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विधानसभा में बल प्रयोग के विरोध में कल बिहार बंद, तेजस्वी ने कहा डरने वाले नहीं, लड़ाई जारी रहेगी

पूरे  विपक्ष ने कहा बिहार विधानसभा में CM द्वारा लोकतंत्र का चीरहरण, विधायकों की पिटाई, बेरोजगारी, महंगाई, किसान बिल के विरुद्ध कल, 26 मार्च को पूरे महागठबंधन ने बिहार बंद का आह्वान किया है।उन्होंने सभी बिहारवासी इस बंद में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने और इस अहंकारी सरकार के विरुद्ध आवाज़ बुलंद करने का आह्वान किया।
विधानसभा में बल प्रयोग के विरोध में कल बिहार बंद, तेजस्वी ने कहा डरने वाले नहीं, लड़ाई जारी रहेगी
प्रतिकात्मक तस्वीर

बिहार विधानसभा में 23 मार्च को हुई शर्मनाक घटना के खिलाफ विपक्ष ने संयुक्त रूप से 26 मार्च को काला दिवस मनाने का ऐलान करते हुए बिहार बंद का आह्वान किया है।  राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) , वाम दल और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन  ने बिहार बंद का ऐलान किया, वहीं पप्पू यादव ने भी बिहार बंद का समर्थन किया।  जबकि पुरे देश में किसान संगठनों ने पहले ही भारत बंद का आह्वान किया हुआ है।  

बिहार बंद की घोषणा आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने की कहा कि सदन में बंदूक की नोंक पर विधेयक पास कराया गया। बिहार पुलिस अब जेडीयू पुलिस हो गई है। उन्होंने सत्ता पक्ष को चेतावनी वाले लहजे में कहा कि हम डरने वालों में से नहीं हैं। लड़ाई चलती रहेगी।

राजधानी पटना में गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में तेजस्वी यादव ने कहा, "लोहिया जयंती और भगत सिंह के शहादत दिवस 23 मार्च पर मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने अपनी पुलिस से करोड़ों लोगों द्वारा निर्वाचित माननीय सदस्यों को जूतों से पिटवाने और वेशम के अंदर बंदूक़ की नोक पर काला पुलिसया क़ानून पास करा लोकतंत्र को शर्मसार करने का कलंकित कार्य किया है। नीतीश कुमार सदन में निरंतर झूठ बोल रहे हैं।"

महागठबंधन के नेता तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा उन्हें ज्ञात होना चाहिए कि आज से 46-47 वर्ष पूर्व 1974 में अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठ विपक्ष के समाजवादी सदस्यों ने सदन चलाया है। लेकिन पुलिस ने कभी सदन के अंदर विधायकों को नहीं पीटा। लेकिन संघी मुख्यमंत्री ने ऐसा किया।

1978 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी जी सशस्त्र बिल लेकर आए थे। विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति की। उन्होंने लोकतांत्रिक मर्यादाओं का निर्वहन करते हुए स्वयं उठकर उस बिल को select committee के पास भेजा।

आगे उन्होंने कहा इसी सदन में 1986 में नेता प्रतिपक्ष कर्पूरी जी सहित विपक्षी सदस्यों ने HEC के मामले को लेकर 3 दिन-रात इसी सदन में विरोध प्रदर्शन किया। 1986 में नीतीश कुमार भी इसी सदन के सदस्य थे। क्या नीतीश कुमार को याद नहीं है? कितना झूठ बोलते हैं? उस वक्त तीन दिन सदन में धरना, विरोध प्रदर्शन और नारेबाज़ी करने के बावजूद विपक्ष के सदस्यों को पुलिस ने बलपूर्वक नहीं हटाया था। अब तो नीतीश कुमार जूतों से माननीय सदस्यों को पिटवा रहे हैं। इन्हें शर्म आनी चाहिए।

उन्होंने सवाल किया 'नीतीश कुमार बताएं, क्या पहली बार विधानसभा अध्यक्ष कक्ष के बाहर नारेबाज़ी हुई है? क्या पहली बार आसन पर कोई चढ़ा है? क्या पहली बार किसी विधेयक का विरोध हुआ है? फिर किस बात का अहंकार नीतीश कुमार पाले हुए हैं? हाँ! पहली बार सदन के इतिहास में बंदूक़ की नोक पर गोली चलाने वाला कोई काला क़ानून पास हुआ?  हाँ! पहली बार सदन के अंदर माननीय विधायकों को पुलिस के हाथों चप्पल-जूतों से पिटवाया गया?

हाँ! पहली बार महिला विधायकों की साड़ी खोली गयी? उनके ब्लाउज़ में हाथ डाला गया? उनकी चैन तोड़ी गयी? उनके बाल पकड़ घसीटा गया?

महागठबंधन  ने कहा बिहार विधानसभा में CM द्वारा लोकतंत्र का चीरहरण, विधायकों की पिटाई, बेरोजगारी, महँगाई, किसान बिल के विरुद्ध कल, 26 मार्च को पूरे महागठबंधन ने बिहार बंद का आह्वान किया है।

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