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केंद्र सरकार में शिवसेना के इकलौते मंत्री अरविंद सावंत ने इस्तीफा दिया

शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने सोमवार को कहा कि भाजपा अगर महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद साझा करने का वादा पूरा नहीं करना चाहती तो उसके साथ गठबंधन में बने रहने का कोई मतलब नहीं है।
arvind sawant
Image courtesy: Indiatv

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी राजनीतिक घटनाक्रम के बीच, केंद्र में भारी उद्योग मंत्री एवं शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने सोमवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार से इस्तीफा दे दिया और भाजपा पर सत्ता में हिस्सेदारी के तय फार्मूले से मुकरने का आरोप लगाया।

सावंत ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘हमने विधानसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था। इसमें कुछ चीजों पर सहमति बनी थी।’ उन्होंने कहा कि इसमें मुख्यमंत्री पद सहित सीटों के 50-50 के अनुपात में बंटवारे का फार्मूला तय हुआ था लेकिन भाजपा अब इससे इंकार कर रही है।

शिवसेना नेता ने कहा कि वे इस झूठ से आहत हैं और अब उनके बीच कोई विश्वास नहीं बचा। उन्होंने कहा, ‘चूंकि अब कोई विश्वास नहीं बचा है, इसलिये मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया है। मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना इस्तीफा भेज दिया है।’

यह पूछे जाने पर कि क्या शिवसेना राजग से अलग हो गई है, सावंत ने कहा: जब मैंने इस्तीफा दे दिया है तो आप समझ सकते हैं कि इसका क्या अर्थ है। इससे पहले, मोदी मंत्रिमंडल में शिवसेना के इकलौते मंत्री सावंत ने टि्वटर पर अपने इस्तीफे संबंधी फैसले की घोषणा की।
 
इससे एक दिन पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में उनकी पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने का दावा पेश करने का निमंत्रण दिया था।  सावंत ने ट्वीट किया, ‘शिवसेना सच के साथ है। मुझे दिल्ली में झूठ के माहौल में क्यों रहना चाहिए ? मैं केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं।’

उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले सत्ता और सीटों की साझेदारी पर एक फार्मूला तय हुआ था। शिवसेना और भाजपा दोनों इस पर राजी हुए थे। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘लेकिन अब यह हैरान करने वाली बात है कि जो तय हुआ था उससे इनकार किया गया और शिवसेना को इस तरह से पेश किया जा रहा है जैसे वह झूठ बोल रही है। यह स्तब्ध कर देने वाला है। यह राज्य के गौरव पर धब्बा है। भाजपा ने झूठ की हदें पार करके अपने रास्ते बदल लिए।’

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में रविवार को भाजपा द्वारा सरकार बनाने से इनकार करने के कुछ घंटों बाद राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने का निमंत्रण दिया।

राज्य में 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना के पास सरकार बनाने का दावा जताने के लिए सोमवार को शाम साढ़े सात बजे तक का वक्त है। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस सरकार गठन को लेकर बातचीत में लगी है । वहीं, शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ने रविवार को कहा कि शिवसेना को पहले राजग से अलग होना होगा।

वहीं दूसरी ओर शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने सोमवार को कहा कि भाजपा अगर महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद साझा करने का वादा पूरा नहीं करना चाहती तो उसके साथ गठबंधन में बने रहने का कोई मतलब नहीं है।

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा शिवसेना को सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए आमंत्रित करने के एक दिन बाद राउत ने पत्रकारों से कहा, भाजपा ने ‘50:50’ के फार्मूले का पालन नहीं करके जनादेश का ‘अपमान’ किया है।

उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनाव से पहले इस पर निर्णय ले लिया गया था।

राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा, ‘मौजूदा स्थिति भाजपा के इस अहंकार के कारण ही उत्पन्न हुई है कि वह विपक्ष में बैठ लेगी लेकिन मुख्यमंत्री पद साझा नहीं करेगी। ... अगर भाजपा अपना वादा पूरा करने को तैयार नहीं है, तो गठबंधन में रहने का कोई मतलब नहीं है।’

राउत ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर भाजपा ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी’ (पीडीपी) के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार बना सकती है तो शिवसेना महाराष्ट्र में राकांपा और कांग्रेस के साथ ऐसा क्यों नहीं कर सकती।

उन्होंने कहा, ‘क्या हम भाजपा के पीडीपी के साथ गठबंधन को ‘लव जिहाद’ कहें? मैं यहां केवल सवाल के पीछे के विरोधाभास को रेखांकित कर रहा हूं।’

क्षेत्रीय पार्टी पीडीपी और भाजपा दोनों की विचारधारा एकदम अलग है लेकिन इसके बावजूद दोनों ने 2015 में जम्मू-कश्मीर में मिलकर सरकार बनाई थी। हालांकि भाजपा ने महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार को दिया समर्थन एक साल बाद ही वापस ले लिया था, जिससे राज्य में सरकार गिर गई थी।

राउत ने सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए कम समय मिलने पर भी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा ‘भाजपा को सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए 72 घंटे मिले, पर हमें 24 घंटे दिए गए।’

राउत ने कहा, ‘मुझे हासिल जानकारी के अनुसार, भाजपा सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन उसे 72 घंटे दिए गए। हमें भाजपा से कम सीटें मिली हैं और इस स्थिति में हमें अधिक समय दिया जाना चाहिए था। हालांकि, शिवसेना राज्यपाल के निर्णय का सम्मान करेगी और हम उन्हें आज शाम तक अपने फैसले की जानकारी दे देंगे।’

उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की साजिश रची जा रही है। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस इसे सफल ना होने देने पर सहमत हुई हैं।’

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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