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यूपी: ऑक्सीजन की मनमानी कीमत वसूलते आपूर्तिकर्ता; सिलेंडर के लिए 50, 000 रुपये और रिफ़िल के लिए 4, 000 रुपये

लखनऊ में रिफ़िल को लेकर भी लंबी-लंबी क़तारें इसलिए देखी जा रही हैं क्योंकि लोग अपने परिजनों को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। आपूर्तिकर्ता का कहना है कि उन्हें ये सिलेंडर बहुत ही ज़्यादा क़ीमत पर मिल रहे हैं।
ऑक्सीजन

लखनऊ के इंदिरा नगर में रहने वाले सुभम त्रिपाठी अपनी मां के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन या सिलेंडर के इंतज़ाम को लेकर एड़ी-चोटी की कोशिश में लगे हुए थे। रविवार को कोविड-19 के परीक्षण में उनकी मां पोजिटिव पायी गयी थीं।

परिवार ने उन्हें किसी अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिश की, लेकिन राज्य की राजधानी लखनऊ के ज़्यादातर अस्पतालों ने यह कहते हुए भर्ती करने से इनकार कर दिया था कि अस्पताल में बेड नहीं हैं। उनके ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल में तेज़ी से गिरावट आती जा रही थी और परिवारिक डॉक्टर उन्हें मरीज़ को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखने की सलाह दे रहे थे। लेकिन, इसे परिवार के लिए एक और अग्नि परीक्षा साबित होना था।

परेशान सुभम ने न्यूज़क्लिक से बताया कि उनके पास अपनी मां को बचाने के लिए एक बड़ी रक़म उधार लेने के अलावा कोई चारा नहीं है। उन्होंने कहा, "तालकटोरा औद्योगिक क्षेत्र के स्थानीय व्यापारी ने मुझसे उस ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए 60, 000 रुपये का भुगतान करने को कहा, जिसकी क़ीमत आमतौर पर 6, 000 हुआ करती थी। मैंने स्थिति की गंभीरता को समझने और क़ीमत को कम करने की मिन्नत की, लेकिन उसने यह कहते हुए मेरी एक नहीं सुनी कि लोग इस सेंटर के बाहर क़तार में खड़े हैं और इसी ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लड़ रहे हैं।"

त्रिपाठी के मुताबिक़ लखनऊ में ऑक्सीजन सिलेंडर सेंटर और रिफिलिंग प्लांट 10 गुना ज़्यादा क़ीमत वसूल रहे हैं और कालाबाजारी करने वाले इससे मुनाफ़ा कमा रहे हैं। उन्होंने कहा, "लखनऊ और आस-पास के ज़िलों में सिलिंडर और इसकी रिफ़िल की क़ीमत निर्धारित नहीं होने से काला बाज़ारी करने वाले हालात का फ़ायदा उठा रहे हैं। परिजनों की हालत को देखते हुए उनके परिवारों से मनमानी क़ीमत वसूली जा रही है।”

मामलों के अप्रत्याशित स्तर तक बढ़ते जाने और अस्पतालों में बेड नहीं होने से ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग तेज़ी से बढ़ी है क्योंकि लोग घर पर ही अपने परिजनों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

कोविड संक्रमित रोगियों के रिश्तेदार और परिवार के सदस्य ऑक्सीजन सिलेंडर ख़रीदने या रिफ़िल के लिए हर मेडिकल स्टोर और ऑक्सीजन सेंटर के बाहर पूरी रात क़तारों में खड़े रहते हैं।

हालांकि, आपूर्तिकर्ता का कहना है कि वे मांग को पूरा नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह उत्पादन क्षमता से बाहर की बात है। मरीज़ों के परिवार के सदस्यों का दावा है कि ऑक्सीजन सिलेंडर और जीवन रक्षक दवाओं को बाज़ार से बाहर कर दिया गया है और आपूर्तिकर्ता इन्हें कालाबाज़ारी के ज़रिये अनाप-शनाप क़ीमत पर बेच रहे हैं।

नरेश गौतम की पत्नी भी टेस्ट में पोज़िटिव पायी गयी थीं। उन्होंने कहा कि उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर लेने के लिए आलमबाग़ जाना पड़ा, लेकिन ऑक्सीजन ठेकेदार ने उन्हें प्रति सिलेंडर 55, 000 रुपये का भुगतान करने के लिए कहा, इसके बाद तो उन्हें मन मसोसकर ख़ाली हाथ लौट जाना पड़ा।

किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफ़ेसर के पद पर काम करने वाले गौतम ने बताया कि वह सिलेंडर पाने में नाकाम रहने के बाद दुखी होकर लौट आये। उन्होंने आगे बताया, "शुक्रवार की रात कोविड परीक्षण में मेरी पत्नी पॉजिटिव पायी गयी थीं और तब से उन्हें सांस लेने में तकलीफ़ की शिकायत है। इसके अलावा उनका ऑक्सीजन स्तर लगातार गिरता जा रहा है। मैंने उन्हें भर्ती कराने के लिए कई अस्पतालों के चक्कर लगाये, लेकिन लखनऊ में कहीं भी बेड उपलब्ध नहीं था। तब मैंने ऑक्सीजन सिलेंडर ख़रीदने का फ़ैसला किया और आलमबाग़ पहुंच गया, लेकिन मुझे इस बात से निराशा हुई कि व्यापारी ने यह जानने के बावजूद सिलेंडर को लेकर मोलभाव करना शुरू कर दिया कि मेरी पत्नी ज़िंदगी के लिए जूझ रही है।" गौतम ने अब सरकारी सिस्टम से अस्पताल में बेड के लिए आवेदन किया है और अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं।

लखनऊ स्थित सहयोग एंड हेल्थ वॉच फ़ोरम की सदस्य, सुनीता सहयोग ने कहा कि आपूर्तिकर्ता सिलेंडर, रिफ़िल ऑक्सीजन सिलेंडर और रेमडेसिवीर दवा के इंजेक्शन के लिए मनमाना पैसे वसूल रहे हैं। उन्होंने बताया कि रेमडेसिवीर, जिसकी क़ीमत तक़रीबन 2, 000 रुपये है, ब्लैक मार्केट में 15, 000-20, 000 रुपये में बेची जा रही है।

एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने बताया, "मंगलवार को एक सहकर्मी ने अमीनाबाद इलाक़े से मेरी मां के लिए 35, 000 रुपये में रेमडेसिवीर की तीन शीशियां ख़रीदीं।"

इस बीच लखनऊ के चिनहट, अलीगंज और तालकटोरा इलाक़े में ऑक्सीजन रिफ़िल सेंटर के बाहर लंबी-लंबी कतारें देखी गयीं।

लखनऊ स्थित एक सामाजिक कार्यकर्ता और रिहाई मंच की सदस्य अज़रा ख़ान इस समय ऑक्सीजन सिलेंडर पाने में ज़रूरतमंदों की मदद कर रही हैं। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया, "ऑक्सीजन सिलेंडर को भराने के लिए लोगों को सात से आठ घंटे या पूरी रात इंतज़ार करना पड़ता है। एक बड़े सिलेंडर के लिए उनसे 3, 000-4, 000 रुपये लिये जा रहे हैं और अगर आपको यही चीज़ किराए पर लेनी है, तो इसके लिए वे 18, 000 रुपये ले रहे हैं।" उन्होंने कहा कि रेमडेसिवीर की क़ीमत आमतौर पर 1, 500 से 2, 000 रुपये है, लेकिन 3, 500 रुपये में बेची जा रही है।

लखनऊ और आस-पास के इलाक़ों में "अफ़रा-तफ़री" का आलम किस तरह बना हुआ है, उसके बारे में बताते हुए ख़ान ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, "सरकार ने लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया है और उन्हें सड़कों के हवाले कर दिया है और ऊपर से आपूर्तिकर्ता और ठेकेदार लोगों को बिना इलाज के मारने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।"

न्यूज़क्लिक ने चिनहट इलाक़े में एक ऑक्सीजन सिलेंडर आपूर्तिकर्ता से भी संपर्क किया जिसने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “कोविड के मामलों में आयी अचानक बढ़ोत्तरी के बाद हम भी पिछले 15 दिनों से इस आपूर्ति के लिए ऊंची क़ीमत चुका रहे हैं। मार्च के बीच में हम एक दिन में 250 ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति कर रहे थे लेकिन अप्रैल में मांग बढ़ गयी है और अब हम हर रोज़ 400-450 सिलेंडर की आपूर्ति कर रहे हैं।” उसने बताया कि उसे यह ऑक्सीजन सिलेंडर गोरखपुर से मिल रहे हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

UP: ‘Suppliers Charging Arbitrary Amounts for Oxygen; Rs 50,000 a Cylinder, Rs 4,000 for Refill

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