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ब्राज़ील चुनाव: लूला ने बोल्सोनारो को पछाड़ा, अंतिम राउंड की तरफ़ बढ़ी प्रक्रिया

ब्राज़ील के चुनावी संस्था ने दूसरे राउंड की घोषणा कर दी। वामपंथी पूर्व राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा अतदक्षिणपंथी मौजूदा राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो से आगे निकल गए।
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लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा (दाहिने) को पहले राउंड में मौजूदा राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो से आगे निकलने की उम्मीद है।

* लूला ने ब्राज़ील के राष्ट्रपति चुनाव के पहले राउंड में जीत हासिल की

* रनऑफ यानी अंतिम चुनाव 30 अक्टूबर को होना निर्धारित है

अंतिम चुनाव के लिए मतदान

ब्राज़ील के चुनावी कार्यालय ने घोषणा की कि राष्ट्रपति पद के लिए दूसरे राउंड का भी चुनाव होगा क्योंकि दोनों ही उम्मीदवार 50% से अधिक वोट हासिल करने में विफल रहे।

वामपंथी राजनेता और पूर्व राष्ट्रपति लूला के पास 48% वोट थे जबकि दक्षिणपंथी राष्ट्रपति बोल्सोनारो के पास 43.5% वोट थे। चुनावी अधिकारियों ने कहा कि 98% वोटों की गिनती हुई है।

स्थानीय समय के अनुसार शाम पांच बजे मतदान बंद

देश भर के मतदान केंद्र शाम 5 बजे, स्थानीय समय (2000 GMT) बंद होने वाले थे।

कुछ मतदान केंद्रों के कुछ देर बाद तक खुले रहने की संभावना है।

मतदान के बाद वोट के पहले आंकड़े कुछ ही मिनटों में काफी बदल गए।

चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित पहले आंकड़ों में लूला को 51% समर्थन मिला था। यह जल्द ही घटकर 47% हो गया। और फिर मतदान बंद होने के लगभग 20 मिनट बाद तीसरे अपडेट में लूला को 41% वोट मिला जबकि बोल्सोनारो को 47.6% के साथ मामूली बढ़त मिली।

जब तक वोट के अहम हिस्से की गिनती नहीं हो जाती, तब तक आंकड़ों में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।

मतदाता सिर्फ़ राष्ट्रपति पद का फैसला नहीं करते हैं

राष्ट्रपति के अंतिम चुनाव के अलावा ब्राज़ील के मतदाता कांग्रेस के निचले सदन के साथ ही देश भर में राज्यपालों और राज्य के विधायकों का भी चुनाव करेंगे।

कांग्रेस की 513 सीटों के साथ-साथ सीनेट में 27 सीटों की दौड़ में बोल्सोनारो के रूढ़िवादी गठबंधन को बहुमत हासिल करने की उम्मीद है।

यदि चुनाव-पूर्व चुनाव सटीक साबित होते हैं और लूला राष्ट्रपति चुनाव जीत जाते हैं तो इससे उनकी वामपंथी सरकार विधायिका के नियंत्रण के बिना नीतियों को लागू करने के लिए संघर्ष कर सकती है।

चुनाव के लिए सुरक्षा व्यवस्था सख़्त

साओ पाउलो में रविवार को चुनाव के दौरान एक मतदान केंद्र पर एक व्यक्ति ने दो सैन्यकर्मियों पर गोली चला दी।

शहर की सैन्य पुलिस ने ट्विटर पर एक बयान में कहा कि ये लोग होश में थे और सुधार हो रहा था। उसने आगे कहा कि इस घटना के बावजूद मतदान केंद्र बंद नहीं हुआ।

रविवार के मतदान के दौरान सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। लगभग 500,000 मतदान केंद्रों पर सैन्य बल तैनात किए गए थे।

शस्त्र नियंत्रण क़ानूनों में ढील देने के साथ ही बोल्सनारो के कार्यकाल में हथियारों लेने वालों की संख्या वृद्धि देखी गई।

लूला ने अपना मतदान करते हुए कहा कि उन्हें एक "शांतिपूर्ण देश" की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि, "हम नफ़रत और झगड़ा-लड़ाई नहीं चाहते हैं।"

ब्राज़ील के एक अदालत के प्रमुख ने भी "शांतिपूर्ण और सुरक्षित" वोट की कामना की।

बोल्सोनारो के सबसे कट्टर विरोधी सुप्रीम कोर्ट के एक जज एलेक्जेंडर डी मोरेस ने एक ट्वीट में कहा कि चुनावी संस्था का काम कठिन था। मोरेस संघीय चुनावी अदालत के प्रमुख हैं और उन्होंने बोल्सोनारो की जांच की है।

बोल्सोनारो ने रविवार के वोट के परिणामों पर संदेह जताया। उन्होंने चुनावी अधिकारियों पर अपने ख़िलाफ़ साजिश रचने का आरोप लगाया और साथ ही सेना के नेतृत्व में गिनती कराने का संकेत दिया।

पिछले चुनावों में ब्राज़ील के सशस्त्र बलों का इस्तेमाल बहुत कम हुआ है। अधिक हिंसक क्षेत्रों में और वोटिंग मशीनों को अलग-अलग क्षेत्रों में ले जाने के दौरान उनका इस्तेमाल हुआ है।

ब्राज़ील का इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम कैसे काम करता है

अधिकारियों ने देश भर में क़रीब 477,000 मतदान केंद्र बनाए हैं।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के ज़रिए होने वाले इस चुनाव में 156 मिलियन से अधिक लोग मतदान करने के पात्र हैं। इस मशीन के ज़रिए परिणामों की घोषणा जल्द कर दी जाती है। यह व्यवस्था 1996 में लागू की गई है।

देश के चुनाव अधिकारियों ने इस चुनाव के लिए कथित तौर पर 224,900 नई मशीनों को शामिल किया है, जिससे रविवार को इस्तेमाल की जाने वाली कुल संख्या 577,000 से अधिक हो गई है।

बोल्सोनारो ने बार-बार आरोप लगाया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम के ज़रिए धोखाधड़ी होती है जिसका कोई सबूत नहीं होता है। उनकी ये टिप्पणी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के आलोचना जैसी है।

उनकी इस आलोचना के बाद, चुनावी संस्था ने बड़ी संख्या में विदेशी चुनाव पर्यवेक्षकों को बुलाया है, जिसमें कार्टर सेंटर के अमेरिकी पर्यवेक्षक और इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (आईएफईएस) के पर्यवेक्षक पहली बार आए हैं।

बोल्सोनारो संभावित हार के सवाल से बचते रहे

वोट डालने के बाद सोशल मीडिया पर बोल्सोनारो ने एक वीडियो पोस्ट में कहा, "अगर साफ सुथरी चुनाव होती है, तो हम आज कम से कम 60% वोटों के साथ जीतेंगे।"

अतिदक्षिणपंथी राष्ट्रपति जिन्होंने बार-बार ब्राजील की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणाली पर आरोप लगाया है कि इसमें धोखाधड़ी होती है जिसका कोई सबूत नहीं होता है। उन्होंने सीधे पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं दिया कि क्या वह हारने पर इस परिणाम का सम्मान करेंगे या नहीं।

उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि लूला को दो अंकों की बढ़त के बावजूद वह जीतेंगे।

बोल्सोनारो ने कहा, "हमारे पास जो भी सबूत हैं वो हमारे अनुकूल हैं। दूसरा पक्ष सड़कों पर नहीं उतर पाया है, प्रचार नहीं किया है, कोई स्वीकृति नहीं है और कोई विश्वसनीयता नहीं है।"

लूला ने वोट डाला, सामान्य स्थिति में लौटने की उम्मीद

लूला ने समर्थकों से कहा कि चार साल तक अतिदक्षिणपंथी जायर बोल्सोनारो के अधीन रहने के बाद वे "देश को सामान्य स्थिति में लाने के लिए" राष्ट्रपति का चुनाव लड़ रहे हैं।

76 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति ने अपना वोट डालने के बाद कहा, "हम नफ़रत, झगड़ा लड़ाई नहीं चाहते हैं। हम शांतिपूर्ण देश चाहते हैं।"

उन्होंने कहा, "इस देश को खुश रहने के अधिकार को वापस पाने की ज़रूरत है।"

बोल्सोनारो-लूला के मुक़ाबले के लिए मतदान शुरू

रविवार को इस ध्रुवीकृत चुनाव में ब्राजीलियाई नागरिकों ने दक्षिणपंथी राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो और वामपंथी फ्रंट-रनर लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा के बीच इस कांटे के मुक़ाबले में वोट डालना शुरू कर दिया।

मतदान केंद्र पर मतदान ब्राज़ील के समय के अनुसार (1000 GMT) सुबह 8 बजे से शुरू होकर शाम 5 बजे तक जारी रहेगा।

एक प्रचार के बाद जिसने दक्षिण अमेरिकी दिग्गज देश पूरी तरह से विभाजित कर दिया है ऐसे में सभी की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या लूला जो 2003 से 2010 तक राष्ट्रपति थें वह 30 अक्टूबर को होने वाले अंतिम चुनाव में गए बिन पहले राउंड में जीत सकते हैं या नहीं।

इस बात को लेकर भी चिंताएं हैं कि क्या ब्राज़ील की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग व्यवस्था में कथित धोखाधड़ी का आरोप लगाने वाले बोल्सोनारो इस परिणाम को स्वीकार करेंगे।

साल 1996 में ब्राजील में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग से चुनाव शुरू होने के बाद से चुनावी धोखाधड़ी का कोई सबूत नहीं है, जबकि पुरानी व्यवस्था में हेरफेर की बात सामने आ चुकी थी।

ये लेख मूल रूप से अंग्रेज़ी में डीडब्ल्यू पर प्रकाशित किया गया है जिसे न्यूज़क्लिक की अंग्रेज़ी वेबसाइट ने साभार प्रकाशित किया। मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

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