26 जनवरी से पहले सरकार को अपना हठ छोड़ना चाहिए
किसानों के सवालों को सरकार ने अगर लोकतांत्रिक ढंग से संबोधित किया होता तो आंदोलन इतना लंबा नहीं खिंचता. मामला अब सर्वोच्च अदालत में गया तो वहां से भी मसले का समाधान होने के बजाय वह और उलझता नजर आ रहा है. चार सदस्यीय कमेटी तो बन गई लेकिन किसान आंदोलनकारियों ने कोर्ट द्वारा बनाई समिति के सदस्यों को सरकारी पक्ष का समर्थक बताकर उसके समक्ष पेश होने से इंकार कर दिया है. इस तरह की समिति की क्या कोई उपयोगिता होगी? क्या होगा 26 जनवरी तक? सरकार अपना कठोर रवैया छोड़ेगी या बनाये रखेगी? AajKiBaat में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का विश्लेषण:
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।