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युगांडाः चुनाव परिणामों का विरोध करने पर विपक्ष हमले और उत्पीड़न का शिकार

युगांडा के राष्ट्रपति और संसद के लिए चुनाव 14 जनवरी को हुए थे। इस चुनाव में लंबे समय तक राष्ट्रपति रहे योवेरी मुसेवेनी और उनके नेशनल रेसिस्टेंस मूवमेंट को विजयी घोषित किया गया।
युगांडा

युगांडा में 14 जनवरी को राष्ट्रपति और संसदीय चुनावों में परिणामों की घोषणा के बाद बॉबी वाइन के नेतृत्व वाले विपक्ष ने आरोप लगाया है कि वे नए सिरे से सरकारी उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। वाइन ने सोमवार 18 जनवरी को आरोप लगाया कि उन्होंने जब से अदालत में राष्ट्रपति के चुनाव के परिणाम को चुनौती देने का फैसला किया है तब से उन्हें घर में नजरबंद कर दिया गया है और उनकी पार्टी नेशनल यूनिटी प्लेटफॉर्म (एनयूपी) को सुरक्षा बलों द्वारा घेर लिया गया है और छापा मारा गया है।

देश के निर्वाचन आयोग द्वारा शनिवार 16 जनवरी को लंबे समय से राष्ट्रपति रहे योवेरी मुसेवेनी को विजयी घोषित किया गया। चुनाव आयोग के अनुसार मुसेवेनी को 58.6% वोट मिले। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी बॉबी वाइन लगभग 35% मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे।

बॉबी वाइन और एनयूपी ने इन परिणामों को खारिज कर दिया है। एनयूपी ने यह भी घोषणा की है कि वह देश की अदालतों में इन चुनावों को चुनौती देने के लिए एक कानूनी याचिका तैयार कर रहा है।

पुलिस ने एक अन्य उम्मीदवार किज्जा बेसीगई के घर को भी घेर लिया है। युगांडा की पुलिस ने बताया कि उसने चुनाव संबंधी अपराधों को लेकर 220 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है और हिंसा के किसी तरह के उकसावे को रोकने के लिए वाइन के घर के बाहर सुरक्षा बलों को तैनात किया है।

बॉबी वाइन के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के अनुसार सुरक्षा बल कंपाला में एनयूपी मुख्यालय में किसी को भी अंदर या बाहर नहीं जाने दे रहे हैं और सुरक्षा अधिकारियों द्वारा तलाश किए जाने पर पार्टी के अधिकारी फरार पाए जा रहे हैं।

युगांडा में राष्ट्रपति चुनाव तक बॉबी वाइन और उनके समर्थकों के खिलाफ सरकार की ओर से दमनात्मक कार्रवाई की गई। उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया था और उनकी रैलियों पर COVID -19 नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए सुरक्षा बलों ने हमला किया था। नवंबर में वाइन की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए किए गए विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकारी कार्रवाई में 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई।

युगांडा में विपक्ष के प्रति सरकार की दमनात्मक कार्रवाई को लेकर संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकार एजेंसियों ने चिंता व्यक्त की थी।

सरकार ने मतदान से कुछ दिन पहले सोशल मीडिया साइटों को सस्पेंड कर दिया था और राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए देश में इंटरनेट पर रोक लगा दिया था। सोमवार को इंटरनेट आंशिक रूप से बहाल किया गया।

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