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अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"

अलीगढ़ के श्री वार्ष्णेय कॉलेज के एस आर ख़ालिद का कॉलेज के पार्क में नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद एबीवीपी ने उन पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की थी। कॉलेज की जांच कमेटी गुरुवार तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
aligarh namaz issue SR Khalid

अलीगढ़ के श्री वार्ष्णेय कॉलेज में अभी हिजाब-बुर्क़े का विवाद शांत हुआ ही था कि हिंदुत्ववादी संगठनों ने एक मुस्लिम प्रोफ़ेसर के नमाज़ पढ़ने पर भी हंगामा मचा दिया। कॉलेज के लॉ विभाग के प्रोफ़ेसर डॉ शाह राज़िक़ ख़ालिद का एक वीडियो पिछले हफ़्ते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस वीडियो में वह दोपहर के समय कॉलेज के पार्क में अकेले नमाज़ पढ़ रहे हैं। इस वीडियो के आधार पर बीजेपी के छात्र विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों ने 26 मई को कॉलेज के प्रिंसिपल से प्रोफ़ेसर से शिकायत कर दी। इतना ही नहीं, एबीवीपी ने इलाक़े के थाना गांधी पार्क में भी शिकायत कर प्रोफ़ेसर पर रिपोर्ट दर्ज कर क़ानूनी कार्रवाई करने की मांग की थी।

इस शिकायत के जवाब में कॉलेज प्रिंसिपल अनिल कुमार गुप्ता ने 28 मई को एक कमेटी का गठन कर दिया और एक वीडियो जारी कर के कहा कि कॉलेज में ऐसी धार्मिक गतिविधियां नहीं बर्दाश्त की जाएंगी। इसके बाद 31 मई को ख़बर आई कि प्रिंसिपल ने प्रोफ़ेसर एस आर ख़ालिद को 1 महीने की छुट्टी पर भेज दिया है। और यह भी कहा है कि जांच कमेटी की रिपोर्ट आने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए प्रिंसिपल अनिल कुमार गुप्ता ने कहा, "कॉलेज की छुट्टियां वैसे भी पड़ रही हैं, हमसे प्रोफ़ेसर साहब ने ख़ुद कहा था कि हमको छुट्टी पर भेज दीजिये। जांच कमेटी की रिपोर्ट 1-2 दिन में आ जायेगी, उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।"

गांधी पार्क थाना के इंचार्ज नितिन ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में बताया, "कॉलेज ने इसमें विभागीय जांच कमेटी बनाई है, हम उस रिपोर्ट के आ जाने के बाद ही कोई कार्रवाई कर पाएंगे। देखेंगे कॉलेज क्या सज़ा देता है उसके आधार पर कार्रवाई होगी।"

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एबीवीपी ने अपनी शिकायत में लिखा था, "प्रोफ़ेसर द्वारा नमाज़ पढ़ने से छात्रों के बीच अलगावववाद पैदा हो रहा है, प्रोफ़ेसर के इस कृत्य से साज़िश की बू आ रही है। उनकी मानसिकता माहौल बिगाड़ने और यूपी सरकार को बदनाम करने की है।"

"कमर में दर्द की वजह से नहीं जा पाये थे मस्जिद"

एक तरफ़ एबीवीपी ने दावा किया है कि प्रोफ़ेसर ख़ालिद रोज़ कॉलेज परिसर में नमाज़ पढ़ते हैं। मगर इस बात का खंडन ख़ुद कॉलेज प्रिन्सिपल ने किया है।

न्यूज़क्लिक द्वारा हासिल की गई जानकारी के अनुसार, प्रोफ़ेसर एस आर ख़ालिद ने कहा, "उस दिन ड्यूटी के लिए देरी हो रही थी, मेरी कमर में भी दर्द था इसलिए मैं मस्जिद नहीं जा पाया और पार्क में नमाज़ पढ़ ली थी।"

एबीवीपी ने प्रोफ़ेसर पर कार्रवाई न होने पर कैंपस में हिन्दू छात्रों द्वारा हनुमान चालीसा का पाठ किये जाने की धमकी दी थी।

शिकायतकर्ताओं में भारतीय जनता ईवा मोर्चा के ज़िला उपाध्यक्ष अमित गोस्वामी, एबीवीपी के प्रदेश संयोजक बलदेव चौधरी 'सीटू', छात्र नेता एबीवीपी तनिष्क प्रताप सिंह, एबीवीपी के जय यादव और अन्य शामिल थे।

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बलदेव चौधरी 'सीटू' ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "नमाज़ पढ़ कर प्रोफ़ेसर ने कॉलेज का इस्लामीकरण करने की कोशिश की है। आज ये अकेले पढ़ रहे हैं कल क्लास का हर बच्चा पढ़ने लगेगा। कॉलेज प्रशासन ने कहा है कि छुट्टी पर भेजा है, मगर हम क़ानूनी कार्रवाई और प्रोफ़ेसर को जेल भेजने की मांग कर रहे हैं।"

बलदेव चौधरी ने बताया कि अगर कॉलेज प्रशासन ने सख़्त एक्शन नहीं लिया तो वह वीसी तक शिकायत करेंगे।

क्या कैंपस में नमाज़ पढ़ना अपराध?

हिंदुस्तान में पढ़ने वाले हर छात्र ने अपने स्कूल, कॉलेज में होने वाले धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लिया ही है। चाहे वह हर प्रोग्राम से पहले सरस्वती वंदना हो या सिख स्कूल में सुबह दोपहर और छुट्टी वक़्त 'एक ओंकार' का जाप हो; स्कूलों में आम तौर पर मंदिर या गुरुद्वारे भी होते ही हैं जहां शिक्षक और छात्र-छात्राएं जा कर पूजा करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि वार्ष्णेय कॉलेज के पार्क में अकेले नमाज़ पढ़ते एस आर ख़ालिद ने कौन सा क़ानून तोड़ दिया? कौन सा आपराध कर दिया?

न्यूज़क्लिक ने इस मसले पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र नेता निशांत भारद्वाज से बात की। उन्होंने कहा, "आप जब स्कूल-कॉलेज जाने के लिए घर से निकलते हैं तो आप अपने धर्म अपनी पहचान को घर छोड़ कर तो नहीं आते हैं। अगर कोई प्रोफ़ेसर अकेले बैठ कर, बिना किसी से कुछ कहे नमाज़ पढ़ रहा है तो इसमें तो सीधे सीधे धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की बात आ जाती है।"

निशांत ने आगे कहा, "एबीवीपी को इससे परहेज़ हो सकता है मगर सवाल ये है कि क्या हमारे संविधान को इससे परहेज़ है? नहीं। हमें संविधान का पालन करना चाहिये जो हम आजकल कर नहीं रहे हैं। वार्ष्णेय कॉलेज नोटिस निकलवा दे ना कि हम धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं देंगे या संविधान में लिखवा दीजिये, तो वो तो संभव ही नहीं है न!"

"हर चीज़ प्रोस्पेक्टस में लिखवा दें क्या?" : कॉलेज प्रिंसिपल

न्यूज़क्लिक ने जब कॉलेज प्रिंसिपल अनिल कुमार गुप्ता से सरस्वती पूजा, गणेश वंदना का हवाला देते हुए सवाल किए तो उन्होंने कहा, "सरस्वती पूजा या गणेश वंदना वगैरह सांस्कृतिक चीज़ें हैं, ये कल्चर का हिस्सा हैं। धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में फ़र्क़ है।"

उन्होंने आगे कहा, "हर चीज़ प्रोस्पेक्टस में लिखवा दें क्या कि आप पूजा नहीं करेंगे नमाज़ नहीं पढ़ेंगे ये तो जनरल नियम हैं सब।"

बता दें कि 12 मार्च को वार्ष्णेय कॉलेज में कुछ मुस्लिम छात्राओं द्वारा हिजाब-बुर्क़ा पहन कर आने पर हिन्दू छात्रों ने विरोध किया था और भगवा गमछे बांध लिए थे। विवाद बढ़ गया तो कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर एक नोटिस चस्पा कर दिया गया कि ड्रेस कोड में ड्रेस के अलावा कोई भी कपड़ा जैसे गमछा, हिजाब, बुर्क़ा पहनने की इजाज़त नहीं है।

अलीगढ़ के स्थानीय लोग बताते हैं कि वार्ष्णेय कॉलेज और धर्म समाज कॉलेज में हिंदुत्ववादी सोच के लोग ज़्यादा रहते हैं। एक स्थानीय निवासी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, "इन दोनों कॉलेज में ही मुस्लिम छात्र बहुत कम हैं इसलिए आये दिन मुस्लिम छात्रों के साथ भेदभाव किया जाता है।"

यह भी कहा जाता है कि वार्ष्णेय कॉलज और धर्म समाज कॉलेज की स्थापना अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के साथ प्रतियोगिता के तौर पर की गई थी।

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