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सावधान! कोरोना का ख़तरा अभी टला नहीं है

दिल्ली में कोरोना से हो रही मौत और उत्तर प्रदेश में आए सीरो सर्वे की रिपोर्ट से ये बात साफ़ पता चलती है कि कोरोना का ख़तरा अभी टला नहीं है।
कोरोना वायरस
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : Al Jazeera

देश में नवंबर महीने में हर दिन लगभग 42 हजार से ज्यादा कोरोना के नए मामले सामने आए हैं। हर दिन लगभग 500 से अधिक लोगों ने इस संक्रमण से अपनी जान गंवाई है। देश में कोरोना के मामलों की संख्या लगभग 95 लाख हो गई है और इस महामारी से मरने वालों की संख्या अब तक 1 लाख 37 हज़ार से ज्यादा हो गई है। इसके अलावा दिल्ली में कोरोना से हो रही मौत और उत्तर प्रदेश में आए सीरो सर्वे की रिपोर्ट से ये बात साफ पता चलती है कि कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने 16,000 लोगों के बीच सितंबर में एक सीरोलॉजिकल सर्वे किया था। सर्वे के अनुसार, राज्य में पांच में से एक व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी को विकसित पाया गया। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कुल 16,000 नमूनों में से 3,536 में एंटीबॉडी की मौजूदगी मिली है, तो कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश के 22.1 प्रतिशत लोग कोरोना के दायरे में आ चुके हैं।

ऐसे में सीरो सर्वे के आधार पर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सितंबर महीने में ही उत्तर प्रदेश में मोटे तौर पर कुल 23 करोड़ लोगों में से करीब पांच करोड़ तक कोरोना का असर पहुंच चुका था। यह स्थिति सितंबर महीने की है और अक्टूबर, नवंबर में संक्रमण की संख्या बढ़ी होगी। जानकारों का कहना है कि वायरस के संपर्क में आने वालों की संख्या नवंबर तक कई गुना बढ़ गई होगी। हालांकि राज्य में अभी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार सवा पांच लाख से ज्यादा लोग ही संक्रमित हुए हैं और साढ़े सात हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।
 
सीरो सर्वे के आधार पर हम यही कह सकते हैं कि कोरोना का खतरा टला नहीं है और टीके की अनुपस्थिति में संक्रमण से बचाव ही सर्वश्रेष्ठ तरीका है। कोरोना संबंधी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा। मास्क पहनने, नियमित अंतराल पर हाथ धोने और शारीरिक दूरी बनाए रखने की जरूरत बढ़ गई है।

यही वक्त है जब सरकारों को ज्यादा ठोस ढंग से लोगों में यह बात बिठा देनी चाहिए कि इस मोड़ पर उनकी जरा सी लापरवाही अब तक के सारे किए-कराए पर पानी फेर सकती है। यह बात पहले से कही जा रही है कि चूंकि यह वायरस जाड़ों में ही आया था इसलिए सर्दी का मौसम इसके ज्यादा अनुकूल साबित हो सकता है।

वैसे राहत की भी एक खबर आई है। फिजिक्स ऑफ फ्लूइड्स जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, सार्वजनिक जगहों पर अगर 70 प्रतिशत लोग भी मास्क पहनने लगें, तो कोरोना को काबू किया जा सकता है। इस शोध ने एक बार फिर प्रमाणित किया है कि कोरोना से लड़ने में मास्क का उपयोग बहुत जरूरी है।

शोध में यह भी पता चला है कि सर्जिकल मास्क को कोरोना के खिलाफ 70 प्रतिशत कारगर पाया गया है, अगर सार्वजनिक स्थानों पर 70 प्रतिशत लोग भी सर्जिकल मास्क पहनने लगें, तो कोरोना संक्रमण को रोकने में बहुत हद तक सफलता मिल सकती है। साफ है, मास्क पहनने की आदत डाल लेने में ही सबकी भलाई है।

इस बीच आपको बता दें कि दुनिया में कोविड-19 के कहर के बीच डिक्शनरी डॉट कॉम ने सोमवार को ‘पेंडेमिक’ (महामारी) शब्द को वर्ष 2020 का शब्द घोषित किया। सारी दुनिया में कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस संक्रमण को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘पेंडेमिक’ (महामारी) शब्द घोषित किया था। यह शब्द खूब चर्चित हुआ और बच्चे अपने माता-पिता से पूछने लगे कि ‘पेंडेमिक’ क्या होती है।

इस सबके चलते डिक्शनरी डॉट कॉम ने सोमवार को इस शब्द को वर्ष 2020 का शब्द घोषित किया। वरिष्ठ अनुसंधान संपादक जॉन केली ने बताया कि 11 मार्च को इंटरनेट पर इस शब्द की खोज 13,500 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई। महीने दर महीने इसकी खोज एक हजार प्रतिशत अधिक बढ़ती गई।

एक बात और कोविड-19 के संक्रमण के बारे में हम बहुत कम जानते थे। अब हम जितना अधिक इस वायरस के बारे में जानेंगे, उतना ही खुद को सुरक्षित कर पाएंगे। संक्रमण रोकने के लिए ज्यादा प्रभावी योजना बना पाएंगे और उसे क्रियान्वित कर पाएंगे। सिर्फ वैक्सीन आ जाने की बात से ही कोरोना खत्म नहीं हो जाएगा। एक बड़ी आबादी तक इसे पहुंचाने में वक्त लगेगा और जब तक ऐसा नहीं होता तब तक कोरोना संक्रमण का खतरा खत्म नहीं होगा।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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