वीर किसी मैच में, दिखाई दी क्या? मोटेरा स्टेडियम का नाम ही मोदी जी के नाम पर रख दिया गया है, तो उसकी बात अलग है। सारा देश शेयर बाजार से चल रहा है, पर बांबे स्टॉक एक्सचेंज हो या कोई और, शेयर बाजार के दरवाजे पर मोदी जी की तस्वीर है क्या? या किसी उपग्रह पर, जबकि उपग्रह पर उपग्रह छोड़े गए हैं। या फिर मंगलयान पर? और रफाल विमान तो खास मोदी जी के आर्डर पर आए हैं, फिर भी कहीं एक भी रफाल पर मोदी जी की तस्वीर नहीं है। फिर विरोधी यहां भी तस्वीर, वहां भी तस्वीर, हर जगह मोदी जी की ही तस्वीर का शोर क्यों मचा रहे हैं? वैसे भी मोदी जी ने यह कहां कहा है कि उनकी तस्वीरें चमक ही नहीं रही हैं। तस्वीरें हैं, चमक भी रही हैं, पर अपनी चमक से खुद ब खुद चमक रही हैं। मोदी जी की तस्वीरें हैं ही ऐसी। पर तस्वीरें मोदी जी ने चमकवाई जरा भी नहीं हैं। चमकवा सकते थे, फिर भी मोदी जी ने चमकवाई नहीं। तस्वीरें और भी लगवा सकते थे। खूब-खूब और लगवा सकते थे। खूब-खूब योजनाएं, खूब-खूब विज्ञापन, बेशुमार तस्वीरें। पर मोदी जी ने तस्वीरें खूब-खूब और लगवायी नहीं हैं। वह पब्लिक की जिंदगी चमकाने जो निकले थे। अपनी तस्वीरें चमकवाने पर, विज्ञापनों पर और खर्चा करते, तो पब्लिक की जिंदगियां चमकाने के लिए पैसे कहां से आते? पांच किलो फ्री राशन योजना की तरह, पब्लिक को हर लाभ, पीएम की तस्वीर वाले थैले में तो दिया नहीं जा सकता है।


वैसे भी मुद्दा यह तो है ही नहीं कि पीएम की तस्वीरें कहां-कहां हैं और कहां-कहां नहीं हैं? मुद्दा यह भी नहीं है कि पीएम की और तस्वीरें लगाने की अब भी गुंजाइश है या नहीं है? और यह मुद्दा तो खैर बिल्कुल ही नहीं है कि पीएम जी की और तस्वीरें लगनी चाहिए या नहीं? एक सौ तीस करोड़ लोगों के चुने हुए विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता की तस्वीरें लगाने पर, कोई सवाल कर भी कैसे सकता है! पर मोदी जी ने अपनी और तस्वीरें लगाने के लिए तो कुछ कहा ही नहीं है। उन्होंने तो सिर्फ और सिर्फ इसकी शिकायत की है कि मौके ही मौके थे, फिर भी उन्होंने तो अपनी तस्वीरें नहीं चमकायीं, पर दूसरे बिना मौके के भी अपनी तस्वीरेें चमका रहे हैं! प्राब्लम दूसरों के तस्वीर चमकाने में है, मोदी जी की तस्वीरें कम या ज्यादा चमकने में नहीं। मोदी जी विज्ञापन का पेट काट-काटकर, पब्लिक के कल्याण पर पैसा खर्च कर रहे हैं और दूसरे मौके का फायदा उठाकर अपनी तस्वीरें चमका रहे हैं। यह तो अन्याय नहीं पाप है, पाप!


पर न अपनी तस्वीरें कम चमकने की और न दूसरों के तस्वीरें चमकाने की, मोदी जी को तस्वीरों की चिंता थोड़े ही है। ना। मोदी जी ऐसी छोटी चिंता नहीं करते। उन्हें चिंता है, देश की, देश की एकता की । अब एक संविधान तो है ही। एक टैक्स भी हो ही गया है। कश्मीर का एकीकरण भी। एक देश के लिए, एक राज भी उन्होंने करीब-करीब कर ही दिया है। करीब-करीब एक पार्टी भी। करीब-करीब एक राष्ट्रीय भाषा, एक राष्ट्रीय धर्म भी। बस वन नेशन-वन फोटो और हो जाए, फिर देश की एकता सौ फीसद हो जाएगी। हांं! राष्ट्र को गीत दो-दो चाहिए--राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत। जन गण मन वे बदल नहीं सकते और वंदे मातरम उनसे छोड़ा नहीं जाएगा।

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