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तमिल संगमम : 'भारत जोड़ो यात्रा' से घबराई बीजेपी तमिलनाडु की जनता को कौन सा बनारस मॉडल दिखाना चाहती है?

"काशी तमिल संगमम् विशुद्ध रूप से सरकारी ख़र्च पर होने वाला चुनावी इवेंट है। यह इवेंट साल 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी का ही एक हिस्सा है। समझ में नहीं आ रहा है कि आख़िर वो तमिल के लोगों को बनारस का कौन सा मॉडल दिखाना चाहते हैं? इनका मॉडल तो सिर्फ़ विश्वनाथ मंदिर के इर्द-गिर्द ही पसरा है। बाक़ी शहर में कोई घूम ले तो स्मार्ट सिटी का "काला पक्ष" खुली किताब की तरह सामने आ जाएगा।"
Tamil Sangamam
तमिल समागम के बाबत बनारस के अफसरों के साथ बैठक करते केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

विभाजनकारी राजनीति को चुनौती देने के लिए देश के दक्षिणी राज्यों से निकाली गई कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से बीजेपी की नींद उड़ गई है। दक्षिण भारत में कांग्रेस को जवाब देने के लिए बीजेपी के पास अब कोई अस्त्र बचा है तो वो है-काशी विश्वनाथ मंदिर और उसके इर्द-गिर्द में कराए गए कथित विकास का मॉडल। इसी तरक्की को भाजपा कुछ सालों से विकास के बनारस मॉडल के तौर पर पेश करती आ रही है। विश्लेषकों का मानना है कि दक्षिणी राज्यों में अपनी पैठ मजबूत करने और कांग्रेस को जवाब देने के लिए बीजेपी कथित बनारस मॉडल और महादेव को नए सियासी औजार के रूप में इस्तेमाल करने का इरादा रखती है। बीजेपी का अनुसांगिक संगठन आरएसएस अपने जन्मकाल से ही तमिलनाडु में अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश में जुटा है, लेकिन वह बुरी तरह फेल है। वहां बीजेपी और आरएसएस की हर कोशिश नाकाम साबित होती आ रही है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने सात सितंबर को कन्याकुमारी से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की शुरुआत की तो बीजेपी ने उसे गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन इस कार्यक्रम में उमड़े जन-सैलाब ने बीजेपी के पसीने छुड़ा दिए। करीब 3750 किलोमीटर पैदल चलने के बाद राहुल गांधी 150वें दिन कश्मीर पहुंचेंगे। कांग्रेस यात्रा का जवाब देने के लिए डबल इंजन की सरकार ने बनारस में 17 नवंबर 2022 से काशी तमिल संगमम् के आयोजन का ऐलान किया है। करीब एक महीने तक चलने वाले इस कार्यक्रम को एक बड़े इवेंट के तौर पर पेश करने की योजना है। काशी तमिल संगमम् का विधिवत ‘लोगो’ भी जारी किया गया है। पहले दिन पीएम नरेंद्र मोदी खुद लोगों से सीधा संवाद कर काशी तमिल संगमम्  का आगाज करेंगे। 

बहुत घबराई हुई है बीजेपी 

जाने-माने पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस बताते हैं, "अचनाक काशी तमिल संगमम् का ऐलान बीजेपी के घबराट को परिलक्षित करता है। दरअसल वो लाख कोशिश के बावजूद दक्षिणी राज्यों में कामयाब नहीं हो पा रही है। तमिल समाज के लोग बनारस से बेहद प्रेम करते हैं। उन्हें लुभाने के लिए काशी तमिल संगमम्  के जरिये फोकट में बनारस, प्रयागराज और अयोध्या घुमाने योजना बनाई गई है। लेकिन आप समूचे तमिल को उठाकर बनारस नहीं ला सकते। काशी तमिल संगमम्  में सिर्फ तीन हजार लोगों को बुलाया जाना है, जिनमें ज्यादातर बीजेपी और आरएसएस से जुड़े लोग ही होंगे। इतना जरूर है कि काशी तमिल संगमम्  में किस्म-किस्म के इवेंट से स्थानीय मीडिया में सुर्खियां बटोरी जा सकती हैं। काशी तमिल संगमम् का इवेंट इसलिए बनारस में आयोजित किया जा रहा क्योंकि आजकल बीजेपी बहुत ज्यादा घबराई हुई है। उसकी घबराहट की बड़ी वजह राहुल गांधी की एक कद्दावर नेता के रूप में उभरती उनकी नई इमेज। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में राहुल जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं। लोगों के साथ अपना वक्त भी गुजार रहे हैं और बीच-बीच में मीडिया के सवालों का पुख्ता जवाब भी दे रहे हैं।"

पत्रकार कलहंस यह भी कहते हैं, "बीजेपी अभी तक कांग्रेस को कुछ भी नहीं समझ रही थी और उसे चुनौती भी नहीं मान रही थी, लेकिन भारत छोड़ो यात्रा अब उसे परेशान करने वाली बन गई है। तमिलनाडु में इस यात्रा को अपार समर्थन मिला है। साथ ही मेनस्ट्रीम की मीडिया में मिली सुर्खियों ने भी बीजेपी को काशी तमिल संगमम् का आयोजन करने पर मजबूर किया है। यह पहला मौका है जब मीडिया भारत जोड़ो यात्रा को खासा तबज्जो दो रहा है और उसे लगातार कवर भी कर रहा है। मेनस्ट्रीम की मीडिया पहले कांग्रेस व गांधी परिवार से दूरी बनाकर चल रही थी और उन्हें तनिक भी तवज्जो नहीं दे रही थी।"

"करीब 32 साल पहले, 21 मई, 1991 को राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हत्या की गई थी। उसके बाद से तमिल के लोगों ने कांग्रेस को अहमियत देनी शुरू कर दी। तमिलनाडु में कांग्रेस मजबूत भूमिका में है। इस राज्य में बीजेपी की सियासी जमीन दूर तक नहीं दिखती। बीजेपी को लगता है कि काशी तमिल संगमम्  से दक्षिणी राज्यों में उसकी पकड़ मजबूत हो जाएगी, लेकिन यह सब ख्वाब हो सकता है। सपने को हकीकत में उतार पाना आसान नहीं है।"

बनारस में तमिल के मूल निवासी मोहन नायर से "न्यूजक्लिक" ने बातचीत की। विश्वनाथ गली में इनकी बनारसी साड़ियों की दुकान है। वो बीजेपी के समर्थक भी हैं। वह बेबाकी के साथ कहते हैं, "पीएम नरेंद्र मोदी आजकल पूरी दुनिया में छाए हुए हैं, लेकिन तमिलनाडु की जनता उन्हें सपोर्ट नहीं कर रही है। अगले लोकसभा चुनाव में केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना में बीजेपी को बड़ी उम्मीद है। पहले यहां क्षेत्रीय दलों के अलावा वामदल व कांग्रेस ही चुनाव जीतते रहे हैं। बीजेपी काफी दिनों से तमिलनाडु में सफल होने की कोशिश कर रही है। वहां बीजेपी का वोट तो बढ़ा, लेकिन सीट नहीं मिली।" तमिलनाडु में बीजेपी के कामयाब न होने की वजह बताते हुए नायर कहते हैं, "हमारे राज्य में बहुसंख्यक ईसाई और मुस्लिम हैं। यह तबका बीजेपी का धुर विरोधी है। तमिल में आरएसएस बहुत मजबूत है, लेकिन उसे सपोर्ट नहीं मिल रहा है। हमें उम्मीद है कि काशी तमिल संगमम्  बीजेपी के लिए संजीवनी साबित होगी।"

अचानक हुई घोषणा 

केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल एवं उद्यमिता विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान बीते तीन नवंबर को अचानक बनारस पहुंचे और काशी तमिल संगमम् का ऐलान कर दिया। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, "काशी एक नए रूप में आ चुकी है। तमिलनाडु का कोई ऐसा गांव नही है जो काशी से जुड़ा न हो। काशी तमिल संगमम्  के जरिये दोनों राज्यों के बीच संबंधों, साझा मूल्यों, परंपराओं को करीब लाने की कोशिश की जाएगी। काशी तमिल संगमम्  के जरिये हम साझा विरासत की एक समझ विकसित करते हुए पारस्परिक संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं।"

काशी तमिल संगमम्  के मद्देनजर 06 नवंबर 2022 को बनारस पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस कार्यक्रम का खाका खींचा। मीडिया को बताया गया कि तमिलनाडु के 38 जिलों के करीब 3000 डेलीगेट्स इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। एक महीने तक चलने वाले इस समागम में दक्षिण भारत के डेलीगेट्स बनारस के विकास का मॉडल देखेंगे। बाद में सभी प्रतिनिधि प्रयागराज और अयोध्या का भी दौरा करेंगे।

दरअसल, तमिलनाडु में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए बीजेपी ने 12 अलग-अलग समूहों में स्टूडेंट्स,  हस्तशिल्पियों, साहित्यकारों, संतों, व्यवसायियों, किसानों, सांस्कृतिक कर्मियों, शिक्षकों, नव-उद्यमियों के अलावा प्रोफेशनल्स को आमंत्रित किया है। ढाई-ढाई सौ लोगों के 12 जत्थे एक हर दो-तीन दिन के अंतराल पर बनारस पहुंचेंगे। इनके आने-जाने और ठहरने आदि का इंतजाम खुद सरकार करने जा रही है।

बनारस के कमिश्नर कौशलराज शर्मा के मुताबिक, "तमिलनाडु से आने वाले हर ग्रुप की यात्रा आठ दिनों की होगी। ये लोग दो दिन वाराणसी में रहेंगे। तमिल के लोग हनुमान घाट पर गंगा स्नान, सुब्रमण्यम स्वामी के आवास,  विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के अलावा गंगा आरती और 84 घाटों का नाव से अवलोकन करेंगे। इनके सम्मान में शाम को रविदास घाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। तीन ट्रेनें एक-दो दिनों के अंतराल पर हर हफ्ते तमिलनाडु के लोगों को लेकर बनारस आएगी। शिक्षा मंत्रालय को इस कार्यक्रम का नोडल अधिकारी बनाया गया है। काशी तमिल संगमम्  को सफल बनाने के लिए आईआईटी चेन्नई और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को नोडल इंस्टिट्यूट नामित किया गया है।"

कमिश्नर कौशलराज के मुताबिक, "काशी तमिल संगमम्  में उसी राज्य के करीब पांच प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी। रविदास पार्क में तमिलनाडु से संबंधित प्रदर्शनी और फ़ूड कोर्ट का आयोजन किया जाएगा। पूरे एक महीने तक रोजाना वहां सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। हर रोज बनारस में यूपी सरकार के मंत्री और तमिलनाडु के विशिष्ट अतिथि शामिल होंगे। टीएफसी लालपुर और बीएचयू में भी कुछ कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।"

काशी तमिल संगमम् के मद्देनजर योगी सरकार ने तमिल मूल के आईएएस अधिकारी एस.राजलिंगम को वाराणसी का नया कलेक्टर नियुक्त किया है। राजलिंगम पहले कुशीनगर जैसे एक छोटे जिले के कलेक्टर हुआ करते थे। काशी तमिल संगमम्  से पहले तमिलनाडु के युवा आईएएस अफसर को बनारस में तैनाती को अहम माना जा रहा है। नए कलेक्टर राजलिंगम मूलरूप से तमिलनाडु के तिरुनावेली के रहने वाले हैं। वह साल 2009  बैच के आईएएस अफसर हैं। हालांकि इन्हें ईमानदार अफसर के रूप में जाना जाता है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, योगी सरकार को लगता है कि तमिल मूल के आईएएस अधिकारी एस.राजलिंगम की तैनाती से काशी तमिल संगमम् का आयोजन आसान हो जाएगा। भाषाई तौर पर तमिल बोलने के अलावा क्षेत्रीयता का पुट होने की वजह से तमिल के लोगों का भरोसा पीएम मोदी पर बढ़ेगा। साथ ही नए कलेक्टर अपने राज्य से आने वाले अतिथियों के रहने, खाने-पीने व ठहरने आदि का इंतजाम भी अच्छी तरह से कर सकेंगे। 

तमिल अभिनेता पर फिदा बीजेपी

तमिलनाडु में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के लिए बीजेपी आजकल कई मोर्चों पर काम कर रही है। नवंबर 2022 के पहले हफ्ते में तमिलनाडु से सिने अभिनेता विशाल कृष्णा रेड्डी बनारस आए तो उनके स्वागत-सत्कार में समूचा प्रशासन बिछ गया। अपने परिवार और मित्रों के साथ गोपनीय दौरे पर आए इस अभिनेता को पुख्ता सुरक्षा भी मुहैया कराई गई। एक वक्त वो भी था जब तमिल एक्टर विशाल कृष्णा रेड्डी बीजेपी के धुर विरोधी हुआ करते थे। अबकी वो बनारस आए तो प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए एक ट्वीट किया।

विशाल कृष्ण ने लिखा, "प्यारे मोदी जी, मैंने काशी का दौरा किया। वहां पर दर्शन-पूजा शानदार रही। गंगा नदी के पवित्र पानी को छुआ। वहां के मंदिरों को रेनोवेट कर आपने जो ट्रांसफॉर्मेशन किया है, उसके लिए भगवान आपका भला करे। अब वे पहले से ज्यादा अद्भुत दिखते हैं। हर किसी के लिए काशी घूमना आसान हो गया है। इसके लिए आपको सलाम !"  उन्होंने अपने इस ट्वीट को पीएम नरेंद्र मोदी को भी टैग किया। कमाल की बात यह है कि बनारस में बहुत से लोग आते हैं और चले जाते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपने अनुभवों को भी साझा करते हैं, लेकिन पीएम मोदी हर किसी को जवाब  नहीं देते। लेकिन तमिल एक्टर विशाल कृष्णा रेड्डी के मामले में पीएम ने खासी दिलचस्पी दिखाई। इस एक्टर के ट्विट के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, "खुशी हुई कि आपका काशी में शानदार अनुभव रहा।"

तमिल एक्टर विशाल कृष्णा रेड्डी ने अपनी बनारस यात्रा का एक एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें वह अपने परिवार के साथ पुलिस के साए में नजर आते हैं। एक सीन में वह सुबह सड़कों पर चाय पीते हुए दिखाई दे रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि तमिल एक्टर के बनारस दौरे की रिपोर्ट इस शहर के किसी अखबार अथवा सोशल मीडिया पर प्रकाशित व प्रचारित नहीं की गई। यह रिपोर्ट छपी तो सिर्फ अंबानी के मीडिया पोर्टल न्यूज 18 (अंग्रेजी) में। इसके अलावा हिन्दी के पोर्टल परफार्म इंडिया डाट काम ने इस रिपोर्ट को विस्तार से प्रकाशित किया। परफार्म इंडिया एक ऐसा पोर्टल है जो सिर्फ मोदी व उनकी सरकार का गुणगान करता और विपक्ष की खिल्लियां उड़ाने वाली खबरें प्रसारित करता रहा है।

गिने-चुने विजिटर वाला परफार्म इंडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विशाल कृष्णा रेड्डी तमिल सिनेमा के सुपरस्टार कलाकार हैं। वह सिर्फ तमिल एक्टर ही नहीं, जाने-माने फिल्म निर्माता भी हैं। उनकी तगड़ी फैन फॉलोइंग है और उनकी फिल्मों को लेकर लोगों में काफी दिवानगी है। एक्टर बनने से पहले विशाल ने बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर अपना करियर स्टार्ट किया था। उनकी एक्शन फिल्मों को जमकर पसंद किया जाता है। वर्कफ्रंट की बात करें तो विशाल कृष्णा रेड्डी की कई फिल्में पाइप लाइन में है। विशाल का खुद का प्रोडक्शन स्टूडियो भी है। 45 साल के विशाल काफी फिट और मास एंटरटेनर हैं। फिल्मों में ही नहीं टीवी पर भी विशाल का दम दिखता रहा है। उन्होंने अक्टूबर 2018 को बतौर होस्ट टीवी डेब्यू किया था। ये टॉक शो था।"  

सिने स्टार विशाल की बनारस यात्रा के कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। रेड्डी के मन में सियासत में उतरने की सालों पुरानी आकांक्षाएं अब भी हिलोरें ले रही हैं। तमिलनाडु फिल्म प्रोड्यूसर्स काउंसिल के अध्यक्ष रहे विशाल कृष्णा रेड्डी साल 2017 में तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत के बाद खाली हुई सीट आरके नगर विधानसभा सीट से निर्दल प्रत्याशी के रूप में उपचुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन चुनाव आयोग ने उनका नामंकन रद कर दिया। हालांकि बाद में शाम को उनका पर्चा वैध करार दे दिया गया, पर वो कामयाब नहीं हो सके। एक्टर विशाल कृष्ण रेड्डी कई सालों से सियासत में दांव आजमाने के लिए छटपटा रहे हैं। विशाल से पहले दक्षिण के अभिनेता रजनीकांत और कमल हासन भी राजनीति में उतरने की अपनी इच्छा जता चुके हैं।

बीजेपी कई राज्यों में सिनेमा के कलाकारों पर दांव आजमाती रही है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी विशाल कृष्ण रेड्डी के मन की मुराद पूरी कर सकती है। तमिलनाडु में लोकसभा की 39 सीटें हैं। 17 वीं लोकसभा के आम चुनाव में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने 39 में से 38 सीटों पर जीत हासिल की थी।

"भारत जोड़ो यात्रा से छूटे रहे पसीने" 

बनारस के वरिष्ठ पत्रकार और चिंतक प्रदीप कुमार को लगता है कि बीजेपी चाहे किसी नेता को बुलाए या फिर अभिनेता को, चाहे कोई बड़ा इवेंट करा ले, वो तमिलनाडु में कतई कामयाब नहीं हो सकेगी। तमिल के लोग शिक्षित और जागरूक हैं। उन्हें फरेब की घुट्टी पिला पाना आसान नहीं है। प्रदीप कहते हैं, "दक्षिण राज्यों में राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को मिली अपार सफलता से बीजेपी पसीने-पसीने है। इस पार्टी के नेताओं को समझ में नहीं आ रहा है कि वो आखिर क्या करें?  काशी तमिल संगमम्  विशुद्ध रूप से सरकारी खर्च पर होने वाला चुनावी इवेंट है। यह इवेंट साल 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी का ही एक हिस्सा है। समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वो तमिलनाडु के लोगों को बनारस का कौन सा मॉडल दिखाना चाहते हैं? "इनका मॉडल तो सिर्फ विश्वनाथ मंदिर के इर्द-गिर्द ही पसरा है। बाकी शहर में कोई घूम ले तो स्मार्ट सिटी का काला पक्ष खुली किताब की तरह सामने आ जाएगा। बीजेपी तमिल समेत दक्षिण के राज्यों में अपनी घुसपैठ मजबूत करने का इरादा रखती है, मगर काशी तमिल संगमम्  तो बेवकूफी भरा काम है। बीजेपी को लगता है कि तमिलनाडु में घुसपैठ करने का आसान रास्ता बनारस से होकर जाता है। क्या बनारस को लोग यह नहीं जानते कि साल 2014 के बाद अचानक बीजेपी को तमिल के लोगों की याद क्यों आ गई? आखिर यह समागम पहले क्यों नहीं किया गया?  इतना जरूर है कि दक्षिण के राज्यों में ऐसे लोग बहुतायत संख्या में हैं जिनकी आस्था बाबा विश्वनाथ में है। इसी सेंटिमेंट को भुनाने का दूसरा नाम है-तमिल समागम।"

 चिंतक प्रदीप यह भी कहते हैं, "तमिल समेत सभी दक्षिणी राज्यों का काशी और विश्वनाथ धाम से जुड़ाव साल 2014 से नहीं, सदियों पुराना है। तमिल के लोग दशकों से बनारस आते रहे हैं। इसी शहर में इनके तमाम मंदिर और मठ भी हैं। आप तमिल के लोगों को नया क्या बताने जा रहे हैं? हर किसी को पता है कि विश्वनाथ मंदिर की आरती और भोग प्रसाद केरल की संस्था नाट्यकट्म से ही जाती है। बड़ा सवाल यह है कि काशी तमिल संगमम्  पर आप जो करोड़ों रुपये बहाने जा रहे हैं उससे तामिलनाडु को क्या मिलेगा? बीएचयू को नोडल संस्था बनाकर दक्षिण के लोगों को क्या दिखाना चाहते हैं। महामना मदन मोहन मालवीय ने दक्षिण के विद्वानों को बीएचयू से तभी जोड़ लिया था जब उन्होंने इसकी स्थापना कराई थी। रामकृष्ण समेत कई छात्रवास दक्षिण के राजाओं के धन से ही बने हैं। बीएचयू के पूर्व कुलपति डा.राधाकृष्णन ही नहीं, कई विभागों के अध्यक्ष भी साउथ के थे। आप नया क्या कर हैं?  टूरिज्म को बढ़ाने के नाम पर इस शहर में सिर्फ भीड़ भर रहे हैं। नंगे-भूखे लोगों से इस शहर का भला होने वाला नहीं है। ट्रैफिक इंतजाम सुधारने के लिए आज तक कोई कारगर फार्मूला नहीं अपनाया गया। जितना पैसा विकास का नया मॉडल गढ़ने पर खर्च किया गया, उससे कम में तो एक नई काशी बस गई होती।"

प्रदीप कुमार यह भी कहते हैं, "क्षेत्रीय दलों के अलावा भारत के दक्षिणी राज्यों में कांग्रेस और वामदलों की स्थिति बीजेपी से ज्यादा मजबूत है। आरएसएस चाहे जितनी भी कोशिश कर ले, लेकिन वो कामयाब नहीं होगा। चिंता की बात यह है कि जो पैसा बनारस के ट्रैफिक और दूसरे विकास के काम पर खर्च होना चाहिए, उसे राजनीतिक हित साधने पर बहाया जा रहा है। कोरा सच तो यही है कि राहुल की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने दक्षिण भारत की राजनीति को हिला कर रख दिया है और इनका संदेश उत्तर भारत और देश के अलग-अलग हिस्सों तक जा रहा है। इस यात्रा के जरिये उन्होंने बीजेपी के उस मिथक को भी तोड़ दिया है जिसे वह एक अपरिपक्व नेता के रूप में पेश करती आ रही थी। राहुल ने खुद को अब एक गंभीर राजनेता के रूप में स्थापित किया है।"

"भारत जोड़ो यात्रा’ के एक महीने से ज्यादा वक्त बीत चुके हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई आपत्तिजनक विलेश्षण नहीं कर रहा है। बीजेपी का हमेशा से यही प्रयास रहा है कि वो राहुल का उपहास उड़ाती रहे। अपने मकसद में वह काफी हद तक कामयाब भी रही है, लेकिन अब उनकी इमेज बदल रही है। इस बार ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को सियासी ड्रामे के तौर पर भी नहीं देखा जा रहा है। यह बात जरूर सुनने को मिल रही है कि राहुल गांधी इन दिनों जो कुछ कर रहे हैं, वह उन्हें बहुत पहले करना चाहिए था।"

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नव-नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष अजय राय न्यूजक्लिक से कहते हैं, "भारत जोड़ो यात्रा से बीजेपी नेताओं में खदबदाहट है। वो घबरा गए हैं। पिछले आठ सालों में बीजेपी को किसी दक्षिणी राज्य के लोगों ने तबज्जो नहीं दी। तिलंगाना के लोग भी बीजेपी से खासे नाराज हैं, जिसकी बड़ी वजह यह है कि वादा करने के बाद भी उस राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया गया। काशी तमिल संगमम्  से बीजेपी के हाथ कुछ भी आने वाला नहीं है, चाहे वो बीएचयू की मदद लें या फिर काशी तमिल संगमम्  के बहाने करोड़ों रूपये बहा दें। शर्मनाक बात यह है कि बीजेपी ने बीएचयू को अब शिक्षा का गढ़ नहीं, राजनीति का अड्डा बना दिया है। गौर करने की बात है कि पिछले आठ सालों में दक्षिण का कोई अभिनेता पीएम मोदी का गुणगान करने नहीं आया। अब पैसा और प्रलोभन देकर नचनिया-बजनिया बुलाए जा रहे हैं। क्या बनारस में विश्वविख्यात कलाकार कम हैं जो बाहर से बुलाकर पैसे फूंक रहे हैं?"

"कांग्रेस इवेंट नहीं, सेवा करती है। हम लोगों का दिल जीतने में यकीन रखते हैं। तमिल के लोग तो सदियों के बनारस आते रहे हैं। काशी तमिल संगमम्  से अच्छा होता कि उस राज्य के किसानों की बेकारी और गरीबी के निवारण के लिए काम किया जाता। कुछ रोज पहले ही बीजेपी ने कांग्रेस के जवाब में गुजरात में जवाबी यात्रा की थी, जो बुरी तरह फ्लाप हो गई थी। काशी तमिल संगमम् से न भारत जोड़ो यात्रा को चुनौती दी जा सकती है, न ही बीजेपी का सियासी हित सध पाएगा।"

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