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आख़िर Whatsapp Pay अब तक भारत में क्यों चालू नहीं हो पाया?

वॉट्सऐप द्वारा अपनी भुगतान सेवा के चालू ना कर पाने को लेकर कई तरह अंदाज़े लगाए जा रहे हैं। वॉट्सऐप, फ़ेसबुक की मैसेजिंग ऐप है। सरकार ने वॉट्सऐप को ढाई साल पहले प्रायोगिक आधार पर सेवा चलाने (ट्रॉयल रन) की अनुमति दे दी थी। लेकिन इससे जुड़ा एक मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। रिलायंस जियो समूह में निवेश करने के बाद भी सोशल मीडिया पर एकाधिकार रखने वाली फ़ेसबुक को मुनाफ़ा कमाने के लिए भुगतान सेवा चालू करवा पाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
 Whatsapp Pay

सोशल मीडिया की दुनिया में वैश्विक एकाधिकार और वॉट्सऐप के स्वामित्व वाली कंपनी फ़ेसबुक, भारत में अपने 40 करोड़ से ज़्यादा ग्राहकों के लिए अब तक मोबाइल इंटरनेट पर आधारित भुगतान सेवा उपलब्ध नहीं करवा पाई है।

क्या सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले के चलते ऐसा हुआ है? क्या RBI और 'नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI)', 'वॉट्सऐप पे' को हरी झंडी दिए जाने के रास्ते में खड़े हैं। जबकि इन संस्थाओं से फरवरी 2018 में वॉट्सऐप पे को ट्रॉयल रन के लिए अनुमति मिल चुकी थी। क्या दिल्ली में सत्ता में बैठे लोग दुनिया की सबसे बड़े कॉरपोरेट घराने में से एक फ़ेसबुक पर राजनीतिक दबाव बना रहे हैं?

बता दें फ़ेसबुक के वरिष्ठ अधिकारियों पर बीजेपी के नेताओं और समर्थकों के नफरती भाषण को प्रोत्साहन देने के मामले में मिलीभगत का आरोप लगा था। इसको लेकर फ़ेसबुक को काफ़ी आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है।

हाल में भारत और एशिया के सबसे अमीर शख़्स मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाले जियो प्लेटफॉर्म्स में फ़ेसबुक ने 5.7 बिलियन डॉलर (43,574 करोड़ रुपये) में 9.99 फ़ीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। क्या इसके बाद फ़ेसबुक के स्वामित्व वाले वॉट्सऐप पर भारत में अपने साझेदारों को बदलने का दबाव बन रहा है? संयोग है कि 2014 में 22 बिलियन डॉलर में वॉट्सऐप को खरीदने के बाद यह फ़ेसबुक की सबसे बड़ी डील है।

इन सवालों के चाहे जो जवाब हों, भले ही सच्चाई जानने के लिए कितने ही अंदाजे लगाए जाते हों, एक तथ्य तो पूरी तरह साफ है। फ़ेसबुक द्वारा 2014 के फरवरी महीने में खरीदे जाने से पहले से ही वॉट्सऐप भारत में काम कर रहा है, लेकिन मैसेजिंग ऐप ने अब तक इस देश में एक भी पैसा नहीं कमाया है। जबकि 2015 में ही वॉट्सऐप दुनिया का सबसे ज़्यादा उपयोग किया जाने वाला ऐप बन गया था और इसके सबसे ज़्यादा उपयोगकर्ता भारत में ही हैं। ऐसा तब है जब फ़ेसबुक भी भारत में बड़े स्तर के निवेश कर चुका है।

मुंबई के एक तकनीकी विश्लेषक ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, "फ़ेसबुक कोई कल्याणकारी संगठन नहीं है, कंपनी निश्चित ही भारत में बेहद लोकप्रिय संदेश सेवा का इस्तेमाल कर बड़ा पैसा कमाने के लिए आतुर है।" उसने आगे कहा, "चीन में बंद होने के बाद इसकी पैनी नज़र भारत पर है, जहां के फलते-फूलते डिजिटल भुगतान बाज़ार में अपनी जगह बनाने के लिए कंपनी कुछ भी करने को तैयार है।"

इस लेख को लिखने के लिए हमने पिछले कुछ हफ़्तों में कुछ दर्जन लोगों से बात की, इन्हीं में से एक इस विशेषज्ञ ने कहा, "फिलहाल कई अनसुलझे सवाल हैं। कुछ 'अफवाहों' के मुताबिक़, सरकार के सर्वोच्च अधिकारी वॉट्सऐप से आवाज की ट्रेसिंग 'क्षमता', वीडियो मैसेज और तस्वीरें सरकार को उपलब्ध कराने का दबाव बना रहे हैं, ताकि अपराधियों और घिनौने अपराध करने वालों को पकड़ा जा सके। लेकिन इसके ज़रिए बड़े स्तर का सर्विलांस भी किया जा सकेगा। वॉट्सऐप लगातार दावा करता आया है कि उसकी 'एंड-टू-एंड-एनक्रिप्शन' तकनीक सरकारी एजेंसियों को इस तरह के ऑपरेशन नहीं करने देती, जिन्हें 'कवर्ट ऑपरेशन' भी करार दिया जा सकता है।

वॉट्सऐप की 'यूनिफाईड पेमेंट इंटरफेस (UPI)' ट्रॉयल की अनुमति मिलने के बाद से ही अनिश्चित्ता का शिकार है। ढाई साल पहले इसे दस लाख ग्राहकों पर ट्रॉयल के लिए खोला गया था। दुनिया में भारत पहला ऐसा देश है, जहां वॉट्सऐप ने अपनी डिजिटल पेमेंट सर्विस की टेस्टिंग की है। पर संभवत: भारत के सबसे बड़े निजी बैंकों में से एक ICICI बैंक के साथ आने वाले वॉट्सऐप पे के पूरी तरह लॉन्च होने पर अनिश्चित्ता छाई हुई है? बड़ा सवाल ही कि ऐसा क्यों है?

UPI एक ऐसा तंत्र होता है, जो कई बैंक खातों को एक मोबाइल एप्लीकेशन में संचालित कर सकता है, यह बैंकिंग की भी कुछ विशेषताओं को जोड़ सकता है, पैसे का लेन-देन और 'मर्चेंट रूटिंग' एक ही छतरी के नीचे उपलब्ध करवा सकता है। जो मोबाइल पेमेंट एप्लीकेशन फिलहाल भारत में UPI तंत्र का इस्तेमाल कर रही हैं, उनके नाम कुछ इस तरह हैं- फोन पे, गूगल पे और पेटीएम।

ऐसा नहीं कि सिर्फ भारत में ही फ़ेसबुक को अपनी डिजिटल भुगतान सेवा को लाने में दिक्कत हो रही है। कंपनी की यह सेवा 25 जून को ब्राजील में लॉन्च हुई थी, लेकिन एक हफ़्ते बाद ही वहां के केंद्रीय बैंक ने ट्रॉयल को बंद करवा दिया। केंद्रीय बैंक ने इसके लिए भुगतान सेवातंत्र को संभावित खतरे के साथ-साथ डाटा प्राइवेसी, सुलभता और प्रतिस्पर्धा का भी हवाला दिया। दक्षिणपंथी राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो की अध्यक्षता वाले ब्राजील में वॉट्सऐप के 12 करोड़ से ज़्यादा ग्राहक हैं।

11 फरवरी 2019 को इस लेख के एक लेखक और शौर्य मजूमदार ने न्यूज़क्लिक में "अ मोबाइल पेमेंट मोनोपॉली विथ अ बीप?" नाम लेख प्रकाशित किया था, जिसमें बताया गया कि कैसे NPCI द्वारा 'दूरी आधारित मोबाइल भुगतान सेवाओं' की नीलामी से कैसे इस क्षेत्र में निजी एकाधिकार बनाया जा सकता है, जो ना सिर्फ गैर-कानूनी होगा, बल्कि कुछ लोगों को बेइंतहां मुनाफ़ा करवाएगा। इन निजी खिलाड़ियों में अनिल अंबानी, इंफोसिस के सह संस्थापक नंदन नीलकेणी और सत्ताधारी दल के अहम सहयोगी अरविंद गुप्ता शामिल हैं। प्रस्ताव को फिलहाल लंबित कर दिया गया है और उस पर अनिश्चित्ता बनी हुई है।

जैसे ही RBI के उपक्रम NPCI द्वारा 16 फरवरी 2018 को वॉट्सऐप पे को बीटा टेस्टिंग के लिए अनुमति दिए जाने की घोषणा की गई, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) ने NPCI को मार्च और मई में दो खत लिखे। इन खतों में वॉट्सऐप की डाटा स्टोरेज नीति और इस डाटा का वॉट्सऐप के स्वामित्व वाली कंपनी फ़ेसबुक के साथ साझा होने के सवालों पर चिंता जताई गई थीं। मंत्रालय ने यह भी पूछा कि क्या प्रस्तावित भुगतान सेवा RBI के दो चरणों वाली सहमति प्रक्रिया का पालन करेगी। इस प्रक्रिया में उपयोगकर्ता दो अलग-अलग तरीकों से भुगतान की सहमति देता है।

वॉट्सऐप के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

जुलाई, 2018 में दिल्ली स्थित, 'सेंटर फॉर अकाउंटबिलिटी एंड सिस्टेमिक चेंज (CASC)' ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए आरोप लगाया कि कई दूसरी चीजों के साथ वॉट्सऐप, RBI की डाटा स्थानीयकरण के नियमों का पालन करने में नाकामयाब रहा है। डाटा स्थानीयकरण एक ऐसा तंत्र है, जिसके ज़रिए किसी व्यक्तिगत या व्यापारिक संस्था के डिजिटल पेमेंट एप्लीकेशन या डेबिट कॉर्ड में दी गई जानकारियों, जैसे वित्तीय और निजी डाटा क देश के बाहर के कंप्यूटर्स में पहुंचने से रोका जाता है।

मई, 2019 में वॉट्सऐप ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि RBI के सभी नियमों का पालन करने के बाद पूरी सेवाओं को चालू किया जाएगा। फरवरी, 2019 में लंबित याचिका के साथ-साथ CASC ने एक और याचिका दाखिल की, जहां NGO ने सुप्रीम कोर्ट ने भुगतान सेवाओं के लिए जारी "गैरकानूनी ट्रॉयल" को रोकने की अपील की।

एक साल बाद, 28 फरवरी, 2020 को सुप्रीम कोर्ट में वॉट्सऐप की भुगतान सेवा के खिलाफ़ एक दूसरे NGO, 'गुड गवर्नेंस चेंबर्स (G2C)' द्वारा एक और याचिका दाखिल की गई। NGO खुद मानता है कि वह एक "अपंजीकृत' संस्था है।

याचिका में वॉट्सऐप पे पर उन जरूरी निर्देशों और नियंत्रक कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया, जिनकी बुनियाद पर भारत की पूरी यूनिफाईड पेमेंट इंटरफेस टिका हुआ है। याचिका में आगे कहा गया, "इस तरह खुल्लेआम किए जाने वाले उल्लंघनों से मौद्रिक नीति और भारत की भुगतान व्यवस्था को गंभीर खतरा है, इसके चलते वॉट्सऐप पे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और इसके नागरिकों की निजता के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकता है।  "

याचिका में G2C समूह ने दावा किया कि वॉट्सऐप पे ने उपयोगकर्ताओं के वित्तीय डाटा को सुरक्षित करने संबंधी, डाटा स्थानीयकरण, दो स्तरों वाली सहमति प्रक्रिया पर NPCI और RBI के निर्देशों का पालन करने में लगातार आनाकानी की है। याचिका में कहा गया कि "वॉट्सऐप पे ने UPI लिंक अकाउंट के अंपजीकरण और शिकायत दर्ज करने वाले तंत्र को बनाने में भी निर्देशों का पालन नहीं किया।" याचिका में रेस्पोंडेंट के तौर पर RBI, NPCI, ICICI बैंक, वॉट्सऐप, MIETY मंत्रालय 'कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पोंस टीम (CERT) और भारत सरकार को दर्ज किया गया।

याचिका में आरोप लगाया गया कि वॉट्सऐप ने UPI आधारित लेनदेन के लिए अलग से एप्लीकेशन नहीं बनाई, बल्कि अपने मैसेजिंग ऐप में इसे जोड़ दिया। आरोप में कहा गया कि इससे उपयोगकर्ताओं के वित्तायी डाटा पर गंभीर खतरा पैदा हो जाता है, क्योंकि वॉट्सऐप सुरक्षित इंटरफेस और इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करती हो, पर वह कई बार अपने उपयोगकर्ताओं का संवेदनशील डाटा नहीं बचा पाई, उसके बाद अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही से भी कंपनी ने पल्ला झाड़ लिया।"

याचिका में पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर का विवाद जोड़ा गया है। पेगासस का मालिकाना हक इज़रायल स्थित NSO समूह के पास था। पेगासस के ज़रिए दुनिया के 1400 लोगों के फोन में वॉट्सऐप की वीडियोकॉलिंग फीचर की एक कमजोरी का फायदा उठाकर घुसपैठ की थी। अक्टूबर, 2019 में वॉट्सऐप ने NSO पर कैलिफोर्निया के एक कोर्ट में पेगासस को बनाने के लिए मुक़दमा ठोक दिया। कनाडा के टोरंटो में रहने वाली शोध संस्था, द सिटीजन लैब ने सितंबर, 2019 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें उन 45 देशों की पहचान की गई थी, जहां अपने देश के नागरिकों की जासूसी के लिए पेगासस का इस्तेमाल किया गया था।

पेगासस के अलावा G2C की याचिका में कैंब्रिज एनालिटिका कांड का भी ज़िक्र है। मार्च 2018 में यह बात निकलकर सामने आई थी कि कैंब्रिज एनालिटिका नाम की एक वोटर प्रोफाइलिंग कंपनी ने फ़ेसबुक के 5 करोड़ से ज़्यादा लोगों की निजी जानकारी को अवैध तरीके से अपने ग्राहक के लिए इकट्ठा किया। कैंब्रिज एनालिटिका ने इस जानकारी का इस्तेमाल 2014 में अमेरिकी मध्यावधि चुनाव में अपने ग्राहक के लिए किया था। बताया गया कि जिस जानकारी को चुराया गया है, उसका भारत समेत दूसरे देशों में भी इस्तेमाल किया गया। नेटफ्लिक्स पर इस मुद्दे से जुड़ी डॉक्यूमेंट्री फिल्म "ग्रेट हैक" मौजूद है।

फरवरी, 2020 में बताया गया कि वॉट्सऐप समूहों की बातचीत को गूगल का इस्तेमाल करते हुए खोजा जा सकता है। याचिका में तर्क दिया गया कि "डाटा लीक होने की बहुत प्रबल संभावना है", वॉट्सऐप के चैट विंडो में ग्राहकों का डाटा उपलब्ध हो सकता है, जिससे ऑनलाइन घपलेबाजी हो सकती है और उपयोगकर्ताओं को बड़ा नुकसान हो सकता है।

देश में वॉट्सऐप के बड़े आधार को देखते हुए याचिका में कहा गया, "उपयोगकर्ताओं का बेहद संवेदनशील वित्तीय डाटा का आसानी से गलत उपयोग हो सकता है, जिसके राजनीतिक और वित्तीय प्रभाव हो सकते हैं।" याचिका में कहा गया कि अगर लोगों के वित्तीय डाटा की चोरी हो जाती है, तो इससे ना केवल बड़े स्तर के सायबर अपराध होंगे, जिन्हें काबू में कर पाना नामुमकिन होगा, बल्कि तब लोगों के भुगतान-खरीददारी के तौर-तरीकों, भुगतान की प्राथमिकता वाले तरीकों आदि का भी अंदाजा लगाया जा सकेगा। इससे बड़े स्तर के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संकट पैदा हो सकते हैं।"

G2C की याचिका में कहा गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों की निजता के लिए खतरे के अलावा, "पेमेंट इंटरफेस को एक ऐसे मैसेजिंग ऐप के साथ नहीं जोड़ने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, जो भेद्य है और जिसमें घपलेबाजी, धोखेबाजी के साथ-साथ निजता के अतिक्रमण के कई मामले सामने आ चुके हैं।"

याचिका में वॉट्सऐप पर उपयोगकर्ताओं के डाटा को UPI योग्य ऐप्स में इकट्ठा करने के आरोप लगाए गए, जो RBI और NPCI के नियमों का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया, "वॉट्सऐप, मैसेजिंग ऐप के ज़रिए QR (क्विक रिस्पांस) कोड को साझा करने का विकल्प भी देता है, जिससे फिर धोखेबाजी और घपले बाजी के लिए आधार बन सकता है और लोग अपने मेहनत से कमाए पैसे से हाथ धो सकते हैं। वॉ़ट्सऐप ग्राहकों के डाटा को स्क्रीनशॉट के ज़रिए सहेजने की व्यवस्था भी करता है, जबकि इसकी अनुमति नहीं है।"

याचिका में कहा गया कि वॉट्सऐप भारत के बाहर डाटा का एकत्रीकरण करता है, जहां उसकी मंशा उस डाटा को अपनी मातृ कंपनी फ़ेसबुक के साथ साझा करने की है, जो निजता को लेकर बिलकुल भी चिंतित नहीं है। इस तरह वॉट्सऐप NPCI के प्रक्रियागत् निर्देशों और RBI की जुलाई, 2013 में आए सर्कुलर का उल्लंघन कर रहा है, जिसमें UPI में दो स्तरों वाली सहमति प्रक्रिया अपनाने को कहा गया है। इसके मुताबिक़, UPI में डिवाइस फिंगरप्रिंट (या डिवाइस को पहचानने वाला अनोखा तरीका) और ग्राहक का UPI पिन/बॉयोमेट्रिक होना चाहिए। याचिका में आगे आरोप लगाते हुए कहा गया है कि व़ॉट्सऐप पे में लेनदेन को लेकर शिकायत का विकल्प नहीं है, जो UPI क्षमता वाली सभी ऐप के लिए NPCI के निर्देशों के मुताबिक अनिवार्य है।

याचिकाकर्ता G2C ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका लगाई कि वॉट्सऐप के मौजूदा UPI क्रियान्वयन ढांचे को देखते हुए "UPI इकोसिस्टम में वॉट्सऐप के ऑपरेशन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा देना चाहिए।"

13 मई को चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े वाली सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच, जिसमें जस्टिस इंदु मल्होत्रा और ह्रिकिशन रॉय शामिल थे, उन्होनें कहा कि याचिका पर चल रही सुनवाई RBI को वॉट्सऐप पे को पूरे तरह से लाने की अनुमति देने से नहीं रोक सकती। कोर्ट ने CASC और G2C की याचिका का भी आपस में विलय कर दिया।

वॉट्सऐप ने आरोपों से किया इंकार, याचिकाकर्ताओं की साख पर उठाया सवाल

वॉट्सऐप के निदेशक और एसोसिएट जनरल काउंसल के लिए श्रदुल सुरेश श्रॉफ ने 2 जून, 2020 को सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र दाखिल किया। साथ में याचिका में लगाए गए आरोपों से भी इंकार किया और G2C की साख पर सवाल उठाए। वॉट्सऐप ने पूछा कि क्यों याचिका दाखिल करने के महज दो महीने पहले इस NGO का गठन किया गया।

सवाल उठाया गया कि G2C का प्रतिनिधित्व करने वाली फर्म लॉ जूनो ने कैसे वकील हर्षिता चावला का प्रतिनिधित्व किया, जिन्होंने 19 मार्च को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) में वॉट्सऐप के खिलाफ़ शिकायत दर्ज की थी। (CCI एक नियामक संस्था है, जो प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और बनाए रखने, प्रतिस्पर्धा पर विपरीत प्रभाव डालने वाले क्रियाकलापों पर रोकथाम, ग्राहकों के हितों की रक्षा और भारत के बाज़ार में व्यापार करने की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए जिम्मेदारी हैं।)

चावला का वॉट्सऐप पर बड़ा आरोप यह था कि मैसेजिंग ऐप पहले से बनाए गए अपने बाज़ार प्रभुत्व का इस्तेमाल वॉट्सऐप पे को उतारने के लिए कर रही है। CCI ने 19 अगस्त को चावला की शिकायत को खारिज़ कर दिया।

वॉट्सऐप ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी कहा कि G2C का संबंध चावला द्वारा दर्ज की गई शिकायत से हो सकता है, लेकिन अपनी याचिका में इसका खुलासा नहीं किया गया। चावला का संबंध सुप्रीम कोर्ट में G2C द्वारा लगाई गई याचिका से हो सकता है, इस बात के आधार पर आयोग ने शिकायत रद्द करने से इंकार कर दिया था। आयोग ने कहा, "कमीशन इस बात को मानता है कि पहली नज़र में यह बात ध्यान खींचती है, लेकिन हो सकता है यह तथ्यात्मक तौर पर सही ना हो और यह कानूनी तौर पर जायज नहीं है।"

वॉट्सऐप ने आरोप लगाया कि लॉ जूनो और G2C का डोमेन नाम भी एक ही तारीख़ को दर्ज किया गया है।

इस लेख के एक लेखक से बातचीत में NGO के वकील दीपक प्रकाश के कहते हैं कि "इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता।"

ऐसा नहीं है कि सिर्फ वॉट्सऐप से जुड़े लोगों ने ही G2C पर सवाल उठाए हैं। मामले की कानूनी प्रक्रिया से वाकिफ़ एक विश्लेषक ने इस लेख के एक लेखक से नाम ना छापने की शर्त पर कहा, "ऐसा लगता है कि NGO को वॉट्सऐप के खिलाफ़ याचिका दाखिल करने के लिए ही बनाया गया था। NGO ने हाल ही में सोशल मीडिया अकाउंट बनाए हैं। इसकी कोई वेबसाइट या ईमेल एड्रेस भी ठीक नज़र नहीं आता। फिर G2C तो खुद कहता है कि वो एक अंपजीकृत संस्था है। तब इस बात पर अचरज नहीं जताया जाना चाहिए कि फ़ेसबुक और वॉट्सऐप के प्रतिद्वंदियों द्वारा इस NGO का गठन किया गया है।"

G2C की याचिका 30 साल के "कंप्यूटर इंजीनियर" सत्विक सिन्हा ने दाखिल की है। याचिका में दिए गए मोबाइल नंबर के आधार पर हमने उनसे बात करने की असफल कोशिश की।

इस लेख के एक लेखक ने याचिका में G2C के बताए गए पते की यात्रा की। याचिका में इस ऑफिस के पूर्वी दिल्ली के प्रीत विहार में होने की बात कही गई है। बताया गया कि ऑफिस बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर "को-ऑफिज़" नाम के साझा कार्यालय में चलता है। बिल्डिंग के बाहर जो सिक्योरिटी गार्ड और ऑफिस स्पेस से किराया वसूल करने के लिए जो महिला बैठी थी, उन्हें गुड गवर्नेंस चैंबर्स नाम के संस्थान के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जिसने उनकी जगह पर ऑफिस किराए से लिया हो।

दिलचस्प तौर पर चावला न CCI के सामने जो शिकायत लगाई है, उसमें भी प्रीत विहार स्थित इसी ऑफिस का पता दिया गया है।

एक रहस्यमयी याचिकाकर्ता

हमने वकील प्रकाश से अपंजीकृत NGO, G2C के पीछे के रहस्य से जुड़े कुछ सवाल पूछने की गुजारिश की। उन्होने दावा किया कि संगठन में सामाज के ज़िम्मेदार लोग सदस्य हैं, इनमें वकील, कंप्यूटर इंजीनियर्स, वैज्ञानिक और भारतीय सेना के एक रिटायर्ड कर्नल शामिल हैं। प्रकाश ने संगठन के पंजीकृत ना होने पर चर्चा करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, "मायने यह बात रखती है कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की अनुमति दे दी।"

जब हमने ऑफिस में किसी के उपलब्ध ना होने की बात पूछी, तो वकील ने कोरोना महामारी में लागू लॉकडाउन का हवाला दिया। जब हमने उनसे याचिकाकर्ता चिंटा के मोबाइल फोन से भी कोई प्रतिक्रिया ना देने की बात कही, तो उन्होंने कहा कि "चिंटा ओडिशा के एक गांव में हैं, जहां कनेक्टिविटी नहीं है।"

सुप्रीमकोर्ट में वॉट्सऐप के शपथपत्र में बताया गया है कि किसी साहिल बाघला नाम के शख्स ने लॉ जूनो और कथित थिंकटैंक G2C की वेबसाइट का रजिस्ट्रेशन करवाया है। शपथपत्र में यह भी बताया गया है कि बाघला की 300 मिलियन डॉलर की "बिटकॉइन पोंजी स्कीम" के सिलसिले में पहले गिरफ्तारी भी हो चुकी है। वॉट्सऐप ने आगे बताया कि जुलाई, 2019 में बाघला पर बॉम्बे हाईकोर्ट में फर्जीवाड़े और विश्वास के आपराधिक उल्लंघन के मुकदमा भी दर्ज हो चुका है।

प्रकाश ने बताया कि बाघला बेल पर बाहर हैं, वह G2C के सदस्य भी हैं, उन्होंने IIT से डिग्री भी हासिल की है और उन्होंने वेबसाइट के डोमेन नेम का पंजीकरण कर कुछ भी गलत नहीं किया है। वकील ने कहा कि मामला कोर्ट में लंबित है, इसलिए वह ज़्यादा चीजों पर टिप्पणी नहीं कर सकते। वह लगातार "हमारी याचिका" पढ़ने के लिए कहते रहे

जून में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए एक शपथपत्र में RBI ने बताया कि NPCI ने इस बारे में सूचना दी थी कि अब वॉट्सऐप देश में UPI प्लेटफॉर्म खोल सकता है। शपथपत्र के मुताबिक़ "हम यह बताना चाहेंगे कि वॉट्सऐप ने ऑडिटर (MEITY की CERT) की रिपोर्ट पर आधारित डाटा स्थानीयकरण की सभी मांगों को पूरा कर दिया है। इसलिए हम ICICI बैंक (वॉट्सऐप के लिए भुगतान सेवा प्रदाता बैंक) को भुगतान सेवा खोलने की अनुमति देते हैं।"

G2C के वकील ने कहा कि वह RBI की प्रतिक्रिया से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा, "RBI ने किन तकनीकी विशेषज्ञों से बातचीत की है? हम सुप्रीम कोर्ट से एक स्वतंत्र विेशेषज्ञों की टीम की नियुक्त करने के लिए कहेंगे, जो तकनीकी तौर पर हमारे उठाए मुद्दों की जांच करने की योग्यता रखते हों।"

प्रकाश ने कहा फ़ेसबुक और वॉट्सऐप के खिलाफ अलग-अलग देशों में कई मामले चल रहे हैं और कई बार उन पर जुर्माना भी लगाया गया है।

मीडियानामा वेबसाइट ने वकील की एक टिप्पणी पहले प्रकाशित की थी, जिसमें कहा गया था कि वॉट्सऐप...." डाटा सुरक्षा और लाखों लोगों के वित्तीय डाटा को साझा करने के मुद्दे पर चिंतित नहीं था।" अब उन्हें मेरिट के आधार पर जवाब देना होगा। उन्हें कहना होगा कि हम नियमों का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं।"

प्रकाश ने आगे कहा कि वॉट्सऐप में ग्राहकों की शिकायत कौन निपटेगा, यह भी साफ़ नहीं है।

हमने G2C के एक दूसरे वकील गौरव शर्मा से बातचीत की। हमें उन तक पहुंचने में थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, क्योंकि उनके नाम का एक और वकील था। जब हमने उनसे फोन पर संपर्क किया, तो उन्होंने कहा, "मैं ऐसे सात लोगों को जानता हूं, जिनका और मेरा नाम एक जैसा है।"

शर्मा हमसे बात करने में आनाकानी कर रहे थे। उनका कहना था कि "अभी मामले को सुप्रीम कोर्ट के सामने अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होना है।" उन्होंने कहा, "फिलहाल इस वक़्त मैं कुछ नहीं कह सकता।"

हमने दो वरिष्ठ लोगों से बातचीत की, जो वॉट्सऐप के करीबी थे और उन्हें कानूनी प्रक्रिया के बारे में जानकारी थी। उन्होंने नाम ना छापने की शर्त पर हमसे बात की, क्योंकि उन्हें पत्रकारों से बात करने की अनुमति नहीं थी। उनमें से एक ने कहा, "वॉट्सऐप कानून के उल्लंघन को वहन नहीं कर सकती। NPCI ने कई बैंकों तक पहुंच रखने वाले तीसरे पक्ष के एप्लीकेशन के बारे में नियम बनाए हैं। उनका निश्चित तौर पर पालन करना होगा।"

क्या वॉट्सऐप पर ICICI बैंक को "छोड़ने" का दबाव है, क्योंकि रिलायंस समूह के जियो पेमेंट बैंक ने देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक SBI के साथ विवादास्पद साझा उपक्रम शुरू किया है?

जैसा पहले ही बताया गया, 22 अप्रैल को फ़ेसबुक ने जियो प्लेटफॉर्म में 5.7 बिलियन डॉलर से 9.99 फ़ीसदी हिस्सेदारी खरीदी है।

फ़ेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क ज़करबर्ग ने हाल में विशेषज्ञों को बताया कि जियो प्लेटफॉर्म में कंपनी की साझेदारी से "भारत में लाखों छोटे उद्यमों को वॉट्सऐप के ज़रिए काम-धंधा चलाने में मदद मिलेगी।"

उन्होंने कहा, "जियो के साथ हुई हमारी साझेदार का एक बड़ा हिस्सा पूरे भारत के हजारों छोटे उद्यमियों को वॉट्सऐप पर व्यापार करने के लिए जोड़ना है... कई लोग, खासकर भारत में वॉट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं। भारत में वॉट्सऐप के ज़रिए छोटे उद्यमों और व्यक्तिगत स्तर पर खरीद-बिक्री का बड़ा मौका है। हम इस चीज को करना चाहते हैं। यह चीज भुगतान की व्यवस्था के साथ शुरू होगी।"

फ़ेसबुक इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट और मैनेजिंग डॉयरेक्टर, अजित मोहन ने अप्रैल में मिंट को बताया था, "जैसा आप जानते हैं कि वॉटसऐप पेमेंट दस लाख लोगों पर बीटा ट्रॉयलल के मध्य में है, हम इसके जरूरी नियामक सहमतियां पाने की उम्मीद लगा रहे हैं, लेकिन जियो प्लेटफॉर्म के साथ यह गठजोड़ केवल अर्थव्यवस्था के छोटे उद्यमों वाले पहलू को ईंधन उपलब्ध कराना है।"

क्या वॉट्सऐप की ICICI बैंक से साझेदारी, इसके रिलायंस जियो के साथ करीबी संबंधों में बाधा बन रही है? क्या अब नया ढांचा बनाना होगा?

वॉट्सऐप में एक सूत्र ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि वॉट्सऐप की ICICI बैंक के साथ साझेदारी बहुत बड़ा कुछ करने वाली है।"

तो फिर वॉट्सऐप को भुगतान सेवा उपलब्ध कराने की अनुमति देने के RBI के फ़ैसले में बीच में कौन रहा है।

वॉट्सऐप में हमने जिन सूत्रों से बात की, उनमें से एक ने कहा- "अच्छा सवाल है।"

इस प्रक्रिया से जुड़े और कानूनी लड़ाई के बारे में जानकारी रखने वाले दूसरे व्यक्ति ने कहा, "काश कि मुझे पता होता।"

अब गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में है।

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लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।

इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

 

Why WhatsApp Pay Has Not Been Able To Roll Out In India?

 

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