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राहुल सांकृत्यायन को पढ़ना क्यों ज़रूरी है?

भारत के महान् बुद्धिजीवी राहुल सांकृत्यायन (1893-1963) को गुज़रे 60 साल हो गए। वे 30 से भी ज़्यादा भाषाओँ के ज्ञानी थे लेकिन उन्होंने मूलतः हिंदी में ही लिखा। लगभग सवा सौ पुस्तकों के लेखक-अनुवादक-संपादक और महापंडित के रूप में विख्यात राहुल ने समाज, धर्म और राजनीति के रिश्तों पर काफी सूक्ष्मता से लिखा है। 'इतिहास के पन्ने' के इस विशेष अंक में राहुल सांकृत्यायन के बारे में पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप कुमार से चर्चा कर रहे हैं।

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