क्या 80 करोड़ लोगों को दी जाने वाली मुफ़्त अनाज योजना बंद हो जाएगी?
भारत की ग़रीबी इतनी गहरी है कि सरकार 5 किलो मुफ्त अनाज देने की योजना बनाती है तो वह भी बहुत बड़ी राहत लेकर आती है। मगर सरकार इतनी पाखंडी है कि इस हल्की सी मदद का भी चुनाव में ऐसा प्रचार प्रसार करती है जैसे लोगों को सब कुछ दे दिया हो। सवाल यही है कि खाद संकट से निपटने के लिए सरकार सरकारी खजाने की तरफ ज्यादा ध्यान देती है या गरीब लोगों की भूख को?
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