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अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात

रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।

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कई वजहों से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की रविवार को इजरायली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ हुई फोन वार्ता अपने-आप में बेहद महत्वपूर्ण है। चार हफ़्तों के दौरान बेनेट के साथ बाइडेन की यह दूसरी बार फोन पर बातचीत है। 30 मार्च को, बाइडेन ने तीन इजरायली शहरों पर हुए आतंकवादी हमलों में 11 लोगों के मारे जाने पर अपनी “गहरी संवेदना” व्यक्त करने के लिए फोन कॉल किया था। 

इस बार, उनकी ओर से किया गया फोन कॉल कीव में रविवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति के साथ अमेरिकी विदेश मंत्री और रक्षा सचिवों की संयुक्त बैठक के साथ ही हुआ, जो इस बात को दर्शाता है कि वाशिंगटन रूस के साथ अपने संघर्ष को तेज कर रहा है और शुरूआती हिचक के बाद संघर्ष में गहराई तक उतरने की तैयारी का संकेत देते हुए अपनी ओर से तत्परता का संकेत देता है। 

अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी यूक्रेन को भारी साजो-सामान और अधिक उन्नत हथियार प्रणाली की आपूर्ति करने के लिए तैयार नजर आते हैं। कीव की यात्रा के बाद, रक्षा सचिव ऑस्टिन ने पोलैंड में पत्रकारों को बताया कि रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन जीत सकता है, यदि उसके पास सही उपकरण मौजूद हों। उन्होंने कहा, “हमारा विश्वास है कि हम जीत सकते हैं, यदि उनके पास सही उपकरण और सही समर्थन हासिल हो तो वे जीत सकते हैं।”

इससे पहले कीव में अधिकारियों ने उन हथियारों की एक सूची तैयार की जिनकी उन्हें अमेरिका से तत्काल आपूर्ति की आवश्कता है, जिसमें एंटी-मिसाइल और एंटी-एयरक्राफ्ट प्रणालियाँ शामिल हैं। यूक्रेन के बारे में पता है कि उसने पूर्व में रूस के खिलाफ उपयोग करने के लिए इजराइल से मशहूर “आयरन डोम” एंटी-मिसाइल सिस्टम और कुख्यात पेगासस स्पाईवेयर सहित आधुनिकतम हथियारों की आपूर्ति की मांग की थी। लेकिन सीरिया में ईरानी ठिकानों के खिलाफ अपने अभियान के दौरान मास्को के साथ अपने मौन गैर-टकराव के उपायों को खतरे में डालने के भय से इजराइल यूक्रेन के मामले में अपनी गर्दन नहीं फंसाना चाहता था।  

हालाँकि, पिछले पखवाड़े से चीजें नाटकीय ढंग से बदली हैं, क्योंकि इजराइल ने रूस के विशेष अभियान के प्रति अपनी तटस्थता से किनारा कर लिया है और मास्को पर युद्ध अपराधों में लिप्त होने का अओर्प लगाया है। बाइडेन की बेनेट के साथ बातचीत एक ऐसे समय में हो रही है जब रूस-इजराइल के रिश्ते तेजी से बिगड़ने लगे हैं। दिलचस्प बात यह है कि व्हाइट हाउस के कथन में बाइडेन के द्वारा इजराइल के आयरन डोम सिस्टम के एक स्पष्ट संदर्भ को विशेष रूप से संदर्भित किया गया है। 

व्हाइट हाउस के कथन (यहाँ) और बेनेट के कार्यालय से आया बयान (यहाँ) दोनों ने ईरान के इर्दगिर्द की स्थिति का जिक्र किया है। यह बात पूरी तरह से जग-जाहिर है कि यूक्रेन संघर्ष में रूस के समकक्ष इजराइल के रुख में आया यह अचानक से अस्पष्ट बदलाव किन वजहों से हुआ होगा, जिसमें बाइडेन प्रशासन के द्वारा ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों को हटाने जैसे कुछ उपायों ने तात्कालिक रूप से समझौते के रुख के लिए प्रेरित किया है।  

बाइडेन प्रशासन के द्वारा इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (आईआरजीसी) को वाशिंगटन की आतंकी समूहों की निगरानी सूची से हटाने की ईरानी मांग को मंजूर करने से रोकने के लिए इजराइल हर संभव प्रयास कर रहा है। इजरायली बयान में न सिर्फ इस बात का उल्लेख किया गया है कि आईआरजीसी मुद्दे पर चर्चा की गई थी, बल्कि बेनेट के हवाले से कहा गया था, “मुझे  दृढ विश्वास है कि राष्ट्रपति बाइडेन, जो इजराइल के सच्चे दोस्त हैं और इसकी सुरक्षा की परवाह करते हैं, वे आईआरजीसी को आतंकी संगठनों की सूची से हटाए जाने की अनुमति नहीं देंगे। इजराइल ने इस मुद्दे पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कर दिया है: आईआरजीसी विश्व का सबसे बड़ा आतंकी संगठन है।” बाइडेन ने “आने वाले महीनों में” इजराइल की यात्रा करने के लिए बेनेट के आमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। 

समूचे पश्चिमी एशिया के परिदृश्य में, इजराइल के सिवाय ऐसा एक भी देश नहीं है जिसे अमेरिका आज के दिन रूस के खिलाफ अपने सहयोगी के रूप में गिन सकता है। स्पष्ट है, कि यदि बाइडेन प्रशासन ने इस बिंदु पर जेसीपीओए से संबंधित वार्ता से मुहं मोड़ लिया तो पश्चिम एशिया में सुरक्षा का वातावरण अभूतपूर्व रूप से बदल सकता है। व्हाइट हाउस के कथन ने इस बात को प्रमुखता से उठाया है कि बाइडेन और बेनेट के द्वारा “ईरान और इसके पिछलग्गुओं द्वारा पैदा किये जाने वाले खतरे सहित साझा क्षेत्रीय एवं वैश्विक सुरक्षा से संबंधित चुनौतियों” पर चर्चा की गई।

बेल्टवे में एक ताकतवर लॉबी, जो किसी और के द्वारा शुरू नहीं की गई, बल्कि सीनेट की विदेश संबंधों की समिति के अध्यक्ष, डेमोक्रेटिक सीनेटर बॉब मेनेंडेज़, ईरान के साथ किसी भी प्रकार के समझौते का विरोध करती है। इन पैरवी करने वालों का तर्क है कि ईरान के द्वारा लगातार अपने परमाणु कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है और यह स्पष्ट कर रहा है कि इसकी बैलिस्टिक मिसाइल और क्षेत्रीय नीतियां समझौते से परे हैं, ऐसे में अमेरिका के लिए जेसीपीओए को नुकसान से उबार लेने के लिए बहुत कम बचा है।

अमेरिकी सीनेट सशस्त्र सेवा समिति में बोलते हुए अमेरिकी जॉइंट चीफ ऑफ़ स्टाफ, जनरल मार्क मिले ने हाल ही में कहा: “मेरे व्यक्तिगत राय में, मेरा मत है कि आईआरजीसी क़ुद्स बल को एक आतंकी संगठन मानना चाहिए, और मैं उन्हें विदेशी आतंकवादी संगठनों की सूची से हटाने के पक्ष का समर्थन नहीं करता हूँ।” एक बार फिर से, बाइडेन को एक खुले पत्र में, 70 राष्ट्रीय सुरक्षा पेशेवरों ने आईआरजीसी को एक विदेशी आतंकवादी संगठन की सूची से हटाए जाने का विरोध किया है। एक अन्य खुले पत्र में, 46 सेवानिवृत्त अमेरिकी जनरलों और नौसेनाध्यक्षों ने जारी परमाणु समझौते का विरोध किया है।

एक दूसरे पहलू से देखने पर, अब जबकि यूरोप के द्वारा रूस के खिलाफ तेल/गैस व्यापार निषेध पर विचार नहीं किया जा रहा है, वाशिंगटन पर अब ईरान के उर्जा निर्यात पर प्रतिबंधों को हटाने के लिए दबाव नहीं रह गया है। इसके साथ ही किसी भी सूरत में, अमेरिका इस संभावना के प्रति सजग रहेगा कि पश्चिमी प्रतिबंधों को परास्त करने के लिए ईरान की ओर से रूस को एक नई जीवनरेखा मुहैया कराई जा सकती है। 

इस बीच, बाइडेन प्रशासन की रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों को थोपने की प्राथमिकता में भी बदलाव आ रहा है। पूर्व अमेरिकी सेना के यूरोप कमांडर बेन होजेस के हालिया साक्षात्कार से लिए गए उधार शब्दों में कहें तो - इसके बजाय “अंततः जॉर्जिया, मोल्दोवा, हमारे बाल्टिक सहयोगियों को धमकाने के लिए रूस के बाहर ताकत दिखाने की क्षमता की कमर तोड़ने पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा।”

ऑस्टिन ने एक संक्षिप्त नोटिस पर जर्मनी में अमेरिकी ठिकाने पर कल एक बैठक बुलाई है, जिसमें अपने सहयोगी देशों के समकक्षों के साथ दीर्घकालीन आधार पर यूक्रेन को सैन्य आपूर्ति में भारी वृद्धि की गुंजाइश पर चर्चा की जायेगी। बाइडेन के द्वारा उस बैठक से ठीक पहले बेनेट को फोन कॉल इस बात का संकेत है कि अमेरिका ने संभवतः इजराइल को यूक्रेन युद्ध में सक्रिय रूप से भागीदार बनने के लिए राजी कर लिया है, जो रूस को “श्वेत” रक्त “स्राव” के लिए मजबूर कर सकता है।  

इजराइल को जो बात प्रेरित की होगी वह यह है कि बाइडेन प्रशासन अमेरिकी-ईरान परमाणु समझौते पर इसरायली चिंताओं को समायोजित करने के लिए इच्छुक है। यह बेनेट के इस “विश्वास” की व्यख्या करता है कि बाइडेन आईआरसीसी को आतंकी निगरानी सूची से हटाए जाने की ईरान की मांग को स्वीकार नहीं करने जा रहे हैं। 

लब्बोलुआब यह है कि तेहरान के पास अब इस बात के सिवाय कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है, कि वह या तो अब नए प्रस्ताव को स्वीकार कर ले या फिर अपनी मांगों पर अड़ा रहे और उसके नतीजों को भुगतने के लिए तैयार रहे। अमेरिका के अनुमान के मुताबिक तेहरान, प्रतिबंधों को हटाने के लिए अमेरिकी पहल के इतने करीब आ चुका है, जो कि निश्चित रूप से ईरान की जकडबंदी में घिरी अर्थव्यस्था के लिए एक बड़ा गेम चेंजर होगा, और वह खाली हाथ वापस लौटने से पहले इस बारे में दो बार अवश्य सोचेगा। 

बेनेट के साथ बाइडेन की फोन-वार्ता में तेहरान के लिए संदेश है कि यदि विएना में वार्ता विफल हो जाती है तो अमेरिका अन्य विकल्पों की ओर रुख करने के लिए तैयार है। 

अंग्रेजी में मूल रूप से लिखे लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करे

https://www.newsclick.in/US-Recruits-Israel-Against-Russia

 

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