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पूर्णिया विश्वविद्यालय के दिवंगत कर्मियों के आश्रित नियुक्ति के लिए 13 अक्टूबर से करेंगे आमरण अनशन

पिछले साढ़े चार वर्षो में आश्रितों द्वारा कई बार लिखित आवेदन दिया गया बावजूद इसके अब तक अनुकंपा पर आश्रितों की नियुक्ति नहीं हुई जिससे दिवंगत कर्मचारियों के परिवार के लोगों में नाराज़गी है।
Purnea University
Image courtesy : wikiwand

बिहार के पूर्णिया विश्वविद्यालय में अनुकंपा पर नौकरी पाने वाले आश्रित 13 अक्टूबर से आमरण अनशन करेंगे। इस दौरान परिवार जनों के साथ सभी आश्रित विश्वविद्यालय प्रशासन के ख़िलाफ़ आंदोलन करेंगे। बताया जा रहा है कि सभी आश्रित पिछले 4 वर्षों से अनुकंपा पर नौकरी के लिए भटक रहे हैं। उनका कहना है कि अब धैर्य टूट चुका है।

हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार विश्वविद्यालय के दिवंगत कर्मचारियों के इन आश्रितों ने कुलसचिव और कुलपति को ज्ञापन सौंपकर 13 अक्टूबर से विश्वविद्यालय में आमरण अनशन शुरू करने की घोषणा की है। सेवाकाल में दिवंगत कर्मचारियों के आश्रित अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए साढ़े चार वर्षों से पूर्णिया स्थित पूर्णिया विश्वविद्यालय का चक्कर लगा रहे हैं।

पिछले साढ़े चार वर्षो में आश्रितों द्वारा कई बार लिखित आवेदन दिया गया बावजूद इसके अब तक अनुकंपा पर आश्रितों की नियुक्ति नहीं हुई जिससे दिवंगत कर्मचारियों के परिवार के लोगों में नाराज़गी है। लंबे समय से अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति नहीं होने के कारण सभी आश्रित आर्थिक रूप से बहुत कमज़ोर हो चुके हैं। ख़ुद को मानसिक रूप से प्रताड़ित बताते हुए इन आश्रितों का कहना है कि बिहार सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक से अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ करने की अनुमति मिलने के बाद पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति ने 2 माह पूर्व हम लोगों को यह आश्वासन दिया था कि नियुक्ति संबंधी सारी बाधाएं अब ख़त्म हो चुकी है। विश्वविद्यालय स्तर से जो भी प्रक्रिया बाक़ी रह गई है, उसे 15 दिनों के भीतर पूरा करके आपलोगों की नियुक्ति पत्र की अधिसूचना निर्गत कर दी जाएगी। कुलपति के इसी आश्वासन पर हमलोगों ने 2 अगस्त से होनेवाले आमरण अनशन को स्थगित कर दिया था। मगर 25 अगस्त को अनुकंपा समिति की बैठक में नियुक्ति पत्र निर्गत करने संबंधी उचित निर्णय नहीं लेने से अनुकंपा अभ्यर्थियों का सब्र का बांध अब टूट गया है और वे 13 अक्टूबर से पूर्णिया विश्वविद्यालय मुख्यालय में आमरण अनशन पर बैठने को मजबूर हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक आश्रितों का कहना है कि आंदोलन के दौरान अगर कुछ भी अप्रिय घटनाएं घटती हैं तो इसकी सारी जवाबदेही विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी। इससे पहले भी वेतन भुगतान एवं अन्य मांगों को लेकर पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया में चल रहे धरना प्रदर्शन के दौरान पूर्णिया विश्वविद्यालय के एक कर्मचारी का निधन हो गया था।

विश्वविद्यालय के दिवंगत कर्मियों के आश्रितों का कहना है कि अब लगता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन 13 अक्टूबर से इन आश्रितों की भी मौत का तमाशा देखना चाहती है। पूर्णिया विश्वविद्यालय अपने ही दिवंगत कर्मचारियों के आश्रितों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। अब तक नियुक्ति पत्र जारी नहीं करना विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्य शैली पर सवाल खड़ा कर रहा है जबकि पूर्णिया विश्वविद्यालय के साथ ही मुंगेर विश्वविद्यालय एवं पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की जा चुकी है।

ज्ञात हो कि पूर्णिया विश्वविद्यालय के द्वारा अनुकंपा के आधार पर बहाली की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सरकार से अनुमति मांगी गई थी। सरकार से अनुमति मिलने के बाद पूर्णिया विश्वविद्यालय ने अनुकंपा समिति का गठन कर दिया था। अनुकंपा समिति के गठन होने के बाद अनुकंपा के आधार पर बहाली की प्रक्रिया शुरू होने की बात प्रशासन की ओर से कही गई थी। पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजनाथ यादव अनुकंपा समिति के चेयरमेन बनाए गए थे जबकि रजिस्ट्रार प्रोफेसर घनश्याम राय मेंबर सेक्रेट्री बनाए गए थे।

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