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यूपी: आख़िर कब UPSSSC अभ्यर्थियों की ज़िंदगी होगी रौशन, 2 बरस से लटकी भर्तियां पूरी होंगी?

UPSSSC द्वारा 2018 में ग्राम पंचायत अधिकारी के पद पर नियुक्ति के लिए निकली वैकेंसी की लिखित परीक्षा का रिजल्ट आए लगभग सालभर से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन अब तक भर्ती प्रक्रिया पूरी होना तो दूर की बात है इनका डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन तक नहीं हो पाया है।
Image Courtesy:  Social Media

उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन एक ओर जहां दीपावली के अवसर पर दीपोत्सव कार्यक्रम की तैयारी में लगे हैं तो वहीं दूसरी ओर UPSSSC यानी उत्तर प्रदेश सब-ऑर्डिनेट सर्विसेज सिलेक्शन कमीशन के अभ्यर्थी योगी सरकार और प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल ब्लैक दिवाली की बात कर रहे हैं, ट्विटर पर हैशटैग ट्रेंड करवा रहे हैं। यही नहीं सरकार की नीतियों के खिलाफ धरना देकर इस साल लखनऊ में काली दिवाली मनाने का संकल्प भी ले रहे हैं।

बता दें कि विरोध कर रहे अभ्यार्थी आयोग द्वारा आयोजित साल 2018 में लिखित परीक्षा पास करने के बाद 8-10 बार UPSSSC आयोग के सामने प्रदर्शन कर चुके हैं, ट्विटर पर कैंपेन चला चुके हैं, सीएम योगी आदित्यनाथ सहित तमाम सांसद और विधायकों से मदद की गुहार लगा चुके हैं लेकिन अब तक इन उम्मीदवारों की सुनवाई कहीं हुई। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सरकार बरसों से लटकी ये भर्तियां क्यों नहीं पूरी कर रही?

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक सोमवार, 9 नवंबर को UPSSSC अभ्यार्थियों ने लखनऊ में सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के सामने 2018 की अटकी भर्तियों को पूरा करने की मांग को लेकर धरना दिया। अपने शांतिपूर्ण धरने के दौरान अभ्यर्थियों ने पुलिस पर बर्बरता का आरोप भी लगाया। अभ्यार्थियों ने पुलिस पर बल प्रयोग के साथ ही भद्दी गालियां और लाठियों से पीटने की बात तक कही।

अभ्यर्थियों का कहना है कि जब वे शांतिपूर्वक मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश कर रहे थे, तब पुलिस ने उनके साथ बर्बरता की। उन्हें वहां से हटाकर इको-गार्डन में रख दिया। लेकिन बावजूद इसके वे लोग अपनी बातों पर अडिग हैं और उन्हें जब तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल जाता उनका विरोध लगातार जारी रहेगा।

एक सफल अभ्यार्थी ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में बताया, “UPSSSC द्वारा ग्राम पंचायत अधिकारी (VDO) की भर्ती के लिए विज्ञापन मई 2018 को जारी किया गया था। इसके बाद 22 और 23 दिसंबर 2018 को भर्ती परीक्षा का आयोजन हुआ। 28 अगस्त 2019 को करीब 8 महीने बाद परीक्षा का रिजल्ट जारी हुआ। इसके बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन (डीवी) के लिए उम्मीदवारों को तारीख पर तारीख मिलती रही। आखिर में इस साल जब 12 मार्च से डीवी शुरू हुआ तो 18 मार्च को रोक दिया गया। इसके बाद अब तक मामला ठप पड़ा है। रिजल्ट आए लगभग सालभर से ज्यादा का समय हो गया है, अब तक डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन ही नहीं हो पाया है, भर्ती पूरी होने की बात तो बहुत दूर की है।”

image Credit- social media

आख़िर क्यों नहीं हो पा रही नियुक्ति?

उम्मीदवारों के मुताबिक VDO की भर्ती का 28 अगस्त 2019 को रिजल्ट आने के बाद 5 बार डीवी का शेड्यूल बदला, 4 बार कैलेंडर में इसका जिक्र हुआ और 1 बार फाइनल नोटिस आया लेकिन अभी तक प्रकिया पूरी नहीं हुई।

इस संबंध में सबसे पहले आयोग से 3 सितंबर 2019 को एक कैलेंडर जारी किया गया जिसमें कहा गया कि अक्टूबर 2019 के चौथे सप्ताह में उम्मीदवारों का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन कराया जा सकता है।

इसके बाद 5 अक्टूबर 2019 को एक कैलेंडर जारी किया गया इसमें कहा गया कि नवंबर 2019 में डीवी कराया जा सकता है। इसके बाद तीसरा कैलेंडर 3 दिसंबर 2019 को आया जिसमें कहा गया कि जनवरी 2020 के पहले सप्ताह में डीवी कराया जा सकता है। आखिरी और चौथा कैलेंडर जिसमें वीडीओ के डीवी का जिक्र था इस साल 31 जनवरी को जारी किया गया और इसमें फरवरी में डीवी कराए जाने की बात कही गई। 6 फरवरी, 2020 को अभ्यर्थी आयोग में भूख हड़ताल तक पर बैठ गए। जिसके बाद आयोग द्वारा 29 फरवरी 2020 को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें कहा गया कि 1553 उम्मीदवारों का डीवी 12 मार्च से 2 जून तक कराया जाएगा। बाकी बचे 399 उम्मीदवारों का डीवी जांच के बाद होगा। बता दें कि 399 उम्मीदवारों पर जांच की तलवार लटकी हुई है, आयोग ने अब तक इन 399 उम्मीदवारों के डीवी के संबंध में कोई नोटिस नहीं जारी किया है।

बता दें कि इस दौरान अभ्यर्थी लगातार आयोग के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे थे और आयोग द्वारा हर बार जल्द ही डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन शुरू करने का आश्वासन देकर वापस भेज दिया जाता था।

इस मामले में भ्रष्टाचार का एंगल भी है!

उत्तर प्रदेश के ग्रामीण विकास मंत्री राजेंद्र सिंह मोती ने लिखित परीक्षा परिणाम आने के अगले ही दिन 29 अगस्त, 2019 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस संबंध में एक पत्र लिखा। पत्र में गड़बड़ी की बात कहते हुए मंत्री जी ने भर्ती की प्रक्रिया को स्थगित कर जांच की मांग की।

इस पत्र में राजेंद्र सिंह ने दो अभ्यर्थियों के रोल नंबर शेयर कर कहा कि कार्बन-कॉपी के हिसाब से इन दोनों ने लगभग पांच प्रश्न हल किए हैं, जबकि मूल कॉपी में सम्पूर्ण गोले हैं। दोनों अभ्यर्थी उत्तीर्ण हैं। कार्बन कॉपी और ओएमआर शीट में अंतर का मतलब है कि भर्ती में गड़बड़ी हुई है।

राजेंद्र सिंह ने लिखा, “मुझे लगता है कि इस धांधली में अधीनस्थ चयन सेवा आयोग की पूरी तरह से संलिप्तता है। प्रदेश के मेधावी बच्चों के साथ ये बहुत बड़ा अन्याय है और प्रदेश सरकार की ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ एक मजाक है।”

इसके बाद भर्ती में जांच शुरू हुई। आयोग सितबंर से फरवरी तक डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के नाम पर सब कुछ टालता रहा। फिर भारी विरोध और दबाव के बीच जैसे-तैसे 12 मार्च से डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन शुरू हुआ और 18 मार्च को एक बार फिर महामारी और लॉकडाउन की वजह से अनिश्चित काल तक के लिए रोक दिया गया।

जांच के बाद फिर जांच और नतीजा कुछ नहीं!

इसी बीच लॉकडाउन के दौरान ही 20 जून, 2020 को आयोग ने एक और नोटिस जारी कर बताया कि ग्राम पंचायत अधिकारी भर्ती के संबंध में एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी कि SIT बनाई गई है। भर्ती की प्रक्रिया SIT की रिपोर्ट आने के बाद ही आगे बढ़ाई जाएगी।

हालांकि कई सफल अभ्यर्थियों का कहना है कि जिस तरह सरकार और प्रशासन इस मामले में टालमटोल कर रहे हैं उससे तो यही लगता है कि सरकार भर्ती को पूरा नहीं करना चाहती, बल्कि लटकाना चाहती है। क्योंकि जब डीवी शुरू हुआ तो एक दिन में केवल 30 लोगों को बुलाया गया, जबकि इससे पहले 200 से 300 लोगों को बुलाया जाता था। उसी तरह जब रिजल्ट आया था, तभी ये बताया गया कि कॉर्बन कॉपी और ओरिजनल OMR में मिलान के बाद ही रिजल्ट आ रहा है। फिर मंत्री जी की शिकायत आई, जिसके बाद दो सदस्यीय कमेटी बैठी, तो उसने भी 1553 अभ्यर्थियों को फेयर घोषित कर दिया। लेकिन अब फिर SIT जांच शुरू हो गई है। ये कब तक चलेगी पता नहीं।

गौरतलब है कि UPSSSC के चेयरमैन प्रवीर कुमार ने मीडिया को बताया कि सरकार की इस मामले में एसआईटी जांच चल रही है जिसके कारण फिलहाल प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया है। जांच में जो भी परिणाम आएगा, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

हालांकि भर्ती को आए दो साल से ज्यादा का समय हो गयाआंतरिक जांच में क्या गड़बड़ियां सामने आईंजांच में दोषी पाए गए लोगों पर क्या कार्रवाई हुई इस पर आयोग की तरफ से अब तक कोई ठोस जबाव सामने नहीं आया है। ऐसे में एक महत्वपूर्ण सवाल ये भी उठता है कि सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरों टॉलरेंस के दावे के बीच बार-बार सरकारी भर्तियों में भ्रष्टाचार के मामले कैसे सामने आ रहे हैं, क्या सरकार की नीयत और नीति अलग-अलग है?

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