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आईएल एंड एफएस संकट: रेटिंग संस्थानों को सुधारने की ज़रुरत

कंपनी द्वारा नकदी की समस्या के स्पष्ट संकेतों के बावजूद 14 सितंबर की अदायगी में चूक के बाद इसकी रेटिंग गिरनी शुरु हुई जिससे म्यूचुअल फण्ड, भविष्य निधी और पेंशन निधि सब खतरे में पड़ गये हैं।
ILFS

म्यूचुअल फंड, भविष्य निधि, पेंशन फंड और बीमा कंपनियों के लिए, इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंस कंपनी (आईएल एंड एफएस) का लगभग बर्बाद हो जाना एक बहुत बड़ी आपदा है। आईएल एंड एफएस की अपनी चेतावनियों के बावजूद बहुत कम लोगों को ऐसा होने की आशंका थीI क्यों? क्योंकि उन सब को रेटिंग एजेंसियों, क्रिसिल (एस एंड पी सहयोगी), आईसीआरए (Moody के सहयोगी), इंडिया रेटिंग्स (Fitch की सहायक कंपनी) और केयर पर बड़ा विश्वास था।

रेटिंग एजेंसियों के प्रति अब यह विश्वास बिखर गया है। और इसकी वजह भी है, क्योंकि अब इस धन को प्रतिभूतियों के हवाले कर दिया गया है – जिसमें वाणिज्यिक कागजात, डिबेंचर शामिल है और जिनके  मूल्य में गिरावट आई है। आईएल एंड एफएस फंड का कर्ज़ 31,000 करोड़ रुपये के करीब है। इसका मतलब कि आईएल एंड एफएस के ऋण का लगभग एक तिहाई म्यूचुअल फंड, भविष्य निधि और पेंशन फंड से है। इन सब ने रेटिंग के आधार पर निवेश किया गया था।

असुरक्षित निवेश  

हालांकि, आईएल एंड एफएस के प्रति बैंकों के असुरक्षित निवेश (एक्सपोजर) बहुत कम है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बैंकों में कड़ी सिंगल-पार्टी एक्सपोजर की सीमाएं और सेक्टर एक्सपोजर सीमाएं हैं। इसके अलावा, कुछ बैंकों ने आईएल एंड एफएस की अचल संपत्ति को कोलाट्रल (मतलब संपत्ति गिरवी रखने के एवज़ में कर्ज़ देने की व्यवस्यथा) के रूप में भी लिया है।

हालांकि म्यूचुअल फंड के संबन्ध में ऐसी स्थिति नहीं थी। ये फंड, विशेष रूप से कर्ज़ और संतुलित धन, भारतीय रिजर्व बैंक के एक्सपोजर मानदंडों से नहीं जुड़े हैं। इन्हें रेटिंग और प्रतिभूतियों पर मुनाफे के अंदाज़े के आधार पर निर्धारित किया जाता है। आदर्श रूप से, सर्वश्रेष्ठ रेटिंग वाली कंपनी जो उच्चतम मुनाफे की पेशकश करती है उसके म्यूचुअल फंड बाजार में ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित करते हैं। इसका मतलब है कि ये निवेश बदले में अपने निवेशकों को अच्छे मुनाफे की पेशकश करने में सक्षम हैं। माध्यमिक बाजार में, ऐसी प्रतिभूतियां मौजूद हैं जो छुटकारा पाने के दबावों का सामना करने वाले फंड की स्थिति में ग्राहकों को ढूंढती हैं।

भविष्य निधि और पेंशन फंड के अलावा यह भी सच है कि इन्होने कॉर्पोरेट बॉन्ड में भी काफी निवेश किया है। यह भी सच है कि इस धन को उनके आईएल एंड एफएस निवेश पर होने वाले नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। कर्मचारी भविष्य निधि को कॉर्पोरेट ऋण में कम से कम 20 प्रतिशत, सरकारी प्रतिभूतियों में 45 प्रतिशत और इक्विटी या इक्विटी उन्मुख फंडों में 5 प्रतिशत कॉरपोरस निवेश करने की इजाजत है। दिशानिर्देश में ऑपरेटिव शब्द 'न्यूनतम' है। इस समझ के मुताबिक 10 लाख करोड़ रुपये के कॉर्पस का मतलब है कि फंड में कम से कम 2 लाख करोड़ रुपये निवेश की अनुमति है।

2008 तक, भविष्य निधि केवल सरकारी प्रतिभूतियों, राज्य सरकार की प्रतिभूतियों और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं द्वारा जारी किए गए बॉन्ड मुद्दों में कुछ हद तक निवेश करने के लिए प्रतिबंधित थी। लेकिन उसके बाद से जारी किए गए दिशानिर्देशों ने समय-समय पर निजी कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार में भविष्य निधि को निवेश करने के जोखिम को बढ़ाया है। लेकिन निवेश से सम्बंधित दिशानिर्देश "डबल ए" के बराबर रेटिंग वाले निवेश के लिए प्रतिबंधित थे।

हालांकि, पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण "सिंगल ए" –घोषित निवेश के टूल्स में निवेश की अनुमति देता है, जिसमें यह चेतावनी है कि निवेश को कॉर्पोरेट पाउंड में उसके कुल निवेश का 5 प्रतिशत से अधिक निवेश करने की अनुमति नहीं है। इसका मतलब यह होगा कि कॉर्पस का लगभग 1 प्रतिशत एकल ए रेटेड प्रतिभूतियों में निवेश किया जाएगा। वास्तव में, यह निवेश के लिए उपरी नियामक हद होगी।

निवेश की नियामक की हद के साथ धोखा  

हकीकत यह है कि आईएल और एफएस तबाही की वजह का मतलब है कि ज्यादातर फंड वास्तव में अपनी निवेश की हद का उल्लंघन कर चुके हैं। इस गिरावट होने के कई कारण मौजूद हैं। डबल ए रेटेड (निवेश के,लिए इस्तेमाल किए जाने वाली योजनाए) उपकरण या तो अदायगी से चुक गए हैं या फिर चुकने के कगार की "सिंगल बी" रेटिंग पर हैं। इन निवेश किए गए कागजात को तकनीकी रूप से भविष्य निधि या पेंशन फंड या यहां तक कि बीमा कंपनी के निवेश के खातों में दर्ज़ करने की अनुमति नहीं है। फिर भी धन अब चुंकि प्रतिभूतियों के साथ अटक गया है जहां अदायगी में बड़ी चूक हुई है। पुनर्भुगतान में काफी समय लग सकता है या वास्तव में कभी चुकाया भी नहीं जा सकता है या केवल आंशिक रूप से चुकाया जा सकता है। इसका मतलब यह होगा कि असुरक्षित बॉन्ड को हटाने या उन्हे किनारे करने में कोई भी पुनर्गठन या फिर से उन्हे जीवित करना की संभावना नहीं है।

म्यूचुअल फंड के लिए, ऐसे स्थगन या उन्हे माफ करने का मतलब होगा कि उसकी अंतिम लागत निवेशकों को देनी होगी। वैसे ही जैसे दोनों, भविष्य और पेंशन फंडों के मामले में जहां सेवानिवृत्ति की आय के लिए बचाए धन के लिए लागतों का खर्च निवेशकर्ताओं को उठाना होगा।

फंड उच्च वापसी पर भी आईएल एंड एफएस निवेश की होल्डिंग से छुटकारा पाने में असमर्थ हैं। छुटकारा पाने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मौजूदा रोकडे की मांग को देखते हुए, फंड सचमुच नकदी की कमी से ग्रस्त हैं। सिद्धांत के रुप में घाटे का सामना कर रहे म्यूचुअल फंड को माध्यमिक बाजारों में प्रतिभूतियों को उतारने का प्रयास कर सकते हैं, जिससे व्यापार लाभ के माध्यम से घाटे को समाप्त करने की उम्मीदों के साथ ऐसा किया जा सकता है।

भविष्य निधि और पेंशन फंडों के लिए, उनकी व्यापार आवृत्तियों कम है, और अधिकांश निधि उसके परिपक्कव होने तक उस निवेश के उपकरणों को पकड़ कर रख सकते हैं। परिपक्वता तक उस निवेश को अपने पास रखने की अवधारणा उनके निवेश के अंतर्निहित धारणा से आती हैं जिसमें रेटिंग एजेंसियों द्वारा जारी क्रेडिट रेटिंग ग्रेड मुख्य आधार होता है।

रेटिंग एजेंसियों की चूक

लेकिन क्या रेटिंग एजेंसियां इनकार कर सकती हैं कि वे आईएल एंड एफएस में घट रही घटनाओं से अनजान थे? क्या वे खुद को निरीक्षण की वर्तमान विफलताओं से मुक्त कर सकते हैं? आखिरकार, एक बार दिए गए रेटिंग का मतलब है कि ग्राहकों को निरंतर निगरानी के तहत रखा जाना चाहिए। हालांकि, आईएल एंड एफएस द्वारा रोकडे की समस्याओं के स्पष्ट संकेत दिए जाने के बाद भी, रेटिंग एजेंसियों द्वारा इसका डाउनग्रेड 14 सितंबर के वाणिज्यिक पेपर की विफलता की घोषणा के बाद ही शुरू हुआ। यह एक आंशिक कारण हो सकता है क्योंकि रेटिंग एजेंसियां अक्सर ग्राहक गोपनीयता के प्रावधान के पीछे आश्रय लेती हैं। यह तब होता है जब सभी उधारकर्ताओं रेटिंग की वजह से भुगतान कर चुके होते हैं। रेटिंग देने वालो के लिए ग्राहक रेटिंग के बिना क्रेडिट रेटिंग या डाउनग्रेड प्रकट करने का  का उन पर बहुत कम दायित्व होता है। रेटिंग एजेंसियों की खुद की आय सभी रेटिंग सेवा के लिए उसके ग्राहकों से आती है। क्या क्रेडिट रेटिंग के आकलन करने के लिए उनके साथ क्रेडिट योग्यता के शुल्क का अनुबंध नहीं है?

माध्यमिक बाजार में विशेष रूप से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऋण और कोलाट्रल उधारी और ऋण दायित्व (सीबीएलओ) बाजार (अंतर-संस्था उधार और रातोंरात धन उधार देने में) बहुत तेज थे। आईएल और एफएस बॉन्ड की कीमतें तेजी से गिर गईं या, दूसरे शब्दों में कहें तो निवेश पर वपसी में तेजी से बढ़ोतरी हुयी। संकेत यह है कि 20 प्रतिशत पर पैदा मुनाफे पर भी, आईएल एंड एफएस बॉन्ड के लिए कोई खरीदार नहीं था। वर्तमान माहौल में 20 प्रतिशत (या तरलता लागत) पर मुनाफे की पैदावार ज्यादातर उन उधारकर्ताओं के लिए होती है जो एक श्रेणी में हैं जो डिफ़ॉल्ट(चूक) के रूप में उच्च क्षमता वाले होते हैं। सीबीएलओ बाजारों में, आईएल एंड एफएस बॉन्ड को अब कोलाट्रल के रूप में स्वीकार नहीं किया जा रहा है। वास्तव में, अधिकांश निजी कॉर्पोरेट बॉन्ड अब स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं। रेटिंग के बावजूद सबसे बड़ी विश्वसनीयता वाले एकमात्र बॉन्ड सार्वजनिक क्षेत्र के बॉन्ड हैं।

फिर भी, रेटिंग एजेंसियों ने तबाही के इशारे को समझने से इनकार कर दिया और आईएल एंड एफएस को तबाही की तरफ धकेल दिया है। आईसीआरए का आईएल एंड एफएस के प्रति गिरावट केवल 20 सितंबर को आयी थी जब इन्फ्रा प्रमुख 12 सितंबर से लगातार पहले से ही अदायगी से चूक रहा था। हालांकि रेटिंग एजेंसियों के उत्तरदायी होने की संभावना कम है, क्योंकि उनका अनुबंध उन ग्राहकों के साथ है, जिनके लिए वे रेटिंग का काम करते हैं। रेटिंग एजेंसियों के कार्यों में संभावित निवेशकों से भरोसेमंद वापासी शामिल नहीं होती हैं। वे सभी वित्तीय क्षेत्र नियामकों की किसी भी नियामक निगरानी के दायरे से बाहर काम करते हैं।

सौभाग्य से, सार्वजनिक क्षेत्र में या निजी क्षेत्र में कुछ बैंकों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार के विपरीत क्रेडिट रेटिंग के आधार पर निवेश किया है। हालांकि आरबीआई दिशानिर्देश रेटिंग-आधारित दृष्टिकोण प्रदान करते हैं, लेकिन बैंक कई जोखिम भरे परिदृश्यों और कॉलाट्रल के आधार पर आंतरिक आकलन पर भरोसा करते हैं। उधार जोखिम जितना अधिक होगा, उतना ही अधिक कॉलाट्रल या भौतिक संपत्ति कवर होगा। कॉलाट्रल का मूल्य ऋण के मूल्य से कम से कम 150 प्रतिशत अधिक होना चाहिए। यह सरकार की नव उदारवाद  की नीति है जो 2008 के बाद से बैंकों ने वित्तीय बाजारों में बैंकों से सार्वजनिक बचत को लगातार निवेश किया है।

नतीजतन, संकेत यह है कि आईएल और एफएस परिसंपत्तियों की कोई भी तेज़ी से बिक्री उसके फंड और अंतरराष्ट्रीय उधारदाताओं के विश्वास को वापस पैदा करने पर केंद्रित होगी। अब तक, आईएल एंड एफएस का  अंतर्राष्ट्रीय दायित्व 550 करोड़ रुपये है। राशि छोटी हो सकती है, लेकिन एक भी चूक कॉर्पोरेट क्षेत्र में अविश्वास को बढ़ा सकता है, और जो अन्तत कर्ज़ वापसी की मांग को बढ़ा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय उधारदाताओं ने अब तक अपने किसी भी ऋण को वापस नहीं लिया है, हालांकि अनुबंध इसके लिए उन्हे वापसी की सुविधा प्रदान कराते हैं। लेकिन ऋण को वापस लेने वाले वैश्विक उधारदाताओं का जोखिम बना हुआ है, क्योंकि यह सभी के खिलाफ कॉर्पोरेट जोखिम है। वास्तव में, यह म्यूचुअल और सेवानिवृत्ति निधि और वैश्विक उधारदाताओं के प्रति आईएल एंड एफएस का पतन ही है जो सरकार को कंपनी के बोर्ड के अधिग्रहण को मंजूरी देने के लिए प्रेरित करता है।

हालांकि, आईएल और एफएस को ठीक करना केवल एक अल्पकालिक समाधान है। यह रेटिंग एजेंसियां हैं जिन्हें वास्तव में कुछ हद तक सुधारने की आवश्यकता है क्योंकि इसमें सार्वजनिक हित शामिल है!

(लेखक को बिजनेस स्टैंडर्ड और हिंदू बिजनेस लाइन समेत वित्तीय पत्रकारिता में लिखने का 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है। वे एक प्रसिद्ध ब्रोकिंग कंपनी में एक विदेशी मुद्रा व्यापारी भी रहे है। अब वे वन्यजीवन फोटोग्राफी और तमिलनाडु के नीलगिरिस जिले के कोटागिरी में खेती के अपने जुनून को पूरा कर रहे हैं)

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