Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

यूपी: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सरकारी आंकड़ों की लीपापोती

उत्तर प्रदेश में महामारी से मौत की जो तस्वीर दिख रही है वो सरकार के दावों और आंकड़ों से अलग है। एक ओर संक्रमित लोगों को अस्पताल में इलाज़ नहीं मिल पा रहा, तो वहीं शवों के अंतिम संस्कार के लिये लोगों को घंटों इंतज़ार करना पड़ रहा है।
यूपी: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सरकारी आंकड़ों की लीपापोती
Image credit- New Indian Express

देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में कोरोना की स्थिति भयावह हो चली है। आलम ये है कि संक्रमित लोगों को अस्पताल में इलाज़, तो शवों को श्मशान में जगह नहीं मिल पा रही है। इन सब के बीच मुख्यमंत्री खुद कोरोना की चपेट में हैं और प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए आंकड़ों की लीपापोती में लगा है। प्रदेश में कोरोना के बिगड़ते हालात के बीच लापरवाही की तस्वीरें भी सामने आ रही हैं। जिसके बाद प्रदेश में कोरोना से मरने वालों की संख्या को लेकर फिर से विवाद शुरू हो गया है।

राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में हालात बद से बदतर हो गए हैं। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण जान गंवाने वालों के अंतिम संस्कार के लिए उनके परिजन को टोकन लेने के बावजूद श्मशान घाट पर आठ से दस घंटे इंतज़ार करना पड़ रहा है। अकेले राजधानी लखनऊ के बैकुंठ धाम विद्युत शवदाह गृह में रोज़ाना क़रीब 50 से 60 शवों के अंतिम संस्कार की खबर सामने आ रही है। गुरुवार, 15 अप्रैल को हालात ऐसे बन गए कि जब श्मशान घाट पर शवों को जलाने के लिए जगह नहीं मिली तो प्लास्टिक शेड के नीचे ही दाह संस्कार कर दिया गया। इससे प्लास्टिक शेड में आग लग गई और चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

कोरोना से मौतों को छिपाने के लिए प्रशासन की घेराबंदी!

इससे पहले बुधवार को लखनऊ के इसी भैसाकुंड श्मशान घाट से बड़ी संख्या में चिताओं के जलने की फोटो व वीडियो वायरल होने के बाद गुरुवार,15 अप्रैल को नगर निगम ने श्मशान घाट के बाहर खुली बाउंड्री को नीले टीन की चादर से ढक कर घेराबंदी करा दी। आरोप है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि वहां से गुजरने वाले लोग श्मशान के भीतर की रिकॉर्डिंग या तस्वीरें आदि न ले सकें। प्रशासन भले ही इसे लोगों को संक्रमण से बचाने का उपाय बता रहा हो लेकिन सोशल मीडिया पर प्रशासन के इस कदम की बेहद आलोचना हो रही है। नेताओं से लेकर आम लोगों तक ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने कोरोना से मौतों को छिपाने के लिए ऐसा किया है।

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इसका एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि अगर अस्पताल बनाने में इतनी मेहनत की होती तो श्मशान छिपाने की ज़रूरत नहीं पड़ती।

 वहीं, कांग्रेस की यूपी यूनिट की ओर से भी ट्वीट किया गया। यूपी कांग्रेस ने लिखा कि तुम लाख छुपाओ बेशर्मी मगर, दुनिया को पता चल जाता है। लखनऊ में बैकुंठ धाम सड़क को चारों ओर से कवर किया जा रहा है।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट कर योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा, 'उत्तर प्रदेश की सरकार से एक निवेदन है। अपना समय, संसाधन और ऊर्जा इस त्रासदी को छुपाने, दबाने में लगाना व्यर्थ है। महामारी को रोकने, लोगों की जान बचाने, संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए ठोस कदम उठाइए। यही वक्त की पुकार है।

मालूम हो कि विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी कोरोना पॉजिटिव हैं। उन्होंने मंगलवार, 13 अप्रैल को ट्वीट कर बीजेपी सरकार पर निशाना साधाते हुए स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को लेकर योगी सरकार से जवाब मांगा था।

एक ट्वीट के माध्यम से अखिलेश यादव ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में कोरोना से जो हाहाकार मचा है उसके लिए भाजपा सरकार को जवाब देना होगा कि उसने कोरोना पर नियंत्रण पाने का झूठा ढिंढोरा क्यों पीटा। उन्होंने आगे कहा कि टीका, टेस्ट, डॉक्टर, बेड, एंबुलेंस की कमी; टेस्ट रिपोर्ट में देरी व दवाई की कालाबाज़ारी पर भाजपा सरकार चुप क्यों है। स्टार प्रचारक कहाँ हैं?

आपको बता दें कि मीडिया में आई खबरों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में महामारी से मौत की जो तस्वीर दिख रही है वो सरकार के दावों और आंकड़ों से अलग है। प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से बुधवार, 14 अप्रैल को जारी आंकड़ों में कोविड से लखनऊ में 14 समेत पूरे प्रदेश में 68 मौतों का दावा किया गया। वहीं, अकेले लखनऊ के कोविड शवदाह गृहों में बुधवार रात 9 बजे तक 98 कोविड शवों का अंतिम संस्कार किया गया।

सरकारी आंकड़ों से कहीं अधिक हुई मौत

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों के मुताबिक नौ बजे के बाद भी कुछ शव बाहर शव वाहनों में पड़े हुए थे, जिनका दाह किया जाना बाकी था। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब पूरे प्रदेश में कोविड से महज 68 मौतें हुईं तो अकेले लखनऊ में ही कोविड से मरे 98 शवों का अंतिम संस्कार कैसे हो गया? नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि बैकुंठ धाम पर 61 और गुलाला घाट पर 37 बॉडी का अंतिम संस्कार किया गया।

image

कोरोना के कहर के बीच प्रदेश के रिटायर्ड जिला जज रमेश चंद्र का एक मार्मिक पत्र भी जमकर वायरल हो रहा है। इस पत्र ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के उन दावों की पोल खोलकर रख दी है जिसमें कोविड संक्रमित लोगों की मदद के तमाम दावे किए जा रहे हैं।

नहीं मिल पा रहा अस्पताल में इलाज़

पत्र के मुताबिक रमेश चंद्र की 64 वर्षीय पत्नी मधु चंद्र कोविड पॉजिटिव पाई गईं। उन्हें किसी अस्पताल में दाखिला नहीं मिला और घर पर ही क्वारंटाइन होना पड़ा। कल मधु चंद्र की मृत्यु हो गई। जिसके बाद रमेश चंद्र ने यह पत्र लिखा है।

उन्होंने अपने पत्र में लिखा, “मैं कल सुबह 7 बजे से लगातार सरकार द्वारा दिए गए नंबरों पर फोन करता रहा, लेकिन न तो कोई दवा देने आया और न ही अस्पताल ले जाने की प्रक्रिया की गई। वर्तमान समय में स्थिति यह है कि कोई शव उठाने वाला तक नहीं है, कृपया मदद की जाए।”

image

गौरतलब है कि यूपी में कोरोना की दूसरी लहर बेकाबू होती जा रही है। प्रदेश में संक्रमण के मामले बीते 24 घंटे में 22 हजार के पार निकल गये हैं। एक्टिव केस के मामले में यूपी महाराष्ट्र के बाद अब दूसरे नंबर पर है। राज्य में कोरोना से अब तक 9480 की मौत हो चुकी है। प्रदेश में अब कुल एक्टिव केस 1, 29, 848 हैं। बीते 24 घंटे में 104 लोगों की मौत हो गई है। लखनऊ में हालात बेहद खराब हैं, यहां एक्टिव केस 35,865 हो गए हैं। अकेले लखनऊ में अब तक संक्रमण से 1410 लोगों की मौत हो गई है।

हाईकोर्ट का आदेश और प्रशासन की जवाबदेही

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच मंगलवार, 13 अप्रैल को ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को सलाह दी थी कि बढ़ते कोरोना मामलों के मद्देनजर सरकार को दो से तीन सप्ताह का लॉकडाउन लगाने पर विचार करना चाहिए। साथ ही कोर्ट ने कहा था कि कोई भी व्यक्ति बिना मास्क के नहीं दिखना चाहिए और अगर ऐसा होता है तो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही होगी।

हालांकि पंचायत चुनावों में नामांकन से लेकर वोट डालने तक कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां सरेआम प्रशासन के सामने उड़ रही है। सड़कों पर नाइट कर्फ्यू का पालन नहीं हो रहा, प्रत्याशी अपने समर्थकों की भीड़ के साथ घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं, बाजारों से लेकर गंगा घाटों पर स्नान के लिए जमकर भीड़ उमड़ रही है, लेकिन प्रशासन सब कुछ देखकर अनदेखा कर अपनी जवाबदेही से बचता नज़र आ रहा है।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest