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यूपी चुनाव: पश्चिमी यूपी के लोग क्यों भाजपा को हराना चाहते हैं?

पश्चिमी उत्तर प्रदेश राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है और किसान आंदोलन का गढ़ है। चर्चा से तो लगता है कि लोग बदलाव चाहते हैं।
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चुनाव प्रचार का एक दृश्य। 

मोहम्मद इलयास जोकि सिवालखास विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले किलाना गाँव के निवासी हैं, ने कहा कि “हिन्दू हो या मुसलमान, समाज के सभी तबकों ने भाजपा को हारने और सपा-लोकदल गठबंधन को जीतने के लिए कमर कस ली है”।

न्यूज़क्लिक ने जब उनसे पूछा कि ऐसे कौन से कारण या मुद्दे हैं जिनकी वजह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग भाजपा से इतने खफ़ा हो गए हैं, तो उन्होने तफसील से बताया कि “प्रदेश का हर तबका बहुत परेशान है, फिर चाहे वे किसान हों या मजदूर”।

इलयास ने बताया कि “लोगों के पास रोजगार नहीं है, दिहाड़ी पहले के मुक़ाबले कम हो गई है, किसान को फसल के उपयुक्त दाम नहीं मिल रहे हैं और उस पर योगी सरकार ने किसानों को गन्ने का बकाया भी नहीं दिया है, गन्ने का भुगतान अप्रैल 2021 तह की किया गया है वह भी तब चुनाव नजदीक आ गए हैं”। उन्होने कहा कि “इतनी कठोर परिस्थितियों में कोई कैसे जीवन व्यतीत कर सकता है। “हालत यह है कि गाँव के लोगों को खाना बनाने के लिए ईंधन या गोबर के उपले खरीदने पड़ रहे हैं क्योंकि मोदी सरकार ने जो एलपीजी सिलेन्डर बांटे थे, बढ़ते दामों की वजह से उनमें गैस भरवाने का इंतजाम आम लोगों के पास नहीं है”।

इलयास के साथ उसी गाँव के विकास और सोनू कुमार ने बताया कि, “हालांकि आम लोगों में असंतोष पहले से ही बढ़ रहा था लेकिन तीन कृषि क़ानूनों के खिलाफ चले किसान आंदोलन ने इस असंतोष को बढ़ा दिया है और अब यह पूरे प्रदेश में अब इसका असर दिख रहा है और लोग गठबंधन की तरफ मुखातिब हो रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या औवेसी की पार्टी के खड़े होने से मुस्लिम वोट बंटेगा तो उनका दो टूक जवाब था कि इस बार 90 प्रतिशत वोट गठबंधन को ही जाएगा, यद्द्पि बसपा को 10 प्रतिशत वोट जाने की संभावना है।

दौराला के रहने वाले 72 वर्षीय फूल सिंह ने कहा कि “अबकी बार गठबंधन की सरकार होगी क्योंकि लोग योगी सरकार से लोग बेहद दुखी हैं। दौराला, सरदाना विधानसभा के तहत आता है और इसकी आबादी 19,776 है। यह एक नगर पंचायात है और दौराला चीनी मिल इस नगर की सबसे प्रसिद्ध पहचान है। फूल सिंह कहते हैं कि “युवाओं के सामने रोजगार की बहुत बड़ी समस्या है। मजदूरों के पास काम नहीं है और ईंट भट्टे भी कोरोना महामारी के चलते अधिकतर बंद पड़े हैं। यही कारण है कि समाज का हर तबका योगी सरकार के खिलाफ मतदान की तैयारी कर रहा है"।

नाम न छापने की शर्त पर एक भट्टा मजदूर ने बताया कि “एक तो ईंट भट्टो में काम नहीं है ऊपर से उत्तर प्रदेश में एक मजदूर को 1000 ईंट तैयार करने पर मात्र 550 रुपए मिलते हैं जबकि उसी मजदूर को पंजाब में 1000 ईंट के लिए 805 रुपए मिलते हैं। उत्तर प्रदेश में मजदूरों का काफी शोषण होता है उनकी आवाज़ उठाने के लिए कोई सशक्त यूनियन भी नहीं है। यहाँ भट्टा मालिक राजनीतिक रूप से काफी मजबूत हैं और वे किसी भी यूनियन को कामयाब नहीं होने देते हैं। इसलिए इसका खामियाज़ा मजदूरों को भुगतना पड़ता है और कम मजदूरी पर काम करना पड़ता है। खाली दिनों में खेतों में काम नहीं मिलता है। सीजन में भी मुश्किल एक या दो महीनों का काम मिलता है और पूरे दिन मेहनत करने के बाद पुरुष श्रमिक को केवल 400 रुपए और महिला श्रमिक को 220 रुपए मिलते हैं। इतनी कम आम्दानी में परिवार का खर्च चालान नामुमकिन है, नतीजतन बड़ी तादाद में खेतिहर या भट्टा मजदूर भारी कर्ज़ में डूबे रहते हैं। हालांकि हमारे जैसे मजदूरों को किसी सरकार से उम्मीद नहीं है लेकिन फिर भी सरकार बदलने के लिए हम लोग एक बेहतर और जीतने वाले विकल्प को ही वोट देंगे।"

जब उनसे पूछा गया कि दलित इस बार किस पार्टी की तरफ रुख करेंगे तो उन्होने कहा कि “दलित वोट सपा गठबंधन और बसपा में बटेंगे। हालांकि ज़ोर गठबंधन का है और बहुमत वोट उसी की तरफ जाएंगे"।

बड़ौत विधानसभा से मुस्लिम युवाओं की एक टोली से सब पूछा गया तो उन्होंने भी नाम न छापने की शर्त पर कहा कि : मुस्लिम मतदाताओं का पूरा वोट सपा गठबंधन को जाएगा। हमने तो तय कर लिया है बाकी का हमें भरोसा नहीं है। लेकिन एक उम्मीद है कि किसान आंदोलन के बाद लोगों में जागरूकता पैदा हुई है उनका भी रुख अब गठबंधन की तरफ होगा"।

लोनी के रहने वाले नरेश कुमार ने बताया कि लोनी विधानसभा सीट पर भाजपा और सपा गठबंधन में कांटे की टक्कर होगी। इसलिए इस सीट के मामले में कुछ भी कहना आसान नहीं है।

जब न्यूज़क्लिक बड़ौत विधानसभा का दौरा कर रहा था तो बसपा के उम्मीदवार अंकित शर्मा का प्रचार अभियान चल रहा था। उनके प्रचार का कार्यभार संभालने वाले अंकुर मुनखिया ने बताया कि “बसपा अभी प्रचार में उतरी है और क्षेत्र में हमारे उम्मीदवार को भारी समर्थन मिल आढ़ा है।" यह पूछे जाने पर कि इस बार के चुनाव में सपा गठबंधन का ज़ोर है तो उन्होंने इसे खारिज कर दिया और कहा कि बसपा का मतदाता शांत मतदाता है और वक़्त आने पर चोट करेगा"।

बसपा उम्मीदवार अंकित शर्मा ने एक छोटी सी चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में बसपा की 200 सीटें आएगी। प्रदेश का किसान और मजदूर बसपा के साथ है क्योंकि उसने देखा है कि बहन मायावती की सरकार ने न केवल गन्ने की फसल का भाव बढ़या बल्कि किसानों को वक़्त पर भुगतान भी किया था। लेकिन योगी सरकार ने अभी तक पिछले साल के बाकाए का भी भुगतान भी नहीं किया है"।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना, थाना भवन, शामली, बुढ़ाना, चरथावल, पुरकाजी (एससी), मुजफ्फरनगर, खतौली, मीरापुर, सिवालखास, सरधना, हस्तिनापुर (एससी), किठौर, मेरठ कैंट, मेरठ, मेरठ साउथ, छपरौली, बड़ौत, बागपत, लोनी, मुरादनगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, मोदी नगर, धौलाना, हापुड़ (एससी), गढ़मुक्तेश्वर, नोएडा, दादरी, जेवर, सिकंदराबाद, बुलंदशहर, स्याना, अनूपशहर, देबाई, शिकारपुर, खुर्जा (एससी), खैर (एससी), बरौली, अतरौली, और छर्रा में मतदान 10 फरवरी को होगा। इसलिए यहाँ चुनाव प्रचार काफी ज़ोरों पर चल रहा है और हर ओर गठबंधन ने पूरी ताकत लगा दी है। याद रहे कि भाजपा नेता और गृहमंत्री अमित शाह ने भी पश्चिमी उत्तरप्रदेश के कैराना क्षेत्र से प्रचार की शुरुआत की है।

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प्रचार ने ज़ोर पकड़ लिया है और लोग अपने-अपने मुद्दों को लेकर बेताब हैं। देखना यह कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश जो कि राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है और किसान आंदोलन का गढ़ है किस तरफ करवट लेता है। चर्चा से तो लगता है कि लोग बदलाव चाहते हैं।

पश्चिमी यूपी में 2017 में क्या रहा था सीटों का गणित, देखिए-- https://electionsviz.newsclick.in/

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