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दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में अतिक्रमण विरोधी अभियान पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, कोर्ट ने पूछे कई गंभीर सवाल

दुष्यंत दवे ने कहा कि दिल्ली में 15 लाख लोगों के साथ 731 अनधिकृत कॉलोनियां हैं। आप केवल एक इलाके को निशाना बनाते हैं क्योंकि आप (एमसीडी) केवल एक समुदाय को टारगेट करना चाहते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी इलाके में अवैध कब्जों को ध्वस्त करने के मुद्दे पर अगले आदेश तक यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी किए। याचिका में दावा किया गया है कि हिंसा के बाद एक समुदाय को निशाना बनाते हुए ये तोड़ फोड़ की कार्रवाई की जा रही है। आज सुनवाई के दौरान पीड़ितों के वकीलों की ओर से सरकार को घेरा गया तो कोर्ट ने भी नगर निगम और दिल्ली पुलिस के रैवेय पर सवाल उठाए।  

इस बीच भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीआई(एम) की पोलित ब्यूरो सदस्य ने भी कोर्ट में याचिका लगाई। पीड़ितों के मुआवज़े की माँग की है। उन्होंने अपने अर्जी में इस अतिक्रमण विरोधी अभियान को अमानवीय ,अवैध और अनौतिक काम बताया। इसे उन्होंने प्राकृतिक न्याय के ख़िलाफ़ बताया। तोड़फोड़ के आदेश को रद्द करने और पीड़ितों के लिए तय समय में मुआवाज देने की बात की।

हालंकि अदालत ने कहा, 'अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखी जाए। मामले को दो हफ्ते के बाद सूचीबद्ध किया जाए। तब तक दलीलों को पूरा किया जाए।' शीर्ष अदालत ने  नगर निगम के अतिक्रमण हटाओ पर सवाल उठाए। आदेश के बाद भी जिस तरह बुल्डोज़र चलता रहा उसे लेकर एतराज़ जताया।

यह भी कहा कि वह बुधवार को की गई तोड़फोड़ की कार्रवाई का गंभीर संज्ञान लेगी जो उत्तर दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के महापौर को उसके आदेश से अवगत कराए जाने के बाद भी जारी रही थी।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे और संजय हेगड़े ने पीड़ित पक्षों की तरफ से दलील दी। कहा कि सांप्रदायिक हिंसा के बाद एक समुदाय के लोगों की संपत्तियों को उजाड़ने के लिए बुल्डोज़र चलाया गया। कपिल सिब्बल ने बुल्डोज़र पर अधिक जोर दिया तो कोर्ट ने कहा अतिक्रमण तो बुल्डोज़र से ही चलेगा।

दुष्यंत दवे ने कहा दिल्ली में 15 लाख लोगों के साथ 731 अनधिकृत कॉलोनियां हैं। आप केवल एक इलाके को निशाना बनाते हैं क्योंकि आप (सरकार) केवल एक समुदाय को टारगेट करते हैं। कृपया धारा 2(सी) के अनुसार अतिक्रमण की परिभाषा देखें।उन्होंने कहा अगर ये अभियान चलना है तो पहले सैनिक फार्म जैसे इलाकों में चलना चाहिए। उस इलाक़े में इस  अभियान को चलाना जहाँ कुछ दिन पहले हिंसा हुई है, दिखाता है कि ये सिर्फ अतिक्रमण हटाने का अभियान नहीं था।

सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तोड़फोड़ के सवाल पर कहा कि आयुक्त भी अपने विवेक से बिना किसी नोटिस के स्टॉल, कुर्सी, मेज आदि हटा सकते हैं।

इसके बाद जस्टिस राव ने कड़ा रुख दिखाया और पूछ लिया कि क्या कल बुल्डोज़र की कार्रवाई केवल स्टॉल, कुर्सियों और मेजों को हटाने के लिए की गई? जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि इन्हें हटाने के लिए आपको बुल्डोज़र की जरूरत है?  

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