छात्र आंदोलन के आगे हरियाणा सरकार झुकी, फीस वृद्धि वापस
हरियाणा के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में की गई फीस वृद्धि का छात्रों द्वारा एक लंबे और संगठित विरोध के बाद राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि शैक्षणिक सत्र 2019-20 में भी पुरानी फीस ही ली जाएगी और जिन छात्रों से बढ़ी हुई फीस ली गई है वह उन्हें 15 दिनों के भीतर वापस कर दी जाएगी। इसे छात्र संगठनों ने अपने आंदोलन की जीत बतया।
पिछले काफी समय से छात्र सड़क पर उतरकर भारी फीस बढ़ोतरी का विरोध कर रहे थे। छात्रों ने बताया कि वर्ष2018-19 में बीकॉम प्रथम में 3432, बीए प्रथम में 4440, बीएससी मेडिकल प्रथम में 4608, बीएससी नॉन मेडिकल प्रथम में 4536 रुपये फीस थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर बीकॉम प्रथम में 6249, बीए प्रथम में 6769, बीएससी मेडिकल प्रथम में 7069, बीएससी नॉन मेडिकल प्रथम में 7069 रुपये कर दी गई थी। इसी को लेकर छात्र प्रदर्शन कर रहे थे।
छात्रों का कहना था कि राज्य-भर में कालेजों में फीस बढ़ाई गयी थी, जिससे गरीब-वंचित घरों से आने वाले छात्रों को उच्च शिक्षा तक पहुंचने में और भी ज्यादा कठिनाई होनी थी। छात्रों के दमन से हरियाणा सरकार की शिक्षा के निजीकरण की नीति बेनकाब हुई है, जिसके तहत वो सरकारी संस्थानों में फीस बढ़ाकर प्राइवेट कालेजों को बढ़ावा देना चाहती है। लेकिन छात्रों के एकजुट संघर्ष ने सरकार के इन अरमानों पर पानी फेर दिया।
छात्र संगठनों का कहना है कि देशभर के राज्यों में फीस बढ़ाना केंद्र की भाजपा सरकार के शिक्षा में निजीकरण को बढ़ावा देने के एजेंडे के साथ जुड़ा है। इस एजेंडे के तहत वंचित और हाशिये के समुदायों से आने वाले छात्रों का उच्च शिक्षा में पहुँच पाना नामुमकिन हो जाएगा और वो शिक्षा छोड़ने या बेकार कोर्रेसपोंडेंस कोर्सों में जाने को मजबूर होंगे। छात्र संगठन मांग करते हैं कि हरियाणा में छात्रों पर लगाए गए सभी मुकदमों को वापस लिया जाये और गिरफ्तार छात्रों को तुरंत रिहा किया जाये
छात्रों के मुताबिक 14 जुलाई को सोनीपत में हरियाणा के मुख्यमंत्री को इसके संबंध में ज्ञापन देने के लिए 100-150से भी ज़्यादा लोग इकट्ठा हुए, पर उनको सीएम से मिलने नहीं दिया गया और पुलिस ने बहुत बर्बर तरीक़े से उन पर लाठीचार्ज किया।
इसके बाद 14 छात्र नामज़द किये गए और 100-150 अन्य लोगों पर मुक़दमे दर्ज किए गए। छात्रों का आरोप है कि14 छात्रों को पुलिस हिरासत में रखा गया और उन पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है। एक छात्र जिसकी उम्र 17 वर्ष है, उसको भी हिरासत में लिया गया है। अगले ही दिन रोहतक से 4 छात्रों को अलग-अलग स्थानों से उठाया गया जिनके बारे में अभी तक कोई सूचना नहीं है। इसके बाद भी 2 साथियों को ग़ैर-क़ानूनी रूप से गिरफ़्तार किया गया।"
स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के केंद्रीय समिति सदस्य और दिल्ली अध्यक्ष विकास भदोरिया ने कहा की ये सिर्फ हरियाणा के छात्रों के लिए जीत नहीं है यह पूरे देश के छात्र वर्ग के लिए एक आदर्श है। अपने अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। संघर्ष के आगे सरकारों को झुकना पडता है। हरियाणा सरकार की फीस वापसी इस संघर्ष का परिणाम है।
एसएफआई हरियाणा की अध्यक्ष सुमन ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा की सरकार को छात्रों के रोष से डरकर यह निर्णय लेना पड़ा है क्योंकि वो जानती है कि आने वाले कुछ समय में विधानसभा चुनाव है। इसको भी ध्यान में रखकर उन्होंने फीस बढ़ोतरी को वापस लेने का निर्णय लिया है। लेकिन छात्रों के अभी कई और मांगे है जिनपर सरकार अभी तक कोई भी ठोस निर्णय नहीं लिया है। अभी हमारे कई छात्र साथी जेल में हैं। कई पर फर्जी मुकदमे हैं। उन्हें तत्काल सरकार वापस ले वरना एकबार फिर प्रदेश का छात्र सड़कों पर उतरने को मज़बूर होगा।
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