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अयोध्या मामला : न्यायालय ने मध्यस्थता प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी, एक अगस्त तक रिपोर्ट मांगी

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने कहा कि मध्यस्थता समिति द्वारा दायर रिपोर्ट पर विचार करने के बाद वह दो अगस्त को फैसला लेगी कि क्या मामले में सुनवाई की जरुरत है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता

 

 उच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में बृहस्पतिवार को मध्यस्थता प्रक्रिया की अनुमति देते हुए उसके नतीजों पर रिपोर्ट एक अगस्त तक मांगी।

 प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने कहा कि मध्यस्थता समिति द्वारा दायर रिपोर्ट पर विचार करने के बाद वह दो अगस्त को फैसला लेगी कि क्या मामले में सुनवाई की जरुरत है।

 न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर विचार करने वाली पीठ ने कहा कि उसके पूर्व के आदेश के अनुसार रिपोर्ट की बातें गोपनीय रहेंगी।

   पीठ में न्यायमूर्ति एस के बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर शामिल हैं।

   पीठ ने कहा, ‘‘उक्त रिपोर्ट द्वारा जो हमारे संज्ञान में लाया गया है, उसे ध्यान में रखते हुए हम मामले की सुनवाई जरुरत पड़ने पर दो अगस्त को या उसके बाद से तय करते हैं।’’

   शीर्ष अदालत ने समिति से उसे 31 जुलाई तक हुई कार्यवाही के नतीजों के बारे में एक अगस्त तक सूचित करने को कहा।  पीठ ने उस पक्षकार की याचिका पर भी संज्ञान लिया जिसने मामले से संबंधित रिकॉर्डों की अनूदित प्रतियों में विसंगतियों का जिक्र किया।

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