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उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की लड़ाई में शिवसेना का नाम और सिंबल ‘तीर-धनुष' दोनों फ्रीज

चुनाव आयोग ने दोनों ही गुटों को इसके प्रयोग से दूर करते हुए इस पर अंतरिम रोक लगा दी है। यानी अब उद्धव ठाकरे या एकनाथ शिंदे दोनों में से कोई भी गुट शिवसेना नाम या सिंबल धनुष और तीर को लेकर चुनावी मैदान में प्रत्याशी नहीं उतार सकेगा।
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शिवसेना के सिंबल ‘तीर-धनुष' को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच चल रहे विवाद में फिलहाल चुनाव आयोग ने एंट्री ले ली है और दोनों ही गुटों को इसके प्रयोग से दूर करते हुए इस पर अंतरिम रोक लगा दी है। चुनाव आयोग ने यह फैसला आगामी 3 नवंबर को होने वाले अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव को लेकर किया है। यानी अब उद्धव ठाकरे या एकनाथ शिंदे दोनों में से कोई भी गुट शिवसेना नाम या सिंबल धनुष और तीर को लेकर चुनावी मैदान में प्रत्याशी नहीं उतार सकेगा।

बता दें कि शिवसेना के चुनाव चिह्न ‘तीर-धनुष' पर एकनाथ शिंदे गुट ने दावा किया था। शिंदे गुट ने यह निशान चुनाव में इस्तेमाल करने की इजाजत निर्वाचन आयोग से मांगी थी, इस पर आयोग ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को से जवाब मांगा था। जिसके बाद चुनाव आयोग ने आदेश जारी कर इस सिंबल के प्रयोग पर रोक लगाने का फैसला किया।

उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे आमने-सामने

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह ‘तीर-धनुष’ को फ्रीज करने के चुनाव आयोग के फै़सले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एक फ़ेसबुक लाइव में एकनाथ शिंदे गुट पर निशाना साधा। इस लाइव में ठाकरे ने बताया कि उन्होंने चुनाव आयोग से अपनी पार्टी के लिए मशाल, त्रिशूल या उगते सूरज जैसे चुनाव चिन्ह की मांग की है।

उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे गुट पर तंज़ कसते हुए कहा, ‘‘40 सिर वाले रावण ने धनुष-बाण के सिंबल को सील करा दिया। जमे हुए ख़ून से काम नहीं चलता। कई लोग हैं जो इससे चिंतित हैं।’’

उधर, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खेमे ने भी उद्धव ठाकरे पर जोरदार पलटवार करते हुए कहा कि ढाई साल तक कुछ किया नहीं और अब सहानुभूति बटोरना चाहते हैं। शिंदे गुट के मंत्री दीपक केसरकर ने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे ने ट्विटर पर चुनाव आयोग का अपमान किया है। केसरकर के मुताबिक चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और हर हाल में उसका सम्मान होना चाहिए।

गौरतलब है कि शिवसेना को मौजूदा चुनाव चिन्ह तीर धनुष 1989 में मिला था, उससे पहले वह ढाल और तलवार, नारियल पेड़, रेलवे इंजन और कप प्लेट जैसे चुनाव चिन्हों पर चुनाव लड़ चुकी थी। फिलहाल, दोनों गुटों के मौजूदा तनातनी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में कहा था कि पार्टी और चुनाव चिन्ह के विवाद पर फैसला करने का अधिकार चुनाव आयोग के पास है।

कोर्ट के फैसले के बाद शनिवार, 8 अक्तूबर को चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को आज यानी सोमवार 10 अक्टूबर के दिन 1 बजे तक उसके पास उपलब्ध लिस्ट में से अपनी पसंद के तीन चुनाव चिन्ह बताने को कहा है, जिस पर चुनाव आयोग आखिरी फैसला लेगा। चुनाव आयोग का यह ऐक्शन जून महीने में शिवसेना में पड़ी फूट के करीब तीन महीने से भी ज्यादा समय बाद लिया गया है, क्योंकि दोनों ही गुट असली शिवसेना होने और उसी आधार पर पार्टी के चुनाव निशान के लिए दावे कर रहे थे।

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