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ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को बर्ख़ास्त किया, देश में विरोध के बाद संसद निलंबित

रविवार को विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई शहरों में सत्तारूढ़ एन्नाहदा पार्टी के कार्यालयों पर हिंसक हमले हुए, साथ ही राजधानी ट्यूनिस में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों की भी ख़बरें सामने आई हैं।
ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को बर्ख़ास्त किया, देश में विरोध के बाद संसद निलंबित

देश भर में जानलेवा कोरोनावायरस महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने में विफलता के साथ-साथ लंबे समय से चली आ रही आर्थिक समस्याओं पर देश भर में विरोध प्रदर्शनों के बीच ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति कैस सैयद ने देश के प्रधानमंत्री हिचेम मेचिची को रविवार 25 जुलाई को बर्खास्त कर दिया।

राष्ट्रपति ने ट्यूनीशियाई संसद को भी निलंबित कर दिया और संसद के सदस्यों के विशेषाधिकार को समाप्त कर दिया। उन्होंने आगे कहा कि वह अब नए प्रधानमंत्री की सहायता से एग्जक्यूटिव अथॉरिटी की प्रेसिडेंसी संभालेंगे।

ठीक इसी दिन ट्यूनीशिया की राजधानी ट्यूनिस सहित पूरे ट्यूनीशिया के शहरों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें हजारों ट्यूनीशियाई लोगों ने सरकार द्वारा कोरोनोवायरस महामारी पर नियंत्रण के तरीके को लेकर अपनी निराशा और नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने ट्यूनीशिया के पूर्व तानाशाह ज़ीने एल अबिदीन बेन अली के खिलाफ क्रांति के बाद से 10 साल तक उत्तरोत्तर सरकारों द्वारा देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और सुधारने में सक्षम नहीं होने के लिए सरकार और सत्तारूढ़ एन्नाहदा पार्टी के खिलाफ भी आवाज उठाई।

रविवार को एक बयान में राष्ट्रपति ने कहा कि "कई लोगों को कपट, विश्वासघात और लोगों के अधिकारों की लूट कर धोखा दिया गया था," उन्होंने आगे कहा कि "मैं हर किसी को चेतावनी देता हूं जो हथियारों का सहारा लेने के बारे में सोचते हैं ... और जो कोई भी गोली मारता है, तो सशस्त्र बल गोलियों से जवाब देंगे,” उन्होंने विरोध या हिंसा से उनके फैसलों का विरोध करने की योजना बनाने वालों को चेताया। 2014 में ट्यूनीशिया ने जो नया संविधान अपनाया था वह राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संसद के बीच शक्ति को विभाजित करता है।

राष्ट्रपति ने अपने फैसलों को सही ठहराने के लिए नए संविधान के प्रावधानों, विशेष रूप से अनुच्छेद 80 का इस्तेमाल किया है। अनुच्छेद 80 राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में देश में शक्ति हासिल करने का प्रावधान देता है। कई लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री और संसद के खिलाफ उनके फैसले असंवैधानिक हैं क्योंकि अनुच्छेद 80 के तहत संसद को काम करना जारी रखना है और संवैधानिक अदालतें जो अभी तक स्थापित नहीं हुई हैं, उसको प्रभाव में आने के बाद कार्रवाई पर फैसला करना है। इन आरोपों की प्रतिक्रिया में सैयद ने कहा, "संविधान संसद को भंग करने की अनुमति नहीं देता है, लेकिन यह इसके काम को निलंबित करने की अनुमति देता है।"

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