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चौथे दिन भी बिहार के सफ़ाई कर्मियों की हड़ताल जारी, बढ़ते जा रहे कूड़े के ढेर

30,000 श्रमिकों ने इस हड़ताल को तब तक जारी रखने का फ़ैसला किया है जब तक कि समान काम के लिए समान वेतन सहित उनकी 12 मांगें सरकार पूरा नहीं कर देती है।
चौथे दिन भी बिहार के सफ़ाई कर्मियों की हड़ताल जारी, बढ़ते जा रहे कूड़े के ढेर
प्रतीकात्मक फ़ोटो: साभार: टाइम्स ऑफ़ इंडिया

हज़ारों सफ़ाई कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के शुक्रवार को चौथे दिन में दाखिल होने से बिहार के शहरों के सड़कों और रिहायशी इलाक़ों में कूड़े के ढेर लग गये हैं।

अधिकारियों की चेतावनियों को नज़रअंदाज़ करते हुए 30,000 चौथे श्रेणी के इन सफ़ाई कर्मचारियों ने हड़ताल को तब तक जारी रखने का फ़ैसला किया है जब तक कि समान काम के लिए समान वेतन, नौकरियों को नियमित करने और आउटसोर्सिंग को ख़त्म करने सहित उनकी 12 मांगें पूरी नहीं की जाती हैं।

बरसों से राज्य सरकार की उदासीनता से निराश और नाराज़ श्रमिकों ने पटना में अलग-अलग जगहों पर कूड़े के ढेर और मरे हुए जानवरों को फेंक दिया है। इस अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान बिहार स्थानीय निकाय कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा और बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ ने किया था। पिछले ही महीने दोनों संगठनों ने लंबे समय से लंबित मांगों को पूरा नहीं करने पर सितंबर की शुरुआत में सफ़ाई कर्मचारियों की ओर से हड़ताल किये जाने की चेतावनी दे दी थी।

महासंघ के नेता चंद्रप्रकाश सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया, "हम अपनी इन वास्तविक मांगों के लिए लड़ना जारी रखेंगे। अगर कूड़े के ढेर लग रहे हैं, तो यह सरकार की नाकामी है।” उन्होंने कहा कि अगर अधिकारी हड़ताल करने वाले इन सफ़ाई कर्मचारियों की बात सुनने को तैयार नहीं हैं, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हस्तक्षेप करना चाहिए।

एक अन्य नेता अमृत प्रसाद ने कहा कि इस बार पटना नगर निगम (PMC) समेत सभी शहरी स्थानीय निकायों के सफ़ाई कर्मचारी एकजुट हैं। उन्होंने कहा, “जब तक सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं करती, यह अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी। हम सरकारी कार्रवाई से नहीं डरते।”

पीएमसी ने गुरुवार को पटना में हड़ताल करने वाले 26 कर्मचारियों के ख़िलाफ़ सफ़ाई कार्य में बाधा डालने को लेकर प्राथमिकी दर्ज की, आयुक्त हिमांशु शर्मा ने बाक़ियों को काम फिर से शुरू नहीं करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी।

इस बीच शहरी विकास विभाग (UDD) के प्रमुख सचिव आनंद किशोर ने राज्य भर के सभी 218 शहरी निकायों के अधिकारियों को हड़ताली श्रमिकों के साथ बातचीत शुरू करने और आउटसोर्सिंग एजेंसियों के श्रमिकों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है। शहरी स्थानीय निकायों की ओर से काम पर रखे गये श्रमिकों को इन रिपोर्टों के बीच सुरक्षा मुहैया करायी गयी है कि बुधवार और गुरुवार को काम पर रखे गये इन मज़दूरों के साथ कार्यालय पहुंचने पर हड़ताली श्रमिकों ने प्रशासनिक कर्मचारियों को खदेड़ दिया था।

पटना और गया, मुज़फ़्फ़ररपुर और भागलपुर जैसे अन्य बड़े शहरों में इस हड़ताल का असर कचरे और गंदगी के ढेर के साथ दिखायी दे रहा है।व्यवसायी साकेत कुमार ने न्यूज़क्लिक को बताया, “सड़कों पर मवेशियों और कुत्तों के फैलाये कचरे से बदबू आ रही है। इस बदबू से बचने के लिए लोगों को नाक और मुंह ढके देखा जा सकता है।” यहां तक ट्रैफ़िक पुलिस के जवान भी इस दुर्गंध से बचने के लिए अपने चेहरे को रूमाल से ढककर अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं।

पीएमसी के मुताबिक़, हर दिन तक़रीबन 800-900 टन कचरा इकट्ठा किया जाता है, 25,000 टन से ज़्यादा कचरा या तो पटना में सैकड़ों स्थानों पर डंप किया जाता है या जमा किया जाता है। हड़ताल में शामिल सैकड़ों कर्मचारी पीएमसी मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

हड़ताली कर्मचारियों ने कहा कि सरकार उनके और स्थायी सफ़ाई कर्मचारियों के बीच भेदभाव करती है, जबकि दोनों एक ही तरह के काम करते हैं। ठेके पर काम कर रहे एक दिहाड़ी श्रमिक 9,000 रुपये प्रति माह कमाता है, जबकि एक आउटसोर्स कर्मचारी को 7,000 रुपये मिलते हैं। इनके मुक़ाबले एक स्थायी कर्मचारी को प्रति माह 30,000 रुपये और सुविधा लाभ का भुगतान किया जाता है। हड़ताल में शामिल कर्मचारियों का कहना है कि ठेके पर रखे गये सफ़ाई कर्मचारियों को कम से कम 18, 000 रुपये प्रति माह मिलना चाहिए क्योंकि वे शहर को साफ़ और निर्मल रखने के लिए कमरतोड़ मेहनत करते हैं।

हड़ताली कर्मचारियों ने कहा कि उनमें से सैकड़ों श्रमिक पिछले 10 सालों से इस उम्मीद में दैनिक वेतन पर काम कर रहे हैं कि उन्हें नियमित कर दिया जायेगा। उनके मुताबिक़, वे स्वच्छ भारत अभियान के असली कार्यकर्ता हैं, लेकिन सरकार ने उनकी अनदेखी की है।

ग़ौरतलब है कि इन पीएमसी कामगारों ने अपनी मांगों को पूरा करने के आश्वासन मिलने के बाद फ़रवरी में घोषित अनिश्चितकालीन हड़ताल को ख़त्म कर दिया था। हालांकि, जब उनकी मांगें पूरी नहीं हुई, तो तक़रीबन 7,000 पीएमसी सफ़ाई कर्मचारी, जिनमें 4,700 दैनिक वेतन भोगी और 2,300 आउटसोर्स कर्मचारी शामिल थे, अगस्त में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये। इन प्रदर्शनकारियों ने 13 अगस्त को अपनी हड़ताल ख़त्म कर दी थी।

पिछले साल पीएमसी के इन सफ़ाई कर्मचारियों ने नौकरी नियमित करने के बजाय अपने हटाये जाने के राज्य सरकार के फ़ैसले का विरोध किया था। सफ़ाई कर्मचारियों सहित चतुर्थ वर्गीय दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी इससे पहले भी दो बार हड़ताल पर जा चुके हैं और शीर्ष सरकारी अधिकारियों के मौखिक आश्वासन के बाद अपना विरोध प्रदर्शन भी ख़त्म कर चुके हैं। फिर भी उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Bihar Sanitation Workers Continue Strike on Fourth day as Garbage Piles up

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