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यूपी: चित्रकूट में काम के बदले मासूम बच्चियों का यौन शोषण!

कोरोना महामारी के बीच पेट पालने को मजबूर नाबालिग बच्चियों से अवैध खदानों में मज़दूरी के साथ ही कथित तौर पर 200 से 300 रुपये में जिस्मफ़रोशी भी कराई जा रही है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने तुरंत एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं।
 बच्चियों का यौन शोषण!
Image Credit: Aasawari Kulkarni/Feminism In India

“हम लाचार हैं, हम मान जाते हैं। ये हमें काम देते हैं, हमारा शोषण करते हैं और फिर पूरी दिहाड़ी भी नहीं देते। जब हम जिस्मफरोशी से मना करते हैं तो हमें धमकी दी जाती है कि हमें कोई काम नहीं दिया जाएगा। अगर हमें कोई काम नहीं मिला तो हम खाएंगे क्या? ऐसे में हमें इनकी शर्तें माननी पड़ती हैं।”

ये दर्द कारवी गांव की एक नाबालिग बच्ची ने बयां किया है। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में इन छोटी बच्चियों से अवैध खदानों में मजदूरी कराई जा रही है। काम के नाम पर उनका यौन उत्पीड़न और बलात्कार तक किया जा रहा है। लेकिन हैरानी की बात ये है ‘बेहतर कानून व्यवस्था’ का दम भरने वाला प्रशासन इन बातों से अंजान है।

इस मामले के संज्ञान में आने के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने चित्रकूट के डीएम और उत्तर प्रदेश चाइल्ड राइट कमीशन को चिट्ठी लिखकर तत्काल जांच की बात कही है। इसके साथ ही एनसीपीआर की तरफ से इस मामले में एफआईआर करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने भी इस मामले में संज्ञान लेते हुए इसे चिताजांक बताया है। यूनिसेफ द्वारा एक ट्वीट में कहा गया है, "चित्रकूट में लड़कियों के यौन उत्पीड़न संबंधित रिपोर्टें चिंताजनक हैं। हर बच्चे को सभी प्रकार की हिंसा और शोषण से सुरक्षा का अधिकार है। हमें विश्वास है कि अधिकारी जांच करेंगे और पीड़ितों को तत्काल सुरक्षा और सहायता प्रदान की जायेगी।"

क्या है पूरा मामला?

उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड इलाका, अक्सर सूखे के कारण सुर्खियों में रहता है लेकिन इस बार यहां चित्रकूट में गरीब आदिवासी परिवारों की बच्चियों से अवैध खदानों में मजदूरी के एवज में कथित जिस्मफरोशी कराए जाने का मामला सामने आया है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, चित्रकूट में 12 से 14 साल की बच्चियां अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए अवैध खदानों में काम करने को मजबूर हैं। लेकिन इन बच्चियों से यहां मज़दूरी के साथ ही कथित तौर पर 200 से 300 रुपये में जिस्मफरोशी भी कराई जा रही है। इस तरह ये बच्चियां लगातार यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं।

काम के बदले होती है जिस्मफ़रोशी की शर्त

खदानों में बच्चियों के काम करने के बावजूद इन्हें दिहाड़ी नहीं दी जाती, इसके लिए इन बच्चियों से जिस्मफरोशी कराई जाती है। चित्रकूट के कारवी गांव की एक पीड़ित बच्ची बताती है कि जब वे इन खदानों में काम मांगने जाती हैं तो ठेकेदार (कॉन्ट्रैक्टर) जिस्मफरोशी की शर्त पर इन्हें काम देने को कहते हैं।

रिपोर्ट में कारवी गांव की ही एक अन्य पीड़िता के हवाले से कहा गया, “ठेकेदारों ने खदानों के पास के टीले के पीछे बिस्तर लगा रखे हैं। वो हमें वहां ले जाते हैं, और बारी-बारी से हमारा यौन शोषण करते हैं। हमें वहां एक-एक करके जाना होता है। जब हम मना करते हैं, तो वो हमें पीटते हैं। दर्द होता है, लेकिन सह लेते हैं। हम और कर भी क्या सकते हैं। दुख़ होता है। फिर मरने का या यहां से भाग जाने का सोचते हैं।”

चित्रकूट के दफाई गांव की एक पीड़िता कहती हैं, ‘हमें धमकाया जाता है कि अगर हमें काम चाहिए तो हमें इनकी शर्तें माननी पड़ेगी। हम तैयार हो जाते हैं। ये हमें पैसों का लालच देते हैं, कई बार तो एक से अधिक आदमी हमारा उत्पीड़न करता है। अगर हम न कह दें तो हमें उठाकर बाहर करने की धमकी दी जाती है।’

इन बच्चियों के माता-पिता इनके साथ हो रहे इस अत्याचार से परिचित हैं।

इन पीड़िताओं में से एक की मां कहती हैं, ‘हम बेबस हैं। उन्होंने हमें दिन का 300 से 400 रुपये देने का वादा किया है लेकिन कभी-कभी वे हमें 150 से 200 रुपये देते हैं। जब हमारे बच्चे काम से घर लौटते हैं तो अपनी आपबीती बताते हैं लेकिन हम क्या कर सकते हैं? हम मजदूर हैं। हमें अपना परिवार चलाना है। मेरे पति बीमार हैं और उन्हें इलाज की जरूत है।’

हालांकि, चित्रकूट के जिला मजिस्ट्रेट शेषमणि पांडे ने शुरुआत में इस खबर पर ही सवाल उठाते हुए, इसका खंडन किया था लेकिन बाद में प्रशासन की छीछा-लेदर होने के बाद उन्होंने इसे गंभीरता से लेने की बात कही।

बुधवार, 8 जुलाई को चित्रकूट के डीएम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि आजतक ने अपनी एक रिपोर्ट में लड़कियों के यौन शोषण की खबर दिखाई थी, जिसको हमने गंभीरता से लिया है। प्रशासन की ओर से मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा इस बारे में आजतक के संवाददाताओं से जानकारी ली गई है।

इससे पहले उन्होंने ट्वीट कर कहा था, ‘आज तक की रिपोर्ट के विषय में रात में ही कप्तान साहब के साथ और आयुक्त महोदय एवं डीआईजी की उपस्थिति में पूरे प्रकरण पर संबंधित बच्चियों, उनके परिवार और अन्य लोगों से बात की गई। उन सभी ने ऐसी किसी भी घटना से इनकार कर दिया है।’

महिला आयोग ने की उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने की मांग

राज्य महिला आयोग ने नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण के मामले में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को पत्र लिखा है। पत्र में आयोग ने उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर जांच करने की मांग की है।

डीजीपी को लिखी चिट्ठी में उत्तर प्रदेश महिला आयोग की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह द्वारा कहा गया है कि महिला उत्पीड़न की रोकथाम के लिए लगातार दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं। इसके बावजूद ऐसी घटनाओं का संज्ञान में आना अत्यंत खेदजनक है। ऐसा प्रतीत होता है कि स्थानीय प्रशासन के जरिए इस घटना को गंभीरता से लेते हुए महज कागजी कार्रवाई और खानापूर्ति करने का प्रयास किया जा रहा है जो शासन की मंशा के विपरीत है।

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पत्र में महिला यौन शोषण के प्रकरणों पर संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई करते हुए पीड़ितों को जल्द इंसाफ दिलाने की बात पर जोर दिया गया है। साथ ही इस मामले की जांच वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक टीम द्वारा कराने की बात कही गई है।

इस मामले के तूल पकड़ने के बाद अब प्रशासन भी हरकत में नज़र आ रहा है। शुक्रवार, 10 जुलाई को जांच के लिए प्रदेश के बाल अधिकार संरक्षण आयोग के तीन सदस्यों की टीम अकबरपुर गांव पहुंची और वहां के लोगों से बातचीत कर जानकारी जुटाई।

विपक्ष ने क्या कहा?

चित्रकूट के खदानों में यौन शोषण के मामले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर सरकार को निशाने पर लिया है।

उन्होंने लिखा, ‘अनियोजित लॉकडाउन में भूख से मरता परिवार। इन बच्चियों ने ज़िंदा रहने की ये भयावह क़ीमत चुकाई है। क्या यही हमारे सपनों का भारत है?’’

15 करोड़ गरीबों को भोजन, फिर चित्रकूट के ये गरीब कैसे छूट गए?

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 जून को ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोज़गार अभियान’ कार्यक्रम की शुरुआत में योगी सरकार की पीठ थपथपाते हुए कहा था, “लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने 15 करोड़ गरीबों को भोजन उपलब्ध कराया। इतना ही नहीं, राज्य की सवा तीन करोड़ गरीब महिलाओं को जनधन खाते में लगभग 5 हजार करोड़ रुपये भी ट्रांसफर किए गए। आजादी के बाद संभवत: पहली बैर किसी सरकार ने इतने बड़े पैमाने पर मदद की है।

जाहिर है प्रदेश की कुल आबादी 23 करोड़ है। ऐसे में अगर 15 करोड़ लोग गरीब हैं जिन्हें मदद मिली है तो उसमें चित्रकूट के ये गरीब लोग कैसे छूट गए। और अगर इन गरीब आदिवासी परिवारों तक ये मदद पहुंची है तो इनकी छोटी बच्चियां अपना बचपन मज़दूरी और जिस्मफरोशी में बर्बाद करने को मजबूर क्यों हैं? जाहिर है सरकार के दावे हक़ीक़त से कोसो दूर हैं।

महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध की लिस्ट में टॉप पर उत्तर प्रदेश

ग़ौरतलब है कि प्रदेश में बीजेपी की योगी सरकार 2017 से सत्ता में है लेकिन क़ानून-व्यवस्था के अन्य मोर्चों के साथ ही सरकार महिला सुरक्षा के मुद्दे पर भी नाकाम ही रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराध पूरे देश में सबसे ज़्यादा हैं। पुलिस हर दो घंटे में बलात्कार का एक मामला दर्ज करती है, जबकि राज्य में हर 90 मिनट में एक बच्चे के ख़िलाफ़ अपराध की सूचना दी जाती है। 2018 में बलात्कार के 4,322 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि नाबालिगों के मामलों में, 2017 में 139 के मुकाबले 2018 में 144 लड़कियों के बलात्कार के मामले सामने आए थे।

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