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कोरोना वायरस पर हुए नए अध्ययन क्या बताते है? 

लैंसेट पत्रिका द्वारा जारी एक अध्ययन के मुताबिक़ बीमारी के उपचार संबंधी कदम इसलिए विफल हो रहे हैं क्योंकि वायरस मुख्यत: हवा से फैल रहा है। जबकि दिल्ली पुलिस द्वारा एक अध्ययन कराया गया, जिसके मुताबिक़ कोरोना वायरस की दूसरी लहर 100 दिनों तक रह सकती है।
कोरोना वायरस पर हुए नए अध्ययन क्या बताते है? 
'प्रतीकात्मक फ़ोटो' साभार: सोशल मीडिया

नयी दिल्ली : कोरोना महामारी को दुनिया में फैलने के एक साल से अधिक हो जाने के बाद भी अभीतक इस वायरस के चरित्र के बारे में संपूर्ण जानकारी नहीं  है। इसलिए अभी भी दुनिया में इसको लेकर नए नए अध्ययन और शोध जारी हैं।  जिसमें इस वायरस के व्यवहार और स्वरूप को लेकर रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे है। ऐसे ही दो नए अध्ययन सामने आए है। लैंसेट पत्रिका द्वारा शुक्रवार को जारी एक अध्ययन के मुताबिक़ बीमारी के उपचार संबंधी कदम इसलिए विफल हो रहे हैं क्योंकि वायरस मुख्यत: हवा से फैल रहा है। जबकि दिल्ली पुलिस द्वारा एक अध्ययन कराया गया, जिसके मुताबिक़ कोरोना वायरस की दूसरी लहर 100 दिनों तक रह सकती है। दोनों रिपोर्ट में क्या है संक्षिप्त में समझने का प्रयास करते है -

कोरोना वायरस के मुख्यत: हवा के माध्यम से फैलने के मजबूत साक्ष्य : लैंसेट अध्ययन

लैंसेट पत्रिका में शुक्रवार को प्रसारित एक नयी अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया कि इस बात को साबित करने के मजबूत साक्ष्य हैं कि कोविड-19 महामारी के लिए जिम्मेदार सार्स-कोव-2 वायरस मुख्यत: हवा के माध्यम से फैलता है।

ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा से ताल्लुक रखने वाले छह विशेषज्ञों के इस आकलन में कहा गया है कि बीमारी के उपचार संबंधी कदम इसलिए विफल हो रहे हैं क्योंकि वायरस मुख्यत: हवा से फैल रहा है।

अमेरिका स्थित कोलराडो बाउल्डेर विश्वविद्यालय के जोस लुई जिमेनजे ने कहा, ‘‘वायरस के हवा के माध्यम से फैलने के मजबूत साक्ष्य हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य स्वास्थ्य एजेंसियों के लिए यह आवश्यक है कि वे वायरस के प्रसार के वैज्ञानिक साक्ष्य को स्वीकार करें जिससे कि विषाणु के वायुजनित प्रसार को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।’’

हालांकि यह बात पिछले साल ही सामने आ गई थी कि छींकने या खांसने से जो ड्रॉपलेट निकलती हैं, उनके संपर्क में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आने से कोरोना का संक्रमण फैलता है। यानी हवा के माध्यम से वह सामने के व्यक्ति तक पहुंचती हैं या फिर किसी सतह पर गिरती हैं, जिसे छूने से भी संक्रमण हो जाता है। इसलिए मास्क लगाने और बार-बार हाथ धोने की सलाह दी गई।

कोरोना वायरस की दूसरी लहर 100 दिनों तक रह सकती है: विशेषज्ञ का परामर्श

दक्षिण पूर्व दिल्ली पुलिस के लिए एक विशेषज्ञ द्वारा तैयार किये गये एक परामर्श के अनुसार, कोरोना वायरस की दूसरी लहर 100 दिनों तक रह सकती है और इस तरह की लहरें 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण होने और हर्ड इम्युनिटी हासिल करने तक आती रहेंगी।

हर्ड इम्युनिटी, संक्रामक बीमारियों के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से बचाव होता है। यह तब होता है जब आबादी या लोगों का समूह या तो टीका लगने पर या फिर संक्रमण से उबरने के बाद उसके खिलाफ इम्युनिटी विकसित कर लेता है। समूह की इस सामूहिक इम्युनिटी को ही ‘हर्ड इम्युनिटी’ कहते हैं।

पुलिसकर्मियों के बीच जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से, डॉ. नीरज कौशिक के परामर्श में कहा गया है कि नये म्यूटेंट वायरस में प्रतिरक्षा और यहां तक कि टीके का असर छोड़ने की भी क्षमता है। ‘‘ऐसे लोग जिनका टीकाकरण हो चुका है, उनमें पुन: संक्रमण और मामलों का यही कारण है।’’

डॉ. कौशिक के दस्तावेज में कहा गया है कि यह उत्परिवर्तित वायरस (म्यूटेटेड वायरस) इतना संक्रामक है कि यदि एक सदस्य प्रभावित होता है, तो पूरा परिवार संक्रमित हो जाता है। यह बच्चों पर भी हावी है।

उन्होंने कहा कि नियमित आरटी-पीसीआर जांच म्यूटेटेड वायरस का पता नहीं लगा सकती हैं। हालांकि, गंध महसूस नहीं होना एक बड़ा संकेत है कि व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित है।

परामर्श में कहा गया है, ‘‘कोरोना वायरस की दूसरी लहर 100 दिनों तक रह सकती है। ऐसी लहरें तब तक आती रहेंगी जब तक कि हम 70 प्रतिशत टीकाकरण और हर्ड इम्युनिटी को प्राप्त नहीं कर लेते। इसलिए अपने सुरक्षा उपायों विशेषकर मास्क लगाना नहीं छोड़ें।’’

यह परामर्श या अध्ययन भले ही सौ दिन की बात करता हो, लेकिन अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस बारे में कुछ भी दावे से नहीं कहा जा सकता कि भारत में कोविड की कितनी वेव आएंगी या यह कब तक रहने वाला है।

 (समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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