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अदालत ने वर्षा जल संचय के मुद्दे पर सभी पक्षों को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए दिया चार सप्ताह का समय

भाषा |
‘वर्षा जल संचयन’ बारिश के पानी को किसी खास माध्यम से संचय करने या इकट्ठा करने की प्रक्रिया को कहा जाता है।
delhi high court

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मानसून के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में वर्षा जल संचयन और यातायात जाम को कम करने के मुद्दे पर केंद्र, दिल्ली सरकार और कई स्थानीय प्राधिकारियों को अपना पक्ष रखने के लिए सोमवार को चार सप्ताह का समय दिया।

‘वर्षा जल संचयन’ बारिश के पानी को किसी खास माध्यम से संचय करने या इकट्ठा करने की प्रक्रिया को कहा जाता है।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की एक पीठ ने पाया कि कुछ पक्षों के अलावा अन्य किसी ने स्थिति रिपोर्ट दाखिल नहीं की है और इसके बाद अधिकारियों को उन्होंने और समय दिया।

पीठ ने कहा , ‘‘ प्रतिवादियों को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाता है। मामले को 17 अगस्त के लिए सूचीबद्ध करें।’’

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की एक पीठ ने जून में मीडिया की खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा था, ‘‘यह लोकहित का मुद्दा है।’’ साथ ही, अधिकारियों को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।

अदालत ने केंद्र तथा दिल्ली सरकार, नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी), दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), लोक निर्माण विभाग, दिल्ली पुलिस, विशेष पुलिस आयुक्त (यातायात), दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली छावनी बोर्ड और बाढ़ एवं सिंचाई विभाग को नोटिस जारी किया था।

अदालत ने कहा था, ‘‘ सभी पक्षों को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने दें... जिसमें दिल्ली में मानूसन तथा बाकी समय के लिए एजेंसियों द्वारा वर्षा जल संचय के लिए उठाए गए कदमों और जाम से बचने के लिए किए प्रयासों का उल्लेख हो।’’

अदालत ने एक आदेश में वर्षा जल सचंय के प्रयासों की कमी को रेखांकित करते हुए कहा था, ‘‘दिल्ली में यातायात जाम की बड़ी समस्या है, जिससे हमारे अनुसार वर्षा जल प्रबंधन के साथ-साथ ‘गूगल मैप’ की सहायता से आसानी से निपटा जा सकता है।’’

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