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एफटीएक्स के दिवालियेपन से क्या कोई सबक लिया जाएगा?

एफटीएक्स का बैठ जाना क्रिप्टोकरेंसी की समूची व्यवस्था के ही भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण सवाल उठाता है।
FTX
फ़ोटो साभार: रॉयटर्स

क्रिप्टोकरेंसी का प्रमुख एक्सचेंज, एफटीएक्स 11 नवंबर को पूरी तरह से बैठ गया। बहुत से लोगों ने इस परिघटना को 2008 के वित्तीय संकट के दौरान, निवेश बैंकिंग फर्म लेहमान ब्रदर्स के दीवाले के बराबर करार दिया । उनका मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया के लिए एफटीएक्स का बैठना उतनी ही महत्वपूर्ण घटना है, जितनी महत्वपूर्ण घटना आधिकारिक या सरकारी वित्तीय प्रणाली के लिए लेहमान ब्रदर्स का बैठना था।

एफटीएक्स का उत्थान

वास्तव में, एफटीएक्स के बैठने से पहले भी क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य में भारी गिरावट हुई थी। सारी की सारी क्रिप्टोकरेंसियों का कुल मूूल्य, जो 2021 के आखिर में 20 खरब डालर आंका जा रहा था, 2022 के सितंबर के अखिर तक गिरकर इससे आधा ही रह गया था। एफटीएक्स के बैठ जाने से क्रिप्टोकरेंसी की पूरी की पूरी व्यवस्था को और भी धक्का लगना तय है।

एफटीएक्स की स्थापना 2019 में मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्रोलॉजी के एक छात्र, सेम बैंकमेन-फ्रीड ने की थी। इसकी स्थापना एक क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के रूप में की गयी थी, जो अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसियों के आपस में विनिमय और क्रिप्टोकरेंसी तथा अधिकृत मुद्रा के बीच विनिमय को संभालता था। इसके अलावा, वह एफटीटी के नाम से अपनी ही क्रिप्टोकरेंसी भी जारी करता था। वर्तमान स्वीकृत मुद्रा या वायदा क्रिप्टोकरेंसियों का लेन-देन भी  करता था और डेरीवेटिव तथा ऑप्शन बेचता था। इस तरह यह बहुत मानों में एक बैंक की तरह ही काम करता था, जो वर्तमान में डालर या यूरो या क्रिप्टोकरेंसी में धन, भविष्य में उसे बढ़ाकर लौटाने के वादे के साथ जमा करता था। इसकी वृद्धि  दर इतनी जबरदस्त थी कि सिर्फ तीन साल में यह क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार के परिमाण के हिसाब से पांचवां और होल्डिंगों के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा एक्सचेंज बन चुका था।

एफटीएक्स के इस असाधारण उछाल में उसके द्वारा उठाए गए कई कदमों ने उसके असाधारण रूप से चर्चित होने में मदद की थी। डैमोक्रेटिक पार्टी के लिए उसका राजनीतिक चंदा, अगर जॉर्ज सोरोस को छोड़ दिया जाए तो, सबसे बड़ा चंदा था। उसने कई खेल आयोजनों को प्रायोजित किया था और अनेक जाने-माने खिलाडिय़ों के साथ घनिष्ठ सहयोग का रिश्ता कायम किया था, जैसे पूर्व-बॉस्केट बॉल सितारे शाक्विले ओ नील और वर्तमान टेनिस सितारे, नाओमी ओसाका। इसी प्रकार वह यूक्रेन सरकार के खास समर्थकों में था, जिसने एक ‘यूक्रेन के लिए मदद’ कार्यक्रम शुरू किया था, जिसमें इसके वादे के साथ क्रिप्टोकरेंसी में चंदे स्वीकार किए जाते थे और इसके बदले में आधिकारिक मुद्रा में रकम नेशनल बैंक आफ कीव में जमा कर दी जाती थी।

नाटकीय पतन

बहरहाल, उसका पराभव भी उतना ही अचानक हुआ, जितना नाटकीय उसका उदय था। उसकी अपनी डिजिटल मुद्रा, एफटीटी की खासी बड़ी राशि अलमेडा नाम की एक फर्म के पास थी, जिसकी मिल्कियत भी एफटीएक्स के मुखिया, सेम बैंकमेन-फ्रीड के ही हाथों में थी। जब अलमेडा की बैलेंस शीट लीक होकर बाहर आ गयी, इसकी बदहवासी फैल गयी कि अगर किसी संयोग से एफटीटी की कीमत में गिरावट आयी, तो यह उसके दाम के बुरी तरह से बैठने का रूप ले सकता है। इस बदहवासी में, उसके प्रतिद्वंद्वी क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफार्म, बिनान्स ने अपनी एफटीटी की मिल्कियत को बाजार में निकालना शुरू कर दिया और इससे ठीक उसी प्रकार से वास्तविक पतन शुरू हो गया, जैसा कि किसी बैंक के बैठने के मामले में होता है। वास्तव में यहां किसी बैंक के बैठने जैसा ही दृश्य था और उसकी वजह भी ठीक वैसी ही थी यानी अचानक आयी धन की निकासी की मांग का सामना करने के लिए पर्याप्त संचित कोष का या आसानी से बेचे जा सकने वाली परिसंपत्तियों का अभाव। व्यवहार में सेम बैंकमेन फ्रीड एक पोंजी स्कीम चला रहा था, वह चोरी-छिपे जमा राशियों को अन्यत्र लगा रहा था।

बिनान्स ने कुछ समय तक तो एफटीएक्स को खरीद ही लेने की सोची, पर आखिरकार इस विचार को छोड़ दिया। बेशक, एफटीएक्स की डैमोक्रेटिक पार्टी तथा राष्ट्रपति जो बाइडेन से नजदीकियों के बावजूद, उसे संकट से उबारने के लिए सरकार से अपील किए जाने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता था। आखिरकार, क्रिप्टोकरेंसी की तो समूची संकल्पना ही सरकार की जांच-परख से बाहर ही बने रहने पर आधारित है। इस सबके चलते एफटीएक्स के पास टाट उलटने यानी अपने दीवाले की घोषणा करने के सिवा और कोई रास्ता नहीं रह गया था और सेम बैंकमेन-प्रीड ने 11 नवंबर को यही किया।

पूंजीवाद की कार्यपद्धति के लिए अंदरूनी और बाहरी

यही वह जगह है जहां  पहुंचकर, एफटीएक्स और लेहमान बदर्स के दीवालों की समानता, अपने-अपने क्षेत्रों में दोनों के बैठने के सारे महत्व के बावजूद खत्म हो जाती है। लेहमान ब्रदर्स का प्रभाव , ‘आवासन के बुलबले’ के फूटने का नतीजा था। और इसके बुलबुला बनने के कारण था, इसके दीर्घजीवी होने की बढ़ी-चढ़ी प्रत्याशाएं और ऐसी संस्थागत व्यवस्थाओं के विकास के चलते, जो व्यवस्थित तरीके से संबंधित लेन-देन के जोखिमों को ढांपने का काम करती थीं। अगर अनेक निवेश बैंकों के पास खराब परिसंपत्तियां जमा हो गयी थीं, तो इसकी वजह यही नहीं थी कि ये संस्थाएं लालच में पडक़र या असावधानी से निर्णय कर रही थीं। इसके बजाए, इसका सबसे बढक़र कारण यह था कि जिस तरह की संस्थागत व्यवस्थाएं विकसित हुई थीं, उनके चलते यह जान पाना ही मुश्किल हो गया था कि खराब या खतरे वाली परिसंपत्तियां कौन सी हैं, ताकि खराब और स्वस्थ परिसंपत्तियों के बीच अंतर किया जा सकता।

और परिसंपत्तियों के मूल्य के बुलबुले को व्यवस्था की त्रुटि कहकर छोड़ देना, जैसाकि अनेक उदारपंथी अर्थशास्त्रियों ने उक्त संकट के फूटने के बाद किया भी था, सिर्फ घटना घट जाने के बाद अक्ल आने भर का मामला नहीं था। इसे सिर्फ व्यवस्था की त्रुटि कहकर छोड़ देना, वास्तव में इस असली नुक्ते को देख ही नहीं पाना है कि वह तथाकथित त्रुटि ही तो वास्तव में वह तंत्र है जिसके जरिए नवउदारवादी पूंजीवाद ने उक्त उछाल पैदा किया था। दूसरे शब्दों में लेहमान ब्रदर्स का बैठना तो वास्तव में नव-उदारवादी पूंजीवाद की कार्य पद्घति का ही नतीजा था।

धुंधलके की व्यवस्था

लेकिन, क्रिप्टोकरेंसी का विकास मौजूदा व्यवस्था की कार्य पद्घति का हिस्सा नहीं है। यह तो इस व्यवस्था का एक बाहर उपांग भर है, जिसके कट जाने से भी इस व्यवस्था की सेहत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। संक्षेप में यह कि एफटीएक्स के दीवालिया होने से, पूंजीवाद पर उस तरह से झटका नहीं लगने वाला है, जैसे लेहमान ब्रदर्स के डूबने से लगा था। क्रिप्टोकरेंसी तो किसी माल की तरह बल्कि और ज्यादा सही तो यह होगा कि यह एक प्रतिभूति की तरह है, जो किसी भी सरकारी निगरानी से परे पैदा हुई हो तथा रखी जा रही हो। वास्तव में इसी में तो इस तरह की परिसंपत्तियों के धारकों के लिए, इन परिसंपत्तियों का आकर्षण छुपा होता है। क्रिप्टोकरेंसी जिस तरह के धुंधलके में काम करती है, उसमें इसके संचालन के संबंध में कोई सवाल नहीं पूछे जाते हैं। इसीलिए, हैरानी की बात नहीं है कि एफटीएक्स की मुद्रा, एफटीटी खरीदने व जमा कर के रखने वालों को, काफी समय तक तो अलमेडा नाम की फर्म की बैलेंस शीट की स्थिति का और यहां तक कि उसकी मिल्कियत का भी अता-पता ही नहीं था, जबकि इसका स्वामित्व भी सेम बैंकमेन-फ्रीड के ही पास था। और इसमें भी हैरानी की बात नहीं है कि एफटीएक्स के खातों की शायद ही समुचित तरीके से ऑडिटिंग हुई होगी, वर्ना इस तरह की ऑडिटिंग में सेम बेंकमेन-फ्रीड की हेरफेरियां अवश्य ही उजागर हो गयी होतीं।

क्रिप्टोकरेंसी, एक धुंधलके में काम करने वाली व्यवस्था से आती है, जो पूंजीवादी व्यवस्था के गिर्द विकसित हुई है। इस धुंधलके वाली व्यवस्था से, पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाड़ी अच्छे-खासे निजी फायदे बटोरते हैं, मिसाल के तौर पर अपनी ऐसी परिसत्तियों को लगाना, जो आधिकारिक हिसाब-किताब से बाहर हैं। फिर भी यह धुुंधलके वाली व्यवस्था, पूंजीवादी व्यवस्था की कार्य-प्रणाली का आवयविक हिस्सा नहीं है। पूंजीवादी व्यवस्था के काम-काज के साथ, हेरा-फेरी के धंधे भी लगे रहते हैं, फिर भी जैसाकि माक्र्स ने बड़ी मेहनत से रेखांकित  किया था, पूंजीवादी व्यवस्था को सिर्फ हेरा-फेरी की व्यवस्था की तरह देखना, एक भारी भूल करना होगा।

हेराफेरी भरे तौर-तरीके

अचरज की बात नहीं है कि अमरीकी सरकार ने एफटीएक्स को बचाने की उस तरह से कोई कोशिश नहीं की थी, जिस तरह से उसने लेहमान ब्रदर्स के बैठने के बाद, अमरीका की शेष वित्तीय व्यवस्था को बचाने की कोशिश की थी। ओबामा प्रशासन ने उस समय इस काम के लिए 130 खरब डालर उपलब्ध कराए थे। जाहिर है कि क्रिप्टोकरेंसी जैसी व्यवस्था, जो सचेत रूप से सरकारी निगरानी से दूर रहने का प्रयास करती हो, ऐसे संकट के समय में सरकार से बचाने के लिए मदद करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। और कोई भी सरकार इतनी दीदादिलेरी नहीं दिखा सकती है कि ऐसी किसी व्यवस्था को संकट से निकालने के लिए वे सिर्फ इसलिए उतर पड़े क्योंकि उसने सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को तगड़ा चंदा दिया था!

अगर लेहमान ब्रदर्स का प्रभाव पूंजीवाद की कार्य-पद्घति के साथ जुड़ा हुआ था, तो एफटीएक्स का पतन उन हेराफेरी भरे तरीकों का नतीजा है, जो क्रिप्टोकरेंसी की पूरी दुनिया के चरित्र को दर्शा सकते हैं और सामान्यत: दर्शाते हैं। वास्तव में इन हेराफेरी भरे तरीकों का बोलबाला ही तो उसे इस दुनिया में रहने वाले लोगों के लिए आकर्षक बनाता है।

पुन: इसमें भी हैरानी बात नहीं है कि इस संबंध में भी सवाल उठ रहे हैं कि ‘यूक्रेन के लिए मदद’ फंड में से वास्तव में कितना पैसा यूक्रेन भेजा गया है, किसे भेजा गया है और इसमें से कितने पैसे का वास्तव में उस उद्देश्य के लिए उपयोग किया गया है, जिसके नाम पर यह पैसा जमा किया गया था। चूंकि इस पूरे के पूरे कार्यक्रम की ही पहचान उसकी शून्य जवाबदेही तथा शून्य पारदर्शिता है और चूंकि इसके संबंध में जितनी भी जानकारी निकलकर आयी है, संबंधित वैब पेज पर समय-समय पर आयी परस्पर असंबद्घ टिप्पणियों से जोड़-जाडक़र निकाली गयी हैं, इस तरह के सवाल तो उठेंगे ही। बहरहाल, यह यूक्रेन की सरकार और उसके पश्चिमी समर्थकों के बारे में भी काफी कुछ बताता है, जिन्होंने एफटीएक्स जैसे संदिग्ध संगठनों को, यूक्रेन की मदद करने के नाम पर, करोड़ों डालर का चंदा करने दिया है।

क्या सही सबक लिए जाएंगे?

एफटीएक्स का बैठ जाना क्रिप्टोकरेंसी की समूची व्यवस्था के ही भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण सवाल उठाता है। बेशक, एफटीएक्स के बैठ जाने से बहुत सारे लोगों को घाटा हुआ होगा, लेकिन यह व्यवस्था कोई खुद ब खुद खत्म नहीं हो जाएगी। असली सवाल यह है कि एफटीएक्स का पतन, सरकार की ओर से किस तरह की नीतियों को सामने लाता है। चीनी सरकार ने काफी समय से क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। भारत सरकार ने 2021 में इसका एलान किया था कि वह क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी लगाने के लिए संसद में विधेयक लाएगी, लेकिन उसने अब तक ऐसा किया नहीं है। हेरा-फेरी करने वालों के प्रति इस सरकार की नरमी को देखते हुए जिसका एक स्वत:स्पष्ट उदाहरण बैंकों के धन की निजी लूट के प्रति इस सरकार का उदारता से माफी देने का रुख हमेशा है। इसमें संदेह ही है कि उक्त विधेयक कभी संसद में लाया भी जाएगा। लेकिन, अगर वाकई ऐसा होता है तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा।

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