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यूपी: आख़िर क्यों युवा और विपक्ष सरकारी नौकरी में पहले पांच साल कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम का विरोध कर रहे हैं?

‘रामराज’ का वादा करने वाली बीजेपी की योगी सरकार जल्द ही सरकारी नौकरियों में पहले 5 साल संविदा यानी कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति का प्रस्ताव ला सकती है। इसके तहत संविदाकर्मियों को किसी भी तरह का कोई सर्विस बेनिफिट नहीं मिलेगा। साथ ही पांच साल तक उनपर छंटनी की तलवार भी लटकती रहेगी।
Yogi Adityanath

युवाओं को ‘अच्छे दिन’ और ‘नए रोज़गार के अवसर’ का सपना दिखाने वाली सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार अब जल्द ही सरकारी नौकरी भर्ती प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रही है। इस बदलाव के तहत यूपी में अब सरकारी नौकरी की शुरुआत पांच वर्ष की संविदा यानी कॉन्ट्रैक्ट से हो सकती है। इसके अलावा इन पांच सालों में कर्मचारियों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा तो उनकी छंटनी भी हो सकती है। एक ओर सरकार इसे कर्मचारियों की गुणवत्ता बढ़ाने का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष और प्रतियोगी युवा इसका विरोध कर रहे हैं। ट्विटर पर 5साल_संविदा_अंधेरगर्दी जैसे हैशटैग चल रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ग्रुप B और ग्रुप C की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने जा रही है। इसके लिए सरकार की ओर से कार्मिक विभाग नए प्रस्ताव को कैबिनेट के समक्ष विचार के लिए लाने की तैयारी कर रहा है। इस प्रस्ताव पर विभागों से राय मशविरा शुरू कर दिया गया है।

सरकार जिस नए प्रस्ताव पर विचार कर रही है, उसमें सरकारी नौकरी के पहले पांच साल कर्मचारियों को संविदा यानी कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त करने का प्रावधान है। यानी अगर आपकी सरकारी नौकरी लग भी गई है तो वो पक्की हुई है या नहीं इसका पता पांच साल बाद लगेगा।

नए प्रावधान के मुताबिक कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त लोगों का ‘मिजरेबल की परफार्मेंस इंडीकेटर’ (एमकेपीआई) के आधार पर असेसमेंट भी किया जाएगा। इस दौरान असेसमेंट में परीक्षा भी कराई जा सकती है, जिसमें न्यूनतम 60 फीसदी अंक पाना जरूरी होगा। 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले लोग सेवाओं से बाहर कर दिए जाएंगे और पांच साल पूरे होने पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले लोगों को ही मौलिक नियुक्ति मिल सकेगी। यानी शुरुआत के पांच सालों में आपके ऊपर छंटनी की तलवार लटकती रहेगी।

इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों पर यूपी सरकारी सेवक अनुशासन एवं अपील नियमावली-1999 लागू नहीं होगी। उन्हें किसी भी तरह का कोई सर्विस बेनिफिट भी नहीं मिलेगा।

फिलहाल क्या व्यवस्था है?

अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार अलग-अलग भर्ती प्रक्रिया से रिक्त पदों पर लोगों के चयन के बाद संबंधित संवर्ग की सेवा नियमावली के अनुसार एक या दो वर्ष के प्रोबेशन पर नियुक्ति देती है। इस दौरान कर्मचारियों को वेतन और अन्य सभी लाभ भी दिए जाते हैं। चयनित कर्मचारी वरिष्ठ अफसरों की निगरानी में कार्य करते हैं और प्रोबेशन पूरा होने पर नियमित हो जाते हैं।

आपको बता दें कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा कर्मचारी इन्हीं श्रेणियों में कार्यरत हैं। 1 अप्रैल, 2019 के अनुसार ग्रुप B में 58,859   और ग्रुप C में 8,17,613 कर्मचारी हैं।

पीसीएस, पीपीएस व पीसीएस-जे बाहर

प्रस्तावित नियमावली सरकार के समस्त सरकारी विभागों के ग्रुप B और ग्रुप C के पदों पर लागू होगी। यह सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली, 1974 पर भी लागू होगी। इसके दायरे से केवल प्रादेशिक प्रशासनिक सेवा (कार्यकारी एवं न्यायिक शाखा) तथा प्रादेशिक पुलिस सेवा के पद ही बाहर होंगे।

पूर्व से चल रही चयन प्रक्रिया भी दायरे में

प्रस्तावित नियमावली के प्रारंभ होने के पूर्व पदों पर चयन के लिए विज्ञापन अगर जारी कर दिया गया हो अथवा चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई हो, तो विज्ञापन व परीक्षा परिणाम के आधार पर चयनित संबंधित व्यक्ति से घोषणा पत्र लिया जाएगा। उसे घोषणा करनी होगी कि वह इस नियमावली के अधीन शर्तों को स्वीकार करेंगे। इसके बाद ही उनकी नियुक्ति की जाएगी।

सरकार का क्या कहना है?

अमर उजाला की खबर के अनुसार इस बदलाव के पीछे सरकार का तर्क है कि नई व्यवस्था के होने से शासन पर वेतन का बोझ कम होगा और कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ेगी। उनमें नैतिकता, देशभक्ति एवं कर्तव्यपरायणता के मूल्यों का विकास होगा। इसके अलावा गवर्नेंस और मजबूत होगा, जिसका लाभ आम लोगों को होगा। हालांकि इस प्रस्ताव पर प्रतियोगी छात्र और विपक्षी पार्टियां योगी सरकार की आलोचना कर रहे हैं।

युवाओं ने सोशल मीडिया पर दर्ज करवाया विरोध

राज्य के युवाओं ने सोशल मीडिया पर कभी अपने नाम के आगे चयनित बेरोज़गार लिखकर तो कभी 5साल संविदा, नो मोर बीजेपी और 5साल_संविदा_अंधेरगर्दी जैसे हैशटैग के माध्यम से इस प्रस्ताव के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज करवाई। युवाओं का कहना है कि योगी सरकार का ये कदम उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है। ऐसे तो फिर उन्हें भी हर छ: महीने पर सरकार को जज करने का मौका मिलना चाहिए।

अविनाश कुमार मिश्रा नाम के यूज़र ने ट्वीट किया, “बेरोजगार युवाओं के सपनों से खेलना बंद करो यूपी सरकार। छात्र बहुत मेहनत से प्रतियोगीता पास करते हैं. ऐसे में 5 साल तक अपनी योग्यता साबित करते रहना जायज नहीं है।”

बेरोज़गार राहुल नाम के एक यूजर लिखते हैं, “पहले से ही युवा बेरोज़गारी की ऊंची दर से पीड़ित हैं। अब उत्तर प्रदेश सरकार अपनी नई स्कीम लेकर आई है जिससे युवाओं को नौकरी देकर वापस ली जा सके। युवाओं के साथ इस भेदभाव को रोकना होगा।

अंकित तिवारी (चयनित बेरोज़गार) नाम के ट्वीटर हैंडल से ट्वीट हुआ है। जिसमें लिखा है, “क्या सरकारी नौकरी खत्म करके ही मानेगी योगी सरकार। इतना पैसा बर्बाद करके युवा एक सरकारी नौकरी पाता है मगर अब वो भी पांच साल के संविदा के बाद मिलेगी। आवाज़ उठाओ, वरना बर्बादी के लिए तैयार रहो।”

एक चयनित बेरोज़गार ने लिखा है, “हमें भी योगी सरकार का परफॉर्मेंस जज करने का मौका दो, हम भी बताएंगे कि कितने नशे में है ये सरकार।”

विपक्ष का विरोध

योगी सरकार के इस प्रस्तावित कदम ने सूबे की सियासत में हलचल मचा दी है। बेरोजगारी के विषय को लगातार उठा रहे विपक्ष ने इस मुद्दे को हाथों-हाथ लिया है। तमाम विपक्षी पार्टियों ने एक सुर में सरकार की इस कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करते हुए इसे तानाशाही वाला कदम बताया है।

“युवाओं का आत्मसम्मान नहीं छीनने देंगे”

कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए लिखा, “युवा नौकरी की मांग करते हैं और यूपी सरकार भर्तियों को 5 साल के लिए संविदा पर रखने का प्रस्ताव ला देती है। ये जले पर नमक छिड़ककर युवाओं को चुनौती दी जा रही है। गुजरात में यही फिक्स पे सिस्टम है। वर्षों सैलरी नहीं बढ़ती, परमानेंट नहीं करते। युवाओं का आत्मसम्मान नहीं छीनने देंगे।”

सरकारी नौकरियों में ठेका प्रथा: अखिलेश

इस प्रस्ताव की आलोचना करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा केवल अपने राजनीतिक विस्तार और सत्ता पर एकाधिकार को ही विकास मानती है। यही कारण है कि प्रदेश में विकास कार्य अवरुद्ध हैं और युवाओं के प्रति तो उसका रवैया शुरू से ही संवेदनाशून्य रहा है। बयान जारी कर उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की गलत नीतियों के चलते प्रदेश पिछड़ता ही जा रहा है। परेशान हाल नौजवान आत्महत्या कर रहे हैं। समूह ख व ग की भर्ती प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है, जिससे सरकारी नौकरियों में भी ठेका प्रथा लागू हो जाएगी।

आम आदमी पार्टी ने की आलोचना

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा, “देश के युवाओं जाग जाओ तुम्हारी बर्बादी की कहानी बीजेपी ने लिख दी है तुमको धर्म का नशा देकर रोज़गार व सरकारी नौकरी सब छीन ली और तुमको बिना तनख़्वाह के ताली-थाली बजाने में लगा दिया।”

फिर ग़ुलामी-शोषण की ओर धकेलने का तरीका : राजभर

कभी बीजेपी में कैबिनेट मंत्री रहे ओम प्रकाश राजभर ने ट्वीट किया, “उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरी की नई व्यवस्था लागू करने की यह सोच "तानाशाही भरा कदम" है। इन वर्गों के कर्मचारियों का शोषण होगा, उनके साथ अत्याचार होगा। पहले से ऐसे कई नियम-क़ानून हैं, जिसमें भ्रष्टाचार शोषण अत्याचार देखने को मिला है। योगी सरकार देशभक्ति की आड़ में युवाओं को गुमराह करने में लगी है।”

राजभर ने कहा, “पिछड़े, दलित, वंचित वर्गों के युवाओं को पुनः ग़ुलामी, शोषण की ओर धकेलने का नया तरीका है। पहले से विभिन्न विभागों में स्थापित अफ़सरों की मनमानी बढ़ेगी। युवाओं पर अत्याचार बढ़ेगा। योगी सरकार पूर्व में अटकी हुई भर्तियों को अब तक पूरा नहीं कर पाई। नई नीति बनाकर मनमाने ढंग से नौकरी में ठेकेदारी प्रथा प्रारम्भ कर युवाओं के भविष्य को बर्बाद करने की योजना बना ली है। नई नीति युवाओं को 5 साल सेवा मूल्यांकन के आड़ में शोषण, अत्याचार करने की रणनीति है। सुभासपा सरकारी नौकरी को 5 वर्ष तक संविदा पर किए जाने का पुरजोर विरोध करती है।”

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