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यूपी: चुनावी वादों पर मंत्री से सवाल पूछने पर पत्रकार गिरफ़्तार, दुर्व्यवहार का आरोप!

"लोकतंत्र में महज़ सवाल पूछने पर किसी पत्रकार को गिरफ़्तार करने का यह क़दम प्रेस को डराने और अभिव्यक्ति की आज़ादी का गला घोंटने का प्रयास है।"
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश की पुलिस ने रविवार को संभल में एक पत्रकार को गिरफ़्तार कर लिया जो यूट्यूब पर एक न्यूज़ चैनल चलाते हैं। ये गिरफ़्तारी भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) द्वारा पत्रकार के ख़िलाफ़ एक शिकायत दर्ज कराने के बाद हुई। शिकायत में कहा गया कि उन्होंने (पत्रकार) राज्य मंत्री के एक कार्यक्रम के दौरान सरकारी काम में 'हस्तक्षेप' किया और उनके (शिकायतकर्ता) साथ 'मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी।'

माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र) गुलाब देवी से विकास कार्यों (जिसका उन्होंने वादा किया था) को लेकर सवाल करने के बाद पत्रकार संजय राणा की गिरफ़्तारी हुई।

गुलाब देवी, 11 मार्च, को जिले के बुध नगर खंडवा गांव में चेकडैम शिलान्यास समारोह में शामिल हुई थीं। कार्यक्रम के दौरान राणा ने उनसे विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए वादों के क्रियान्वयन में कमी को लेकर कई सवाल पूछे।

वायरल हो रहे एक वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, "विधानसभा चुनाव से पहले, आपने हम सभी से वादा किया था, मंदिर में शपथ भी ली थी, कि यह गांव (बुध नगर खंडवा, जहां कार्यक्रम हो रहा था) आपका है, और यहां हर कोई आपका गोद लिया हुआ बच्चा है। आपने गांव के बड़े-बुजुर्गों से कहा था, 'बोलो आपका क्या काम है, मैं करूंगी।' आपने यह भी कहा था कि अगर आप चुनाव जीतती हैं तो इस गांव में लौट आएंगी। लेकिन उसके बावजूद, आप कभी वापस नहीं आईं"

राणा ने आगे कहा, "आपने कहा था कि आप मंदिर से यहां तक सड़क बनवा देंगी लेकिन सड़क अभी भी इतनी खराब है कि लोगों को चलने में दिक्कत होती है। आपने यह भी विशेष रूप से कहा था कि आप गांव के मंदिर के चारों ओर चारदीवारी बनाएंगी। उस पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है। ग्रामीणों ने दबाव बनाने की कोशिश की, आपके कार्यालय भी गए लेकिन आपने कभी उनकी बात नहीं सुनी।" कथित वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है।

कथित वीडियो में ग्रामीण भी पत्रकार का समर्थन करते और विकास कार्यों की स्थिति की शिकायत करते सुने जा सकते हैं।

पत्रकार के सवालों का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा, "ये सब बातें जो आपने कही हैं, सही हैं, लेकिन अभी समय अभी बाकी है। यह मत भूलिए कि कुंदनपुर गांव और बुध नगर खंडवा मेरी ज़िम्मेदारी है। ये सब काम जिनका मैंने वादा किया था, वो पूरे किए जाएंगे।"

कार्यक्रम के तुरंत बाद, BJYM के एक स्थानीय नेता, शुभम राघव ने चंदौसी पुलिस स्टेशन में राणा के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने (पत्रकार) सरकारी काम में हस्तक्षेप किया और उन्हें (शुभम को) धमकी भी दी।

चंदौसी पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की और सीआरपीसी की धारा 151 के तहत पत्रकार को गिरफ़्तार किया। इस धारा का उपयोग संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए किया जाता है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक भाजपा नेता ने प्राथमिकी में कहा, "11 मार्च को दोपहर 2 बजे के आसपास एक चेक डैम शिलान्यास समारोह था, जहां माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुईं। मैं भी वहां मौजूद था। मुरादाबाद उजाला यूट्यूब चैनल की माइक आईडी रखने वाला संजय राणा नाम का एक फर्जी पत्रकार सरकारी काम में दखलअंदाजी कर रहा था। मैंने उससे ऐसा नहीं करने को कहा, लेकिन उसने मेरी एक न सुनी। उसने मेरे साथ गाली-गलौज व मारपीट शुरू कर दी। उन्होंने जाते समय मुझे धमकी भी दी।"

हालांकि, चंदौसी के एसएचओ सतेंद्र पवार ने पत्रकारों को बताया कि पत्रकार को गिरफ़्तार किया गया और एक दिन बाद रिहा कर दिया गया। उन्होंने स्थानीय मीडिया को बताया, "भाजपा नेता की शिकायत पर उनके ख़िलाफ़ एक प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि पत्रकार ने उनके साथ मारपीट की, उन्हें परेशान किया और धमकाया। हम मामले की जांच कर रहे हैं।"

गिरफ़्तारी की निंदा की गई

इस बीच, संभल में जर्नलिस्ट फ्रेटरनिटी ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई इस गिरफ़्तारी की निंदा की, और इसे "कानून का बेशर्म दुरुपयोग" और "प्रेस को डराने व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास" करार दिया।

संभल प्रेस क्लब के सदस्य साद उस्मानी ने न्यूज़क्लिक को बताया, "उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्रवाई बेहद मनमानी और कानून के दुरूपयोग के समान है। लोकतंत्र में महज़ सवाल पूछने पर किसी पत्रकार को गिरफ़्तार करने का यह कदम प्रेस को डराने और अभिव्यक्ति की आज़ादी का गला घोंटने का प्रयास है।"

राणा के गांव बुद्ध नगर खंडवा गांव में भी पत्रकारों का एक प्रतिनिधिमंडल पहुंचा। यूनियन ने कहा कि वह कानून का 'दुरुपयोग' करने वाले पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू करने के लिए एक बैठक आयोजित करेगी।

उस्मानी ने आगे कहा, "मंत्री गुलाब देवी ने गांव को गोद लेने का वादा किया था जो पत्रकार का भी गांव है। वह इस बात से नाराज़ था कि न तो गांव को गोद लिया गया और न ही विधानसभा चुनाव के दौरान किया गया वादा पूरा किया गया। उन्होंने बस कुछ सवाल पूछे और इसके लिए उन्हें न केवल भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा अपमानित किया गया, बल्कि बाद में गिरफ़्तार भी किया गया।"

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए पत्रकार राणा ने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय का एक आदेश है कि सरकार या प्रतिष्ठान की कटु आलोचना करने मात्र पर किसी भी पत्रकार को गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता है, अगर लेखक/पत्रकार ने सरकार के ख़िलाफ़ हिंसा या समुदायों के बीच नफरत नहीं भड़काई हो, फिर भी पुलिस मुझे जबरदस्ती मेरे घर से खींच ले गई।"

यू-ट्यूब चैनल मुरादाबाद उजाला में काम करने वाले राणा ने अपनी गिरफ्तारी की कहानी बताते हुए कहा, "रविवार को पुलिस मेरे घर आई। मुझे कॉलर पकड़कर अपराधी की तरह सरेआम घसीटा गया। मुझे उम्मीद नहीं थी कि सवाल पूछने के लिए मुझे टारगेट किया जाएगा। मेरा गांव चंदौसी थाना क्षेत्र में आता है लेकिन वे मुझे बनियाखेड़ ले गए और वहां एक कमरे में बंद कर दिया। वे नहीं चाहते थे कि मेरे दोस्तों और परिवार को मेरा ठिकाना पता चले। पुलिस वालों ने मेरे साथ बुरा बर्ताव किया और अगली बार ऐसी पूछताछ के ख़िलाफ़ चेतावनी दी। पूरी प्रक्रिया में, मुझे समझ नहीं आया कि मुझे परेशान क्यों किया जा रहा है...क्या सिर्फ इसलिए कि मैं सत्ता में बैठे एक नेता से कुछ बुनियादी सवाल पूछ रहा हूं?”

भाजपा नेता द्वारा लगाए गए आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि उन्होंने उनके साथ दुर्व्यवहार किया, राणा ने कहा, "मेरे पास मंत्री के साथ पूरी बातचीत की वीडियो के रूप में सबूत हैं। मैंने कोई दुर्व्यवहार नहीं किया और यहां तक कि मंत्री से सवाल पूछने की पूर्व अनुमति भी ली। जब मंजूरी मिली, तभी मैंने सवाल पूछा, और यही मेरा अपराध था। मुझे नहीं पता था कि हमारे द्वारा चुने गए नेता से सवाल पूछने पर मुझपर एफआईआर होगी और मुझे जेल जाना पड़ेगा।

"राणा के पिता रघुनाथ सिंह, जो कट्टर भाजपा समर्थक हैं, अपने बेटे की गिरफ्तारी से निराश थे। बीजेपी के अस्तित्व में आने के बाद से मैं पार्टी का कार्यकर्ता रहा हूं, फिर भी मेरे बेटे को गांव के विकास के बारे में महज़ सवाल पूछने पर ही गिरफ़्तार कर लिया गया। उसने चुनाव के दौरान गांव के विकास को लेकर किए गए वादों का ज़िक्र किया, इसमें गलत क्या है?” उन्होंने न्यूज़क्लिक से कहा और बताया कि पूरा गांव बीजेपी का "कोर" वोटर है।

मुरादाबाद उजाला के संपादक धर्मेंद्र चौधरी ने आरोप लगाया कि मंत्री के निर्देश के बाद ही उनके सहयोगी को गिरफ़्तार किया गया। उन्होंने न्यूज़क्लिक से कहा, "अगर किसी पत्रकार को सवाल पूछने के लिए गिरफ़्तार किया जाता है, तो कोई भी स्टोरी के लिए ज़मीन पर नहीं जाएगा। यह चलन बहुत ख़तरनाक है और स्वीकार्य नहीं है।"

लखनऊ के एक वरिष्ठ पत्रकार सुमित सिंह ने न्यूज़क्लिक से कहा, "क्या यह विडंबना नहीं है कि इन्हीं मंत्री ने विधानसभा में विपक्ष के नेता को राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों और भर्ती कब होगी, इस बारे में जवाब दिया। इस पत्रकार ने भी अपने निर्वाचन क्षेत्र के बारे में एक साधारण सा सवाल पूछा, जो उनका अधिकार भी है, लेकिन उन पर मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।"

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :

UP: 'Dragged, Beaten', Says Journalist Arrested After he Questioned Minister on Poll Promises

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