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सूडानी सरकार और अधिकांश विद्रोही सैनिकों ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया

कुछ विद्रोही गुटों ने सरकार की धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता की कमी और सरकार समर्थक मिलिशिया के निरस्त्रीकरण को शांति वार्ता से हटने का कारण बताया है।
सूडानी सरकार और अधिकांश विद्रोही सैनिकों ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया

सूडान की ट्रांजिशनल सरकार और सूडानी रिवोल्यूशनरी फ्रंट (एसआरएप) के प्रतिनिधित्व वाली प्रमुख सशस्त्र विद्रोही सेनाओं के अधिकांश सदस्यों में आखिरकार एक शांति समझौता हो गया। औपचारिक हस्ताक्षर समारोह दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा में मंगलवार 31 अगस्त को आयोजित किया गया था।

एसआरएफ विभिन्न विद्रोही समूहों का एक प्रमुख संगठन है जो दारफुर के पश्चिमी क्षेत्र और 'टू एरियाज' के नाम से प्रख्यात ब्लू नाइल और दक्षिण कोर्डोफन के दक्षिणी क्षेत्रों में सक्रिय है।

एसआरएफ का गठन साल 2011 में एक गठबंधन के रूप में किया गया था जिसमें सूडान पीपल्स लिबरेशन मूवमेंट-नॉर्थ (एसपीएलएम-एन) शामिल था जो उक्त 'टू एरियाज' में सक्रिय है और इसके सैनिक दारफुर में हैं। इस गठबंधन में जस्टिस एंड इक्वलिटी मूवमेंट (जेईएम), अब्देलवहिद अल नूर के नेतृत्व वाला सूडान लिबरेशन मूवमेंट (एसएलएम-एडब्ल्यू) गुट और मिन्नी मिनावी के नेतृत्व वाला (SLM-MM) एक और गुट शामिल है।

इनमें से एसएलएम-एडब्ल्यू इस समझौते का हिस्सा नहीं है और वार्ता में हिस्सा लेने से उस समय तक के लिए इनकार कर दिया है जब तक कि एक नागरिक सरकार स्थापित नहीं होती है और दारफुर क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल नहीं होती है। 'टू एरियाज' में मल्लिक आगर के नेतृत्व में एसपीएलएम-एन इस समझौते के प्रमुख दल के रूप में है। इस समूह के लड़ाके को 39 महीनों की अवधि के लिए सेना में शामिल किया जाएगा।

आगर की अगुवाई वाली एसपीएलएम-एन ”ब्लू प्रांत के लिए गवर्नर और दक्षिण कोर्डोफन तथा पश्चिम कोर्डोफन प्रांतों के लिए डिप्टी गवर्नर को नामित करेगी। इसके अलावा, इसे 30% कार्यकारी और विधायी निकाय मिलेंगे। इन टू एरियाज को स्व-शासन का अधिकार होगा और विधायिका का अधिकार होगा।"

ईसाइयों की बड़ी आबादी वाले इस क्षेत्र में ईसाइयों के अधिकारों की रक्षा के लिए इस समझौते में धार्मिक स्वतंत्रता के लिए एक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना का प्रावधान है।

इस समझौते में यह भी कहा गया है कि 10 वर्षों की अवधि के लिए इन राज्यों में इकट्ठा किए गए धन का 40% 'टू एरियाज' के लिए आरक्षित होगा जहां वर्तमान गृह युद्ध साल 2011 से जारी है।

दारफुर में साल 2003 से चल रहे गृह युद्ध में 300,000 लोगों की जान जाने और 2.5 मिलियन लोगों के विस्थापित होने का अनुमान है, कुछ छोटे समूहों के साथ एसएलएम- मिन्नावी और जेईएम इस समझौते की प्रमुख पार्टी हैं जो पुनर्वास के लिए रास्ता बनाता है आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति (आईडीपी) के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।

दारफुर और टू एरियाज के संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में अधिकांश आबादी ग़ैर-अरब अल्पसंख्यकों की है जिन्होंने कथित तानाशाही, आर्थिक और राजनीतिक भेदभाव के ख़िलाफ़ सशस्त्र विद्रोह का सहारा लिया जिन्होंने पूर्व तानाशाह उमर अल-बशीर के इस्लामिक शासन के दौरान सामना किया था।

बशीर को नागरिक विरोध के चलते सत्ता से बेदखल कर दिया गया। ये विरोध दिसंबर 2018 में हुआ था और अगस्त 2019 में ट्रांजिशनल सरकार के गठन का रास्ता बना। इस सरकार के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक था, गृह युद्धों को समाप्त करने के लिए विद्रोही बलों के साथ एक शांति समझौते पर बातचीत करना।

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