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इतवार की कविता: ...मैं यूपी का चेहरा हूं

विधानसभा चुनाव सर पर हैं और यूपी यानी उत्तर प्रदेश को लेकर सरकार के बहुत दावे हैं, बखान है, लेकिन असलियत क्या है? यूपी का बाशिंदा अपने राज्य को लेकर क्या सोचता है, क्या देखता है! कवि-पत्रकार मुकुल सरल ने अपनी कविता में यही कहने-बताने की कोशिश की है। आइए ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी नयी ग़ज़ल--
इतवार की कविता: ...मैं यूपी का चेहरा हूं
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार: पत्रिका

...मैं यूपी का चेहरा हूं

 

ठहरा, सहमा, उजड़ा हूं

मैं यूपी का चेहरा हूं

 

डर-डर के अब जीता हूं

रजधानी में रहता हूं

 

सबसे ज़्यादा हाथ मेरे

फिर भी मैं क्यों पिछड़ा हूं

 

गंगा-जमुना दोनों हैं

फिर भी देखो प्यासा हूं

 

मंदिर में भी चैन नहीं

मस्जिद सा मैं ढहता हूं

 

सारे तीरथ धाम यहां

भटका भटका फिरता हूं

 

बस्ती बस्ती आग लगी

सच्ची-सच्ची कहता हूं

 

मैं  बेटी  हूं हथरस की 

मैं अख़लाक़ का बेटा हूं

 

शाम से पहले घर आना

बिटिया से ये  कहता  हूं

 

दिन में भी बचकर चलना

हां बच्चों...  मैं  डरता  हूं

 

मैं सुबोध, मैं  चंद्र शेखर

मैं  कफ़ील  के  जैसा  हूं

 

खेत में मैं ही खटता हूं

मैं सरहद पे मरता हूं

 

पढ़-लिख कर बेकार हुआ

दफ़्तर-दफ़्तर फिरता हूं

 

सच कहने पर जेल है अब

फिर भी मैं सच कहता हूं

 

यूपी-एमपी  फ़र्क़  नहीं

दिल्ली से भी लड़ता हूं

-    मुकुल सरल

* हथरस (हाथरस) यूपी के हाथरस में सितंबर, 2020 में एक दलित लड़की के साथ उसके गांव के ही दबंग लड़कों ने सामूहिक बलात्कार किया। इस दौरान उसे ऐसी चोटें पहुंचाईं गईं जिससे बाद में उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। बाद में राज्य की पुलिस ने भी बेहद ख़राब रवैया अपनाया और रात के अंधेरे में ही शव को जला दिया, जिससे पूरे देश में इस घटना को लेकर रोष फ़ैल गया। इस मामले लेकर हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई की जांच की जा रही है और सीबीआई ने उन्हीं दबंग लड़कों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल की है, जिन्हें बचाने की लगातार कोशिश की जा रही थी।

* अख़लाक़- दादरी के बिसाहड़ा गांव के अख़लाक़ की सन् 2015 में गौ-गुंडों ने हत्या कर दी थी।

* सुबोध- इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह, जिनकी बुलंदशहर में 2018 में गौ-गुंडों ने हत्या कर दी थी।

* चंद्रशेखर- चंद्रशेखर आज़ाद रावण, एक आंदोलनकारी, भीम आर्मी चीफ़

* कफ़ील- डॉ. कफ़ील ख़ान, जिन्हें गोरखपुर बीआरडी कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से मर रहे बच्चों को बचाने की सज़ा मिली!

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