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पर्यावरण
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समय है कि चार्ल्स कोच अपने जलवायु दुष्प्रचार अभियान के बारे में साक्ष्य प्रस्तुत करें
दो दशकों से भी अधिक समय से कोच नियंत्रित फ़ाउंडेशनों ने जलवायु परिवर्तन पर सरकारी कार्यवाई को विफल बनाने के लिए 16 करोड़ डॉलर से भी अधिक की रकम ख़र्च की है।
इलियट नेगिन
02 Apr 2022
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यूएस हाउस ओवरसाइट एंड रिफार्म कमेटी ने बीपी, शेवरॉन, एक्सानमोबिल और शेल के शीर्षस्थ अधिकारियों की उनकी भूमिका के बारे में गवाही देने और आंतरिक दस्तावेजों के लिए अपनी कंपनियों की हाजिरी लगाने के लिए आमंत्रित कर जीवश्म ईंधन उद्योग के दशकों पुराने जलवायु परिवर्तन दुष्प्रचार अभियान की की अपनी जांच को अंतिम रूप देने की शुरुआत की।

कमेटी ने उस सुनवाई का अनुसरण किया - जिसके दौरान इन अधिकारियों ने कपटपूर्ण ढंग से इस प्रकार के अभियान को वित्तपोषित करने से इंकार कर दिया – जिसके बाद 8 फरवरी को एक अन्य सुनवाई में तेल कंपनियों की कार्बन उत्सर्जन में कटौती की अपर्याप्त योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया।

अगले दौर में भी इन्हीं चार तेल कंपनियों के बोर्ड निदेशकों को अपनी कंपनियों की जलवायु प्रतिज्ञाओं के बारे में गवाही देने के लिए चुना गया है, जिसके बाद सोशल मीडिया कंपनियों और विज्ञापन एजेंसियों के द्वारा जलवायु परिवर्तन के बारे में संदेह खड़े करने के बारे में उनके द्वारा निभाई गई भूमिका पर गवाही का सिलसिला चलेगा।

लेकिन इससे पहले कि कमेटी अपनी जाँच को खत्म करे, यदि इसने मुक्तिवाद समर्थक उद्योगपति चार्ल्स कोच, जलवायु दुष्प्रचार के डैडी वारबक्स से जवाब—तलब नहीं किया तो यह अत्यंत खेदजनक होगा।

58 अरब डॉलर की नेट वर्थ के साथ 86 वर्षीय कोच विश्व के 20वें सबसे अमीर इंसान हैं, जो कि लंबे समय से कोच इंडस्ट्रीज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीइओ) हैं। कोच इंडस्ट्रीज एक बड़ा व्यवसायिक घराना है जिसके पास तेल रिफाइनरी और पाइपलाइनें हैं; जो कच्चे तेल, कोयले, रसायन, लकड़ी के गूदे और कागज के साथ डेरिवेटिव के विपणन के क्षेत्र में काम करती है; और 115 बिलियन डॉलर का वार्षिक कारोबार समेटे हुए है।

देश के भीतर निजी तौर पर स्थापित दूसरी सबसे बड़ी कंपनी के रूप में कोच इंडस्ट्रीज शीर्ष 25 अमेरिकी कॉर्पोरेट जगत में जल एवं कार्बन प्रदूषक कंपनियों में से एक है, जो मिनेसोटा राज्य के द्वारा लाये गए जलवायु जवाबदेही मुकदमे में एक प्रतिवादी पक्ष है, और रूस में अपने व्यवसाय को संचालित करना जारी रखे हुए है। कोच समर्थित समूहों के द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद लगाये गए अमेरिकी प्रतिबंधों का विरोध किया जा रहा है।

कोच नियंत्रित फाउंडेशनों ने 1997 से लेकर 2018 तक 90 थिंक टैंकों और एडवोकेसी समूहों के नेटवर्क को 14.5 करोड़ डॉलर से अधिक का दान दिया था ताकि जलवायु विज्ञान की खिल्ली उड़ाई जाये और जलवायु परिवर्तन के प्रयासों को संबोधित करने की कोशिशों को रोका जा सके। 2019 में चार्ल्स कोच के भाई डेविड की मौत के बाद से, चार्ल्स कोच फाउंडेशन ने इस दुष्प्रचार अभियान को वित्तपोषित करने के का काम जारी रखा है, और 2019 और 2020 में 23 समूहों को 1.7 करोड़ डॉलर से अधिक का भुगतान किया है, जो कोच के कुल 16.2 करोड़ डॉलर के उत्तर को आगे बढ़ा रहा है। इसकी तुलना में, जलवायु दुष्प्रचार के दूसरे सबसे बड़े फण्ड मुहैय्या कराने वाले के रूप में एक्सानमोबिल ने 1998 से 2018 तक करीब 70 इंकार करने वाले समूहों पर 3.92 करोड़ डॉलर खर्च किये थे।  

कैपिटल हिल पर अपनी पकड़ को बनाये रखने के लिए, कोच इंडस्ट्रीज की राजनीतिक कार्यवाई कमेटी (पीएसी) से जुड़े सहयोगियों और कर्मचारियों ने भी संघीय उम्मीदवारों, पार्टी कमेटियों, बाहरी ग्रुपों, नेतृत्वकारी पीएसी और 527 समूहों में अपने बीपी अमेरिका, शेवरॉन, एक्सॉनमोबिल या शेल जैसे समकक्षों की तुलना में कहीं अधिक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 2018 और 2020 के चुनावी चक्रों में, कोच इंडस्ट्रीज का कुल खर्च 2.67 करोड़ डॉलर था, जो इन चार तेल और गैस कंपनियों के सामूहिक तौर पर 2.17 करोड़ डॉलर के योगदान से कहीं अधिक था।  

इसके अलावा, कोच इंडस्ट्रीज ने 2017 से लेकर 2020 तक अपने वाशिंगटन लॉबिंग अभियान के पिछले दो पूर्ण चुनावी चक्रों के दौरान 3.8 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च किये। यह एक्सॉनमोबिल के 4.098 करोड़ डॉलर और शेवरॉन के 3.947 करोड़ डॉलर से कुछ कम है, लेकिन कंपनी ने इन दोनों की तुलना में एक विशिष्ट लाभ की स्थिति बनाये रखी, जिसमें तेल दिग्गज ने उन्हें अभियान योगदान में अधिक खर्च करने के अलावा: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की संक्रमण टीम के मुखिया, उप-राष्ट्रपति माइक पेंस – जिनके साथ इसका मधुर संबंध रहा है- जो लंबे समय तक कोच नेटवर्क के दिग्गज रहे हैं, जिन्होंने कोच स्थापित और वित्तपोषित अमेरिकंस फॉर प्रोस्पेरिटी के “नो क्लाइमेट टैक्स” शपथ को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जब वे सदन में थे- और ट्रम्प प्रशासन के भीतर काम करने के लिए कोच नेटवर्क के कम से कम 50 पूर्व छात्रों को तलाशा गया। इनमें शिक्षा सचिव बेट्सी डेवोस, उर्जा सचिव रिक पेर्री, पर्यावरण संरक्षण एजेंसी प्रशासक स्कॉट प्रुईट और व्हाईट हाउस के विधायी मामलों के अध्यक्ष मार्क शार्ट शामिल थे। सरकार के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर कोच अनुयायियों से प्रेरित ट्रम्प प्रशासन ने अपने शासनकाल में 100 से अधिक पर्यावरण से संबंधित नियमों सहित कम से कम 260 नियमों को वापस लेने का काम किया था।  

बिडेन प्रशासन ने पदभार ग्रहण के साथ ही कोच शिष्यों को बाहर का रास्ता दिखा दिया और ट्रम्प रोलबैक को वापस लेने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है, लेकिन कोच और उनके दानदाता नेटवर्क के पास अभी भी रिपब्लिकन पार्टी के उपर काफी प्रभाव बना हुआ है। उनके द्वारा कैपिटल हिल पर सैकड़ों करोड़ डॉलर खर्च करना जारी रखा जायेगा और आगामी 2024 के मद्देनजर कोच नेटवर्क के कई दिग्गजों द्वारा राष्ट्रपति पद की दौड़ पर विचार किया जा रहा है, जिसमें पेंस सहित, टेक्सास सीनेटर टेड क्रूज़, फ्लोरिडा के गवर्नर राँन डेसेंटिस, पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पेओ और फ्लोरिडा सीनेटर रिक स्कॉट शामिल हैं। अपने जहरीले सरकार विरोधी पूर्वाग्रह के साथ कोच नेटवर्क के द्वारा आगामी कई वर्षों तक वाशिंगटन पर अपनी लंबी छाया डाले जाने की संभावना बनी हुई है।

दशकों से चल रहा दुष्प्रचार अभियान

दो दशकों से अधिक समय से कोच नेटवर्क ने बड़े ही मनोयोग से स्वच्छ उर्जा अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण के प्रयासों के बारे में दुष्प्रचार करने के जरिये नुकसान पहुंचाने के काम में खुद को लगा रखा है। इसमें कई बार आर्थिक आधार पर प्रस्तावित जलवायु नीतियों पर हमले किया जाता है। इसके दुष्कृत्यों के उदाहरणों की संख्या असंख्य है:

* 2009 में सदन में भारी चीख-पुकार के बाद सीनेट में वैक्समैन-मार्के कैप-एंड-ट्रेड बिल के एक संस्करण को सीनेट में रोकने के लिए, अमेरिकंस फॉर प्रॉस्पेरिटी ने कानून निर्माताओं के एक महत्वपूर्ण हिस्से को कपटपूर्ण तरीके से “नो क्लाइमेट टैक्स” शपथ पर हस्ताक्षर करने के लिए इस बिल को “इतिहास में सबसे अधिक उत्पाद कर” बताते हुए मना लिया। इसके बाद से ही, कानून निर्मातों के एक विशाल बहुमत ने जिन्हें कोच इंडस्ट्रीज के पीएसी और कर्मचारियों से अभियान के लिए योगदान मिला, के द्वारा संशोधनों में कार्बन टैक्स और गैर बाध्यकारी प्रस्तावों को ख़ारिज किया जा रहा है।  

* सौर उर्जा के चहुमुखी विकास को धीमा करने के लिए, कोच से वित्त पोषित अमेरिकन लेजिस्लेटिव एक्सचेंज काउंसिल के द्वारा विभिन्न उपियोगिताओं एवं देश के सांसदों को नेट मीटरिंग के मॉडल कानून से सुसज्जित कर रखा है, जो सौर पैनल मालिकों को उनके द्वारा उत्पन्न अतिरिक्त उर्जा के लिए क्रेडिट्स देकर इसे ग्रिड में वापस भेज देते हैं, और दावा करते हैं कि रूफटॉप सोलर क्रेडिट गैर-सौर ग्राहकों के बिजली बिलों को बढ़ा देंगे। ऊर्जा विभाग ने हालाँकि, इस बारे में निष्कर्ष निकाला कि मासिक बिजली बिलों पर क्रेडिट का नगण्य प्रभाव पड़ेगा।

* इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवीज) के व्यापक पैमाने पर अपनाने को कमजोर करने के लिए, कोच नेटवर्क ने कांग्रेस के समक्ष आग्रह किया है कि ईवी खरीदारों के लिए संघीय आयकर क्रेडिट को खत्म किया जाये। कोच इंडस्ट्रीज के सरकार और सार्वजनिक मामलों के अध्यक्ष फिलिप एलेंडर ने अक्टूबर 2018 में कांग्रेस को लिखे एक पत्र में तर्क रखते हुए कहा था “कांग्रेस को अपने स्रोत की परवाह किये बिना, दूसरों पर एक प्रकार की उर्जा पर सब्सिडी देकर, चाहे भले ही उसका स्रोत कुछ भी ही, विजेता और हारने वालों को चुनने के व्वसाय में खुद को लिप्त नहीं करना चाहिए।” यह अलग बात है कि तेल और गैस उद्योग को 100 से अधिक वर्षों से भारी वार्षिक संघीय सब्सिडी से लाभ हुआ है।

* पेरिस जलवायु समझौते से संयुक्त राज्य अमेरिका को हटाने के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प को उकसाने में सफलता हासिल करने के बाद इसने तर्क दिया कि इस समझौते से “हमारे देश के आर्थिक भविष्य” को खतरा हो सकता था। कोच नेटवर्क ने अब बिडेन प्रशासन के बिल्ड बैक बेटर योजना को नाकाम करने के लिए एक मुहिम छेड़ रखी है, जिसमें इस बात का झूठा दावा किया जा रहा है कि यह “अमेरिकी इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा खर्चीला बिल होने जा रहा है।”

ऐसे और भी कई अन्य उदाहरण भरे पड़े हैं, लेकिन उपरोक्त नमूना कोच नेटवर्क की पहुँच के दायरे को दर्शाता है। चार्ल्स कोच और उनके साथी सहयात्रियों ने अपनी पॉकेटबुक पर जलवायु समाधानों के संभावित प्रभाव के बारे में आम लोगों को डराते हुए एक बहुत बड़ी भूमिका निभाई है (लेकिन वहीँ दूसरी तरफ, उन्होंने राष्ट्रपति ट्रम्प के 1.5 ट्रिलियन डॉलर टैक्स कटौती को प्रचारित करने के लिए 2 करोड़ डालर से अधिक की रकम खर्च कर दी, जिससे मुख्यतया निगमों और बेहद-धनाढ्य लोगों को ही लाभ हुआ)। व्यवहारिक तौर पर देखें तो जिन चार तेल कंपनियों के अधिकारियों को जिन्होंने हाउस ओवरसाईट कमेटी के सामने संयुक्त रूप से पिछली सर्दियों से पहले गवाही दी थी से किसी भी मामले में कोच की भूमिका दुष्प्रचार फैलाने वालों में सबसे अहम रही है।
 
कोच को सौगंध दिलाएं

यदि हाउस ओवरसाईट कमेटी ने चार्ल्स कोच को गवाही के लिए बुलाया तो संभव है कि शुरुआत में यह उनसे उनके जलवायु परिवर्तन पर उनके विचारों के बारे में पूछे।

बीपी, शेवरॉन, एक्सॉनमोबिल और शेल के कार्यकारी अधिकारियों जिन्होंने पिछले साल अक्टूबर में गवाही दी थी ने मानव गतिविधि की केंद्रीय भूमिका को कम करके दिखाया था, और मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन को जलाने से जलवायु परिवर्तन में बदलाव को महत्वपूर्ण माना था, लेकिन काफी ना-नुकुर के बाद उन सभी ने स्वीकारा कि ग्लोबल वार्मिंग एक “अस्तित्ववादी खतरा” बन चुका है।

जबकि कोच ने अपने हिस्से में, कभी भी इस बात को नहीं स्वीकार किया कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या है और शायद ही कभी इसके बारे में सार्वजनिक तौर पर बातचीत की हो। कभी किसी दुर्लभ मौके पर जब पत्रकारों ने इस मुद्दे पर उनकी प्रतिक्रिया जाननी भी चाही तो उन्होंने... दुष्प्रचार के के साथ अपनी प्रतिक्रिया दी है।

जलवायु परिवर्तन के बारे में कोच की सबसे हालिया सार्वजनिक टिप्पणी 2015 और 2016 में वाशिंगटन पोस्ट के साथ किये गए लंबे साक्षात्कार के दौरान आई थी। जब उनसे अगस्त 2015 के एक साक्षात्कार में सवाल किया गया कि क्या आप जलवायु परिवर्तन के बारे में चिंतित हैं, पर कोच का जवाब था कि उनका मानना है कि “इसकी वजह से कुछ गर्मी हो रही है” लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “इस बारे में एक बड़ा विवाद है, क्योंकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप उपग्रह माप, या गुब्बारों का उपयोग कैसे करते हैं, या आप जमीन वाली चीजों को उपयोग में लाते हैं जिन्हें समायोजित किया जा सकता है।” उन्होंने अपनी बात में आगे जोड़ते हुए कहा कि जलवायु वैज्ञानिकों “के पास ये मॉडल हैं, जो इसे दिखाते हैं, लेकिन ये मॉडल काम नहीं करते हैं...।”

दरअसल देखें तो, जिन सभी मापकों का कोच ने हवाला दिया उनसे संकेत मिलता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण दीर्घकालिक ग्लोबल वार्मिंग की प्रवृत्ति बनी हुई है। और, संयोग से उसी दौरान वाशिंगटन पोस्ट में कोच के साक्षात्कार के प्रकाशित होने से ठीक एक सप्ताह पहले, एक समकक्ष की समीक्षा में किये गये अध्ययन में पाया गया था कि वैश्विक जलवायु मॉडल पूर्व में जो अनुमानित किया गया था की तुलना में कहीं अधिक सटीक हैं।

अगस्त 2016 में, वाशिंगटन पोस्ट ने एक और कोच साक्षात्कार की श्रृंखला चलाई, जिसके दौरान उनसे सवाल किया गया था कि यदि कोई व्यक्ति कोई ऐसा अध्ययन उनके सामने लाये जो उन्हें इस बारे में सहमत करा सके “कि विनाशकारी ग्लोबल वार्मिंग को शांत करने के लिए कार्बन विनियमन आवश्यक है।” कोच का जवाब था, “हाँ। यदि हम...वैज्ञानिक तरीके को अपनाते हैं बजाय कि इस बारे में बहस में उतरने को इच्छुक किसी भी व्यक्ति को रोकने और दण्डित करने की कोशिश के बजाय...यदि हम सभी लोग मामले की सच्चाई जानने की कोशिस कर रहे हैं. तो मैं इसके लिए तैयार हूँ।”

विशेष रूप से कोच ने कुछ साल पहले ही इस मामले की सच्चाई जानने का प्रयास कर किया था। 2010 में चार्ल्स कोच फाउंडेशन ने ग्लोबल वार्मिंग के दावों का पता लगाने वाले तापमान के आंकड़ों की पड़ताल करने के लिए, एक गैर-लाभाकरी शोध संस्थान, बर्कले अर्थ के रिचर्ड मुलर, जो कि एक भौतिक विज्ञानी एवं स्व-घोषित जलवायु विज्ञानी संशयवादी हैं, को 1,50,000 डॉलर का दान दिया था। संभवतः कोच के लिए आश्चर्य और निराशा की सीमा नहीं रही होगी, जब मुलर ने जुलाई 2012 में न्यूयॉर्क टाइम्स के ऑप-एड में घोषणा की कि उनकी जांच ने इस बात को सत्यापित किया है कि ग्लोबल वार्मिंग असल में वास्तविक है, “करीब-करीब पूरी तरह से” मानवीय गतिविधि की वजह से है, और उस समय जलवायु वैज्ञानिक समुदाय के द्वारा जिस निष्कर्ष को निकाला गया था, उसकी तुलना में कहीं ज्यादा बदतर मामला है।

हाउस ओवरसाईट कमेटी के लिए यह ज्ञानवर्धक होगा यदि वे कोच से बर्केले अर्थ के निष्कर्षों के बारे में पूछें, विशेषकर जब से मुलर ने उनकी घोषणा की, जब कोच नेटवर्क ने अपने अभियान को जलवायु नीतियों के बारे में काफी खर्चीला होने के बारे में चित्रित करना शुरू कर दिया था, इस तथ्य के बावजूद कि कार्बन उत्सर्जन को रोकने में विफल होने पर इससे बचाव के साधनों को अपनाने में होने वाले खर्चों की तुलना में इसकी लागत अतुलनीय रूप से अधिक होने जा रही है।

2012 के अंत में, उदाहरण के लिए, कोच बंधुओं ने एक “फर्जी अध्ययन” को वित्तपोषित किया, और यह झूठा दावा किया कि राज्य मानकों के द्वारा वाहनों के इस्तेमाल में नवीकरणीय उर्जा के इस्तेमाल को बढ़ाने से इलेक्ट्रिक दरें नाटकीय रूप से बढ़ जाएँगी। इसके छह साल बाद, 2018 में, जब सदन एक गैर-बाध्यकारी कार्बन टैक्स प्रस्ताव पर वोट करने जा रही थी, तो कोच इंडस्ट्रीज के लिए लॉबी करने वाले एलेन्डर ने फिर से वही राह पकड़ी। उन्होंने कानून निर्मातों को एक पत्र में लिखा, “कार्बन टैक्स से उर्जा और ज्यादा महंगी हो जायेगी और इसके चलते उपभोक्ता उत्पादों और सेवाओं की लागत बढ़ जायेगी जिन पर लोगों की निर्भरता है। यह अमेरिकी उत्पादकों को कम लागत प्रतिस्पर्धी बनाने, और उत्पादन एवं रोजगार को विश्व के अन्य हिस्सों में ले जाने में मददगार साबित होगा।”

संसद ने 229 से 180 मतों से इस प्रस्ताव को पारित किया, जिसमें कहा गया था कि “कार्बन टैक्स संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक साबित होगा।” तकरीबन 70% प्रतिनिधियों ने जिन्होंने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था –159- ने को सामूहिक तौर पर 2018 के चुनाव चक्र के दौरान कोच इंडस्ट्रीज पीएसी और कर्मचारियों के द्वारा 12.8 लाख डॉलर से अधिक रकम हासिल हुई थी।

ख़ारिज करते समय स्वच्छ उर्जा में निवेश  

जलवायु परिवर्तन पर कोच की डाह वाली पोजीशन को निश्चित रूप से ओवरसाईट कमेटी के 20 रिपब्लिकन सदस्यों द्वारा स्वागत किया जायेगा, जिसमें से 14 जलवायु विज्ञान को नकारने वाले लोग हैं। अकेले 2020 के चुनाव चक्र के दौरान कोच इंडस्ट्रीज के कर्मचारियों और पीएसी ने जीओपी कमेटी के 18 सदस्यों को अभियान में योगदान के लिए 1,36,000 डॉलर से अधिक का योगदान किया था, जबकि बीपी, शेवरॉन, एक्सॉनमोबिल और शेल में उनके समकक्षों ने सामूहिक रूप से उनमें से 14 के लिए मात्र 40,347 डॉलर का दान दिया था।
कमेटी के सदस्य जो जीवाश्म ईंधन उद्योग के बारे में कम भरोसा रखते हैं, हालाँकि उन्हें इस अवसर को कोच को अपनी कंपनी के उन क्षेत्रों में विरोधाभासी निवेशों के बारे में दबाव डालने के तौर पर लेना चाहिए, जिसमें उनका नेटवर्क अभी भी घुटने टेकने की कोशिश कर रहा है, जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहन और नवीकरणीय उर्जा के क्षेत्र में।

वाल स्ट्रीट जर्नल ने हाल के दिनों में अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कोच इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनियों ने बैटरी प्रौद्योगिकियों एवं बैटरी से संबंधित कच्चे माल, रसायनों और रीसाइक्लिंग की एक श्रृंखला में कम से कम 75 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। कोच समूह के बीच अपेक्षाकृत नई कंपनियों में न्यू जर्सी में जिंक बैटरी स्टार्ट ईओएस एनर्जी इंटरप्राइजेज और कनाडा की लिथियम-आयन बैटरी रीसायक्लर ली-साइकिल होल्डिंग्स, लिथियम बनाने वाली कंपनी स्टैण्डर्ड लिथियम, और लिथिऑन पॉवर ग्रुप नामक एक लिथियम-आयन बैटरी स्टार्टअप शामिल हैं।

इसी प्रकार, कोच की सहायक कंपनियां भी स्मार्ट ग्रिड और इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कूद पड़ी हैं। 2020 में, कोच इंजीनियर्ड सॉल्यूशंस ने एक स्मार्ट ग्रिड सॉल्यूशंस कंपनी, सेंटीएंट एनर्जी को अधिग्रहित किया था, और पिछले साल कोच स्ट्रेटेजिक प्लेटफार्म ने नीदरलैंड्स स्थित एक इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन निर्माता, ईवीबॉक्स में निवेश किया था।

कोच इंजीनियर्ड सॉल्यूशंस भी सौर क्षेत्र में उछाल पर है, लेकिन रूफटॉप सौर उर्जा के वितरण को लेकर नहीं है, जिसे कोच नेटवर्क रुकवाने की कोशिश कर रहा है। पिछले साल नवंबर में, इसने एरिज़ोना की एक कंपनी देप्कॉम पॉवर को खरीदा था, जो बड़े पैमाने पर सौर उर्जा संयंत्रों का निर्माण करती है, और यह संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में सौर फार्म्स की आपूर्ति की योजना बना रही है।

कोच इंजीनियर्ड सॉल्यूशंस के अध्यक्ष डेव डॉट्सन के अनुसार, कोच इंडस्ट्रीज के द्वारा अपेक्षाकृत हाल के दिनों में बैटरी और नवीनीकरण के क्षेत्र में निवेश, जो कि इस समूह के दूर-दराज के परिचालन के एक बेहद छोटे प्रतिशत के बराबर है - एक शुरुआत मात्र है। उन्होंने एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस से कहा, “हम अर्थशास्त्र और उपभोक्ता प्रवृत्तियों द्वारा संचालित हर चीज के विद्युतीकरण में विश्वास रखते हैं, और इलेक्ट्रिक वैल्यू चैन में निर्माण से लेकर अंतिम उपभोक्ता की खपत में हम कहाँ पर मूल्य संवर्धन कर सकते हैं की ओर देख रहे हैं।”

डॉट्सन की व्यावसायिक रणनीति किसी के लिए भी एक आश्चर्य के रूप में होनी चाहिए जिसने भी उनके बॉस का बारीकी से अनुकरण किया हो, और हाउस ओवरसाईट कमेटी को कोच से यह पूछने के लिए प्रेरित करना चाहिए कि उनकी कंपनी की हालिया खरीदारी की होड़ उनके नेटवर्क के जलवायु समाधानों के खिलाफ किये जा रहे प्रचार अभियान के साथ कैसे मेल खाती है।

एक बेहिचक उदारवादी कोच शायद इस बात का जवाब देंगे कि उर्जा क्षेत्र में, सरकार को नहीं बल्कि निजी क्षेत्र को नेतृत्व करना चाहिए – और इसी प्रकार से हर क्षेत्र में। कोच के लिए, अर्थव्यवस्था के प्रबंधन के सरकार के प्रयास, सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के संरक्षण, और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को मुहैय्या कराने की पहल अधिनायकवाद के लिए एक फिसलन भरी ढलान है और इसे यदि पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता तो हर हाल में वापस लिया जाना चाहिए। अपनी सबसे हालिया पुस्तक बिलीव इन पीपल: बॉटम अप सॉल्यूशंस फॉर ए टॉप-डाउन वर्ल्ड (ब्रायन हुक्स के साथ सह-लेखन में) कोच ने तर्क दिया है कि सरकार की तुलना में कोरोनावायरस महामारी समेत समाज की सबसे अधिक दबाव वाली समस्याओं का हल तलाश करने के लिए व्यक्तियों, निगम और गैर-लाभकारी समूह सबसे अनुकूल स्थिति में होते हैं।

कोच का दर्शन हालाँकि, इस तथ्य को समेट पाने में विफल रह जाता है कि यह निजी क्षेत्र ही था – विशेषकर जीवाश्म ईंधन उद्योग – जिसने हमें इस विकट स्थिति में ला खड़ा कर दिया है जिसमें हम आज खुद को पा रहे हैं, जिसमें तेजी से गंभीर जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है। सभी प्रमुख तेल कंपनियां इस बात से बाखबर थीं कि उनके उत्पाद जलवायु को कम से कम 50 साल पहले ही बर्बाद कर देने वाले हैं और यह जानने के बाद भी उनकी ओर से संदेह पैदा करने, नवीकरणीय उर्जा का मजाक उड़ाने और सरकारी प्रयासों को अवरुद्ध करने के लिए सैकड़ों करोड़ डॉलर खर्च किये जा चुके हैं।

अब जबकि कोच इंडस्ट्रीज और इसके साथ-साथ कुछ तेल प्रमुख इस तथ्य को देख रहे हैं कि स्वच्छ उर्जा प्रौद्योगिकि क्षेत्र में विविधता लाने से पैसा बनाया जा सकता है तो वे अपने पोर्टफोलियो में इसे धीरे धीरे जोड़ रहे हैं, लेकिन जिस अनुपात में वे अभी भी तेल, गैस और रासायनिक संचालनों में निवेश कर रहे हैं, उसकी तुलना में यह बेहद छोटा अंश है। यह बेहद कम है, और इसमें बहुत देर हो चुकी है।

हाउस ओवरसाईट कमेटी यदि जीवाश्म ईंधन उद्योग के लंबे समय से जलवायु नीति को विफल करने के अभियान की तह तक जाने के बारे में गंभीर है तो इसे कोच को कालीन पर अपने सामने बुलाना होगा। ऐसा करने से, कमेटी उनके दुष्प्रचार को प्रायोजित करने में उनकी प्रमुख भूमिका को उजागर कर सकती है, और साथ ही साथ उन्हें और उनके अनुयायियों के अमेरिकी लोकतंत्र के लिए खतरे को भी उजागर कर सकती है।

इलियट नेगिन यूनियन ऑफ़ कंसर्नड साइंटिस्ट्स में एक वरिष्ठ लेखक हैं।

इस लेख को इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टीट्यूट की एक परियोजना अर्थ/ फ़ूड/ लाइफ के द्वारा तैयार किया गया था।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

It’s Time Charles Koch Testified About His Climate Disinformation Campaign

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    बचपन बचाओ आंदोलन के निदेशक मनीष शर्मा ने कहा कि पिछले महीने 16 राज्यों में कुल 216 बचाव अभियान चलाए गए, जिनमें प्रतिदिन 54 बच्चों को बचाया गया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली पुलिस ने ज़ुबैर को अदालत में किया पेश; कहा- अब पूछताछ की नहीं है ज़रूरत
    02 Jul 2022
    पुलिस ने मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया से कहा कि हिरासत में लेकर अब उनसे पूछताछ की जरूरत नहीं है। पुलिस की इस अर्जी के बाद ज़ुबैर ने अदालत में ज़मानत याचिका दायर की।
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