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मोदी सरकार झुकी, किसानों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति

मोदी सरकार के 3 ‘काले’ कृषि क़ानूनों का विरोध करते हुए, एआईकेएससीसी (AIKSCC) की लीडरशिप में ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन के किसानों ने आज राजधानी में प्रवेश की उम्मीद जताई है।
मोदी सरकार झुकी, किसानों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति

नई दिल्ली: दिल्ली की सीमाओं पर बड़े पैमाने पर अराजकता फैलाने के लिए पुलिस द्वारा खड़े किए गए बैरिकेड्स और पानी के तोपों तथा आंसु गैस के गोलो को धता बताते हुए पंजाब और हरियाणा के हजारों किसानों ने शुक्रवार को 'दिल्ली चलो' के नारे के तहत राजधानी की तरफ कूच किया और विशाल मार्च निकाला। किसानों के चट्टानी विरोध के सामने केंद्र सरकार को आखिरकार झुकना पड़ा और उन्हें शहर में प्रवेश की अनुमति देनी पड़ी। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए 3 कॉर्पोरेट-परस्त कृषि कानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए, अन्य राज्यों में भी किसान विरोध प्रदर्शनों की रिपोर्ट दर्ज की गई है।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) के एक बयान में कहा गया है कि, "भारत सरकार को किसानों की इच्छाशक्ति और सख्त निर्णय के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा, और उन्हे राष्ट्रीय राजधानी में किसानों के मार्च करने की अनुमति देनी पड़ी। किसान तीन काले केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध जता रहे हैं", 300 से अधिक किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चे ने केंद्र में मोदी सरकार द्वारा किसानों पर किए जा रहे दमन की कड़ी निंदा की है।

प्रदर्शनकारी किसानों के साथ लंबे समय तक गतिरोध में रहने के बाद, दिल्ली पुलिस पीआरओ ईश सिंघल ने कहा, "किसान नेताओं के साथ चर्चा करने के बाद, प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली के अंदर बुरारी के निरंकारी ग्राउंड में शांतिपूर्ण विरोध करने की अनुमति दे दी गई है।"

इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने दिल्ली पुलिस को किसानों और बड़ी तादाद में आ रहे किसानों को जेल में रखने के शहर के स्टेडियमों को अस्थायी जेलों में बदलने से माना कर दिया है। 

दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने केंद्रीय गृह सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि केंद्र सरकार को प्रदर्शनकारी किसानों की मांगों को स्वीकार करना चाहिए क्योंकि किसानों को जेलों में डालना इसका समाधान नहीं है।

इससे पहले दिन भर कई स्थानों पर पुलिस और किसानों के बीच झड़पें हुईं और दिल्ली की सीमा एक तरह से युद्ध क्षेत्र बन गया, जहां आंदोलनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए ड्रोन के ज़रीए आंसूगैस के गोले छोड़े गए। 

सिंघू बार्डर और टिकरी बार्डर पर किसानों को रोकने के लिए रेत से भरे ट्रकों और पानी की तोपों सहित बहु-परत बैरिकेडिंग की गई थी।

किसान नए कृषि कानूनों को खारिज करने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उनका का मानना है कि सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद इन विधानों को तैयार किया जाए और मौजूदा काले क़ानूनों की जगह उन्हे लाया जाए। वे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी भी चाहते हैं।

सुबह सवेरे कई ट्रेड यूनियन, छात्र, महिलाओं और जनवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने किसानों की मांगों के प्रति समर्थन व्यक्त करने के लिए जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया।

दिल्ली जाने वाले राजमार्ग को बीकेयू ने किया जाम

लखनऊ: संसद द्वारा पारित किए गए विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन तेज करते हुए, भारतीय किसान यूनियन (BKU) के समर्थकों ने शुक्रवार को मुजफ्फरनगर जिले के नवाला कोठी क्षेत्र में दिल्ली-देहरादून (NH-58) राजमार्ग को बंद कर दिया, वे ऐसा कर हरियाणा और पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन कर रहे थे। 

बीकेयू के कार्यकर्ताओं और किसानों ने यमुना एक्सप्रेसवे को भी जाम कर दिया था। बीकेयू के बैनर तले मुरादाबाद में किसानों ने दिल्ली-लखनऊ राजमार्ग को जाम कर दिया और वहीं धरने पर बैठ गए।

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मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली, अलीगढ़, सहारनपुर, मथुरा, आगरा और हापुड़ में भी भारी विरोध प्रदर्शन किए गए।

बागपत में, बीकेयू कार्यकर्ताओं ने ट्रैक्टरों का इस्तेमाल करके सोनीपत राजमार्ग पर यातायात को अवरुद्ध कर दिया और काले कानूनों के खिलाफ नारे लगाए।

पंजाब और हरियाणा के किसानों का समर्थन करते हुए, बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता, राकेश टिकैत ने कहा: "हमने टीवी पर देखा कि हरियाणा सरकार और दिल्ली पुलिस किसानों का स्वागत  आंसू गैस के गोले और पानी की तोपों के साथ कर रही है। सिर्फ गैस के गोले क्यों दागे, बम क्यों नहीं फेंके।" ऐसा करते तो आपको (सरकार को) परेशान करने के लिए किसान बचते ही नहीं, ”टिकैत ने न्यूज़क्लिक को बताया।

यूपी-राजस्थान बॉर्डर पर सत्याग्रह

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर पंजाब और हरियाणा के किसानों के समर्थन में भारी संख्या में किसानों ने सत्याग्रह शुरू किया, इसे बीकेयू के राजवीर लवानिया, आलू किसान विकास समिति के जिला अध्यक्ष की लीडरशिप में किया गया जहां भारी पुलिस बलों की उपस्थिति थी। 

“उत्तर प्रदेश के किसानों को उनके कृषि में निवेश का आधा भी नहीं मिल पा रहा है, जो 700-800 रुपये प्रति क्विंटल बैठता है। हमने मांग की थी कि राज्य सरकार आलू के लिए 1,000 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करे, लेकिन सरकार ने हमारी मांगों पर विचार नहीं किया। "सत्याग्रह शुरू किया है और हम इन किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करवा कर ही दम लेंगे," लवानिया ने न्यूज़क्लिक को बताया।

इस बीच, राकेश टिकैत के नेतृत्व में हजारों किसान ट्रैक्टरों के माध्यम से विरोध मार्च में भाग लेने राष्ट्रीय राजधानी में जा रहे हैं। आज रात उनके नोएडा सीमा पर पहुंचने की उम्मीद है।- अब्दुल अलीम जाफरी

‘हम मोदी सरकार को पीछे हटाएँगे’ महाराष्ट्र के किसानों ने कहा

मुंबई: महाराष्ट्र के विभिन्न जिला कलेक्ट्रेट कार्यालयों पर शुक्रवार को हजारों किसानों ने दस्तक दी। उन्हें गुजरात, मध्य प्रदेश में सीमाओं को पार करने से भी रोका गया। कुछ जगहों पर  आदिवासियों ने किसानों का साथ दिया। 

राज्य में तीन संगठन- अखिल भारतीय किसान सभा, स्वाभिमानी शेतकरी संगठन और किसान जागरण मंच पहले ही किसानों के जत्थे को दिल्ली भेज चुके हैं। बाकी संगठनों ने मजदूरों के साथ मिलकर महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन किए। 

सुबह सवेरे एआईकेएस ने अहमदनगर, पालघर, सांगली, उस्मानाबाद, बीड, परभनी और नासिक जिलों में विरोध प्रदर्शन किए और कलेक्टरों के कार्यालय को मांगपत्र दिए गए जिनमें नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग प्रमुख थी। किसानों ने हटकनंगले, तसगाँव, सोलापुर और जालना में भी रास्ता रोको किया। मुरबाद, ठाणे के तहसील कार्यालय पर भी एक हजार किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया।

स्वाभिमानी संगठन के रविकांत तुपकर ने कहा, "इस कटाई के समय में किसानों की प्रतिक्रिया और आंदोलन असाधारण है ऐसा आमतौर पर नहीं होता है। सरकार को इसका संज्ञान लेना होगा।"

कुछ किसानों ने सड़क मार्ग से दिल्ली जाने की कोशिश की, लेकिन उन्हे गुजरात और मध्य प्रदेश में रोक दिया गया। किसान जागरण मंच की प्रतिभा शिंदे ने कहा, "हम दिल्ली में विरोध करना चाहते हैं और देश का ध्यान अपने मुद्दों की तरफ दिलाना चाहते हैं। लेकिन गुजरात और मध्य प्रदेश की सरकारों ने हमें सीमा पार करने की इजाजत नहीं दी। पहले उन्होंने उद्योगपतियों के नाम पर हमें धोखा दिया और अब विरोध करने का अधिकार छीन भी लिया।"

इस बीच, महाराष्ट्र सरकार ने घोषणा की है कि वह किसानों की बेहतरी के लिए राज्य के  कानूनों को बदलेगी। राजस्व मंत्री बालासाहब थोराट ने कहा, "हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। कृषि राज्य का विषय है। हम उन कानूनों को बदलेंगे जो किसान विरोधी हैं।"- अमय तिरोड़कर

तेलुगु राज्यों में गाँव-स्तर पर बंद

हैदराबाद: तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के तेलुगु भाषी राज्यों में हजारों किसानों ने पुलिस दमन और चक्रवात निवार के कारण भारी वर्षा के बीच चल रहे विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया। आंध्र प्रदेश में विरोध प्रदर्शनों के दौरान 100 से अधिक किसानों और वाम दलों के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया।

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“विजयवाड़ा में रैली शुरू होते ही किसान कार्यकर्ताओं को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। वाईएसआरसीपी सरकार ने केंद्र में भाजपा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है और इसलिए वह केंद्र सरकार के काले कानूनों के खिलाफ हमारे विरोध को दबा रही है, ”आंध्र प्रदेश रियाथू संगम के अध्यक्ष वाई केशव राव, जिन्हें विजयवाड़ा में अन्य किसानों के साथ हिरासत में लिया गया ने बताया। 

श्रीकाकुलम में, जिला पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को वहां स्थित विद्युत भवन के सामने से हिरासत में ले लिया।

बाबू राव के मुताबिक, "किसानों ने वाईएसआरसीपी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा कृषि क्षेत्रों में पंप सेटों पर स्मार्ट मीटर लगाने के फैसले का भी विरोध किया है"। 

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अखिल भारतीय किसान सभा से जुड़े तेलंगाना रायथू संगम के महासचिव सागर ने कहा कि, "केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आदिलाबाद और खम्मम में दूरदराज के आदिवासी गांवों में सार्वजनिक सभाएं और रैलियां की गईं हैं।"

 सागर ने कहा, "किसान चाहते हैं कि बाढ़ या अकाल के कारण फसल उत्पादन के लिए एक सुनिश्चित एमएसपी, निर्बाध बिजली आपूर्ति और बीमा हो, लेकिन कॉरपोरेट या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए कानून नहीं बनना चाहिए।"- पृथ्वीराज रूपावत

किसानों पर दमन के ख़िलाफ़ बिहार विपक्ष ने किया प्रदर्शन

पटना: दिल्ली में प्रदर्शनकारी किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए बिहार के विपक्षी महागठबंधन जिसमें वाम दलों, राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस सहित, बिहार विधानसभा के अंदर और बाहर प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा की।

हाथों में तख्तियां लिए विपक्षी विधायकों ने काले कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की और केंद्र और राज्य की एनडीए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

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राजद एमएलसी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा, "बिहार सरकार को राज्य विधानसभा में कृषि बिलों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए और अगर सरकार किसानों के पक्ष में है तो इस प्रस्ताव को केंद्र को भेजना चाहिए।" 

सीपीआई (एम) के विधायक अजय कुमार और सत्येन्द्र यादव ने दिल्ली में किसानों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का मुद्दा उठाया और अन्य वाम विधायकों के साथ दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में विधानसभा के भीतर और बाहर विरोध प्रदर्शन किया।- मोहम्मद इमरान खान

केरल के किसानों और खेत मज़दूरों ने जताई हमदर्दी

केरल के किसानों और कृषि श्रमिकों ने पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों के साथ एकजुटता जताते हुए राज्य में 200 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किए। 

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केके रागेश, राज्यसभा सदस्य और अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव के नेतृत्व में किसानों ने कन्नूर के प्रधान डाकघर के सामने मोदी का पुतला जलाया।

एआईकेएससीसी से संबद्ध विभिन्न किसान संगठनों के संयुक्त मंच, संयुक्त कृषक समिति के बैनर तले, प्रदर्शनकारी किसानों ने कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों को अपनाने के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले भी जलाए।

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