यूपी: जब कोर्ट परिसर ही सुरक्षित नहीं तो घर-बाज़ार कैसे सुरक्षित होंगे!
उत्तर प्रदेश में 30 अगस्त, 2023 को उस समय सनसनी फैल गई जब गाज़ियाबाद में दिनदहाड़े एक वकील की अदालत परिसर में हत्या कर दी गई। यह तीन महीने के भीतर अदालत परिसर में हुई दूसरी हत्या थी।
इससे पहले राजधानी लखनऊ में 7 जून को दोपहर में, एक अदालत परिसर में ठीक कोर्ट रूम के बाहर,मुख्तार अंसारी के गुर्गे, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या कर दी गई थी।
कहा जा रहा है कि प्रदेश में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह अदालत परिसर में और पुलिस सुरक्षा का घेरा तोड़कर हत्या की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि जब अदालत परिसर ही सुरक्षित नहीं तो प्रदेश की क़ानून-व्यवस्था बेहतर होने का दावा ही बेबुनियाद है।
हालाँकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब अदालत परिसर में किसी पर हमला या हत्या हुई है। अदालत परिसर में हुई हत्याओं का अपना एक इतिहास रहा है।
ताज़ा मामला गाज़ियाबाद का है, जहां बुधवार, 30 अगस्त को हथियारों से लैस बदमाशों ने चैंबर में घुसकर एक वकील की हत्या कर दी । तहसील परिसर में मारे गये वकील की पहचान मोनू चौधरी के तौर पर की गई है। इस घटना की ख़बर फैलते ही इलाके में दहशत फैल गई और घटना को अंजाम देने के बाद बदमाश मौक़े से फरार हो गए।
इससे पहले राजधानी लखनऊ की एक अदालत में इसी वर्ष 7 जून (बुधवार) को दिनदहाड़े गोलियों की तड़तड़ाहट सुनाई दी थी। इस दिनदहाड़े हुई वारदात में मुख्तार अंसारी का गुर्गा कहे जाने वाले संजीव माहेश्वरी उर्फ़ जीवा और की हत्या अदालत परिसर में ठीक कोर्ट रूम के बहार की गई। वह पेशी पर अदालत आया था।
गोलीबारी में एक बच्ची भी गंभीर ज़ख्मी गई थी। जीवा की मारने वाले आरोपी की पहचान बिजनौर निवासी विजय यादव के तौर पर हुई है। जो अदालत परिसर में वकील के भेष में आया था। यह हत्या पुलिस की मौजूदगी में हुई। लेकिन अधिवक्ता दावा करते हैं कि वकील की ड्रेस में हत्यारे को उन्होंने पकड़ कर पुलिस को दिया।
हरियाणा के कुख्यात हिस्ट्रीशीटर लखनपाल को पेशी 16 अगस्त 2022 के लिए ज़िला हापुड़ लाया गया था। जहाँ हापुड़ की अदालत के बाहर 3 बदमाशों ने क़रीब 20 राउंड ताबड़तोड़ फायरिंग की जिसमें लखनपाल की मौत हो गई थी। बताया जाता है कि अदालत के दरवाज़े पर लखनपाल को गाड़ी से उतारते समय ही 3 बदमाशों ने अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी थी। बदमाश इस हत्याकांड को अंजाम देकर फरार हो गए थे।
ताज नगरी आगरा की अदालत में 12 जून 2019 को यूपी बार काउंसिल की अध्यक्ष दरवेश यादव को उनके ही एक पूर्व सहयोगी वकील ने अपनी लाइसेंस पिस्टल से 5 गोली मारी थी। दरवेश यादव पर ये हमला तब हुआ जब वह चैंबर में बैठी थी। दरवेश यादव की हत्या करने बाद हमलावर वकील ने खुद को भी गोली मार दी थी जिसकी भी बाद में इलाज के दौरान हुई मौत गई थी।
बिजनौर के कोर्ट में 17 दिसंबर साल 2019 को ताबड़तोड़ गोलियां चली थी। जिसमें हिस्ट्रीशीटर शाहनवाज की 11 गोलियां मार कर हत्या कर दी थी।बताया जाता है कि वह एक मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल से पेशी के लिए बिजनौर कोर्ट पहुंचा लाया गया था। कोर्ट में हुए इस हमले से पूरे प्रदेश में सनसनी मच गई थी क्योंकि शहर में धारा 144 लागू थी। हत्या के अभियुक्तों की पेशी की वजह से सुरक्षा व्यवस्था में चौकसी थी। लेकिन इसके बावजूद कोर्ट परिसर में हथियारबंद लोगों पहुंच गए और हमला करने में सफल भी रहे थे।
अपहरण और दुष्कर्म के एक अभियुक्त दिलशाद हुसैन की गोरखपुर दीवानी अदालत की पार्किंग में 21 जनवरी 2022 गोली मारकर हत्या कर दी गई। दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने हत्या, सेवानिवृत्त फौजी ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल से गोली मारकर की थी।
इसके अलावा मुज़फ़्फ़रनगर में कोर्ट में 16 फ़रवरी 2015 को कुख्यात बदमाश विक्की त्यागी की हत्या कर दी गई थी। मुरादाबाद के अदालत परिसर में बदमाशों ने पूर्व ब्लॉक प्रमुख योगेंद्र सिंह उर्फ भूरा की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
इसी तरह 16 अक्टूबर 2006 मेरठ की अदालत में गैंगवार देखने को मिली थी। इस गैंगवार ने पूरे प्रदेश को हिला दिया था। उत्तर प्रदेश के नामी कुख्यात रविंद्र सिंह भूरा और उसके भतीजे की कचहरी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
इन मामलों को देखते हुए लगता है कि कहीं न कहीं प्रशासन अदालत परिसर में सुरक्षा देने में चूक रहा है। अधिवक्ताओं का कहना है कि कानून एवं व्यवस्था के मोर्चे पर सरकार असफल साबित हो रही है। सेंट्रल बार एसोसिएशन के महासचिव बृजेश कुमार यादव कहते हैं सरकार अदालत परिसरों की सुरक्षा करने में पूर्णतः असफल नज़र आ रही है। प्रदेश कानून एवं व्यवस्था चरमराई हुई है, अदालत परिसर में हत्याएँ हो रही हैं।
यादव कहते हैं पुलिस तंत्र फेल है, कमिश्नर सिस्टम आने से भी कोई सुधार नहीं आया है। वह कहते हैं अगर प्रदेश पुलिस अदालत परिसरों की सुरक्षा नहीं कर पा रही है, तो उसको परिसरों की सुरक्षा का ज़िम्मा केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) सौंप देना चाहिए है।
उन्होंने बताया अधिवक्ताओं के आगे एक बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। जिसमें सुरक्षा न मिलने पर विधानसभा का घेराव भी किया जा सकता है।
उधर प्रदेश में प्रशासन और अधिवक्ताओं के बीच तनाव के चलते लखनऊ बार एसोसिएशन, की कार्यकारिणी की बैठक सुरेश पांडेय एडवोकेट की अध्यक्षता एवं कुलदीप नारायण मिश्र एडवोकेट के संचालन में पहली सितंबर को हुई। जिसमें कहा गया कि 30 अगस्त को गाज़ियाबाद में अराजक तत्वों द्वारा अदालत परिसर स्थित अधिवक्ता के चैंबर में घुसकर अधिवक्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गयी है तथा दिनांक-30 अगस्त को फर्रुखाबाद कोर्ट में सुनवाई के दौरान अराजक तत्व द्वारा अधिवक्ता पर पिस्टल तान कर अधिवक्ता को जान से मारने का प्रयास किया गया। जिससे अधिवक्ताओं में रोष एवं भय व्याप्त है प्रदेश के अधिवक्ताओं की जान माल की सुरक्षा हेतु प्रदेश सरकार से उत्तर प्रदेश में अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम लागू करने की मांग की गई है।
लखनऊ बार एसोसिएशन के महामंत्री कुलदीप नारायण मिश्र कहते हैं अदालत परिसर के अंदर भी कोई भी सुरक्षित नहीं है। अदालत परिसर में किसी भी समय किसी के साथ कोई भी अप्रिय घटना हो सकती है। अदालत परिसर में विगत कई वर्षों से लगातार सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने के लिए पुलिस एवं शासन के उच्चाधिकारियों से बराबर मांग की जाती रही है पत्र भी लिखे गये हैं। इसके बावजूद भी पुलिस एवं प्रशासन द्वारा न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई है।
कुलदीप नारायण मिश्र के अनुसार करीब 30 फीसद लोग ऐसे हैं जो वकील के भेष में घूम रहे हैं। पुलिस-प्रशासन से ऐसे लोगों को चिन्हित करने के लिए कई बार कहा गया पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह मानते है कि अदालतों की सुरक्षा के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी के उपकरण लगाना चाहिए है। इसके अलावा ड्यूटी में लापरवाही करने वालों पर सख्त कार्रवाई होना चाहिए है। उन्होंने कहा कि जब कोई बड़ा अपराधी पेशी पर आये उस समय, उस तक किसी दूसरे व्यक्ति की पहुंच नहीं होना चाहिए है। पूर्व पुलिस महानिदेशक कहते हैं अब तक अदालत परिसर में घटनाएं हुई हैं उनमें सख्त ऐतिहासिक कारवाई होना चाहिए है ताकि भविष्य में कोई ऐसी घटना न हो सके।
(लेखक लखनऊ स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।