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तमिलनाडु : किसान सभा का 30वां राज्य सम्मेलन, किसान विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ लड़ने का लिया संकल्प

सम्मेलन ने 87 सदस्यों की एक नई राज्य समिति का चुनाव किया है और बी षणमुगम को अध्यक्ष और सामी नटराजन को महासचिव चुना है।
तमिलनाडु : किसान सभा का 30वां राज्य सम्मेलन, किसान विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ लड़ने का लिया संकल्प
जनसभा को संबोधित करते हन्नान मोल्लाह। छवि सौजन्य: एआईकेएस

तमिलनाडु विवासायगल संगम (एआईकेएस) का 30वां राज्य सम्मेलन 17 से 19 सितंबर के बीच नागपट्टिनम में हुआ।

सम्मेलन में प्रतिनिधियों ने किसानों के अधिकारों को हासिल करने, कृषि के बुनियादी ढांचे में सुधार और बेहतर खरीद कीमतों के लिए कई प्रस्ताव पारित किए।

सम्मेलन ने सरकार से मांग की है कि कावेरी डेल्टा जिलों में प्राकृतिक गैस परियोजनाओं की अनुमति न दी जाए, जो भूमिगत प्राकृतिक गैस जैसे मीथेन, शेल गैस, हाइड्रोकार्बन आदि निकालते हैं।

सम्मेलन ने यह भी नोट किया कि कर्नाटक में मेकेदातु बांध बनाने वाली भाजपा सरकार की जिद बंद होनी चाहिए।

इस मौके पर 17 सितंबर को हुई जनसभा को अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के महासचिव हन्नान मोल्लाह और अध्यक्ष डॉ अशोक ढवले ने संबोधित किया।

सम्मेलन के अवसर पर नागपट्टिनम में सम्मेलन जुलूस निकाला गया। छवि सौजन्य: एआईकेएस

सम्मेलन ने 87 सदस्यों की एक नई राज्य समिति का चुनाव किया। बी षणमुगम को अध्यक्ष और सामी नटराजन को महासचिव चुना गया।

बिजली संशोधन विधेयक वापस लो

तमिलनाडु किसान सभा राज्य सम्मेलन में मौजूद प्रतिनिधियों ने केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का संकल्प लिया, जो लोगों से बिजली का अधिकार छीनना चाहती है।

आज की तारीख में, तमिलनाडु ने 21 लाख कृषि बिजली कनेक्शन दिए हुए हैं, जो राज्य के कृषि उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं। सरकार झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को 11 लाख मुफ्त कनेक्शन और घरेलू खपत के लिए 100 यूनिट तक और हथकरघा और छोटे उद्योगों के लिए बिजली रियायत भी देती है।

विद्युत संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव में कहा गया है कि यह विधेयक मुनाफाखोर है, और यदि यह पारित हो जाता है, तो बड़े पूंजीपति सभी मौजूदा रियायतों को रद्द कर देंगे और अंधाधुंध बिजली की कीमतें बढ़ा देंगे।

किसानों के अधिकारों पर

सम्मेलन में कहा गया कि मद्रास उच्च न्यायालय का मवेशी चराने पर प्रतिबंध वन अधिकार अधिनियम 2006 के खिलाफ है, और इसे अमान्य करार दिया जाना चाहिए। सम्मेलन ने चराई के अधिकारों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप करने का संकल्प लिया है।

नागपट्टिनम के पास कीझवेनमनी स्मारक पर एआईकेएस नेता। छवि सौजन्य: एआईकेएस

सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित कर प्रतिनिधियों मांग की, कि वन अधिकार अधिनियम 2006 को फुर्ती से लागू किया जाना चाहिए, और भूमि स्वामित्व के टाइटल जारी किए जाने चाहिए।

सम्मेलन ने यह भी कहा कि, ट्रस्ट अधिनियम की धारा 34 के अनुसार, जो लोग पीढ़ियों से मंदिरों, मठों और ट्रस्ट परिसरों में निवास कर रहे हैं, उन्हें और काश्तकारों को हाउस-साइट पट्टे दिए जाने चाहिए।

सम्मेलन ने तमिलनाडु सरकार से प्रधानमंत्री किसान योजना वित्तीय सहायता योजना में अनियमितताओं की जांच के लिए गठित सीबी-सीआईडी जांच की रिपोर्ट जारी करने का भी आग्रह किया है।

ख़रीद और क़ीमत

एआईकेएस राज्य सम्मेलन ने माना कि दूध उत्पादकों से खरीदे गए दूध का उच्च खरीद मूल्य दिया जाना चाहिए।

सम्मेलन में कहा गया है कि सरकार को नारियल की कीमतों में गिरावट से बुरी तरह प्रभावित हुए, नारियल किसानों से सीधे नारियल खरीदना चाहिए।

सम्मेलन एक मांग यह भी है कि, राज्य सरकार द्वारा खरीदे गए प्रत्येक टन गन्ने पर 5,000 रुपये देने चाहिए।

इसके अतिरिक्त, प्रतिनिधियों ने राज्य सरकार से तमिलनाडु में सहकारी चीनी मिलों के आधुनिकीकरण और पुनर्वास की मांग की है।

बुनियादी ढांचा

30 वें एआईकेएस तमिलनाडु सम्मेलन ने राज्य को सलेम-चेन्नई आठ-लेन कॉरिडोर परियोजना को छोड़ने की मांग की है।

कावेरी, वैगई और गुंडर नदी संपर्क परियोजना के तत्काल कार्यान्वयन की दिशा में काम करने के लिए भी एक प्रस्ताव पारित किया गया है।

सदस्यों ने कृषि भूमि में बिजली के बड़े टावरों को न लगाने की मांग की और उन्हे सड़कों के किनारे लगाने का आग्रह किया है। इसके लिए जहां कहीं भी भूमि अधिग्रहण किया जाता है उसके लिए सम्मेलन की मांग है कि वहाँ भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2003 के अनुसार अतिरिक्त मुआवजा दिया जाए।

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