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यूपीः मैनपुरी लोकसभा और दो विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार समाप्त, 5 दिसंबर को होगा मतदान

मैनपुरी लोकसभा सीट जहां समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण उपचुनाव हो रहा है।
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प्रतीकात्मक तस्वीर।

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी संसदीय क्षेत्र तथा खतौली और रामपुर विधानसभा क्षेत्रों में शनिवार शाम को समाप्त हुए ज़ोरदार प्रचार अभियान में राजनीति का हर तरह का रंग देखने को मिला।

निर्वाचन कार्यालय के मुताबिक़ तीनों निर्वाचन क्षेत्रों में पांच दिसंबर को सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक मतदान होगा।

मैनपुरी लोकसभा सीट जहां समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण उपचुनाव हो रहा है, वहीं अलग-अलग अदालतों द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक आज़म ख़ान और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक विक्रम सिंह सैनी को अयोग्य घोषित किये जाने के कारण क्रमशः रामपुर सदर और मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले की खतौली विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हो रहा है।

उत्तर प्रदेश में उप चुनावों से कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दूर रहने से तीनों जगहों पर भाजपा और सपा तथा उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के बीच सीधी लड़ाई होगी।

हालांकि उपचुनाव के नतीजे का केंद्र और राज्य सरकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि राज्य और केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के पास पूर्ण बहुमत है। हालांकि उप चुनाव के परिणामों से 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में दलों की दिशा ज़रूर तय होगी।

चुनाव आयोग के मुताबिक़ मैनपुरी लोकसभा सीट से छह उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि खतौली (मुजफ्फरनगर) और रामपुर विधानसभा क्षेत्र से क्रमश: 14 और 10 उम्मीदवार मैदान में हैं।

मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव सपा की उम्मीदवार हैं, जबकि भाजपा ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (प्रसपा) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव के क़रीबी रहे रघुराज सिंह शाक्य पर अपना दांव लगाया है जो हाल के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे।

रामपुर में मुक़ाबला भाजपा के आकाश सक्सेना और आज़म ख़ान की पसंद समाजवादी पार्टी के असीम राजा के बीच है।

खतौली में सपा समर्थित रालोद के मदन भैया का मुक़ाबला भाजपा के अयोग्य घोषित किये गये विधायक विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी से है।

तीनों चुनाव क्षेत्रों में मुख्य रूप से राज्य के नेताओं ने प्रचार किया।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जून के उपचुनाव में अपने प्रतिनिधित्व वाली आजमगढ़ लोकसभा सीट के साथ-साथ रामपुर संसदीय सीट पर भी प्रचार नहीं किया था, लेकिन उन्होंने इस बार अपनी रणनीति बदली और मैनपुरी में अपनी पत्नी के लिए ज़ोरदार प्रचार किया।

अखिलेश यादव पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म ख़ान और दलित नेता चंद्रशेखर आज़ाद के साथ रामपुर में एक रैली में भाग लेने के लिए केवल एक बार मैनपुरी से बाहर गए थे।

राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अपनी पार्टी के उम्मीदवार के लिए समर्थन जुटाने के लिए मुज़फ़्फ़रनगर के खतौली में डेरा डाला।

मैनपुरी में चुनाव प्रचार में एकजुट यादव परिवार अपने अंतिम संभावित गढ़ को बचाने के लिए घर-घर जाने की रणनीति अपनायी। मैनपुरी चुनाव क्षेत्र की अहमियत इसलिए भी ज़्यादा बढ़ गई क्योंकि एक-दूसरे के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने वाले चाचा भतीजा (शिवपाल-अखिलेश) इस चुनाव में सभी मतभेदों को भुलाकर मंच पर एक साथ आए।

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