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विकास लक्ष्य के साथ कोलकाता में यूनिसेफ-समर्थित इंटरफेथ अलायंस की स्थापना

चूंकि भारत में धर्म काफ़ी मायने रखता है ऐसे में धर्मगुरुओं के हस्तक्षेप से सामाजिक आर्थिक विकास की दिशा में काम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।
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कोलकाता: समाज के सामने आने वाले स्वास्थ्य, पोषण, बाल अधिकार, शिक्षा, जल स्वच्छता, स्वच्छता और आपदा जोखिम जैसे प्रमुख मुद्दों से लड़ने के लिए देश में पहली बार एक अंतर-धार्मिक गठबंधन का गठन किया गया। देश के छह अलग-अलग प्रमुख धर्मों के गुरुओं बुधवार को इस गठबंधन में शामिल हुए।

इसको लेकर 'फेथ फॉर लाइफ' नामक एक पुस्तिका भी प्रकाशित हुई और हिंदू, इस्लाम, सिख, बौद्ध, ईसाई और जैन धर्म के प्रभावशाली नेताओं द्वारा इसका समर्थन किया गया।

विशेष रूप से, धार्मिक नेताओं के हस्तक्षेप और फेथ फॉर लाइफ अभियान के संविधान को पहली बार संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ) द्वारा युद्धग्रस्त नाइजीरिया में शुरु किया गया था।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए यूनिसेफ के राज्य प्रमुख मोहम्मद मोहिउद्दीन ने कहा कि पश्चिम बंगाल में, सामाजिक जागरूकता की कमी और ग़लत धारणाओं जैसी नुक़सान पहुंचाने वाली कई प्रथाएं हैं जो वांछित स्तर की कमी के चलते विभिन्न योजनाओं की मांग पक्ष की ओर ले जाती हैं। भारत जैसे देश में जहां धर्म काफ़ी मायने रखता है यहां सभी धर्मगुरुओं के हस्तक्षेप से लक्ष्य की दिशा में काम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद की जाती है।

इससे पहले अपने संबोधन में मोहिउद्दीन ने कहा कि यह एक लोकप्रिय धारणा है कि विज्ञान और धर्म आमने-सामने हैं। धर्म गुरु सोचते हैं कि वे सामूहिक विनाश के हथियार और परमाणु हथियार बनाने वाले विज्ञान की गारंटी नहीं देंगे। हालांकि, चिकित्सा विज्ञान जैसा विज्ञान जो कल्याण-उन्मुख है वह एक ऐसी चीज़ है जिसका वे समर्थन करते हैं।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए अमानत फाउंडेशन के अध्यक्ष एमडी शाह आलम ने कहा कि 19 जुलाई, 1994 को फाउंडेशन की स्थापना के बाद सर्वेक्षण करने के बाद यूनिसेफ जैसे इसके सहयोगी संगठन शैक्षिक और आजीविका विकास और पिछड़े क्षेत्रों में जागरूकता पैदा करने में सहायक रहे हैं।

ये फाउंडेशन उद्यमिता विपणन प्रबंधन और कौशल विकास तकनीकों का प्रशिक्षण भी देता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम मुख्य रूप से अल्पसंख्यक समुदाय के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के सदस्यों के लिए हैं। साल 2003 में संगठन ने पश्चिम बंगाल राज्य सरकार के साथ भागीदारी की जब इसे पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम में गड़बड़ी का सामना किया था और मुस्लिम अल्पसंख्यक नेताओं को नमाज़ से पहले ख़ुतबा के दौरान अपने अनुयायियों को संबोधित करने के लिए संगठित किया था। यूनिसेफ़ और अमानत फाउंडेशन द्वारा तैयार की गई इंटरफेथ हैंडबुक में वेद, भगवद गीता, बाइबिल, त्रिपिटोक, क़ुरान शरीफ़ और ग्रंथ साहिब जैसे धार्मिक ग्रंथ बाल अधिकार, वाश (WASH- water, sanitation, health -जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य), पोषण और जैसे ज्वलंत मुद्दे शामिल हैं।

आलम ने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल में लगभग दो लाख पुरोहित और 65,000 इमाम, चर्चों के 30,000 फ़ादर, कई हज़ार बौद्ध भिक्षु और गुरुद्वारों के ग्रंथी हैं। यह कार्यक्रम समग्र रूप से मानवता को प्रभावित करने वाले मुद्दों के सकारात्मक पक्षों को उजागर करेगा।

इससे पहले अमानत फाउंडेशन के महासचिव जलालुद्दीन अहमद के एक आरंभिक संबोधन के बाद, इंटरफेथ बुकलेट के उद्देश्यों का वर्णन आलम और मोहिउद्दीन द्वारा किया गया जिन्होंने अवधारणा के महत्व को रेखांकित किया। फिर, एक-एक करके, धार्मिक नेता विभिन्न हिस्सों में फैल गए। इसकी शुरुआत कोलकाता के रेड रोड के इमाम ए ईदैन क्वारी फ़ज़लुर रहमान से हुई जिन्होंने सामाजिक आर्थिक मुद्दों के बारे में क़ुरान शरीफ के बारे में अपने विचार बताए।

बंगियो सनातन ब्राह्मण संगठन के चंदन चटर्जी ने हिंदू धर्म की ओर से अपनी बात रखी और बिशप फ्रांसिस सिंघा रॉय ने इस विषय पर बाइबिल के विचारों को बताया। बौद्ध धर्म की ओर से प्रज्ञारखित भिक्खु ने पुस्तिका के पीछे यूनिसेफ और अमानत फाउंडेशन के सिद्धांतों के अनुरूप भगवान बुद्ध के संदेशों के बारे में बताया। जैन धर्म की ओर से सुभोमय माजी ने सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की, जबकि सरदार तरसेम सिंह ने सिख धर्म के संदेश को बताया। इस कार्यक्रम को यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ श्रीमती सुचरिता बर्धन ने भी संबोधित किया जिन्होंने इंटरफेथ अलायंस की क्षमता की सराहना की।

बाद में न्यूज़क्लिक से बात करते हुए वाश विशेषज्ञ और अमानत फाउंडेशन की सलाहकार चैताली मोंडल ने भारतीय उपमहाद्वीप में एक क्रांतिकारी क़दम के रूप में इसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि यूनिसेफ कोलकाता में मिल रही प्रतिक्रिया का आकलन कर रहा है और फिर यह देश के अन्य हिस्सों में भी इस कार्यक्रम को चलाएगा।

इस बैठक में इंटरफेथ अलायंस औपचारिक रूप से लॉन्च किया गया और समूह की कोर कमेटी भी बनाई गई। इंटरफेथ अलायंस, बाद के चरण में निराश्रित बच्चों और माताओं की मदद करने के लिए जब भी ज़रूरत हो, राहत कार्य करने और धन जुटाने के लिए सक्षम होगा। उन्होंने कहा कि यूनिसेफ और अमानत फाउंडेशन अपने सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इस क्षमता का पूरा इस्तेमाल करेंगे।

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः

UNICEF-Backed Interfaith Alliance Established in Kolkata With Developmental Goals

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