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सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति के ख़िलाफ़ जयपुर में हुआ राज्यस्तरीय कन्वेंशन

सुभाषिनी अली ने कहा, "संघ नफ़रत और असमानता स्थापित करना चाहता है। वे संविधान को ख़त्म करके अन्याय का शासन स्थापित करने को कोशिश कर रहे हैं। हम अपने संविधानों के अधिकारों को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। सांप्रदायिकता दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों सबके ख़िलाफ़ है।"
Subhashni ali

राजस्थान के जयपुर में रविवार को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति और जन विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ एक राज्यस्तरीय कन्वेंशन हुआ। ये कन्वेंशन इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान के सभागार में जवाहर लाल नेहरू मार्ग जयपुर पर संपन्न हुआ। इसका आयोजन दलित- आदिवासी- अल्पसंख्क दमन प्रतिरोध आंदोलन,राजस्थान द्वराकिया गया था। इस सम्मेलन का उद्घाटन महात्मा गांधी के परपोते श्री तुषार गांधी ने किया। गांधी ने देश के वर्तमान हालात पर विस्तार से विचार रखे।

इसके आलावा पूर्व सांसद और सीपीएम की पोलित ब्यूरो सदस्य कामरेड सुभाषिनी अली और सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने सम्बोधित किया।

ये कन्वेंशन ऐसे समय में हुआ है, जब हमने राजस्थान में पिछले कुछ समय में धर्म और जाति आधारित हिंसा में बढ़ोतरी देखी है । इन घटनाओं में कारण राज्य में काईबार तनाव का माहौल भी बना है।

कन्वेंशन को संबोधित करते हुए सुभाषिनी अली ने देश में जिस तरह से भाईचारे को खराब किया जा रहा है और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है उस पर विस्तार से अपनी बात रखी।

सुभाषिनी अली ने कहा कि संघ नफरत और असमानता स्थापित करना चाहता है। वे संविधान को खत्म करके अन्याय का शासन स्थापित करने को कोशिश कर रहे हैं। हम अपने संविधानों के अधिकारों को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। सांप्रदायिकता दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों सबके खिलाफ है। 

सम्मेलन को संबोधित करते हुए तुषार गांधी ने कहा कि हम प्रश्न नहीं उठा रहे, इसलिए सत्ताधारी बेवकूफ बना रहे हैं। हमें निडर होने की जरूरत है।

श्रीमती अरुणा राय ने विस्तार से प्रदेश के हालातों पर और प्रदेश में किस तरह से सांप्रदायिक ताकतों का मुकाबला करना है उसके बारे में विस्तार से साथियों को अवगत कराया। 

इस सम्मेलन के अध्यक्ष मंडल में सवाई सिंह,टीसी राहुल, अमराराम,रविंद्र शुक्ला, डीके छंगाणी, तारा सिंह सिद्धू ,फादर विजयपाल ,नाजिमुद्दीन, सुनीता चतुर्वेदी,किशन मेघवाल,राजाराम मील,अब्दुल सलाम जौहर शामिल थे।

कन्वेंशन में आधार-पत्र रखते हुये डॉ.संजय"माधव" ने राज्य में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति के तहत आरएसएस-भाजपा द्वारा देश में लागू की जा रही साम्प्रदायिक और नवउदारवादी आर्थिक नीतियों के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुए उनके द्वारा संचालित की जा रही गतिविधियों के बारे में बताया। आधार पत्र में नवउदारवादी आर्थिक नीतियों और उनके मुकाबले की रणनीति के बारे में बताया।

कन्वेंशन को श्रीगंगानगर से प्रधान गुरमीत कन्डियारा, एटक से कुणाल रावत, अखिल भारतीय किसान सभा से छगन चौधरी, जयपुर से जेआईएच मुस्लिम फोरम की रुबीना अबरार, जनवादी महिला समिति की कविता शर्मा, उदयपुर से एडवोकेट के.आर.सिद्दीकी, पीयूसीएल से कविता श्रीवास्तव आदि अनेक साथियों ने संबोधित किया। 

सम्मेलन का संचालन डॉ.संजय"माधव", सुमित्रा चोपड़ा,निशा सिद्धू,डॉ.इकबाल सिद्दीकी ने किया।

कन्वेंशन में लिए गए यह फ़ैसले

कन्वेंशन में फैसला लिया गया कि राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारा क़ायम रखने के लिए पूरे राज्य के हर संभाग, जिले और तहसील में "साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति और जनविरोधी नीतियों के ख़िलाफ़" सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।

सभी जिलों में गांव और शहरों में मौहल्ला ढाणी स्तर तक साम्प्रदायिकता और जनविरोधी नवउदारवादी आर्थिक नीतियों के ख़िलाफ़ संघर्ष के लिए सामूहिक मंचों का गठन किया जाएगा।

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति और जनविरोधी नीतियों के खिलाफइस कन्वेंशन में सर्वसम्मति से महत्वपूर्ण मसलों पर निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किये गये। जो इस प्रकार हैं :- 

1- केन्द्र में भाजपा -आरएसएस सरकार द्वारा लागू की जा रही साम्प्रदायिक-नीतियों , बुलडोजर राजनीति और अल्पसंख्यक विरोधी सीएए-एनआरसी-एनपीआर के ख़िलाफ़ प्रस्ताव।

2- जनविरोधी नवउदारवादी आर्थिक नीतियों, निजीकरण, बाजारीकरण के ख़िलाफ़ प्रस्ताव।

3- पेट्रोल-डीजल, गैस सिलेंडर के बढ़ते दामों और महंगाई के ख़िलाफ़ प्रस्ताव।

4- सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाने, मजबूत करने और सभी खाद्य वस्तुओं को उपलब्ध कराने की मांग को लेकर प्रस्ताव।

5- नई शिक्षा नीति, शिक्षा के साम्प्रदायिकरण और निजीकरण के ख़िलाफ़ प्रस्ताव।

6- बेरोजगारी, संविदा-ठेका प्रथा और अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ प्रस्ताव।

7- श्रम कानूनों को समाप्त कर तीन लेबर कोड बनाने, निजीकरण और मजदूर विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ प्रस्ताव।

8- संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन और किसानों के साथ केन्द्र सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में प्रस्ताव।

9- मनुवादी सोच के बढ़ते प्रभाव और दलित-आदिवासियों, महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों के ख़िलाफ़।

10- देश के संविधान, संघीय ढांचे और संवैधानिक संस्थाओं पर हो रहे हमलों के ख़िलाफ़ प्रस्ताव।

11- लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमलों के खिलाफ प्रस्ताव।

12-यूएपीए जैसे काले कानून को रद्द करने और सभी बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा किये जाने का प्रस्ताव।

13- सीबीआई, ईडी, इन्कमटैक्स विभाग जैसी केन्द्रीय एजेंसियों का राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ दुरुपयोग करने के ख़िलाफ़ प्रस्ताव।

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