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दलितों के ख़िलाफ़ हमले रोकने में नाकाम रही योगी सरकार

पिछले साल जारी एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देश भर में उत्तर प्रदेश में साल 2020 में दलितों के खिलाफ सबसे अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए। यहां 12,714 मामले (25.2 प्रतिशत) दर्ज किए गए थे।
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यूपी में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही दलितों पर हमले शुरू हो गए थे। 14अप्रैल 2017 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले में आंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में निकली गई शोभायात्रा के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। दलित और मुसलमान में हुए टकराव में पत्थरबाज़ी, आगज़नी व फायरिंग हुई थी। इसमें स्थानीय सांसद राघव लखनपाल शर्मा, एसएसपी लव कुमार समेत कई अन्य लोग घायल हो गए थे। घटना सहारनपुर के सड़क दूधली गांव में हुई थी। इस दौरान दो पक्षों के बीच पथराव हो गया था और छह घंटों तक उपद्रव हुआ था।

इस घटना के बाद 2017 में ही सहारनपुर में 5 मई को राजपूतों और दलितों के बीच टकराव शुरू हुआ था। 9 मई को फिर हिंसा भड़की थी। सहारनपुर के शब्बीरपुर में दलितों के सैंकड़ों घरों को जला दिया गया था। हिंसा में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी जबकि कई लोग घायल हो गए थे। 23 मई को एक बार फिर हिंसा भड़क उठी थी।

मई 2017 में सहारनपुर में दलित समझकर प्रजापति समाज के दो लोगों पर हमला कर दिया गया था। हमले के दौरान एक व्यक्ति को मारी लगी थी। घटना सहारनपुर के नानौता बड़गांव मांर्ग की थी। मई महीने में ही मायावती की रैली से लौटते वक्त दलित युवकों पर हमला किया गया था जिसमें आशीष नाम के एक युवक की मौत हो गई थी।

अक्टूबर 2017 में सावित्री नाम की दलित गर्भवती महिला 20 तारीख को देर शाम वो साफ-सफाई करने गांव में गई थी। इस दौरान अंजू नाम की महिला वहां से गुजरी तो उसकी परात से सावित्री टकरा गई जिसपर अंजू नाराज हो गई और उसने अपने बेटे के साथ मिलकर पिटाई करनी शुरू कर दी थी। इस पिटाई में सावित्री गंभीर रूप से घायल हो गई थी। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।

वर्ष 2018 की शुरूआत में ही उत्तर प्रदेश के कासगंज में पुलिस ने आधिकारिक तौर पर कह दिया था कि दलित दूल्हे का घोड़ी पर बैठना शांति के लिए ख़तरा है। उत्तर प्रदेश के कासगंज ज़िले के निज़ामपुर गांव की रहने वाली शीतल चाहती हैं कि उनकी बारात भी गाजे-बाजे के साथ आए और वो ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर से विदा हो लेकिन प्रशासन से मदद नहीं मिली तो उनके मंगेतर ने ज़िलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक इसकी शिकायत की और सुरक्षा की मांग की थी। पुलिस ने यहां तक कह दिया था कि, "गांव में गोपनीय रूप से जांच की गई तो जानकारी हुई कि आवेदक के पक्ष के लोगों की बारात गांव में कभी नहीं चढ़ी है और आवेदक के द्वारा गांव में बारात चढ़ाए जाने से शांति व्यवस्था भंग होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता और गांव में अप्रिय घटना भी हो सकती है।"

उधर दादरी ज़िले के संजरवास गांव में जब एक दलित दूल्हे की बारात आई तो राजपूतों ने हमला कर दिया था। इस घटना में दूल्हा समेत कई बाराती और लड़की वाले जख्मी हो गए थे। हमला करने वालों का कहना था कि दलित दूल्हा घोड़ी पर सवार होकर नहीं आ सकता क्योंकि उन्हें इसका अधिकार नहीं है।

मई 2018 में बदायूं ज़िले में वाल्मीकि समाज के एक व्यक्ति सीताराम वाल्मिकी के साथ मारपीट की गई थी और उसकी मूंछ उखाड़ ली गई थी इतना ही नहीं उसे जूते में पेशाब पिलाया गया था। वह अपने खेत में जब गेंहू काट रहा था तो ऊंची जाति के लोग चाहते थे कि वह पहले उनके खेत का गेहूं काटे लेकिन सीताराम के मना करने पर उन लोगों ने खेत में ही पिटाई कर दी थी और गांव ले गए जहां पेड़ से बांधकर उससे मारपीट की गई थी और जूते में पेशाब पिलाया गया था।

यूपी के मुजफ्फरनगर ज़िले के तुगलकपुर गांव में जुलाई 2018 में ऐसा ही एक मामला सामने आया था जहां काम करने से मना करने पर दो दलितों की कथित तौर पर पिटाई की गई थी।

दिसंबर 2018 में यूपी के एटा जिले में ठाकुर बिरादरी के कुछ बदमाश युवकों ने एक दलित युवक की बारात के दौरान हमला कर दिया था। दलित दूल्हा घोड़ी पर सवार था तो ठाकुर समुदाय के युवकों ने उसे घोड़ी से उतार दिया था, उसे भद्दी- भद्दी गालियां दी थी और फिर पंडाल तक पैदल चलने को मजबूर किया था।

जून 2019 में यूपी के कौशांबी में सरकारी हैंडपंप पर पानी लेने गई दलित महिला को निर्वस्त्र कर बेरहमी से पीटा गया था। छुआछूत का आरोप लगाते हुए दबंगो ने दलित मासूम और उसकी मां को निर्वस्त्र कर बेरहमी से पिटा था। इतना ही नहीं महिला ने आरोप लगाया था कि जब वह इस मामले की शिकायत लेकर थाने पहुंची तो इंस्पेक्टर ने उसे भला बुरा कह कर थाने से भगा दिया था।

जुलाई 2019 में जौनपुर में तीन दलित युवकों को निर्वस्त्र कर पिटाई करने का मामला सामने आया था। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें तीन युवकों की बेरहमी से पिटाई की जा रही थी। इसी महीने यूपी का सुल्तानपुर के कल्याणपुर गांव में दबंगों ने असलहा से लैस होकर दलित लोगों पर इसलिए हमला बोल दिया था कि उन्होंने नलकूप के लिए बिछाई जा रही नंगे विद्युत तार को लगाने से मना कर दिया था। इस हमले में एक महिला की मौत हो गई थी।

छह जून 2020को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा और आठ जून को बिजनौर में दलित समुदाय के दो लोगों की हत्या का मामला सामने आया था। जून2020 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जिले गोरखपुर में थाना गगहा के तहत आने वाले पोखरी गांव में में दलितों की एक बस्ती पर 100 से ज्यादा ठाकुरों ने हमला कर दिया था। इस हमले में बहुत से लोगों को गंभीर चोटें आई थी।

साल 2020 में मंदिर में प्रवेश को लेकर अमरोहा में हसनपुर इलाके के डोमखेड़ा गांव के एक दलित युवक विकास जाटव की हत्या कर दी गई थी। विकास के पिता ओमप्रकाश के अनुसार लड़ाई मंदिर में प्रवेश को लेकर ही हुई थी और  और हमने इस बारे में पुलिस में तहरीर भी दी थी। उन्होंने मीडिया से कहा था कि, "हमने पुलिस में शिकायत की थी कि हमें मंदिर में जाने नहीं दिया जा रहा है और धमकी भी दी जा रही है। लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। आखिरकार एक हफ्ते के भीतर उन लोगों ने मेरे बेटे की हत्या कर दी और हमें भी धमकी दी कि यदि चुप नहीं बैठे तो मार देंगे।”

अक्टूबर 2021में ग्रेटर नोएडा के कोतवाली रबूपुरा क्षेत्र में स्थित कानपुर गांव में दलित समाज की बैठक से नाराज हथियारबंद दबंगों ने परिवार पर हमला कर दिया था जिसमें चार महिलाओं समेत आधा दर्जन लोग घायल हो गए थें। इस बैठक की खबर जब स्वर्ण लोगों के पास पहुंची थी तो वे नाराज हो गए थे और तमंचे रॉड और धारदार हथियार के साथ दलित रामविलास के घर में घुस गए थे और परिवार के सदस्यों पर हमला बोल दिया था। महिलाओं के साथ छेड़खानी की गई थी। घटना की शिकायत करने पर जान से मरने की धमकी भी थी।

जून 2021 आजमगढ़ में एक दलित प्रधान के घर पर तोड़फोड़ की गई थी और घर को आग के हवाले कर दिया गया था। इतना ही नहीं महिला के साथ दुर्व्यवहार किया गया था और उनको भद्दी गालियां दी गई थी। इसी महीने चंदौली में दलित की एक स्लम बस्ती में आग लगा दी गई थी। इसी साल जुलाई महीने में एक दलित युवक को यूपी कानपुर देहात जिले में कुछ लोगों ने बुरी तरह पीटा था और उसके प्राइवेट पार्ट पर हमला किया था। इस घटना की वीडियो वायरल हुई थी।

पिछले साल नवंबर महीने में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक दलित परिवार के चार लोगों की कुल्हाड़ी से मार कर हत्या कर दी गई थी। दबंगों ने इस दौरान एक नाबालिग़ बच्ची के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया था।

पिछले साल जारी एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देश भर में उत्तर प्रदेश में साल 2020 में दलितों के खिलाफ सबसे अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए। यहां 12,714 मामले (25.2 प्रतिशत) दर्ज किए गए थे।

दलित महिलाओं से रेप

उत्तर प्रदेश में दलित महिलाओं से रेप की घटना में कोई कमी नहीं आई। कुछ हफ्ते पहले उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में दबंगों ने एक दलित नाबालिग लड़की का अपहरण कर गैंगरेप किया था। आरोप है कि दबंगों ने नशीली गोली खिलाकर रात भर सामूहकि बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया।

यूपी के हाथरस में दलित युवती के साथ हुई बर्बर गैंगरेप की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। हाथरस ज़िले में 14 सितंबर 2020 को सवर्ण जाति के चार युवकों ने 19 साल की दलित युवती के साथ बर्बर तरीके से मारपीट करने के बाद गैंगरेप किया था। इस घटना के बाद युवती की दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। हरदोई इलाके में एक दलित नाबालिग लड़की से दो बार किया रेप किया गया। पहली बार वर्ष 2020 में आरोपी बलात्कार किया था।

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